Thursday, 9 February 2017

मनुवादी पार्टी का घोषणा पत्र अध्याय 1 - मनुवाद क्या है मनुवाद की परिभाषा समय समय पर भिन्न भिन्न विद्वानो ने अलग अलग तरीके से की है | हम उस परिभाषा को प्रामाणिक मानते है जो अनंत श्री बिभूषित करपात्री जी महाराज ने दी है किन्तु हम डॉ आंबेडकर और मायावती अथवा डॉ लोहिया या मुलायम या लालू या नितीश अथवा भगवान् बुद्ध द्वारा की गयी आलोचनात्मक व्याख्या भी नकारते नही है | महात्मा गांधी ने लिखा है कि ( ONLY THE TOAD UNDER THE HARROW KNOWS WHERE IT PINCHES HIM ) अथार्त ( जाके पैर न फटी बेवाई , सो का जाने जाने पीर पराई ) हम RSS राहुल गाँधी तथा दिग्विजय सिंह की तरह दुराग्रही नहीं है कि कुतर्क करे | मै ये मानता हु कि RSS का गाँधी जी की हत्या में कोई योगदान नही था राहुल गाँधी तथा दिग्विजय सिंह के द्वारा लगाए गये आरोप गलत है किन्तु इस तथ्य को नकारा नही जा सकता कि साक्षी जी महाराज के दिल में गोंडसे के लिए पर्याप्त जगह है | हम ये नकार नही सकते की यदि गोंडसे की लाश को शव यात्रा के लिए परिजनों के हबाले किया गया होता तो उस शव यात्रा में काफी लोग ( नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे ) गाते हुए भाग लेते | मै ये मानता हु कि मौलाना मदनी कि तो बात ही छोडिये ( ओवैशी तक का आतंकबाद से कोई लेना देना नही है किन्तु यदि किसी आतंकबादी को पकड़ कर पुलिस गोली मार दे तो उसके मानवाधिकारो की रक्षा के लिए याचिका तैयार करने को उन्हे जितना शीघ्र समय मिलेगा उतनी जल्दी किसी नक्सलाईट के मारे जाने पर वे समय ना निकाल पाते | मायावती और डॉ अम्बेडकर ने उदितराज और रामविलाश पासवान ने मनुवाद के जिस रूप को झेला है वह भी एक तथ्य है | हम वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास रखते है किन्तु यह एक कटु सत्य है कि वह जाति व्यवस्था में बदल गयी | यदि घर में रखी हुई मिठाई सड़ जाए तो उसके लिए हलवाई दोषी नही है | डॉ अम्बेडकर ने जो संविधान बनाया था उसमे वंशवाद के लिए को स्थान नही था किन्तु कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक हर पार्टी में किसी ना किसी रूप में वंशवाद फल फूल रहा है तथा 2050 तक मात्र 100 वर्षो में लगभग वंशवाद जकड़ लेगा आज भैस के सींग पकड कर भैस पर चढ़ने बाला किसी गरीव यादव का बच्चा लालू नहीं बन सकता क्यों कि उसका रास्ता रोके कोई तेजस्वी तथा उसका परिवार खड़ा होगा | जब शिवपाल जैसे राजवंश के यादव अखिलेश के आंगे नहीं टिक सके तो एक भैस चराने बाले यादव के बच्चे कि औकात अब राजनीति करने की नहीं होगी क्यों कि वह अखिलेश और डिम्पल के बच्चो के धनबल के सामने नहीं टिक पायेगा |यदि अखिलेश का बच्चा किसी यादव को पैर छूने की अनुमति देदे तो वह यादव जितना प्रसन्न होगा उतना वह किसी गरीव यादव नेता के पेट के वल लेट कर पैर छूने पर नहीं होगा | इस वंशवाद के लिए जिस प्रकार डॉ अबेडकर को दोषी नहीं ठहराया नहीं जा सकता वैसे ही वंशवाद के चलते यदि वर्ण व्यवस्था जाति व्यवस्था में बदल गयी तो इसके लिए मनु को अथवा उनकी स्मृति को दोषी नहीं करार दिया जा सकता | डॉ लोहिया ने लिखा है कि ( हमें शम्बूक के वध का वदला लेना है किन्तु उन्ही के चेलो द्वारा STATE GUEST HOUSE ) कांड में मायावती बाल बाल शम्बूक बनते बची | आखिर मायावती भी तो एक तपस्या ही कर रही थी | जैसे डॉ अम्बेडकर ने संविधान कि किसी धारा में नही लिखा था कि किसी मायावती को शम्बूक बनाया जाये उसी प्रकार मनुस्मृति में कही भी शम्बूक वध का प्रावधान नही था | इसी प्रकार क्या आज भी एकलव्य का अंगूठा नहीं काटा जा रहा है ? सूचना के अधिकार का प्रयोग करके तथा इन्टरनेट से डाउनलोड करके लोकसेबा आयोग के अध्यक्ष श्री अनिल यादव के कार्यकाल में चयनित PCS अधिकारियों की सूची को पढ़ले तो पचासों पिछली जातियां मिल कर के भी क्या उतने PCS दे पायी जितने अकेले यादव समाज ने दिए | मै कोई आरोप नही लगा रहा हू मै जाटो से पूछना चाहूँगा कि UP में तो उन्हे आरक्षण मिला हुआ है | किन्तु आजादी के समय ब्राह्मणों के बाद सर्वाधिक अधिकारी जाट समाज में थे | किन्तु आरक्षण लागू होने के बाद ये संख्या बदने की वजह चौथाई भी क्यों नही रह गयी लाल सिंह वर्मा जैसे जाट तथा महेंद्र सिंह गंगवार जैसे कुर्मी DG के अधीन मैंने सेवा सेवा प्रारम्भ की किन्तु एक की जगह 20 DG होने के बावजूद अब कोई जाट या कुर्मी DG क्यों नही बनता मै आरक्षण के आन्दोलन चलाने वाले जाटों तथा हार्दिक पटेल से पूछता हू कि के आरक्षण को समाप्त करने की मांग करो आरक्षण का झुन झुना लेकर क्या करोगे ? बिना आरक्षण के जितने जाट और कुर्मी होते थे आज आरक्षण के बावजूद UP में उतने भी नहीं हो रहे है | इसी को एकलव्य को अंगूठा काटना कहते है आरक्षण की जगह न्याय मांगो तुम्हारा कल्याण होगा | और अंगूठा तो यादवो का भी काटा जा रहा है जरा पुलिस बिभाग में लाखो की संख्या में जो सिपाही दरोगा भर्ती हुए उनकी सूची तथा भर्ती के जिले को ध्यान से पढले इटावा एटा मैनपुरी कन्नौज फर्रुखाबाद फिरोजाबाद बदायू जैसे कुछ जिलो को छोड़ दे तो क्या शेष समस्त यादव मिल कर के भी क्या उतनी संख्या में भर्ती हो पाए जितनी संख्या में 7 .8 जिलो के यादव हुए | जो थोड़े बहुत पूर्वांचल में हुए भी वे आजमगढ़ से श्री मुलायम सिंह के सांसद होने का प्रसाद है अधिकांश जिलो में यादवो की भर्ती भी लगभग शून्य थी | हर युग में अर्जुन को आगे बढाने के लिए हर समाज में पूजनीय महारथी एकलव्य का अंगूठा काटते रहे है आज भी काट रहे है तथा आगे भी काटेंगे | इसे रोकने के लिए सतत जागरूकता आवश्यक है | जो भी भर्तियाँ हो रही है वे भारतीय संविधान के अंतर्गत हो रही है किन्तु बिभिन्न भर्ती बोर्डो तथा लोकसेवा आयोग सदस्य अथवा अध्यक्ष PROTOCOL में द्रोणाचार्य से कम नही है किन्तु अवसर मिलते ही वे एकलव्य का अंगूठा काटने लगते है | अनिल यादव के कार्यकाल में जितने % यादव सामान्य सीटो पर कब्जा कर लिए उसके आधे भी कभी पहले या बाद में क्यों नही कब्ज़ा कर पाए | आखिर अनिल यादव के आने से पहले अथवा अनिल यादव के जाने के बाद यादवो की प्रतिभा कहा चली जाती है | इसी प्रकार यदि केशवदेव मौर्य मुख्यमंत्री होने पर अपने ही समान निर्दोष आपराधिक इतिहास बाले को लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष बना देंगे तो उस समय के अनिल मौर्य का चेहरा देखते ही सवर्णों तथा शेष पिछडो की प्रतिभा तिरोहित हो जायेगी | एकलव्य अपना अंगूंठा बढाये हुए खड़ा होगा जैसे राजनीति में टिकट चाहने बाले भाजपा प्रत्याशी अपमानित होने के बावजूद लगातार FACEBOOK तथा TWITTER पर इस आशय की पोस्ट डाल रहे है कि प्रत्याशी कोई भी हो आप प्रत्याशी के बारे में मत सोचिये केवल मोदी के बारे में सोचिये तथा भाजपा के नाम पर वोट दीजिये भाजपा में महेश नारायण तिवारी जैसे जो लोग अंगूठा काटने का विरोध करेंगे उनका राजनीतिक वध कर दिया जाएगा तथा जो लोग सादर काटने के लिए अपना अंगूठा बड़ा देंगे उनपर आज के द्रोणाचार्य अमित शाह प्रसन्न हो कर आशीर्वाद देंगे कि तुम्हे एकलव्य की भांति सर्वश्रेष्ठ शिष्य घोषित किया जाता है तथा तुम्हे शिव प्रताप शुक्ल की भांति राज्यसभा या विधान परिषद् में भेज दिया जाएगा अथवा किसी वोर्ड या निगम में समायोजित करके लालबत्ती देकर मलाई चाटने का अवसर दिया जाएगा | सव्र का फल मीठा होता है | इतने दिनों तक शिव प्रताप शुक्ल के अंगूठे से खून रिश्ता रहा तथा उन्होंने उफ़ नही किया तो उन्हें इसका फल मिला जिस प्रकार एकलव्य महाभारत में द्रोणाचार्य की ओर से लड़ा था उसी प्रकार अधिकांश एकलव्यों को मोदी भक्त समझा लेंगे तथा वे अपने हाँथ से अपना टिकट रुपी अंगूठा काट कर अमित शाह के चरणों में डाल देंगे तथा उफ़ तक नही करेंगे | आखिर ओमप्रकाश सिंह विनय कटियार प्रेमलता कटियार रामकुमार वर्मा संतोष गंगवार पंकज गंगवार तथा उनके परिजन एक आध अपवादों को छोड़ कर अपने अंगूठे के बहते खून को देख कर प्रसन्नता के भाव चेहरे पर लाने का प्रयास कर रहे है जिस प्रकार उपरोक्त सभी एकलव्य के अंगूठा दान के उदाहरणों के लिए डॉ अम्बेडकर दोषी नही है भले ही भर्ती तथा चुनाव संविधान के अधीन हो रहे हो उसी प्रकार एकलव्य का अंगूठा कटने के लिए मनुस्मृति जिम्मेदार नही है डॉ राममनोहर लोहिया मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव शरद यादव लालू यादव नितीश कुमार मोदी तथा शिवराज को हम अपना B श्रेणी का STAR प्रचारक मानते है क्यों कि इन्होने मनुवाद को एकलव्य की भांति आधा अधूरा चखा है | इसके विपरीत राम विलास पासवान उदितराज तथा मायावती को हम A श्रेणी का STAR प्रचारक मानते है क्यों कि उन्हे मनुवाद का पूरा स्वाद चखने का अवसर प्राप्त हुआ है | हम ये मानते है कि मनुवाद का जो स्वाद इन महापुरषों को मिला उसके लिए मनु या मनुस्मृति को दोषी ठहराना उतना ही गलत है जितना भर्ती घोटालो टिकट वितरण की गड़बडियो अथवा राजनीति में वंशवाद के लिए डॉ आंबेडकर अथवा उनके संविधान को दोष देना मनुस्मृति को शुद्ध भाव से लागू कर वर्णाश्रम व्यस्था की स्थापना ही हमारा लक्ष्य है

मनुवादी पार्टी का घोषणा पत्र
अध्याय 1 -
मनुवाद क्या है
मनुवाद की परिभाषा समय समय पर भिन्न भिन्न विद्वानो ने अलग अलग तरीके से की है | हम उस परिभाषा को प्रामाणिक मानते है जो अनंत श्री बिभूषित करपात्री जी महाराज ने दी है किन्तु हम डॉ आंबेडकर और मायावती अथवा डॉ लोहिया या मुलायम या लालू या नितीश अथवा भगवान् बुद्ध द्वारा की गयी आलोचनात्मक व्याख्या भी नकारते नही है | महात्मा गांधी ने लिखा है कि ( ONLY THE TOAD UNDER THE HARROW KNOWS WHERE IT PINCHES HIM ) अथार्त ( जाके पैर न फटी बेवाई , सो का जाने जाने पीर पराई ) हम RSS राहुल गाँधी तथा दिग्विजय सिंह की तरह दुराग्रही नहीं है कि कुतर्क करे | मै ये मानता हु कि RSS का गाँधी जी की हत्या में कोई योगदान नही था राहुल गाँधी तथा दिग्विजय सिंह के द्वारा लगाए गये आरोप गलत है किन्तु इस तथ्य को नकारा नही जा सकता कि साक्षी जी महाराज के दिल में गोंडसे के लिए पर्याप्त जगह है | हम ये नकार नही सकते की यदि गोंडसे की लाश को शव यात्रा के लिए परिजनों के हबाले किया गया होता तो उस शव यात्रा में काफी लोग ( नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे ) गाते हुए भाग लेते | मै ये मानता हु कि मौलाना मदनी कि तो बात ही छोडिये ( ओवैशी तक का आतंकबाद से कोई लेना देना नही है किन्तु यदि किसी आतंकबादी को पकड़ कर पुलिस गोली मार दे तो उसके मानवाधिकारो की रक्षा के लिए याचिका तैयार करने को उन्हे जितना शीघ्र समय मिलेगा उतनी जल्दी किसी नक्सलाईट के मारे जाने पर वे समय ना निकाल पाते | मायावती और डॉ अम्बेडकर ने उदितराज और रामविलाश पासवान ने मनुवाद के जिस रूप को झेला है वह भी एक तथ्य है | हम वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास रखते है किन्तु यह एक कटु सत्य है कि वह जाति व्यवस्था में बदल गयी | यदि घर में रखी हुई मिठाई सड़ जाए तो उसके लिए हलवाई दोषी नही है | डॉ अम्बेडकर ने जो संविधान बनाया था उसमे वंशवाद के लिए को स्थान नही था किन्तु कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक हर पार्टी में किसी ना किसी रूप में वंशवाद फल फूल रहा है तथा 2050 तक मात्र 100 वर्षो में लगभग वंशवाद जकड़ लेगा आज भैस के सींग पकड कर भैस पर चढ़ने बाला किसी गरीव यादव का बच्चा लालू नहीं बन सकता क्यों कि उसका रास्ता रोके कोई तेजस्वी तथा उसका परिवार खड़ा होगा | जब शिवपाल जैसे राजवंश के यादव अखिलेश के आंगे नहीं टिक सके तो एक भैस चराने बाले यादव के बच्चे कि औकात अब राजनीति करने की नहीं होगी क्यों कि वह अखिलेश और डिम्पल के बच्चो के धनबल के सामने नहीं टिक पायेगा |यदि अखिलेश का बच्चा किसी यादव को पैर छूने की अनुमति देदे तो वह यादव जितना प्रसन्न होगा उतना वह किसी गरीव यादव नेता के पेट के वल लेट कर पैर छूने पर नहीं होगा | इस वंशवाद के लिए जिस प्रकार डॉ अबेडकर को दोषी नहीं ठहराया नहीं जा सकता वैसे ही वंशवाद के चलते यदि वर्ण व्यवस्था जाति व्यवस्था में बदल गयी तो इसके लिए मनु को अथवा उनकी स्मृति को दोषी नहीं करार दिया जा सकता |
डॉ लोहिया ने लिखा है कि ( हमें शम्बूक के वध का वदला लेना है किन्तु उन्ही के चेलो द्वारा STATE GUEST HOUSE ) कांड में मायावती बाल बाल शम्बूक बनते बची | आखिर मायावती भी तो एक तपस्या ही कर रही थी | जैसे डॉ अम्बेडकर ने संविधान कि किसी धारा में नही लिखा था कि किसी मायावती को शम्बूक बनाया जाये उसी प्रकार मनुस्मृति में कही भी शम्बूक वध का प्रावधान नही था |
इसी प्रकार क्या आज भी एकलव्य का अंगूठा नहीं काटा जा रहा है ? सूचना के अधिकार का प्रयोग करके तथा इन्टरनेट से डाउनलोड करके लोकसेबा आयोग के अध्यक्ष श्री अनिल यादव के कार्यकाल में चयनित PCS अधिकारियों की सूची को पढ़ले तो पचासों पिछली जातियां मिल कर के भी क्या उतने PCS दे पायी जितने अकेले यादव समाज ने दिए | मै कोई आरोप नही लगा रहा हू मै जाटो से पूछना चाहूँगा कि UP में तो उन्हे आरक्षण मिला हुआ है | किन्तु आजादी के समय ब्राह्मणों के बाद सर्वाधिक अधिकारी जाट समाज में थे | किन्तु आरक्षण लागू होने के बाद ये संख्या बदने की वजह चौथाई भी क्यों नही रह गयी लाल सिंह वर्मा जैसे जाट तथा महेंद्र सिंह गंगवार जैसे कुर्मी DG के अधीन मैंने सेवा सेवा प्रारम्भ की किन्तु एक की जगह 20 DG होने के बावजूद अब कोई जाट या कुर्मी DG क्यों नही बनता मै आरक्षण के आन्दोलन चलाने वाले जाटों तथा हार्दिक पटेल से पूछता हू कि के आरक्षण को समाप्त करने की मांग करो आरक्षण का झुन झुना लेकर क्या करोगे ? बिना आरक्षण के जितने जाट और कुर्मी होते थे आज आरक्षण के बावजूद UP में उतने भी नहीं हो रहे है | इसी को एकलव्य को अंगूठा काटना कहते है आरक्षण की जगह न्याय मांगो तुम्हारा कल्याण होगा |
और अंगूठा तो यादवो का भी काटा जा रहा है जरा पुलिस बिभाग में लाखो की संख्या में जो सिपाही दरोगा भर्ती हुए उनकी सूची तथा भर्ती के जिले को ध्यान से पढले इटावा एटा मैनपुरी कन्नौज फर्रुखाबाद फिरोजाबाद बदायू जैसे कुछ जिलो को छोड़ दे तो क्या शेष समस्त यादव मिल कर के भी क्या उतनी संख्या में भर्ती हो पाए जितनी संख्या में 7 .8 जिलो के यादव हुए | जो थोड़े बहुत पूर्वांचल में हुए भी वे आजमगढ़ से श्री मुलायम सिंह के सांसद होने का प्रसाद है अधिकांश जिलो में यादवो की भर्ती भी लगभग शून्य थी | हर युग में अर्जुन को आगे बढाने के लिए हर समाज में पूजनीय महारथी एकलव्य का अंगूठा काटते रहे है आज भी काट रहे है तथा आगे भी काटेंगे | इसे रोकने के लिए सतत जागरूकता आवश्यक है | जो भी भर्तियाँ हो रही है वे भारतीय संविधान के अंतर्गत हो रही है किन्तु बिभिन्न भर्ती बोर्डो तथा लोकसेवा आयोग सदस्य अथवा अध्यक्ष PROTOCOL में द्रोणाचार्य से कम नही है किन्तु अवसर मिलते ही वे एकलव्य का अंगूठा काटने लगते है | अनिल यादव के कार्यकाल में जितने % यादव सामान्य सीटो पर कब्जा कर लिए उसके आधे भी कभी पहले या बाद में क्यों नही कब्ज़ा कर पाए | आखिर अनिल यादव के आने से पहले अथवा अनिल यादव के जाने के बाद यादवो की प्रतिभा कहा चली जाती है | इसी प्रकार यदि केशवदेव मौर्य मुख्यमंत्री होने पर अपने ही समान निर्दोष आपराधिक इतिहास बाले को लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष बना देंगे तो उस समय के अनिल मौर्य का चेहरा देखते ही सवर्णों तथा शेष पिछडो की प्रतिभा तिरोहित हो जायेगी | एकलव्य अपना अंगूंठा बढाये हुए खड़ा होगा जैसे राजनीति में टिकट चाहने बाले भाजपा प्रत्याशी अपमानित होने के बावजूद लगातार FACEBOOK तथा TWITTER पर इस आशय की पोस्ट डाल रहे है कि प्रत्याशी कोई भी हो आप प्रत्याशी के बारे में मत सोचिये केवल मोदी के बारे में सोचिये तथा भाजपा के नाम पर वोट दीजिये भाजपा में महेश नारायण तिवारी जैसे जो लोग अंगूठा काटने का विरोध करेंगे उनका राजनीतिक वध कर दिया जाएगा तथा जो लोग सादर काटने के लिए अपना अंगूठा बड़ा देंगे उनपर आज के द्रोणाचार्य अमित शाह प्रसन्न हो कर आशीर्वाद देंगे कि तुम्हे एकलव्य की भांति सर्वश्रेष्ठ शिष्य घोषित किया जाता है तथा तुम्हे शिव प्रताप शुक्ल की भांति राज्यसभा या विधान परिषद् में भेज दिया जाएगा अथवा किसी वोर्ड या निगम में समायोजित करके लालबत्ती देकर मलाई चाटने का अवसर दिया जाएगा | सव्र का फल मीठा होता है | इतने दिनों तक शिव प्रताप शुक्ल के अंगूठे से खून रिश्ता रहा तथा उन्होंने उफ़ नही किया तो उन्हें इसका फल मिला जिस प्रकार एकलव्य महाभारत में द्रोणाचार्य की ओर से लड़ा था उसी प्रकार अधिकांश एकलव्यों को मोदी भक्त समझा लेंगे तथा वे अपने हाँथ से अपना टिकट रुपी अंगूठा काट कर अमित शाह के चरणों में डाल देंगे तथा उफ़ तक नही करेंगे | आखिर ओमप्रकाश सिंह विनय कटियार प्रेमलता कटियार रामकुमार वर्मा संतोष गंगवार पंकज गंगवार तथा उनके परिजन एक आध अपवादों को छोड़ कर अपने अंगूठे के बहते खून को देख कर प्रसन्नता के भाव चेहरे पर लाने का प्रयास कर रहे है
जिस प्रकार उपरोक्त सभी एकलव्य के अंगूठा दान के उदाहरणों के लिए डॉ अम्बेडकर दोषी नही है भले ही भर्ती तथा चुनाव संविधान के अधीन हो रहे हो उसी प्रकार एकलव्य का अंगूठा कटने के लिए मनुस्मृति जिम्मेदार नही है
डॉ राममनोहर लोहिया मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव शरद यादव लालू यादव नितीश कुमार मोदी तथा शिवराज को हम अपना B श्रेणी का STAR प्रचारक मानते है क्यों कि इन्होने मनुवाद को एकलव्य की भांति आधा अधूरा चखा है | इसके विपरीत राम विलास पासवान उदितराज तथा मायावती को हम A श्रेणी का STAR प्रचारक मानते है क्यों कि उन्हे मनुवाद का पूरा स्वाद चखने का अवसर प्राप्त हुआ है | हम ये मानते है कि मनुवाद का जो स्वाद इन महापुरषों को मिला उसके लिए मनु या मनुस्मृति को दोषी ठहराना उतना ही गलत है जितना भर्ती घोटालो टिकट वितरण की गड़बडियो अथवा राजनीति में वंशवाद के लिए डॉ आंबेडकर अथवा उनके संविधान को दोष देना
मनुस्मृति को शुद्ध भाव से लागू कर वर्णाश्रम व्यस्था की स्थापना ही हमारा लक्ष्य है

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