Monday, 21 November 2016

मनुस्मृति को जलाये जाने के सन्दर्भ में जो समाचार प्रकाशित हुआ है, उसके सम्बन्ध में विजय मिश्र को अधिकृत किया जाता है कि वे शिव प्रसाद तिवारी से वार्ता करके उनसे भी कुछ

मनुस्मृति को जलाये जाने के सन्दर्भ में जो समाचार प्रकाशित हुआ है, उसके सम्बन्ध में विजय मिश्र को अधिकृत किया जाता है कि वे शिव प्रसाद तिवारी से वार्ता करके उनसे भी कुछ उपयोगी विंदु , मार्गदर्शन एवं सहयोग प्राप्त कर विधिसम्मत निरोधात्मक कार्यवाही की रुपरेखा तैयार करे तथा तथा इस दिशा में आवश्यक वैधानिक कदम उठाये । फिलहाल मार्गदर्शन के लिए मैं कुछ विन्दु दे रहा हूँ। अन्य सक्रिय सदस्यो से भी विचार विर्मश करके उनके मष्तिक में कोई विन्दु हो तो उसे भी समाविष्ट  करने की समुचित विचारोपरान्त वैधानिक कार्यवाही करे । मेरे द्वारा सुझाये गए विंदु निम्नलिखित है - 
1.
पार्टी की ओर से किसी जिम्मेदार या पदाधिकारी को अधिकृत किया जाये कि वह इस कार्यक्रम को रोकने के लिये राजस्थान न्यायालय से निषेधाज्ञा प्राप्त करे ।
2.
मा, राजस्थान सरकार , मुख्य मंत्री , मुख्य सचिव , डी जी पी , पुलिस अधीक्षक , क्षेत्राधिकारी तथा थानाध्यक्ष को पत्र लिखा जाए क़ि इस तरह की घटना को तुरंत रोका जाए । जिलाधिकारी तथा परगनाधिकारी तथा आयुक्त से भी अनुरोध किया जाये कि इस प्रकार की उत्तेजक कार्यवाही को रोकने की धारा 144 के अंतर्गत निषेधाज्ञा जारी करके आवश्यक कदम उठाए, आवश्यकता नुसार निषेधात्मक कार्यवाहियां भी प्रभाव में लायी जाए ।
3.
यदि मनुवादी पार्टी कि कोई भी इकाई वहां कार्यरत हो तो वहां के कार्यकर्ताओ और पदाधिकारियो को निर्देशित किया जाये की प्रतिशोधात्मक अथवा उतेज़नात्मक कार्यवाही न किया जाये I  आवेश में आकर किसी भी प्रकार की प्रतिहिंसा  न की जाये I  कार्यक्रम  को रोकने के लिए  न्यायालय एवं  प्रशासन का सहारा लिया जाये I  सफलता न मिलने की स्थिति में समुचित धाराओ में आपराधिक मुकदमा कायम कराया जाये । मुकदमा कायम करने से मना करने पर 156 (3) के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया जाये I  
4
 मनुवादी पार्टी की ओर से अपने हस्ताक्षर से विजय मिश्र तथा शिवप्रसाद तिवारी एक अल्टीमेटम राजस्थान सरकार को जारी करे कि यदि मनुस्मृति को जलाये जाने से राजस्थान सरकार रोक नहीं पाती है तो इस स्थिति में मनुवादी पार्टी सड़क पर तो नहीं उतरेगी किन्तु इसका बदला राजस्थान सरकार से लेगी तथा सरकार को चलाने वाली बीजेपी से लेगी और सांसद विधायक तथा स्थानीय निकाय के चुनाव में हमारे जो भी सदस्य होंगे वे हर सीट पर उस प्रत्याशी को वोट देंगे जो उस सीट पर बीजेपी को हराने की स्थिति में होगा,  चाहे पार्टी कितनी ही गन्दी और घिनौनी क्यों न हो और चाहे प्रत्याशी कितना ही गन्दा और घिनौना क्यों न हो । जिस पार्टी के राज्य में मनुस्मृति जलायी जायेगी उस पार्टी को राजनीति में जला देने के लिए मनुवादी पार्टी आपातकाल में उस प्रत्याशी तक को वोट देने से नहीं हिचकेगी जिसने मनुस्मृति को जलाया है I हमारी यह चिर मान्यता रही है कि अकबर और औरंगजेब में अगर हमें किसी एक को चुनना हो तो औरंगजेब अकबर से बेहतर है । औरंगजेब कम से कम किसी जोधाबाई को सिंदूर लगा कर घूमने की और आरती उतारने की इजाजत नहीं देगा I औरंगजेब अगर किसी जोधाबाई से शादी भी कर लेगा तो उसे बुर्के में रहना होगा I  दीन इलाही का प्रवर्तक  अकबर हिन्दू धर्म तथा इस्लाम धर्म दोनो के लिए खतरा है तथा ईश्वर और अल्लाह दोनो के लिए चैलेंज है I आज के सेकुलर तत्वों की गंगा जमुनी संस्कृति अकबर की दीन इलाही की वारिश है । इसी क्रम में अगर बीजेपी के किसी सांसद की मौजूदगी में माँ दुर्गा को गन्दी गन्दी गालिया दी जाती है तथा वे उसका प्रतिरोधः करना तो दूर उठकर कार्यक्रम से बाहर तक नहीं जाते है तथा बाद में वहा पर वैठे रहने के लिए क्षमा याचना तक नहीं करते है  तो ऐसे बीजेपी सांसद को 
हम कन्हैया से भी अधिक खतरनाक मानते है तथा एक मनुवादी पार्टी के किसी सदस्य को माँ दुर्गा गाली देने वालों के  बीच में बैठकर अतिथि के रूप में शोभायमान  बीजेपी सांसद और कन्हैया में से  किसी एक को वोट देना हो तो मनुवादी पार्टी से जुड़े लोग कन्हैया को बेहतर समझेंगे क्योंकि गंगा जमुनी संस्कृति  तो अपने कुटिल नीति के क्लोरोफार्म  से हम को सुला देगी किन्तु कन्हैया की जीत पूरे सामाज को झकझोर देगी। और शिवाजी  की तरह विजय का रास्ता प्रशस्त होगा I  कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत है -
जिस तट पर प्यास भुजाने से
अपमान प्यासा का होता है  
 उस तट पर प्यास बुझाने से
प्यासा मर जाना बहेतर है 
जिसको माली आँखें भीचे  
मधु के बदले विष से सीचे ।
ऐसी डाली पर खिलने से
पहले मुरझाना अच्छा है
कांटे तो केवल कांटे हैं
वे सहज नुकीले होते है 
कुछ फूल मगर काँटों से भी
 ज्यादा जहरीले होते है
बीजेपी के हाँथ में पड़ा हुआ कमल का फूल शायद  ऐसा ही फूल है जो काटो से भी अधिक जहरीला हो गया है I यह तुष्टिकरण की प्रकाष्ठा है कि विजय राजे सिंधिया की बेटी के राज्य में मनुस्मृति जलाने की घोषणा हो रही है तथा उसके रंगो में खून की जगह अंगार नहीं दौड़ रहा है I ऐसे ही तत्वों को लक्षित  कर राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है - 
जिनकी भुजाओ की शिराएं फड़की ही नहीं 
जिसके लहू में नहीं वेग है अनल का
शिव का पदोदक ही पेय जिसका है रहा 
चखा ही जिसने  नहीं  स्वाद हलाहल का 
जिसके ह्रदय में कभी आग सुलगी ही नहीं 
ठेस लगते ही अंहकार नहीं छलका 
जिसको सहारा नहीं भुज के प्रताप का है 
बैठे  भरोसा किये वे ही  आत्म बल का I

     शायद वर्तमान मुख्यमंत्री की माता स्वर्ग में रो रही हो कि राजस्थान में उनकी बेटी के शासन में रहते हुए I मनुस्मृति को जलाने की घोषणा करने वाले सड़क पर घूम रहे है तथा उनके खिलाफ प्रभावी निरोधात्मक कार्यवाही तक नहीं की जा रही है I  मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के हैसियत से मै बीजेपी की राट्रीय कार्यकारणी , उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा उसके प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को यहा खुला सन्देश देना चाहता हूँ कि मनुवादी पार्टी से जुड़े लोग मनुस्मृति को जलाने के विरोध में सड़क पर तो नहीं उतरेगें किन्तु -
जिस दिन रह जाता क्रोध मौन 
वह समझो मेरी जनम लगन 
इस क्रांति की परिभाषा को चरितार्थ करेंगे तथा क्रोध मौन रह जाने पर बीजेपी को उसीप्रकार के भयँकर परिणाम भुगतने होंगे जैसे राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में तथा अटल बिहारी की प्रधानमंत्रित्व के काल में यूपी में बीजेपी को भुगतने पड़े थे I बीजेपी के चार पांच बार विधायक रह चुके लोग हारकर कराह रहे थे

 तथा छ: सात सौ सीट पाकर मनुवादी पार्टी के सुदामा दल ब्रांड गरीब प्रत्याशी जिनके पास एक स्कूटर भी नहीं था वे वोटो का आत्मघाती दस्ता बनकर लक्ष्य भेद करने के बाद प्रसन्नता से मुस्करा रहे थे और विजयोत्सव मना रहे थे I मनुवादी तत्वों के उपेक्षा के प्रतिशोध में मनुवादी पार्टी ने एक लम्बे समय तक प्रदेश से बीजेपी के वनवास को सुनिशिचित कर दिया I चाहे  इसका कुपरिणाम सपा और बसपा शासन के रूप में क्यों न भुगतना पड़ा, हमने अकबर के मुकाबले औरंगजेब को वरीयता देकर प्रजातान्त्रिक शैली में विरोधियो को जवाब देकर दिखा दिया है I  ऐसी परिस्थति यूपी में पैदा की गयी कि जिस प्रकार बीजेपी मनुस्मृति जलाने वालो के  तुष्टीकरण में लगी है उसीप्रकार मायावती  को अपने स्वर बदलने पड़े तथा मा. उदितराज  जैसे जेएनयू बैकग्राउंड तथा जेएनयू शैली की स्वतंत्र राजनीति करने वाले लोगो के साथ ऐसा वर्ताव करना पडा कि मायावती के शासनकाल में अत्याचारों की फोटो समाचार पत्रों में छपवाने के बाद मा. उदित राज जी को सीधे बीजेपी की गोद में गिरना पड़ा I बीजेपी के वरिष्ठ राजनितिक नेतृत्व को अल्टीमेटम दिया जाता है कि सीट दर सीट मनुवादियों को निगेटिव वोटिंग तथा प्रेशर ग्रूप के रूप में कार्य करने के लिये मजबूर न होना पड़े तथा विवशता में आकर राजस्थान में भी किसी नए मुलायम व मायावती को जन्म न देंना पड़े I ईश्वर से प्रार्थना है कि भाजपायियो को सद्बुद्धि आये और वे मनुस्मृति को जलाने से रोके I
महाराज मनु अयोध्या के राजा थे तथा महाराज रघु तथा भगवान् राम के पूर्वज थे I  राम के नाम पर वोट मांगने वाले विश्व हिन्दू परिषद् के संतो से अनुरोध है कि वे सीधे जनता के लिए समुचित धर्मादेश जारी करे तथा यदि विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े लोग भगवान् राम व उनके पूर्वजो के लिए कड़ा स्टैंड नहीं लिए तथा द्व्यार्थक भाषा बोलते रहे तो मनुवादी पार्टी के सदस्यों के ह्रदय में भी उनके प्रति उतनी ही पूजनीयता के भाव बचेंगे जितनी पूजनीयता के भाव द्रौपदी के ह्रदय में चीर हरण के मौन साक्षी भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य , कृपाचार्य के प्रति बचे थे I
मुझे एक सस्करण याद आ रहा है जो मेरे पुलिस अकादमी के निदेशक स्व. श्री राजदेव सिंह सुनाया करते थे कि महाभारत युद्ध समाप्ति के बाद जब भगवान् श्रीकृष्ण द्रौपदी समेत पाचो पांडवो को लेकर भीष्मपितामह के सामने राजधर्मं का उपदेश सुनाने के लिए भीष्म पितामह के पास ले गए तथा भीष्म पितामह जब ज्ञान गंगा बहाने लगे तो द्रौपदी मुस्करा दी I  कुरेद- कुरेद कर कारण पूछने के बाद उसने अपना निवेदन प्रस्तुत किया कि जब रजस्वला स्थिति में उनका चीरहरण हो रहा था तो पितामह का ज्ञान कहाँ था I  भीष्म पितामह का उत्तर बड़ा संयत था कि उस समय मैंने पापी दुर्योधन का अन्न खाया था तथा परिणामस्वरूप मेरा ज्ञान गायब हो गया था तब जाकर द्रौपदी पुन: गंभीरता से अपने पतियों के साथ ज्ञान सुनने के लिए तैयार हुई I इसीप्रकार जब विश्व हिन्दू परिषद् का कोई संत जब शिला पूजन कराने अथवा खडाऊं पूजन कराने अथवा किसी प्रकार का सहयोग प्राप्त करने किसी क्षेत्र में  पहुचेगा तो मनुवादी पार्टी के कार्यकर्ता उस संत के चरणों में औपचारिक प्रणाम करके कुटिलतापुर्वक लक्ष्मण की भाति  मुस्करा देंगे अथवा तिरस्कार के रूप में द्रौपदी की भातिं मुस्करा देंगे अथवा विद्रूपता से खिलखिला देंगे  कि वक्ता तथा श्रोता दोनों में यह उत्सुकता पैदा होगी कि ऐसा क्यों हो रहा है तथा पूछे जाने पर यह उत्तर देंगे – “संत शिरोमणि आपका ज्ञान कहाँ  था जब मनुस्मृति जलाई जा रही थी तथा आप जिस पार्टी के लिए वोट मांगते थे उसका शासन था लेकिनवह पार्टी और आप दोनों मौन थे I पुन: यह प्रश्न पूछा जायेगा कि आपका ज्ञान कहाँ था जब मा दुर्गा को गन्दी गन्दी  गालिया आपके सांसद की मौजूदगी में दी जा रही थी और वह उठाकर सभा कक्ष के बाहर तक नहीं गया और वह आज भी आपकी चहेती पार्टी में बिना कोई प्रायश्चित किये सांसद बना हुआ है I”
इस प्रश्न के बाद संत शिरोमणि के सामने केवल दो विकल्प होंगे -  या तो वे अपनी दूकान समेट कर उठकर चल देंगे अथवा यदि जरा भी स्वाभिमान उनमे हुआ तो वे भीष्म पितामह की  तरह स्वीकार  करेंगे  कि उन्होंने धर्मं का नाम लेने वाली सत्ता के आरूढ़ बीजेपी का आतिथ्य स्वीकार किया था तथा परिणामस्वरूप उनका विवेक समाप्त हो गया था I  बीजेपी यह कान खोलकर सुन ले हम कारगिल की लड़ाई को कारगिल में लड़ने वाले नहीं है I  हम कारगिल की लड़ाई को लाहौर और सियालकोट में घुसकर लड़ने में विशवास करते है I हम राजस्थान में मनुस्मृति जलाए जाने का बदला राजस्थान में नहीं लेंगे बल्कि दुगने जोश से बीजेपी की प्रतिष्ठा मूलक सीटो पर UP से अपने प्रत्याशी वापस ले लेंगे तथा मनुस्मृति को जलाए जाने की घटना का प्रतिशोध उस पार्टी से लेंगे जिसका शासन राजस्थान में होगा I इसीप्रकार यदि यूपी में इस तरह का दुस्साहस यदि किसी ने किया तो हम यही कड़ा निर्णय समाजवादी पार्टी के विरुद्ध ले लेंगे चाहे इसका कुपरिणाम और भी अधिक और भी अधिक मनुवादी विरोधी शासन ही क्यों न हो I हम यह जानते है  कि जिस प्रकार तुष्टीकरण नीति के चलते बीजेपी मनुस्मृति जलाने पर तथा माँ दुर्गा को गाली दिए जाने पर मौन है उसीप्रकार हमे  किसी मायावती या मुलायम के शासन में आने का भय नहीं है –
  मिटा न पाई नादिर शाही
  तैमूरी तलवार जिसे
   कर सके सके औरंगजेबी
  अत्याचार कभी विस्मार जिसे
इसीलिए मनुवादियों  के बारे में अल्लामा इकबाल ने कभी गर्जना की थी –
हँसता है विजलियो पे 
यह आसिया  हमारा  I
         वोट बैंक की लालसा में कभी मायावती ने आदरणीय उदित राज को जो  सम्मान दिया था वही सम्मान तुष्टीकरण के चलते उनको मनुस्मृति जलाने वालो को देना पड़ेगा  तथा शायद यह सन्देश कहीं इतना भीषण न हो कि बीजेपी की सदस्यता से उनका पेट न भरे तथा वे सीधे मनुवादी पार्टी की गोद में आकर गिरे  और आकर किसी गुरुकुल में पूरी मनुस्मृति कंठस्थ करने के अभियान में लग जाए I
   हम जितने भी सांस्कृतिक तथा गैरराजनैतिक ब्राह्मणों  के, क्षत्रियो के , वैश्यों के तथा सम्पूर्ण सवर्णों के संगठन चल रहे है उनसे इस विन्दु पर अहिंसक तथा विधि सम्मत कार्यवाही करने का अनुरोध करते है I आरक्षण विरोधी जितने भी संगठन है उनसे भी यथोचित अहिंसक सहयोग की कामना की जाती है I जितने भी पिछड़ी जातियों के तथा अनुसूचित जातियों के संगठन है उनसे भी हम अपील करते है कि राष्ट्रहित एव समाजहित में इस तरह के कार्यो को रोकने के लिए नैतिक दबाव बनाए I मनुवादी पार्टी अम्बेडकर प्रतिमा तोड़े जाने के खिलाफ है तथा किसी पिछड़े नेता की प्रतिमा को तोड़े जाने के खिलाफ है कित्नु विवेकशील पिछड़े एव अनुसूचित जाति के लोगो से भी अपेक्षा की जाति है कि वे मनुस्मृति जलाए जाने जैसे अतिवादी कदम का समर्थन न करे I


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