Friday, 23 September 2016

मतदाताओ के नाम खुला ख़त – (भाग-2)

मतदाताओ के नाम खुला ख़त – (भाग-2)
कैसे मतदाता मालिक से उपेक्षित नौकर बन चुका है ?
       आज कोई पार्टी अपने कार्यकर्ताओ तक की क्यों घनघोर उपेक्षा करती है ?
     मनुवादी पार्टी ही क्यों ?
   भाजपा के अत्याचारों का यही समापन नहीं होता है I बैकलॉग का कानून जिसे मा.उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था उसे अटल जी ने संविधान को बदल कर पुन: लागू किया I मायावती के जमाने में जो बैकलॉग की भर्तिया हुई तथा अधिकांश विभागों में किसी सवर्ण के बच्चे को फार्म तक भरने का अवसर नहीं मिला उसका दोष हम मायावती के सिर नहीं मढ़ सकते बल्कि उस पाप के भागी अटल जी है I यह कानून अटल जी का ही बनाया हुआ था I पुन: लम्बी मुकदमेबाजी के बाद जब वह कानून असंवैधानिक घोषित हो गया तो मोदी जी छप्पन इंच का सीना ठोक कर अटल जी के अन्यायपूर्ण काले कानूनों को पुन: संविधान बदल कर लागू करने के लिए कृतसंकल्प है I और किसी के अच्छे दिन आये हो या न आये हो किन्तु “हर हर मोदी घर घर मोदी” का नारा देकर मोदी को वोट देने वाले सवर्णों के अच्छे दिन इस माने में आ गए कि अब उनका कोई बेटा या बेटी अधिकांश सरकारी नौकरियों में फार्म भरने के लिए उनसे पैसा नहीं मांगेगा तथा परीक्षा देने के लिए रेलवे के रिजर्वेशन या टिकट का पैसा नहीं मांगेगा I बैकलॉग कैसे पैदा हुआ इस पर विस्तृत विवरण पहले के लेखो में दिया जा चुका है I संक्षेप में कांग्रेसी राज्य में कागज में अनुसूचित जातियों को आरक्षण मिल गया था किन्तु व्यावहारिक धरातल पर उनके प्रार्थना पत्रों को नष्ट कर दिया जाता था तथा भर्ती करने वाले अधिकारी यह प्रमाण पत्र दे देते थे कि कोई सुयोग्य अनुसूचित जाति का अभ्यर्थी नहीं मिला जिसके फलस्वरूप यह पद सामान्य जाति के अभ्यर्थियो से भर लिए गए I जब इस विषय में कोई प्रतिवेदन संसंद में उठता था तो अनुसूचित जाति के सांसदों समेत लगभग समस्त सांसद ध्वनिमत से यह प्रस्ताव पारित कर देते थे I मायावती ने अपने समाज के लोगो के सामने यह मुद्दा उठाया कि एक बार तर्क के लिए यह माना जा सकता है कि डॉक्टर तथा इंजिनियर में योग्य अभ्यर्थी नहीं मिले किन्तु क्या कोई यह मानने को तैयार होगा कि चपरासी जिसकी योग्यता उस समय अंगूठा छाप थी उसके लिए भी कोई योग्य अनुसूचित जाति का अभ्यर्थी नहीं है I अनुसूचित जाति के लोगो को धीरे-धीरे यह समझ में आ गया कि जगजीवन राम और महावीर प्रसाद की कृपा से भले ही कुछ अनुसूचित जाति के लोग चपरासी या क्लर्क की नौकरी पा गए हो तथा भले ही कुछ उच्चाधिकारी अच्छी पोस्टो पर बैठ गए हो किन्तु यथार्थ में कांग्रेसी हरिजन अनुसूचित जाति के लोगो के दुश्मन है I चुकि अनुसूचित जाति के लोग उस समय कम पढ़े-लिखे थे अत: मायावती को यह समझाने में काफी समय लग गया कि किस प्रकार जगवीवनराम तथा महावीर प्रसाद अनुसूचित जाति के दुश्मन है I किन्तु एक बार जब अनुसूचित जातियों के समझ में यह खेल आ गया तो जो लोग गाँधी जी के भक्त बन कर अपने को हरिजन कहने में गर्व का अनुभव कर रहे थे वह लोग हरिजन को गाली समझने लगे तथा हरिजन को असंसदीय शब्द घोषित करवाने की मांग उठीं और गाँधी भले ही शेष भारत वर्ष के राष्ट्रपिता रहे हो किन्तु अनुसूचित जाति के लोगो ने गाँधी को उसकी औलाद मान लिया जिसकी औलाद मायावती गाँधी को समझती थी और कहती थी I गाँधी को मायावती ने किसकी औलाद घोषित किया था यह लिखने में लेखनी काँप रही है क्योकि भले ही मै गाँधी का भक्त नहीं हूँ किन्तु फिर भी मायावती से मै इस सीमा तक सहमत हूँ कि वे छिपे हुए मनुवादी थे तथा मनुवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते असहमति के बावजूद मुझे उनसे सहानुभूति  है I
        तनाव के इसी दौर से मनुवादी पार्टी गुजर रही है I अटल बिहारी बाजपेई, मोदी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, अमित शाह के लिए मनुवादी पार्टी उस तरह की गाली गलौज की भाषा का इस्तेमाल तो नहीं कर सकता जैसा मायावती ने गाँधी के प्रति किया था किन्तु मनुवादी पार्टी इन लोगो को सवर्ण समाज का भीष्म पितामह तथा द्रोणाचार्य मानती है I भीष्म पितामह तथा द्रोणाचार्य द्रौपदी का कैबरे डांस नहीं देखना चाहते थे किन्तु जब द्रौपदी का भरी राजसभा में चीरहरण हुआ तो उसे रोकना तो दूर वे उठ कर कमरे के बाहर तक नहीं जा पाए I हमे यह नहीं भूलना चाहिए कि बिना भीष्म पितामह को शरशैया पर लिटा दिए तथा बिना द्रोणाचार्य को रास्ते से हटाये हुए कोई कितना भी पराक्रमी क्यों न हो वह दुर्योधन और दु:शासन तक पहुच ही नहीं सकता I इसी रहस्यमय मंत्र का साक्षात्कार डॉअम्बेडकर साहब नहीं कर पाए थे जिस के कारण अनुसूचित जाति के सर्वोत्कृष्ट व्यक्तित्व होते हुए भी अनुसूचित जातियों के समक्ष यह दृश्य नहीं प्रस्तुत कर पाए कि
         “पितु समेत ले ले निज नामा I
         करन लगे सब दंड प्रनामा II”
की मुद्रा में तिलक, तराजू, कलम और तलवार के दिग्गज प्रतिनिधि
    “मै सेवक समेत सुत नारी”
का उद्घोष करते हुए तन मन धन के साथ उनके चरणों में लेट जाए I दलित की बेटी को दौलत की बेटी बना चुकने के बाद रो रो कर पार्टी छोड़ते समय लोग  इस आशय का उद्घोष करते है और यह लोकोक्ति भूल जाते है कि
         “अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत”
     अगर स्वामी  प्रसाद मौर्या जी से कोई पूछे कि आखिर दलित की बेटी को दौलत की बेटी किसने बनाया तो महत्वपूर्ण शिल्पकारो में कही न कही उनका नाम अवश्य आएगा I केवल एक बार जनता ने मायावती को पूर्ण बहुमत से मुख्यमंत्री बनाया था और वह भी तब जब सतीश मिश्र जी उद्घोष कर रहे थे कि
    “पंडित शंख बजायेगा I
   हाथी बढ़ता जाएगा II”
 तथा शेष तमाम विप्रवन्धु जिनके स्वागत के लिए भाजपा पलक पांवड़े बिछाए हुए है तथा भविष्य में आगमन की व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रही है वे लोग सस्वर जाप कर रहे थे कि –
    “हाथी नहीं गणेश है I
    ब्रह्मा विष्णु महेश है II”

 केवल एक बार को छोड़ कर जितनी बार मायावती मुख्यमंत्री बनी है वह संघ परिवार तथा भाजपा परिवार के आशीर्वाद और सहयोग से I जिन मतदाताओ ने भाजपा को वोट दिया था उनकी भावनाओं को ठुकराकर भाजपा ने युधिष्ठिर की भांति राज्यश्री को मायावती के हाथो सौप कर अपने लिए वनवास सुनिश्चित कर लिया I काल चक्र के साथ मोदी के उदय के बाद जन समान्य में आशा का संचार हुआ तथा मोदी जननायक बन कर उभरे I द्रौपदी को तो जुए में युधिष्ठिर केवल एक बार हारे थे I दूसरी बार जब जुआ हुआ तो युधिष्ठिर ने केवल राज्यश्री को जुए में दाव पर लगाया तथा अपने भाइयो और द्रौपदी को जुए में दुबारा दाव पर नहीं लगाया I मोदी जी तो सवर्णों और पिछडो पर अत्याचार की पराकाष्ठा कर दिए I प्रोन्नति में आरक्षण का उल्लेख पहले किया जा चुका है I अपने से बीस साल जूनियर लोगो के अधीन काम करने के लिए सवर्णों तथा पिछडो को मजबूर करने का संकल्प मोदी जी ले चुके है तथा छप्पन इंच के सीने वाले ने यह निर्णय ले लिए है कि जब तक वे जिन्दा है कोई भी कोई उन्हें अपने संकल्प से डिगा नहीं सकता चाहे वे स्वयं सरसंघचालक ही क्यों न हो I हम किसी भी व्यक्तित्व के शरीर की हत्या में विश्वास नहीं रखते किन्तु चुनाव के मैदान में हमें “मोदी मुक्त भारत” तथा “भाजपा मुक्त भारत” का दृढ़ संकल्प लेना होगा यदि हमे अपनी प्रतिष्ठा, गरिमा, मर्यादा तथा जीविका की द्रौपदी का चीर हरण रोकना है I जैसे भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य के जीते जी द्रौपदी के मान-सम्मान की रक्षा का कोई उपाय शेष नहीं था उसी प्रकार मोदी तथा भाजपा को यूपी के विधानसभा चुनाव में लगभग दिल्ली वाली स्थिति में पहुचाने के अलावा सवर्णों तथा पिछडो के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है I याद रखिये अगर मोदी तथा भाजपा का सम्पूर्ण राजनैतिक विनाश दिल्ली तथा  बिहार की भांति सुनिश्चित नहीं किया गया तो बैकलॉग तथा प्रमोशन में रिजर्वेशन का कानून उसी तरह एक झटके में पारित हो जाएगा जिस तरह से अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम में व्यापक संशोधन कर के इस अधिनियम को उस युग के कानून  से हजार गुना कड़ा कर दिया गया है जो मायावती के समय में लागू था क्रमशः 

No comments:

Post a Comment