Wednesday, 28 December 2016

मोदी जी के अच्छे दिन आ गए .... (इंस्पेक्टर राज की वापसी)

मोदी जी के अच्छे दिन आ गए ....
(इंस्पेक्टर राज की वापसी)
    मोदी जी जब सत्ता में आये तो नारा लग रहा था कि अच्छे दिन आयेंगे और व्यापारियों ने और बड़े कॉर्पोरेट घरानों ने अपने चंदो से बीजेपी को पाट दिया था जिस से कि मृतप्राय भाजपा में वो जान आ गयी जो सत्ताधारी कांग्रेस पर भारी पड़ी I  जो प्रचार कांग्रेस दस साल सत्ता में रहने के बावजूद नहीं कर पायी वो भाजपा कर ले गयी कारण था मोदी जी आयेंगे अच्छे दिन लायेंगे I जब कांगेस सत्ता में थी तब कच्चा तेल अगर 139 रुपये बैरल था और कांग्रेस को सब्सिडी देकर 72 – 73 रुपये तक जनता को उपलब्ध कराना पड़ा किन्तु मोदी जी के सामने यह मज़बूरी नहीं आयी , मोदी जी उसके एक तिहाई पर तेल पाते रहे और कीमत वही रखी जो कांगेस राज्य में थी I  भारत का औद्योगिक उत्पादन गिरा और लगातार गिरता ही जा रहा है किन्तु मोदी समर्थक यह मानने को नहीं तैयार है की निर्यात के गिरने से और आन्तरिक काले धन को सफ़ेद करने से देश मजबूत नहीं होगा I  उनका वादा था कि विदेशो से काला धन लायेंगे जिस से भारतीय अर्थ व्यवस्था की नीव मजबूत होगी तथा उन लोगो के चेहरे बेनकाब होंगे I जिन्होंने भारतीय अर्थ व्यवस्था को झटका देकर विदेशो में कालाधन जमा कर रखा है किन्तु आज ढाई साल बीतने के बाद उलटी तस्वीर दिखाई देने लगी कि राहुल गाँधी जैसे लोग यह प्रश्न उठा रहे कि स्विस बैंक के जमा कर्ताओ की सूची सदन के पटल पर क्यों नहीं रख रख रहे है I मेरा तो मानना था और है कि मोदी जी गंगा जल की  तरह पवित्र है , बेदाग है किन्तु इस आशंका को जनमानस में बल अवश्य मिलता है कि कहीं न कहीं भाजपा के कुछ क्षत्रप उसमे शामिल अवश्य होंगे जिनके कारण यह सूची सदन के पटल पर नहीं रखी जा रही है, ठीक उसी प्रकार जैसे पहले ललित मोदी बाद में विजय माल्या जैसे अर्थ व्यवस्था को चकनाचूर करने वालो को भारत से भागने दिया गया I यह कतई  मानने योग्य बात नहीं है कि मोदी जी अक्षम थे कि उनको सूचना नहीं रही होगी और इन भारतीय  लुटेरो के द्वारा लुटी गयी भारतीय संपदा को वापस लाना तो दूर, न केवल उन्हें भगाया गया / भागने दिया गया अपितु उसकी भरपाई करने के लिए नोटबंदी का सहारा लिया गया I मैं नोटबंदी का विरोधी नहीं हूँ  किन्तु ऐसी नोटबंदी जिस से भारतीय अर्थ व्यवस्था की रीढ़ टूट जाए एवं इंस्पेक्टर राज की  वापसी हो जाए उसका मैं कतई समर्थक नहीं हूँ I
लोग कहते थे कि इन्कलाब आएगा
नक्साकोहना चमन का बदल जायेगा
    न मालूम था अतिशे गुल से ही
    तिनका तिनका नसेमन का जल जायेगा

क्रमशः 

Saturday, 17 December 2016

स्वाभिमान रक्षा पर्व मनाने का एवं भविष्य के लिए संकल्प लेने का समस्त मनुवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ को सन्देश – 06 दिसम्बर, 2016 को अपने को बौद्ध कहने वाले कुछ लोगो द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय के पास मनु प्रतिमा पर मनुस्मृति जलाए जाने का ऐलान किया गया I इस ऐलान पर मनु को अपना आदर्श समझने वाले समस्त समाज में एक हलचल सी मच गयी I मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा तथा अन्य अनेक प्रान्तों के मनुभक्त हुंकार भरने लगे कि चाहे उन्हें प्राणों का बलिदान क्यों न करना पड़े, किन्तु वे जान मारने और जान देने पर उतारू हो जायेंगे तथा खून की नदियाँ बहा देंगे I नौजवानों में आक्रोश इस बात को लेकर था कि बीजेपी सरकार की ओर से किसी निरोधात्मक कार्यवाही का ऐलान नहीं किया जा सका था I नौजवान यह देख चुके थे कि किस प्रकार बीजेपी के एक सांसद की मौजूदगी में माँ दुर्गा को गलिया दी गयी लेकिन आज तक कार्यवाही तो दूर रही एक मुकदमा तक कायम करने की फर्ज अदायगी भी नहीं की गयी I मनुभक्त नौजवानों ने यह भी देखा था कि विभिन्न विश्वविद्यालयो में जिस में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय अग्रणी है, भारत माता के टुकड़े करने का ऐलान करने वाले समस्त देशद्रोहियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही नहीं की गयी I जब सरकार से न्याय की उम्मीद समाप्त हो जाती है तब क्रांति का उदघोष होता है I क्रांति का परिचय है - “जिस दिन रह जाता क्रोध मौन वह समझो मेरी जन्म लगन” किन्तु मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के हैसियत से मैंने अनुरोध किया कि वे कानून व्यवस्था को बनाए रखे तथा शांतिपूर्ण ढंग से इसका विरोध संवैधानिक तरीको से करे I मैंने उन्हें समझाया कि राणा प्रताप की शैली से न लड़ कर के मनुवादी पार्टी के निर्देशन में उस शैली से लडे जैसे क्षत्रपति शिवा जी समर्थ गुरु रामदास के निर्देशन में लड़े थे I राणाप्रताप देश भक्तो के आदर्श रहे किन्तु घास की रोटी खाने के बावजूद भी वे पूरा राजस्थान तो दूर रहा एक जिला तक आजाद नहीं करा पाए I बलिदान देकर कोई व्यक्ति महान बन सकता है किन्तु सफलता पाने के लिए सुनियोजित रणनीति की आवश्यकता होती है I वहीँ शिवाजी के उत्तराधिकारियो ने न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत वर्ष को आजाद करवा लिया I मुग़ल बादशाह से वजीरुल मुल्क बनाने की संधि कर के मराठे लगभग सारे भारतवर्ष पर हावी हो गए I पानीपत में मराठो की लड़ाई अहमद शाह अब्दाली से हुई जो इस बात का प्रमाण है कि पानीपत मराठो के नियंत्रण में था I मध्यप्रदेश में सिंधिया परिवार, झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई तथा वनारस में अहिल्या बाई इस बात की सबूत है कि मराठो के घोड़ो की टापे पूरे देश में गूंज रही थी I न केवल राणाप्रताप बल्कि उनके वंशज तथा उनकी प्रजा भी लगातार लडती रही – वर्ष 1947 तक गाडिया लुहार गाड़ी के नीचे अपना परिवार लेकर रहते रहे और आज़ादी की लड़ाई लड़ते रहे किन्तु फल नहीं निकला I फल पाने के लिए सुनियोजित ढंग से कार्ययोजना बनानी पड़ती है मैंने नौजवानों को समझाया कि जितना बड़ा सशस्त्र संघर्ष भिंडरावाले ने पंजाब में किया अथवा कश्मीर में जितना कडा सशस्त्र संघर्ष हुआ उस से कश्मीर वासियों या पंजाब वासियों को कोई फल नहीं मिला I इसीप्रकार अहिंसक उग्र संघर्ष से भी कोई फल नहीं मिलता I आरक्षण के नाम पर अनगिनत लडको ने वी.पी. सिंह के जमाने में आत्मदाह किया किन्तु कुछ भी हल नहीं निकला I हम अपनी रणनीति से अगले पांच से दस वर्षो के भीतर कैसे आरक्षण को जड़ से समाप्त करने जा रहे है इसका विस्तृत विवरण के लिए इस श्रृंखला के प्रारंभिक लेखो को पढ़े I मनुवादी पार्टी से जुड़े हम लोग न तो हिंसक आन्दोलन में विश्वास करते है और न ही अहिंसक धरना प्रदर्शन में I इन ज्ञापनो को पढता कौन है ? यदि किसी ने उन्हें अग्रसारित करने का कष्ट भी किया तो वे कूड़े के ढ़ेर में फेंक दिए जाते है I फिर करे क्या ? सहन करना भी तो निर्थक है – सहनशीलता क्षमा दया को तभी पूजता जग है I बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल है I उसके क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल है I एक लेख में अल्टिमेटम दिया गया कि राजस्थान सरकार यदि मनुस्मृति को जलाए जाने को नहीं रोक पायी तो इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना होगा I मनु के प्रति श्रद्धा रखने वाले तत्व जिस सीट पर जो बीजेपी को हरा रहा होगा निगेटिव वोटिंग करेंगे I इसके साथ ही पार्टी के महासचिव श्री शिव प्रसाद तिवारी तथा विजय मिश्र जी को निर्देशित किया गया कि वे इस सम्बन्ध में समुचित वैधानिक कदम उठाये I मनुवादी पार्टी महासचिव श्री शिव प्रसाद तिवारी तथा विजय मिश्र जी के नेतृत्त्व में बीकानेर हाउस नई दिल्ली में 24 नवम्बर 2016 को राजस्थान सरकार के रेजिडेंट कमिश्नर विनय शर्मा आईएएस को एक विरोध पत्र सौपा गया, जिसमे धारा 144 लगाकर शांति व्यवस्था कायम करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया I राजस्थान सरकार को चेतावनी दी गयी कि यदि किसी प्रकार की हिंसा व प्रतिरोध की घटना घटती है तो पूरी जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की होगी I उल्लेखनीय है कि जो व्यक्ति स्वयं हिन्दू नहीं है उसे मनुस्मृति की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है I जिसे मनु की व्यवस्था में विश्वास नहीं है वह मनु के रास्ते को छोड़ कर, बौद्ध बन जाए, जैन बन जाए अथवा अन्य कोई धर्म अपना ले किन्तु किसी धर्म की आलोचना उचित नहीं है I सलमान रश्दी तथा तसलीमा नसरीन जैसे लोग जो धर्मं का मजाक उड़ाते है – मनुवादी पार्टी सत्ता में आने पर उनके लिए मृत्यु दंड प्रदान करने का कानून बनाएगी I इसीप्रकार के कानून मनुस्मृति या रामचरित मानस को जलाए जाने वालो के लिए भी बनेंगे I हम भी यह मानते है कि फ़्रांस में कार्टून बनाने वालो की हत्या एक अपराध है किन्तु मनुवादी पार्टी इसके लिए जितना दोषी ISIS को मानती है उस से कम दोषी फ़्रांस के उन कानूनों को भी नहीं मानती है जिनके चलते पैगम्बर का अश्लील कार्टून बनाने वाले पत्रकार छुट्टा साड़ की तरह बेलगाम घूमते रहे और उनके खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा सकी I हम डॉ अम्बेडकर के कृतज्ञ है कि उन्होंने हिन्दू धर्मं छोड़ने की कृपा की I जिस किसी को मनुस्मृति या रामचरितमानस जलाने का शौक हो, जिस किसी को माँ दुर्गा को गाली देने या उस गाली को सुन ने में आनंद आता हो, जिस किसी को वर्णाश्रम व्यवस्था से एलर्जी हो – उन समस्त लोगो से अनुरोध है कि वे हिन्दू धर्मं का त्याग करके अपना धर्मं परिवर्तन कर ले जैसे उनके पूज्य डॉ अम्बेडकर ने राह दिखाई थी किन्तु हिन्दू बने रह कर हिन्दुत्त्व की सुस्थापित मान्यताओ का विरोध नहीं चल सकता I कहा गया है कि “उरुजे इस्लाम होता है हर कर्बला के बाद” अर्थात हर करबला के बाद इस्लाम उन्नति की ओर बढता है I किसी भी काफ़िर से अधिक खतरनाक सलमान रश्दी और तसलीमा नसरीन जैसे मुनाफिको को इस्लाम में माना गया है I इसीप्रकार तुलसीदास ने लिखा है – “हरि हरि निंदा सुनै जो काना पाप लगै गौ घात समाना” हिन्दुत्त्व का लबादा ओढ़े जो लोग हिन्दुत्त्व की मूल आत्मा का विरोध करते है उनको तुलसीदास ने भी सबसे बड़ा अपराधी माना है I हमे प्रसन्नता है कि नौजवानो के उन्माद तथा बुजुर्गो के विवेक के सम्मिश्रण ने अपना प्रभाव दिखाया तथा मनुस्मृति को जलाया नहीं जा सका, किन्तु हम कारगिल विजय की तरह विजयपर्व मनाने नहीं जा रहे है I विजयपर्व मनाने का हक तब मिलता है जब निर्णायक विजय हो और दुबारा किसी को पलट कर देखने का साहस जाता रहे I हमारे घर में घुस कर कोई हमसे मारपीट करे और हम अपने नौजवानों का बलिदान करके मात्र उसे घर से बाहर निकाल दे और उसके बाद विजय दिवस मनाने लगे - इतना महान व्यक्तित्व किसी भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई या छप्पन इंच के सीना वाले मोदी जी का हो सकता है I विजयदिवस मनाने का हक आजाद भारत में किसी को है तो केवल इंदिरा गाँधी को I हम भी विजयदिवस तब मनायंगे जब फिर से कोई मन में भी यह भाव न ला सके की मनुस्मृति जलाई जा सकती है I ऐसा समय भारत के इतहास में पुष्यमित्र शुंग के काल में आया था जब महर्षि पतंजलि के निर्देशन में मनुस्मृति का पुनः संपादन हुआ था I एक मुस्लिम शायर ने लिखा है कि – गूंजती फिर से फिजा में है सदा - ऐ – सोमनाथ I कह रही गजनी से कोई गजनबी पैदा करो II इसीप्रकार वातावरण में फिर से मनुस्मृति को जलाए जाने के स्वर उठने लगे है – मानो वे सनातन व्यवस्था से यह मांग कर रहे हो कि फिर से कोई पतंजलि पैदा करो जिसके निर्देशन में उसका शिष्य पुष्यमित्र शुंग पुनः मनुवादी व्यवस्था को स्थापित कर सके I मै पुनः उत्साही नौजवानों तथा अपने दोनों महामंत्रियो श्री शिवप्रसाद तिवारी व् श्री विजय मिश्र जी को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने इस संकट के समाधान में पूर्ण सहयोग दिया I शाश्वत धर्म गोप्ता स्वयं भगवान् ने मनुवाद की रक्षा का ठेका लिया है I हर विरोधी तत्व से वे कैसे निपटेंगे ये निर्णय उनका है I उचित समय पर हमको तथा विरोधियो को भगवान् सद्बुद्धि दे I

स्वाभिमान रक्षा पर्व मनाने का एवं भविष्य के लिए संकल्प लेने का समस्त मनुवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ को सन्देश – 
06 दिसम्बर, 2016 को अपने को बौद्ध कहने वाले कुछ लोगो द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय के पास मनु प्रतिमा पर मनुस्मृति जलाए जाने का ऐलान किया गया I इस ऐलान पर मनु को अपना आदर्श समझने वाले समस्त समाज में एक हलचल सी मच गयी I मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा तथा अन्य अनेक प्रान्तों के मनुभक्त हुंकार भरने लगे कि चाहे उन्हें प्राणों का बलिदान क्यों न करना पड़े, किन्तु वे जान मारने और जान देने पर उतारू हो जायेंगे तथा खून की नदियाँ बहा देंगे I नौजवानों में आक्रोश इस बात को लेकर था कि बीजेपी सरकार की ओर से किसी निरोधात्मक कार्यवाही का ऐलान नहीं किया जा सका था I नौजवान यह देख चुके थे कि किस प्रकार बीजेपी के एक सांसद की मौजूदगी में माँ दुर्गा को गलिया दी गयी लेकिन आज तक कार्यवाही तो दूर रही एक मुकदमा तक कायम करने की फर्ज अदायगी भी नहीं की गयी I मनुभक्त नौजवानों ने यह भी देखा था कि विभिन्न विश्वविद्यालयो में जिस में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय अग्रणी है, भारत माता के टुकड़े करने का ऐलान करने वाले समस्त देशद्रोहियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही नहीं की गयी I जब सरकार से न्याय की उम्मीद समाप्त हो जाती है तब क्रांति का उदघोष होता है I क्रांति का परिचय है - 
 “जिस दिन रह जाता क्रोध मौन
वह समझो मेरी जन्म लगन”
किन्तु मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के हैसियत से मैंने अनुरोध किया कि वे कानून व्यवस्था को बनाए रखे तथा शांतिपूर्ण ढंग से इसका विरोध संवैधानिक तरीको से करे I मैंने उन्हें समझाया कि राणा प्रताप की शैली से न लड़ कर के मनुवादी पार्टी के निर्देशन में उस शैली से लडे जैसे क्षत्रपति शिवा जी समर्थ गुरु रामदास के निर्देशन में लड़े थे I राणाप्रताप देश भक्तो के आदर्श रहे किन्तु घास की रोटी खाने के बावजूद भी वे पूरा राजस्थान तो दूर रहा एक जिला तक आजाद नहीं करा पाए I बलिदान देकर कोई व्यक्ति महान बन सकता है किन्तु सफलता पाने के लिए सुनियोजित रणनीति की आवश्यकता होती है I वहीँ शिवाजी के उत्तराधिकारियो ने न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत वर्ष को आजाद करवा लिया I मुग़ल बादशाह से वजीरुल मुल्क बनाने की संधि कर के मराठे लगभग सारे भारतवर्ष पर हावी हो गए I पानीपत में मराठो की लड़ाई अहमद शाह अब्दाली से हुई जो इस बात का प्रमाण है कि पानीपत मराठो के नियंत्रण में था I मध्यप्रदेश में सिंधिया परिवार, झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई तथा वनारस में अहिल्या बाई इस बात की सबूत है कि मराठो के घोड़ो की टापे पूरे देश में गूंज रही थी I न केवल राणाप्रताप बल्कि उनके वंशज तथा उनकी प्रजा भी लगातार लडती रही – वर्ष 1947 तक गाडिया लुहार गाड़ी के नीचे अपना परिवार लेकर रहते रहे और आज़ादी की लड़ाई लड़ते रहे किन्तु फल नहीं निकला I फल पाने के लिए सुनियोजित ढंग से कार्ययोजना बनानी पड़ती है मैंने नौजवानों को समझाया कि जितना बड़ा सशस्त्र संघर्ष भिंडरावाले ने पंजाब में किया अथवा कश्मीर में जितना कडा सशस्त्र संघर्ष हुआ उस से कश्मीर वासियों या पंजाब वासियों को कोई फल नहीं मिला I इसीप्रकार अहिंसक उग्र संघर्ष से भी कोई फल नहीं मिलता I आरक्षण के नाम पर अनगिनत लडको ने वी.पी. सिंह के जमाने में आत्मदाह किया किन्तु कुछ भी हल नहीं निकला I हम अपनी रणनीति से अगले पांच से दस वर्षो के भीतर कैसे आरक्षण को जड़ से समाप्त करने जा रहे है इसका विस्तृत विवरण के लिए इस श्रृंखला के प्रारंभिक लेखो को पढ़े I मनुवादी पार्टी से जुड़े हम लोग न तो हिंसक आन्दोलन में विश्वास करते है और न ही अहिंसक धरना प्रदर्शन में I इन ज्ञापनो को पढता कौन है ? यदि किसी ने उन्हें अग्रसारित करने का कष्ट भी किया तो वे कूड़े के ढ़ेर में फेंक दिए जाते है I फिर करे क्या ? सहन करना भी तो निर्थक है – 
सहनशीलता क्षमा दया को 
तभी पूजता जग है I 
बल का दर्प चमकता उसके 
पीछे जब जगमग है 
क्षमा शोभती उस भुजंग को 
जिसके पास गरल है I 
उसके क्या जो दंतहीन 
विषरहित विनीत सरल है I 
एक लेख में अल्टिमेटम दिया गया कि राजस्थान सरकार यदि मनुस्मृति को जलाए जाने को नहीं रोक पायी तो इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना होगा I मनु के प्रति श्रद्धा रखने वाले तत्व जिस सीट पर जो बीजेपी को हरा रहा होगा निगेटिव वोटिंग करेंगे I इसके साथ ही पार्टी के महासचिव श्री शिव प्रसाद तिवारी तथा विजय मिश्र जी को निर्देशित किया गया कि वे इस सम्बन्ध में समुचित वैधानिक कदम उठाये I मनुवादी पार्टी महासचिव श्री शिव प्रसाद तिवारी तथा विजय मिश्र जी के नेतृत्त्व में बीकानेर हाउस नई दिल्ली में 24 नवम्बर 2016 को राजस्थान सरकार के रेजिडेंट कमिश्नर विनय शर्मा आईएएस को एक विरोध पत्र सौपा गया, जिसमे धारा 144 लगाकर शांति व्यवस्था कायम करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया I राजस्थान सरकार को चेतावनी दी गयी कि यदि किसी प्रकार की हिंसा व प्रतिरोध की घटना घटती है तो पूरी जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की होगी I 
उल्लेखनीय है कि जो व्यक्ति स्वयं हिन्दू नहीं है उसे मनुस्मृति की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है I जिसे मनु की व्यवस्था में विश्वास नहीं है वह मनु के रास्ते को छोड़ कर, बौद्ध बन जाए, जैन बन जाए अथवा अन्य कोई धर्म अपना ले किन्तु किसी धर्म की आलोचना उचित नहीं है I सलमान रश्दी तथा तसलीमा नसरीन जैसे लोग जो धर्मं का मजाक उड़ाते है – मनुवादी पार्टी सत्ता में आने पर उनके लिए मृत्यु दंड प्रदान करने का कानून बनाएगी I इसीप्रकार के कानून मनुस्मृति या रामचरित मानस को जलाए जाने वालो के लिए भी बनेंगे I हम भी यह मानते है कि फ़्रांस में कार्टून बनाने वालो की हत्या एक अपराध है किन्तु मनुवादी पार्टी इसके लिए जितना दोषी ISIS को मानती है उस से कम दोषी फ़्रांस के उन कानूनों को भी नहीं मानती है जिनके चलते पैगम्बर का अश्लील कार्टून बनाने वाले पत्रकार छुट्टा साड़ की तरह बेलगाम घूमते रहे और उनके खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा सकी I हम डॉ अम्बेडकर के कृतज्ञ है कि उन्होंने हिन्दू धर्मं छोड़ने की कृपा की I जिस किसी को मनुस्मृति या रामचरितमानस जलाने का शौक हो, जिस किसी को माँ दुर्गा को गाली देने या उस गाली को सुन ने में आनंद आता हो, जिस किसी को वर्णाश्रम व्यवस्था से एलर्जी हो – उन समस्त लोगो से अनुरोध है कि वे हिन्दू धर्मं का त्याग करके अपना धर्मं परिवर्तन कर ले जैसे उनके पूज्य डॉ अम्बेडकर ने राह दिखाई थी किन्तु हिन्दू बने रह कर हिन्दुत्त्व की सुस्थापित मान्यताओ का विरोध नहीं चल सकता I कहा गया है कि “उरुजे इस्लाम होता है हर कर्बला के बाद” अर्थात हर करबला के बाद इस्लाम उन्नति की ओर बढता है I किसी भी काफ़िर से अधिक खतरनाक सलमान रश्दी और तसलीमा नसरीन जैसे मुनाफिको को इस्लाम में माना गया है I इसीप्रकार तुलसीदास ने लिखा है – 
“हरि हरि निंदा सुनै जो काना
पाप लगै गौ घात समाना”
हिन्दुत्त्व का लबादा ओढ़े जो लोग हिन्दुत्त्व की मूल आत्मा का विरोध करते है उनको तुलसीदास ने भी सबसे बड़ा अपराधी माना है I 
हमे प्रसन्नता है कि नौजवानो के उन्माद तथा बुजुर्गो के विवेक के सम्मिश्रण ने अपना प्रभाव दिखाया तथा मनुस्मृति को जलाया नहीं जा सका, किन्तु हम कारगिल विजय की तरह विजयपर्व मनाने नहीं जा रहे है I विजयपर्व मनाने का हक तब मिलता है जब निर्णायक विजय हो और दुबारा किसी को पलट कर देखने का साहस जाता रहे I हमारे घर में घुस कर कोई हमसे मारपीट करे और हम अपने नौजवानों का बलिदान करके मात्र उसे घर से बाहर निकाल दे और उसके बाद विजय दिवस मनाने लगे - इतना महान व्यक्तित्व किसी भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई या छप्पन इंच के सीना वाले मोदी जी का हो सकता है I विजयदिवस मनाने का हक आजाद भारत में किसी को है तो केवल इंदिरा गाँधी को I हम भी विजयदिवस तब मनायंगे जब फिर से कोई मन में भी यह भाव न ला सके की मनुस्मृति जलाई जा सकती है I ऐसा समय भारत के इतहास में पुष्यमित्र शुंग के काल में आया था जब महर्षि पतंजलि के निर्देशन में मनुस्मृति का पुनः संपादन हुआ था I एक मुस्लिम शायर ने लिखा है कि – 
गूंजती फिर से फिजा में 
है सदा - ऐ – सोमनाथ I 
कह रही गजनी से कोई 
गजनबी पैदा करो II 
इसीप्रकार वातावरण में फिर से मनुस्मृति को जलाए जाने के स्वर उठने लगे है – मानो वे सनातन व्यवस्था से यह मांग कर रहे हो कि फिर से कोई पतंजलि पैदा करो जिसके निर्देशन में उसका शिष्य पुष्यमित्र शुंग पुनः मनुवादी व्यवस्था को स्थापित कर सके I 
मै पुनः उत्साही नौजवानों तथा अपने दोनों महामंत्रियो श्री शिवप्रसाद तिवारी व् श्री विजय मिश्र जी को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने इस संकट के समाधान में पूर्ण सहयोग दिया I 
शाश्वत धर्म गोप्ता स्वयं भगवान् ने मनुवाद की रक्षा का ठेका लिया है I हर विरोधी तत्व से वे कैसे निपटेंगे ये निर्णय उनका है I उचित समय पर हमको तथा विरोधियो को भगवान् सद्बुद्धि दे I

Thursday, 15 December 2016

..............भाग – 2 ............ मोदी की पाकिस्तान नीति : एक समीक्षा – क्या दाल पीने वाला हिन्दू जवाबी कार्यवाही कर पायेगा ? कब – कब इतिहास में दाल पीने वाले हिन्दू ने जवाबी कार्यवाही किया था ? ....................भाग – 2 .................. RUDYARD KIPLING ने लिखा है – “The east bowed low before the blast.

..............भाग – 2 ............
मोदी की पाकिस्तान नीति : एक समीक्षा –
क्या दाल पीने वाला हिन्दू जवाबी कार्यवाही कर पायेगा ?
कब – कब इतिहास में दाल पीने वाले हिन्दू ने जवाबी कार्यवाही किया था ?
....................भाग – 2 ..................
RUDYARD KIPLING ने लिखा है –
The east bowed low before the blast.
 In patient deep disdain,
She let the legions thunder past
And plunged in thought again.
    अर्थात् पूरब के लोग तूफ़ान आने पर मन मसोस कर गहरी घृणा के भाव से शांतिपूर्वक झुक गए I गरज-तड़प भरे तूफ़ान को उन्होंने गुजर जाने दिया तथा दुबारा चिंतन की धारा में विलीन हो गए I
    भाजपा के तथा संघ परिवार के चिंतन –मनन तथा मंथन के शिवरों पर यह उक्ति अक्षरश: चरितार्थ होती है I लक्ष्मण जी ने परशुराम जी की आत्मप्रशंसा के बारे में टिप्पड़ी की थी कि “तुमहि अछत को बरनै पारा” अर्थात् अपने शौर्य और पराक्रम का वर्णन आपसे बढ़िया  और कौन कर सकता है I चाहे फेसबुक पे चले जाइये चाहे ट्विटर पर ,  अंधभक्तो की टीम “स्तुति करहि सुनाइ सुनाई” की तर्ज पर स्तोत्र पढने में लगी है I एक ओर कारगिल का विजयदिवस अटल जी मनाते है वही दूसरी ओर आतंकवादी घटनाये लगातार जारी रहती है I मोदी जी अनूठी सर्जिकल स्ट्राइक करते है और इसके बावजूद भी जवानो की लाशो का ढो-ढो कर आने का सिलसिला थमता नहीं है I गाल को फुलाना और हसना एक साथ नहीं चल सकता है I अगर अटल जी ने बस सेवा न चालू की होती तथा पाकिस्तान से सम्बन्ध सुधारने की कोशिश न की होती तो शायद कारगिल की अपमानजनक घटना न घटी होती I चाणक्य ने लिखा है कि दुष्ट तत्वों से पेश आने को दो ही कारगर तरीके है –
1.             उपानहमुखभंगो वा.
2.             दूरतोवा विसर्जनं
साँप से और दुष्ट से निपटने के दो ही कारगर तरीके है – या तो जूते से उनका मुह कुचल दिया जाए अथवा दूर से रास्ता छोड़ दिया जाए I अटल जी और मोदी जी इन दोनों ही तरीको के लिए तैयार नहीं है I जैसे कोई ताजी घोड़े पर हलकी जांघो की पकड़ के साथ सवारी करने की कोशिश करे तो घोडा उसे गिरा देता है, जैसे आज ट्रम्प के नाम से दुनिया हिली हुई है कि क्या होगा वैसे ही गोधरा के हीरो के नाम से कश्मीरी आतंकवादी तथा पाकिस्तान सभी हिले हुए थे I यदि मोदी जी ने अपने शपथ ग्रहण में पाकिस्तान की निमंत्रित न किया होता तो पाकिस्तान की यह हिम्मत न पड़ती कि अपने दूतावास में हुर्रियत वालो को निमंत्रित करता I पुन : जिस जनरल वी.के. सिंह के दबदबे से आतंकवादी कांपते थे, वह जनरल वी.के. सिंह मजाक की चीज हो गए और वे अपनी आत्मा का हनन करके उस समारोह में बैठे रहे I करोडो रुपये हुर्रियत वालो की सुरक्षा पर खर्च होते है I यदि सत्ता में आते ही केवल इनकी सुरक्षा व्यवस्था वापस कर ली जाती तो ये सिरदर्द न बनते और या तो 80 हूरो के साथ जन्नत का आनंद ले रहे होते  अथवा सर झुका कर राष्ट्रगान कर रहे होते I मोदी ने इंग्लैंड में कहा कि - “India is land of Gandhi and Buddha I काश मोदी भारत को गीता का उपदेश देने वाले कृष्ण और सावरकर की भूमि मान रहे होते तो भारत में आज आतंकवाद न होता I पाकिस्तान भी अपनी जान की खैर मांग रहा होता I बिना बुलाये मोदी अगर नवाज सरीफ की दावत में शिरकत न किये होते तथा यदि अन्य मौके पर सुषमा स्वराज हरी साड़ी, हरे ब्लाउज और हरे कार्डिगन में पाकिस्तान का आतिथ्य न ग्रहण कर रही होती तो आज पाकिस्तान आग से न खेल रहा होता I एकता का प्रयास ही संघर्ष को जन्म देता है I आदरणीय गुरु नानक जी हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रयास किये तो उनकी दसवी पीढ़ी में दशमेष गुरुगोविंद सिंह जी ने कृपान लेकर चलने का निर्देश निर्गत किया I इसके विपरीत जो  हिन्दू एकता का प्रयास किये बगैर अपने काम से काम रख कर दूरी बनाए रखे उनके वंशज आज तक बिना चाकू लिए चल रहे है I
          आतंकवाद तथा बाहरी आक्रमण को झेलने से पहले आंतरिक स्थिति को सुधारना पड़ता है I मै पूछता हूँ कि जे.एन.यू. में कौन सी धारा 370 लागू है ? कन्हैया और उनके साथियों ने जिस तरह की हरकते की तथा जिन लोगो ने कश्मीर की आजादी और देश की बर्बादी के नारे लागाये वे आज तक छुट्टा घूम रहे है I जिनलोगो के चहरे टीवी चैनल्स में विभिन्न प्रान्तों में प्रतिबंधित नारे लगाते हुए दिखे उनपर आज तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा सकी I डी.राजा की बेटी के बारे में आजतक राजनैतिक शिष्टाचार निभाया जा रहा है I बांग्लादेश का निर्माण उस इंदिरा गाँधी द्वारा हो पाया था जिनके सेनापति सिद्धार्थ शंकर रे ने पश्चिमी बंगाल में नक्सलाइटो पर एतिहासिक दमनचक्र चलाया था तथा न जाने कितने लोग मुठभेड़ में मारे गए थे और बड़ी संख्या में लोग जेल की दीवारों को फांदने में मारे गए थे I यूपी में दस्युदमन में निर्णायक भूमिका निभाने वाले वी.पी. सिंह ने कहर बरपा कर दिया था तथा मुस्लिम वोट बैंक पर निर्भर होने के बावजूद भी कांग्रेस को मुरादाबाद के ईदगाह कांड अथवा मेरठ के मलियाना कांड से कोई परहेज नहीं था I दो लाइने पेश कर रहा हूँ –
“कमजोर करो से साथी
शरसंधान नहीं होता I
इन मधु अभ्यासी अधरों से
 विषपान नहीं होता II
जो धारा के संग बहते है
वे शव है कहलाते I
जो लहर चीर कर चलते है
नरपुंगव बन जाते II”

  घाटी में जो लोग पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते है अथवा पत्थर फेकने में संलिप्त है उनके खिलाफ मुकदमो को तार्किक परिणति  तक क्यों नहीं पहुचाया जा रहा है ? जो पाकिस्तानी उग्रवादी आते है कई दिन रुकने के बाद प्रायः घटनाओं को अंजाम देते है I इनकी हर जिले में सूची बनी हुई है I  इनके विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही क्यों नहीं हो पाती है ? हर मामले का इलाज पाकिस्तान पर हमला करना या सर्जिकल स्ट्राइक नहीं है I  हमे अपना घर ठीक कर के यह सन्देश देना होगा कि तुष्टीकरण के लिए भारत में कोई जगह नहीं है चाहे वह छत्तीसगढ़ के और झारखंड के नक्सलाइटो का मामला हो अथवा कश्मीर के उग्रवादियों का I जो लोग अतंकवादियो का महिमामंडन करते है उन्हें उनका फल देना ही होगा I माँ दुर्गा को गाली देने वालो के विरुद्ध जिस देश में एक मुकदमा तक कायम नहीं हो पायेगा उस देश को आतंकवाद से मोदी को कौन काहे भगवान् भी नहीं बचा सकते...क्रमशः.... 

Wednesday, 14 December 2016

मोदी की पाकिस्तान नीति : एक समीक्षा – क्या दाल पीने वाला हिन्दू जवाबी कार्यवाही कर पायेगा ? कब – कब इतिहास में दाल पीने वाले हिन्दू ने जवाबी कार्यवाही किया था ?


मोदी की पाकिस्तान नीति : एक समीक्षा –
क्या दाल पीने वाला हिन्दू जवाबी कार्यवाही कर पायेगा ?
कब – कब इतिहास में दाल पीने वाले हिन्दू ने जवाबी कार्यवाही किया था ?
        “दाल पीने वाला हिन्दू” – यह मेरी गढ़ी हुई शब्दावली नहीं है I यह शब्द है जुल्फिकार अली भुट्टो के जो कि बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, किन्तु जब उन्होंने इस शब्दावली का प्रयोग किया तब वे विदेश सम्बंधित मामलो को देखते थे I जितनी आसानी से एक नेता युद्ध के बारे में सोच लेता है उतनी आसानी से एक फ़ौज का जनरल नहीं सोच पाता है क्योकि उसे अपनी औकात और मजबूरिया पता होती है तथा लड़ाई के मैदान में उसे आगे चल कर यथार्थ के धरातल पर खड़ा होना पड़ता है I फील्ड मार्शल अयूब खान भारत से युद्ध छेड़ने में 1965 में कतरा रहे थे I जब भुट्टो ने उन पर दबाव बनाते हुए परामर्श दिया कि छम्ब और कच्छ में भारत पर आक्रमण कर दिया जाए तो अयूब खान ने कहा कि छ्म्ब  और कच्छ के बदले यदि भारतीय फौजे लाहौर और सियालकोट की ओर बढ़ चली तो उनको रोकने की पर्याप्त तैयारी पाकिस्तान के पास नहीं है I इस पर भुट्टो का उत्तर था कि “दाल पीने वाला हिन्दू जवाबी कार्यवाही नहीं करेगा I” भुट्टो ने और आगे कहा कि “हिन्दू राज करने की कला को भूल गया है I पृथ्वीराज चौहान के राज से लगातार पिटते-पिटाते उसमे यह साहस नहीं बचा है कि वह जवाबी कार्यवाही की बात सोचे I”  भुट्टो ने आगे जोड़ा कि
“मोहम्मद की उम्माद से आँखे मिलाना,
हिमाकत नहीं तो कहो यार क्या है I”
   भुट्टो ने अयूब को समझाया कि कयामत के दिन जब हर पैगम्बर अपनी अपनी उम्मत को लेकर कयामत का फैसला सुनने पहुचेंगे तो मुसलमानों के पहुचने पर वे लाइन में नहीं लगेंगे तथा फरिश्ते उनको नहीं रोकेंगे तथा वे सीधे अपनी पैगम्बर के पीछे-पीछे बहिश्त (स्वर्ग) के दरवाजे खोलकर प्रवेश कर जायेंगे तथा अल्लाह भी पर्दा हटा कर उन दीवानो और मस्तानो के इस कारनामे को देखेगा –
    यह सोच फ़रिश्ते न रोकेंगे
    दीवानों से झगड़ा कौन करे
  अल्लाह न परदे में होगा
 मस्तानो से पर्दा कौन करे I
  भुट्टो के द्वारा जोश भरे जाने पर अयूब खान ने लड़ाई छेड़ दिया I जब भारत के प्रधान मंत्री लालबहादुर शास्त्री ने कच्छ की समस्या पर भारतीय संसद को बताया कि कच्छ में दलदल है तथा इस कारण सफलता पूर्वक प्रतिरोध करने में कुछ गतिरोध आ रहा है तो बलराज मधोक ने कहा कि “कच्छ में दलदल है तो क्या हुआ, लाहौर और सियालकोट में तो जी.टी. रोड जा रही है I यह किस संविधान में लिखा है कि युद्ध के समय और स्थान का चयन शत्रु करे ?” वार रूम में सैन्य अधिकारियो की बैठक में जब यह सवाल उठा तो कुछ लोगो का मत था कि पाकिस्तान के घुस आने के बाद जब उसकी सप्लाई लाइन लम्बी हो जाएगी तो उसको तोड़ कर उसे पराजित करना आसान होगा किन्तु जब लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्श सिंह ने गर्जना की कि “वाहे गुरु की कसम आप खाली लाहौर और सियालकोट की  ओर बढ़ने का हमे आदेश दे दे तो हरिसिंह नालवा अगर अफगानिस्तान के जमरूद में अपना दरबार लगा सकते है तो क्या हम रावलपिंडी और इस्लामाबाद तक भी नहीं पहुच पाएंगे ?” अधिकांश अफसरों ने इस विचार का समर्थन किया तथा तत्समय  प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री के अनुमोदन के बाद भारतीय फौजों की शौर्यगाथा पूरे संसार को विदित है I                
    किन्तु इस तरह की घटनाओ को अपवाद समझा जाना चाहिए I ऐसा ही एक अपवाद इंदिरागाँधी भी है, जिन्होंने 1971 में न केवल भारत का भूगोल बदल दिया बल्कि भारत का इतिहास भी बदल दिया I जहाँ पर लड़ाई हो वही पर आत्मरक्षा में लड़कर बलिदान देना भगवान बुद्ध के बाद के भारत की परम्परा रही है I क्षत्रिय जब तक ठाकुर और राजपूत नहीं हो गए थे – तब तक वे किसी वशिष्ठ के निर्देशन में महाराज रघु की तरह कभी दिग्विजय करते थे तो कभी अश्वमेध यज्ञ करते थे, कभी राजसूय यज्ञ होता था तो कभी विश्वजित यज्ञ I किन्तु जब से बौद्ध युग आया तब से वीर युवराज धम्म प्रचार में लग गए तथा जिस चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को परास्त कर उसकी बेटी कार्नेलिया को अपनी महारानी बनाया था तथा चाणक्य के निर्देशन में लबजेहाद की पुरानी भारतीय परम्परा को पुनरुज्जीवित किया था उसी चन्द्रगुप्त मौर्य के वंशज धम्म और संघ के अहिंसा के प्रभाव में इस स्थिति में पहुच गए कि जब मिनेंडर  का आक्रमण भारत पर हुआ तो वह भारत में वैसे घुसता चला गया जैसे मक्खन में चाकू घुसता है I  परिणामस्वरूप  पतंजलि के निर्देशन में पुष्यमित्र शुंग ने भारत की धरा से बौद्ध धर्म का उन्मूलन कर पुन: सनातन धर्म की स्थपाना की तथा मनुस्मृति का नया संस्करण तैयार किया गया जो पहले से अधिक कठोर था तथा जिसमे इस आशय के SAFEGUARD निहित थे कि सनातन व्यवस्था को आसानी से न पलटा जा सके I पुन: अश्वमेध यज्ञ और दिग्विजय की परम्परा चालू की गयी I किन्तु जैसे हाथ एक बार टूट जाने पर जुट भले जाए किन्तु पुरानी बात नहीं आ पाती है वैसे ही कुछ 100 वर्षो के बाद वर्ण व्यवस्था धीरे-धीरे जाति व्यवस्था में बदल गयी तथा वर्णाश्रम व्यवस्था की पुरानी गरिमा वापस न आ सकी I धीरे –धीरे सत्ता राजपूतो को हाथ में पहुच गयी जो क्षत्रियो की तरह वशिष्ठ न पाल कर ठाकुर बनकर चंदवरदाई पालने लगे I ब्राह्मण अपने आश्रम में क्षत्रियो को प्रशिक्षित करता था कि अग्नि शेष, ऋण शेष तथा शत्रु शेष नहीं छोड़ना चाहिए अर्थात् आग बुझाते समय जैसे एक छोटी सी चिनगारी भी नहीं छोडनी चाहिए ताकि कहीं वह बढ़कर फिर न जलाने लगे, जैसे ऋण अदा करते समय छोटी सी भी राशि का अवशेष नहीं होना चाहिए ताकि कहीं ब्याज बढ़कर वह विकराल रूप न ले ले, इसीप्रकार शत्रु अगर हार रहा हो तो उसका समूल उन्मूलन करना चाहिए ताकि वह पुन: इस लायक न बन सके कि वह भविष्य में खतरा बने I किन्तु ठाकुरों ने वशिष्ठ न पाल कर चंदबरदाई पालना चालू किया तो कुलगुरु की जगह दरबारी लोगो ने सिखाया कि भागते हुए शत्रु का पीछा नहीं करना चाहिए I बौद्ध धर्म के प्रभाव में आकर तमाम मानवाधिकार के सिद्धान्तो का समावेश युद्धनीति में किया गया  जैसे “अरिकुल, अबला, वृद्ध, बालको को न सताये I” किसप्रकार अपमानित होने पर साठ हजार राजकुमारों को जीवित जला देने के बाद भी कपिलमुनि पूजनीय बने रहे तथा सांख्य जीवन दर्शन के प्रणेता बनकर षडदर्शन के प्रवर्तक के रूप में सुस्थापित हुए, किस प्रकार पेट के बच्चो की हत्या के बावजूद भी (गर्भन के अर्भक दलन परशु मोर  अति घोर) परशुराम जी की पूजा स्वयं रघुनाथ ने विष्णु के अवतार के रूप में की, किस प्रकार मुचकुंद मुनि ने कालयवन की सेना को जला कर राख कर दिया, किसप्रकार स्वयं रघुनाथ ने महिला ताड़का का वध किया, किसप्रकार प्रभु श्रीराम ने शूर्पणखा के नाक-कान काटने के आदेश दिए – यह सारे प्रसंग केवल संस्मरण बनकर धार्मिक पोथियो की शोभा हो गए तथा कोई यह उपदेश देने वाला नहीं रहा कि बजरंगबली की तरह गर्जना करो जिस से “गर्भ स्रवहिं सुनि निशिचर घरनी” अर्थात शत्रु पक्ष की पत्नियों का गर्जना सुनकर गर्भपात हो जाए I अब ठाकुर बन चुके राजपूतो को दरबारी बन चुके ब्राहमण जिन्हें “बाभन बछिया”   कहना अधिक उपयुक्त होगा, मानवाधिकार सिखाने लगे कि भागते शत्रु का पीछा नहीं करना चाहिए I पृथ्वीराज चौहान, दिग्विजयी रघु या उनके वंशज राम या अर्जुन से बहादुरी के मामले में कहीं कमजोर नहीं था – शब्दभेदी बाण मारने की क्षमता उसमे थी किन्तु कोई चाणक्य या पतंजलि नहीं था जो कि भागते हुए गोरी का पीछा करने का उसे आदेश देता तथा उसे दुबारा संभलने का मौका न मिलता I चंदवरदाई की जगह कोई वशिष्ठ होता तो पृथ्वीराज को अपनी बेटी बेला के पति के परिवार से रंगबाजी की लड़ाई को न करने देता तथा यह स्थिति न पैदा होती कि अपनी ही बेटी बेला पिता पृथ्वीराज के अहंकार प्रदर्शन में विधवा हो जाए बल्कि आल्हा-उदल तथा  उनके स्वामी चंदेलो की पूरी ताकत पृथ्वीराज चौहान के मुकाबले जब गोरी युद्ध कर रहा था उस समय पृथ्वीराज चौहान की ओर से डटी होती I इसीप्रकार यदि चंदवरदाई की जगह कोई वशिष्ठ बैठा होता तो वह पृथ्वीराज को निर्देशित करता कि सीमा पर गोरी दहाड़ रहा है तथा यह समय अपने समकक्ष राजा जयचंद की बेटी जोकि अवस्था में भी पृथ्वीराज की बेटी के समान है – उसके अपहरण का नहीं है I यदि  चंदवरदाई नारियल लेकर जयचंद के दरबार में हाजिर हुआ होता तथा पृथ्वीराज चौहान के बेटे गोविन्द के लिए संयोगिता का हाथ मांग बैठता तो जयचंद गदगद हो गया होता कि उसकी बेटी पृथ्वीराज की बहू बनने जा रही है किन्तु ऐसा न हो सका क्योकि पृथ्वीराज राज के पास कोई वशिष्ठ नहीं था I लोग कहते है कि राजपूतो में एकता नहीं थी किन्तु इतिहासकार यदि समीक्षा करे कि सारे राजपूत तो दूर रहे, केवल पृथ्वीराज चौहान के सगे रक्त- सम्बन्धी मात्र साथ होते तो भी पृथ्वीराज दिग्विजय किये होते I कब तक हम विभीषण को गाली देते फिरेंगे ? जब बड़ा भाई रावण हो जायेगा तो क्या छोटे भाई का यही दायित्व है कि वह उसके साथ कुंभकर्ण बना रहे और विभीषण न हो ? यदि ऐसा दायित्व हो भी तो भी अधिकांश छोटे भाई इसका निर्वाह न कर पाएंगे  I
    बौद्ध  युग के अविर्भाव के बाद जो स्थिति आयी उसका वर्णन महर्षि दयानंद के शिष्य एक आर्यसमाजी ने इन शब्दों में किया है –
 “ पराये मुल्क में जा राज्य करने
    की कहे तो क्या,
  हुकूमत आर्यों की मिट गयी
खुद मुल्क भारत से”
      जहाँ तक मेरी स्मृति साथ दे रही है पृथ्वीराज चौहान के बाद केवल चार घटनाएं ऐसी है जिसमे कब और कहाँ लड़ाई लड़ी जाए इसका फैसला भारत के नायक ने लिया है –
1.   समर्थ गुरु रामदास की प्रेरणा से शिवाजी ने “हिन्दू पदपादशाही” की स्थापना का लक्ष्य रखा तथा उनके उत्तराधिकारियो के घोड़े अटक से कटक तक दौड़ने लगे I लड़ाई को मात्र महाराष्ट्र तक सीमित न कर एक बड़े दायरे में ले गए I पानीपत में अहमद शाह अब्दाली का मराठो का युद्ध हुआ, हर प्रान्त में मराठो का वर्चस्व बढ़ा I
2.   सिक्खों की परम्परा में हरीसिंह नालवा ने अफगानिस्तान से काफी इलाके जीत कर जमरूद में दरबार किया तथा सुरक्षात्मक लड़ाई की जगह आक्रामक लड़ाई लड़ी I
3.   लालबहादुर शास्त्री ने 1965 में भारत पाक युद्ध को लाहौर तथा सियालकोट में घुस कर दाल पीने वाला हिन्दू होने के बावजूद जवाबी कार्यवाही की I
4.   इंदिरागांधी ने 1971 में लड़ाई को पश्चिमी पाकिस्तान की सीमा तक न रखकर पूर्वी पाकिस्तान में सेना को प्रवेश का अधिकार दिया तथा नौसेना को कराची में भी आक्रमण की छूट दी I
     इसके विपरीत तमाम ऐसे मौके आये जहाँ यह शत्रु के उपर छोड़ा गया कि वह कब लडे और कहां लड़े I इसीलिए पाक प्रेरित आतंकवाद न तो ठंडा हो रहा है और न ही इन तौर तरीको से ठंडा होगा I कारगिल की लड़ाई में शहीद हुए सेना के जवानो को सादर प्रणाम करते हुए यह विनम्र टिप्पड़ी करना चाहूँगा कि कारगिल की लड़ाई को हमारे भारत रत्न ने सिर्फ कारगिल तक सीमित रखा तथा भुट्टो की इस भविष्यवाणी को प्रमाणित कर दिया कि “दाल पीने वाला हिन्दू जवाबी कार्यवाही नहीं करेगा I” कल्पना कीजिए कि आपके घर में विपक्षी पार्टी  घुस आये तथा आपके घर वालो को मारने, पीटने और अपमानित करने लगे तथा आप उसे अपने घर के नौजवानों का बलिदान करके किसी तरह अपने घर के बाहर निकल दे और उसके बाद विजय दिवस मनाने लगे तो कारगिल का विजय दिवस सामने आ जायेगा I असली विजय दिवस तब होता जब अन्तर्राष्ट्रीय रेखा को लाँघ कर पाकिस्तान के इलाके को हम कम से कम उतने दिन कब्जे में रखते जितने दिन कारगिल में पाकिस्तानी सेना टिकी थी I पृथ्वीराज चौहान ने कारगिल के विजय दिवस जैसे 17 विजय दिवस मनाये थे और 18वीं बार क्या हुआ – यह सब को विदित है I चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य से केवल एक बार विजय दिवस मनवाया और कई पीढियों तक किसी यवन शासक में यह हिम्मत नहीं पड़ी कि वह मगध की ओर ताक दे I जार्डन की ओर से जब एक छोटे से देश इजराइल पर उग्रवादी हमले कर रहे थे तो इजराइल के प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस देश की ओर से उग्रवादी घुसेंगे, जिस दिशा से गोली चलेगी हम उस दिशा में स्थित अरब देश को हमलावर मानेंगे तथा इस सिद्धान्त पर इजराइल ने जार्डन पर हमला कर दिया तथा बिना किसी सर्जिकल स्ट्राइक के जार्डन ने सहमति व्यक्त की कि वह उग्रवादियों का सफाया करेगा तथा सर्जिकल स्ट्राइक की जगह खुले आक्रमण के बूते जार्डन मजबूर होकर तबतक उग्रवादियों का सफाया जारी रखा जब तक सारे फिलिस्तीनी जार्डन को छोड़ नहीं दिए I जार्डन के खिलाफ केवल एक विजय दिवस मनाने के बाद दुबारा जार्डन की हिम्मत किसी फिलिस्तीनी उग्रवादी को टिकाने की नहीं हुई I चार्ल्स मार्टिन की नेतृत्व में अरब देशो के खिलाफ फ़्रांस ने केवल एक बार विजय दिवस मनाया और सैकड़ो साल बाद अब जाकर फ़्रांस में आतंकवादी कार्यवाहिया चालू हो पायी है I रूस ने टर्की के खिलाफ केवल एक विजय दिवस मनाया और पीढियों तक किसी खलीफा ने रूस की ओर नहीं ताका I ईराक ने जब मंगोलिया पर हमला किया तो वहां के शासक तिमूचिन ने तब तक हमलावरो का पीछा किया जब तक की ईराक की राजधानी में खलीफा के गढ़ में प्रवेश नहीं कर गया I   तिमूचिन को चंगेज खां की उपाधि दी गयी तथा दुबारा आज तक मंगोलिया पर अरब की दिशा से किसी भी देश ने हमला करने की नहीं सोची जब कि वह एक छोटा सा देश है I जब विजय दिवस मनाया जाता है तो सन्नाटा छा जाता है और अगले दिन से फिर हमले चालू नहीं होते है I
           गुरूजी गोलवरकर के समय में संघ की शाखाओं में तथा विद्यालयों में एक कोरस गाया जाता था कि
“सत्रह बार क्षमा कर दे
अब दिल्ली में चौहान नहीं”
        किन्तु कारगिल के विजय दिवस के बाद अटल जी ने प्रमाणित कर दिया कि अब कोई गुरूजी गोलवरकर जैसा वशिष्ठ नहीं रहा तथा वे संघ प्रमुख को मात्र चंदवरदाई बना चुके है और यह उक्ति चरितार्थ हो रही है कि
“सत्रह बार क्षमा कर दे 
है दिल्ली में चौहान वही”

    मोदी युग में परमतपस्वी संतो के संत अशोक सिंघल जी यह आशीर्वाद दे चुके है कि वे पृथ्वीराज चौहान के बाद पहले हिन्दू शासक है I वशिष्ठ रूपी सरसंघचालक का अस्तित्व कितना बौना हो चुका है इसे सभी लोगो ने बिहार के चुनाव में देख लिया है I सरसंघचालक को खुले आम अपशब्द कहने वाले सांसदों के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही नहीं हुई बल्कि जेटली के खिलाफ बयान देने पर अपनी इमानदारी के लिए विख्यात भाजपा सांसद को निलंबित कर दिया गया I बिना निमंत्रण के कंक की तरह नवाज सरीफ के फंक्शन में न केवल मोदी उपस्थित हुए बल्कि उनकी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी हरी साड़ी, हरे ब्लाउज, हरे कार्डिगन में किसी अलग मौके पर पाकिस्तान में  सुशोभित हुई – उसी के बाद गोधरा के हीरो की पुरानी GOODWILL को सुनकर डरे  सहमें  पाकिस्तान में पुन: यह मनोबल आ गया कि उसके द्वारा प्रायोजित आतंकवाद सेना के विरुद्ध व्यापक पैमाने पर चालू हुआ I इसका जवाब सर्जिकल स्ट्राइक की तरह किस तरह कश्मीर तक लड़ाई की सीमित न रखकर अन्तर्राष्ट्रीय बॉर्डर को लाँघ कर जार्डन के विरुद्ध इजराइल जैसी कार्यवाही होनी चाहिये थी , किस प्रकारं अरुण जेटली जैसे चंदरबरदायियो से घिर कर स्वय को तथा देश को खतरे में डाल रहे है तथा इसका समाधान क्या है – इसका विवरण अगले अंक में... 

Friday, 2 December 2016

मोदी जी आप के हाथो यह क्या होने जा रहा है ? क्या भ्रष्टाचारियो को जो संरक्षण किसी सरकार में नहीं मिल पाया वह मोदी सरकार में मिलेगा ? अन्ना जी एक बार समुद्र मंथन करके आपने केजरीवाल को निकाला और अब खुद असंतुष्ट अनुभव कर रहे है , क्या अब मोदी की तारीफ कर उनके द्वारा बनाए जा रहे भ्रष्टाचार समर्थक कानूनों का कलंक झेलने को आप मानसिक रूप से तैयार है- ................भाग – 3.................

मोदी जी आप के हाथो यह क्या होने जा रहा है ?
क्या भ्रष्टाचारियो को जो संरक्षण किसी सरकार  में नहीं मिल पाया वह  मोदी सरकार में मिलेगा ?
अन्ना जी एक बार समुद्र मंथन करके आपने केजरीवाल को निकाला और अब खुद असंतुष्ट अनुभव कर रहे है , क्या अब मोदी की तारीफ कर उनके द्वारा बनाए जा रहे भ्रष्टाचार समर्थक कानूनों का कलंक झेलने को आप मानसिक रूप से तैयार है-
    ................भाग – 3.................
   भ्रष्टाचारियो को संरक्षण देने के संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि अभी तक लोकपाल तथा अधिकांश राज्यों में लोकायुक्त उपलब्ध नहीं है I अधिनियम में वर्णित सक्षम अधिकारी न होने की स्थिति में भ्रष्टाचार सम्बंधित कोई जाँच चालू ही नहीं की जा सकेगी I भ्रष्टाचारियो के प्रति मोदी सरकार इतनी अनुकम्पा क्यों कर रही है इसका एक मात्र कारण प्रतिबद्ध नौकरशाही (COMMITTED BUREAUCRACY) का निर्माण है I इसी प्रतिबद्ध नौकरशाही के बूते इंदिरा जी की तानाशाही चलती थी I जाने अनजाने मोदी जी उसी तानशाही के रास्ते  पर चल पड़े है I “INDIRA IS INDIA AND INDIA IS INDIRA”  के तर्ज पर मोदी ही भारत है और भारत ही मोदी है का उद्घोष अंध मोदी भक्त कर रहे है और ललकार रहे है –
  “जो तू कह दे है वही सत्य
जो तू कह दे है वही न्याय
जिससे तेरा मतभेद हुआ
वह राजनीत में अन्तराय”
   ऐसे अंधभक्त स्वाभाविक रूप से बिना अँध संरक्षण पाए अंध नौकरशाही का अंग नहीं बन पाएंगे I यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण देने की घोषित नीति के बावजूद भी मोदी को अन्ना हजारे जैसे लोगो तक की प्रशंसा मिल रही है I केजरीवाल के हाथो ठोकर खाने के बावजूद भी अन्ना नहीं समझ सके, तथा मोदी के हाथो झटका खाने को तैयार बैठे है – भगवान् उनका भला करे I
    घूस लेने वाले के साथ-साथ  घूस देने  वाले को भी अभियुक्त बनांने की पुरानी परम्परा रही है , किन्तु अब इसे और भी धार दार बनाया जा रहा है I जो लोग घूस देने के लिए मजबूर किये जाते थे वे अब तक दया के पात्र माने जाते थे I मोदी शायद संघ परिवार की उस पुरानी परम्परा का निर्वाह कर रहे है जिसमे अहल्या से छल करने वाले इंद्र के शरीर में 100 भग (VAGINAL CANAL) बना देने वाले शाप को तो परिमार्जित कर के 100 आँखों में बदल दिया जाता है किन्तु अहल्या अगर पाषाणी बन जाती है तो उसे तब तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है जब तक की स्वयं प्रभु राम उसका उद्धार करने के निमित्त अपने चरणों से उसका स्पर्श नहीं करते है I यही स्थिति घूस देने वाले विवश नागरिक की होने वाली है जो एक ओर तो भ्रष्टाचारियो के अत्याचार से विह्वल है तथा दूसरी ओर भ्रष्टाचार निवारक तन्त्र भी उसके उपर अपना शिकंजा कसता नजर आ रहा है I
    STING OPERATIONS पर भी लगाम लगाने की कोशिश की जा रही है I किस तरह बंगारू के मामले में भाजपा को नीचा देखना पड़ा था, शायद अभी तक भाजपा इस दर्द को भुला नहीं पायी है I स्वस्थ पत्रकारिता पर नकेल लगाने से अत्याचार बढ़ेंगे तथा नेता एवं नौकरशाह बेलगाम हो जायेंगे I STING OPERATIONS पर लगाम लगने से भ्रष्टाचार के तमाम चेहरे बेनकाब होने से रह जायेंगे I  
       मनुवादी पार्टी यह मांग करती है कि - 1.  जिस प्रकार GOOD TALIBAN तथा BAD TALIBAN का वर्गीकरण अनौचित्यपूर्ण है, वैसे ही अच्छी छवि वाले भ्रष्टाचारियो तथा बुरी छवि वाले भ्रष्टाचारियो का वर्गीकरण आधारहीन है एवं भ्रष्टाचार के लिए जमीन तलाश रहे वरिष्ठ अधिकारियो के दिमाग की उपज है I नियमो का उल्लंघन करके किसी को लाभ पहुचाना भ्रष्टाचार माना जाना चाहिए चाहे कितने भी पवित्र व्यक्ति ने इसे किया हो I एक ज़माना था जब कहा जाता था कि “Dirty Man for the Dirty Jab  अर्थात यदि कोई गन्दा काम लेना हो तो उस जगह पर किसी गंदे आदमी की नियुक्ति कर दो I किन्तु अब युग बदल गया है तथा नेतागण अच्छी पोस्टिंग का प्रलोभन देकर और धौंस दिखाकर अच्छे अधिकारियो से गंदे काम लेने की रिवाज डाल रहे है I  ऐसे  में अच्छी छवि के आधार पर किसी को दी गयी  राहत से दूषित नेताओं को बल मिलेगा I
2. आज के दिन ही जाँच अधिकारियो को इतना जकड दिया गया है कि मा. उच्चतम न्यायालय ने उन्हें पिजड़े का तोता कहकर संबोधित किया है I जाँच के पूर्व किसी भी प्रकार की अनुमति लेने के प्रावधान का मनुवादी पार्टी कड़ा विरोध करती है I
3. यदि घूस देने वाला सताया हुआ व्यक्ति है तथा विवशता में घूस दे रहा है तो उसे दंड नहीं मिलना चाहिए किन्तु यदि वह लाभ के लिए किसी को घूस देता है तो दंड का पात्र है I
4. STING OPERATIONS को किसी हालत में दंडनीय नहीं होना चाहिए क्योकि यह खोजी पत्रकारिता की रीढ़ की हड्डी है I