1. परमपूजनीय माधव शिवराव गोलवलरकर आप कहाँ है ? आप
कहते थे “यदि नमक का स्वाद जाता रहा तो कैसे नमकीन करोगे I”
2. क्या आज बीजेपी तथा आरएसएस रूपी नमक का स्वाद
चला गया है जो भाजपाई मुख्यमंत्री गौमांस भक्षण का समर्थन कर रहे है? आरएसएस मौन
है I
3. क्या आप आरएसएस चीफ भागवत तथा प्रधानमंत्री
मोदी को स्वप्न में दर्शन देकर यह समझा सकेंगे कि बीजेपी का मुख्यमंत्री रहते हुए
किसी व्यक्ति की हिमाकत यह न हो कि वह गौमांस भक्षण के पक्ष में बोल सके I
4. क्या कालचक्र की यह मांग है कि जिस प्रकार
सीपीआई, सीपीएम आदि टुकडो में कम्युनिस्ट आन्दोलन बंट गया वैसे ही क्या गौरक्षा से
जुड़े 80% लोगो को अपराधी घोषित किये जाने, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध
गुदामैथुन, पशु मैथुन तथा अन्य अप्राकृतिक मैथुन जैसे मसलो पर भारतीयों को अधिकार
दिलाने के लिए महत्वपूर्ण केन्द्रीय मंत्री द्वारा समर्थन किये जाने तथा
पुर्नविचार याचिका दाखिल किये जाने का समर्थन करने, आरएसएस के तपोभूमि में रोजा आफ्तार
करने आदि-आदि विषयों पर संघ तथा बीजेपी के दृष्टिकोण को देखते हुए आरएसएस (गोलवलकर)
तथा जनसंघ (श्यामप्रसाद मुर्खजी) की स्थापना का समुचित अवसर आ गया है I
5. कल्याण सिंह जैसे समर्पित रामभक्तो को, विनय
कटियार जैसे धर्म योद्धाओ, प्रवीण तोगड़िया जैसे समर्पित भक्तो, उमा भारती जैसी
साध्वियो, साध्वी प्राची आदि जैसी धर्मं का नाम लेकर ललकारने वाली वीरांगनाओ,
हिन्दू जन मानस के आशा के स्रोत के रूप में एक मात्र अवशिष्ट महंत आदित्य नाथ आदि –
आदि विभूतियों गोविन्दाचार्य जैसे तमाम उपेक्षित किमवा परित्यक्त थिंक टैंको ,
अवसाद ग्रस्त कार्यकर्ताओ तथा पद धारको से अनुरोध है कि इन विषयों पर अपने मन की
बात लिखने की कृपा करे , मैंने केवल कुछ यक्ष प्रश्न उठाये है - किसी
भी विन्दु पर अपनी तरफ से या मनुवादी पार्टी की तरफ से कोई उत्तर नहीं दे रहा हूँ I
कारण स्पष्ट है कि मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद स्वीकार करने के बाद
मेरी टिप्पणी को “बाहरी आदमी” की टिप्पणी समझकर एक सिरे से खारिज कर दिया जायेगा I
फिर जब मै
बाहरी आदमी हूँ तो इन प्रश्नों को उठाने वाला कौन होता हूँ ? उत्तर स्पष्ट है कि
हमारी विचारधारा की नाल अनंत श्री विभूषित करपात्री जी महराज से जुडी है तथा मेरा
करपात्री जी से वही रिश्ता है जो मायावती का बाबा साहब अम्बेडकर जी से है I चाहे कार्यप्रणाली में अंतर भले ही परिलक्षित हो
, हमारा किसी आरएसएस के स्वय सेवक से वही रिश्ता है जो गुरुजी गोलवरकर के स्वय
सेवक का करपात्री के शिष्यों से होता था I गुरूजी गोलवलकर का कहना था कि धर्मं
क्या है – इस पर स्वामी करपात्री जी
महाराज का बयान अंतिम है तथा उसके विपरीत की गयी कोई व्याख्या उन्हें मान्य नहीं
है I स्वयं को उन्होंने धर्म की रक्षा
करने के लिए एक तंत्र खड़ा करने वाला दायित्व दिया I इस रिश्ते से मुझे गुरु जी गोलवलकर का सम्मान से
नाम लेने वालो से कुछ प्रश्न पूछने का अधिकार है I जो प्रश्न अनुचित लगे उनका खंडन
कर दिया जाए तथा यदि एक शब्द भी अथवा एक अक्षर भी पुनर्विचार के योग्य हो तो उस पर
पुनर्विचार किया जाए I यदि किसी प्रकार के
असंसदीय शब्द का प्रयोग हुआ हो तो उधर मेरा ध्यान आकृष्ट कराया जाए तथा भविष्य के
आलेखों में इसका पूर्ण ध्यान रखा जायेगा I परस्पर सम्मानपूर्वक चिंतन मंथन करने
हेतु भारतीय संस्कृति से सम्बंधित मैंने केवल चिंतन के लिए कुछ विन्दु परोसे है जोकि
ILLUSTRATIVE है, EXHAUSTIVE नहीं I
रामजन्मभूमि, धारा 370, एक निशान एक विधान जैसे मुद्दे क्या केवल जुमले बनकर रह
जायेंगे अथवा आज भी प्रासंगिक है I

No comments:
Post a Comment