मनुवादी पार्टी का घोषणा पत्र
अध्याय 2
मनुवादी पार्टी का लक्ष्य
मनुवादी पार्टी का लक्ष्य है ....... मनुस्मृति के ऐसे अंशो को जो भारतीय संविधान के प्रतिकूल ना हो , लागू करना हमारा मनुस्मृति से उतना ही रिश्ता है जितना सम्ययावादी पार्टी का KARLMAX के DAS CAPITAL से | MARX ने ANNIHILATION OF THE CLASS ENEMIES तथा DICTATORSHIP OF THE PROLETARIAT सिद्धांत प्रतिपादित किया था जिसके अनुसार वर्ग शत्रुओं का उन्मूलन करके सर्वहारा की तानाशाही लानी होगी | यह अवधारणा सरासर अवैध है फिर भी सम्ययावादी पार्टी एक वैध मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है | इसी प्रकार मनुस्मृति के कुछ प्रावधान संविधान के विपरीत हो सकते है किन्तु हम संविधान की सीमाओं के अन्दर रहकर मनुस्मृति को लागू करेंगे हमारा लक्ष्य है कि डॉ अम्बेडकर की लिखी अम्बेडकर स्मृति ( भारतीय संविधान ) मूल रूप में लागू हो | भारतीय संविधान में यदि जबाहर लाल नेहरु के समय से लेकर वाजपेयी और मोदी के जमाने तक जितने भी सशोधन किये गये है , हम उन्हे निरस्त कर देंगे | यदि भारतीय संविधान के सारे सशोधनो को निरस्त कर दिया जाये तो स्वत: मनुस्मृति का युग आ जाएगा | मूल संविधान के अनुसार केवल 10 वर्ष के लिए आरक्षण लागू किया गया था |नेहरू , विश्वनाथ , प्रताप सिंह , अटल विहारी वाजपेयी तथा मोदी के कारण आज भी आरक्षण लागू है | संविधान के सारे संशोधनो के निरस्त होते ही हर प्रकार का आरक्षण अपने आप समाप्त हो जाएगा | आरक्षण के समाप्त होने का अर्थ होगा वर्ण व्यवस्था की वापसी | जाति के आधार पर कोई व्यक्ति महत्व नही पायेगा वल्कि अपनी योग्यता के आधार पर पायेगा यही मनुस्मृति का संदेश है यही अम्बेडकर स्मृति का सारांश है
भारतीय संविधान के अंतर्गत जबाहरलाल नेहरू ने CIVIL RIGITS ACT पारित कराया जिसका अम्बेडकर ने भी विरोध नही किया | यह ACT छुआ छूत को रोकने के लिए बनाया गया हम भी इसका समर्थन करते है | किन्तु मोदी ने 2016 में जो अनुसूचितजाति अत्याचार निवारण अधिनियम पारित कराया वह सर्वथा भेद भावपूर्ण है |यदि कोई अनुसूचित जाति की महिला को देख कर आँख मार दे या मुस्करा दे तो इस मुक़दमे के निस्तारण के लिय SPECIAL COURT बनायी जायेगी जो दो महीने में अपना निर्यण दे देगी | इसके विपरीत यदि किसी सवर्ण या पिछड़ी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार भी हो जाए तो इसका निर्यण दस वर्षो में होगा तथा इस बीच गवाहों को मारा जाएगा धमकाया जाएगा | मुझे पूर्ण विस्वाश है कि यदि किसी अनुसूचित जाति की प्रबुद्ध महिला से पूछा जाए तो वह इस क़ानून को उचित नही बताएगी ये एक प्रकार से बलात्कार में आरक्षण है तथा उसके BACKLOG को भरने का प्रयास है हम सभी जाति की महिलाओं की इज्जत हो सम्मान महत्व देते है तथा हर बलात्कार को बराबर सम्बेदनशील मानते हुए समानदंड की मांग करते है |
भारतीय संविधान की मूलरूप निवासी में वापसी की मांग को कदापि असंवैधानिक नही कहा जा सकता |
अध्याय 2
मनुवादी पार्टी का लक्ष्य
मनुवादी पार्टी का लक्ष्य है ....... मनुस्मृति के ऐसे अंशो को जो भारतीय संविधान के प्रतिकूल ना हो , लागू करना हमारा मनुस्मृति से उतना ही रिश्ता है जितना सम्ययावादी पार्टी का KARLMAX के DAS CAPITAL से | MARX ने ANNIHILATION OF THE CLASS ENEMIES तथा DICTATORSHIP OF THE PROLETARIAT सिद्धांत प्रतिपादित किया था जिसके अनुसार वर्ग शत्रुओं का उन्मूलन करके सर्वहारा की तानाशाही लानी होगी | यह अवधारणा सरासर अवैध है फिर भी सम्ययावादी पार्टी एक वैध मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है | इसी प्रकार मनुस्मृति के कुछ प्रावधान संविधान के विपरीत हो सकते है किन्तु हम संविधान की सीमाओं के अन्दर रहकर मनुस्मृति को लागू करेंगे हमारा लक्ष्य है कि डॉ अम्बेडकर की लिखी अम्बेडकर स्मृति ( भारतीय संविधान ) मूल रूप में लागू हो | भारतीय संविधान में यदि जबाहर लाल नेहरु के समय से लेकर वाजपेयी और मोदी के जमाने तक जितने भी सशोधन किये गये है , हम उन्हे निरस्त कर देंगे | यदि भारतीय संविधान के सारे सशोधनो को निरस्त कर दिया जाये तो स्वत: मनुस्मृति का युग आ जाएगा | मूल संविधान के अनुसार केवल 10 वर्ष के लिए आरक्षण लागू किया गया था |नेहरू , विश्वनाथ , प्रताप सिंह , अटल विहारी वाजपेयी तथा मोदी के कारण आज भी आरक्षण लागू है | संविधान के सारे संशोधनो के निरस्त होते ही हर प्रकार का आरक्षण अपने आप समाप्त हो जाएगा | आरक्षण के समाप्त होने का अर्थ होगा वर्ण व्यवस्था की वापसी | जाति के आधार पर कोई व्यक्ति महत्व नही पायेगा वल्कि अपनी योग्यता के आधार पर पायेगा यही मनुस्मृति का संदेश है यही अम्बेडकर स्मृति का सारांश है
भारतीय संविधान के अंतर्गत जबाहरलाल नेहरू ने CIVIL RIGITS ACT पारित कराया जिसका अम्बेडकर ने भी विरोध नही किया | यह ACT छुआ छूत को रोकने के लिए बनाया गया हम भी इसका समर्थन करते है | किन्तु मोदी ने 2016 में जो अनुसूचितजाति अत्याचार निवारण अधिनियम पारित कराया वह सर्वथा भेद भावपूर्ण है |यदि कोई अनुसूचित जाति की महिला को देख कर आँख मार दे या मुस्करा दे तो इस मुक़दमे के निस्तारण के लिय SPECIAL COURT बनायी जायेगी जो दो महीने में अपना निर्यण दे देगी | इसके विपरीत यदि किसी सवर्ण या पिछड़ी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार भी हो जाए तो इसका निर्यण दस वर्षो में होगा तथा इस बीच गवाहों को मारा जाएगा धमकाया जाएगा | मुझे पूर्ण विस्वाश है कि यदि किसी अनुसूचित जाति की प्रबुद्ध महिला से पूछा जाए तो वह इस क़ानून को उचित नही बताएगी ये एक प्रकार से बलात्कार में आरक्षण है तथा उसके BACKLOG को भरने का प्रयास है हम सभी जाति की महिलाओं की इज्जत हो सम्मान महत्व देते है तथा हर बलात्कार को बराबर सम्बेदनशील मानते हुए समानदंड की मांग करते है |
भारतीय संविधान की मूलरूप निवासी में वापसी की मांग को कदापि असंवैधानिक नही कहा जा सकता |

No comments:
Post a Comment