मनुवाद का मोदी के SC/ST Act 2016 एवं निजी क्षेत्र में आरक्षण के विरूद्ध
संघर्ष का फार्मूला
भाग -1
मनुवादी पार्टी
लोग प्रायः इस बात पर नर्वस दिखते
हैं कि हमारी आबादी बहुत कम है तथा संख्या के अंकगणित में हम कहीं खड़े नहीं हो
सकते | यह हीन भावना से ग्रस्त मानसिकता वालों की सोच है | हम इस लेख में सिद्ध कर
रहे हैं कि हमारी आबादी 98% से अधिक है | कैसे ? पढ़े और समझे |
यह ब्राह्मण/क्षत्रिय/वैश्य/कायस्थ/सवर्ण
पार्टी नहीं है - यह मनुवादी पार्टी है | 'मनुवादी' शब्द की व्याख्या यदि मनु,
चाणक्य, शंकराचार्य, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी करपात्री जी महराज, स्वामी
विवेकानंद, महात्मा गाँधी, गुरूजी गोलवलकर के अर्थ में की जाय तो सारा संसार
मनुवादी है तथा यदि कोई हिस्सा मनुवादी नहीं है, तो उसे मनुवादी बनाना है - "कृण्वन्तो
विश्वमार्यम |" केवल Islam को expansionist कहना तथ्यों से मुंह चुराना है | हर धर्म विस्तारवादी होता है | इसाई धर्म
सबको 'Sinner' मानता है और crusade में विश्वास रखता है | अंग्रेज तथा यूरोपीय इसे
Whiteman's burden मानते हैं कि सारी दुनिया को 'राहे रास्त' पर लाया जाय | केवल
मुसलमान ही किसी को काफ़िर घोषित नहीं करते - सनातन धर्म भी विधर्मियों को म्लेच्छ,
अनार्य तथा राक्षस आदि विशेषणों से संबोधित करता है | सबको आर्य बनाने के mission
के साथ ही दयानंद आदि सन्त समाज सेवा की ओर अग्रसर होते हैं |
यदि मनुवाद को इसके विपरीत उस
अर्थ में लिया जाय जिस अर्थ में मनुवाद को डा. अम्बेडकर, लोहिया, मायावती, मुलायम,
मोदी आदि द्वारा समझा जाता है, तो उस अर्थ में भी मनुवाद व्यापक है | क्या
अनुसूचित जातियों में भी तमाम जातियां उपजातियां नहीं हैं, जो परस्पर वैवाहिक
संबंध पारम्परिक रूप में अपवादों को छोड़कर नहीं स्थापित करतीं | क्या यह जाति व्यवस्था
में विश्वास नहीं है | क्या इसे सवर्णों या पिछड़ों ने रोक रखा है ? दर्जनों
जातियां आपस में प्रथम चरण में जातिव्यवस्था क्यों नहीं तोड़ पा रही हैं ? वे आपस
में एक दूसरे से बड़ा मानती हैं - यही मनुवाद है |
यादव/अहीर ब्राह्मणों तथा
क्षत्रियों से समानता चाहते हैं, किन्तु वे दलितों को समानता देने के पक्षधर नहीं
हैं | मायवती ने अपनी वाणी को मुखरित करना चाहा, तो उन्हें लोहिया के 82% के
संघर्ष का असली चेहरा स्टेटगेस्ट हॉउस में देखने को मिला | 82% के संघर्ष का
आह्वान करने वाले भी कितने धुरंधर मनुवादी हैं -इसे प्रमाणित करने के लिए उन्हें किसी
साक्ष्य की आवश्कता नहीं है |
एक बार एक दावत में सपा के एक शीर्षस्थ
नेता ने कहा कि आपकी आबादी बहुत कम है | मैंने पूंछा कि 'आप मेरे मकड़ जाल के बाहर कहाँ
हैं - आप भी तो मनुवादी हैं |' हमने कहा कि बच्चों की सौगंध खाकर कह दीजिये यदि आप
को बराबर तनख्वाह मिलती तथा चौका बरतन, झाडू पोंछा करना होता तो आप किसी ब्राह्मण,
नाई या अनुसूचित जाति में किसके घर का domestic servent बनना पसंद करते तथा इसके
बाद निर्धारित करें कि आप मनुवादी हैं या नहीं |
ब्रह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा
कायस्थ की संख्या कम हो सकती है किन्तु जो व्यक्ति या समाज वृहद स्तर पर arranged
inter - cast marriages नहीं कर रहा है, वह हर व्यक्ति या समाज मायावती की परिभाषा
से मनुवादी है | यदि किसी पिछड़े या अनुसूचित जाति के व्यक्ति का वर्णाश्रम
व्यवस्था में विश्वास है तो वह मनुवादी है तथा यदि वह वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास
नहीं रखता तथा ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र इस वरिष्ठता सूची में आस्था नहीं
रखता तो वह जनेश्वर मिश्र की तरह समाजवादी है और सतीश मिश्र की तरह बसपाई है | मनुवादी
एक विचारधारा है एक जाति नहीं है ठीक वैसे ही जैसे साम्यवादी पार्टी एक विचारधारा
है | भारत की 98% आबादी मनुवादी है क्योंकि अभिभावक द्वारा तय की गई अधिकांश शादियाँ आज की तारीख में भी अपनी जाति में ही होती हैं
तथा मायावती की भाषा में यही मनुवाद है |
डा. अम्बेडकर जाति व्यवस्था के
मकड़जाल से छूटने के लिए बौद्ध हो गए | सर्वाधिक मानव समानता की व्यवस्था इस्लाम
में है -
एक ही सफ में खड़े हो गये महमूदो अयाज |
न कोई बन्दा रहा, न कोई रहा बंदा नेवाज |
किन्तु मनुवाद से क्या इस्लाम उबर पाया ? इसका जवाब मौलाना हाली ने दिया है -
वो दीने हजाजी का बेबाक बेड़ा
निशा जिसका अक्शाए आलम में पहुंचा
न जैहूँ में अटका
न कुलजम में झिझका
मुकाबिल हुआ
कोई खतरा न जिसका
किया पैसपर जिसने सातों समन्दर
वो डूबा दहाने में गंगा के आकर
क्या परिणाम रहा इस cultural war का - सुनिये अल्लामा इकबाल की जुबानी -
जिनकी अजाओं से जहाँ में
डंका बजा तौहीद का
वे नमाजे हिन्द में
नजरें - बरहमन हो गईं
इतना ही नहीं और भी सुनें -
वो दीं जिससे तौहीद फैला जहाँ में
वो बदला गया आ के हिदोस्तां में
'जवावी शिकवा' में 'शिकवा'के उत्तर में अल्लामा इकबाल ने लताड़ लगाई है -
शेख हो, सैयद हो, पठान हो तुम
सच बताओ कि मुसलमान हो तुम
जब तक खां साहब के रिश्तेदारान अंसारियों के यहाँ रूटीन में रिश्ता नहीं बना
रहे हैं, तब तक डा. अम्बेडकर और मायावती की परिभाषा में धर्म भले बदल गया हो - पर
मनुवाद कायम है |
मायावती की मनुवाद का ही दूसरा
नाम वंशवाद है | एक जमाना था जब लोहिया, जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेंद्रदेव जैसे
विचारक कोस - कोस कर मनुवाद/वंशवाद की आलोचना करते थे | मायावती के शब्दकोष में
मनुवाद का ही दूसरा नाम वंशवाद है | मैं एक लेखमाला Neo - Casteism पर लिख रहा हूँ
- 'नव जातिवाद' पर | कैसे नई जातियां पैदा हो रही हैं | नेता एक जाति हो गई, वकील
या डाक्टर एक जाति हो गए - सिनेमा के ऐक्टर एक जाति हो गए - तमाम जातियां नई
उत्पन्न हो रही हैं | पैतृक पेशे में बिना aptitute तथा competence के उतरना ही
जातिवाद है | तब तक ऊँगली नहीं उठी जब तक वशिष्ठ का स्थान पराशर व्यास और शुकदेव
लेते रहे | पर जब वंशवाद ने योग्यता को विस्थापित कर दिया तो हाहाकार मच गया | आज
फिर वंशवाद का विकृत रूप सामने है | कब तक किसी राहुल गाँधी के लिए प्रशांत किशोर
प्रियंका को ढाल बनायेंगे ?
इसी प्रकार ब्राह्मण स्तब्ध रह
गया था जब अटल जी ने संविधान को बदल कर - माननीय सुप्रीमकोर्ट द्वारा सवर्णों को
दिए गए न्याय को छीन लिया था - backlog तथा reservation in promotion का कानून बनाकर
जिसे माननीय सुप्रीमकोर्ट ने पुनः
असम्बैधानिक घोषित कर दिया | पूरे उत्तर प्रदेश से अटल जी को छोड़कर एक भी ब्राह्मण
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से लोकसभा में नहीं पहुँच पाया | अटल जी के
अत्याचारों के खिलाफ शारदा प्रसाद त्रिपाठी ने 'मनुवादी पार्टी' की स्थापना करके हुंकार
भरी तथा अटल जी की सीट को अपवाद मान लें तो भाजपा लोकसभा में ब्राह्मण शून्य हो गई
| बिहार में किसी पत्रकार ने विधान सभा के चुनावों का सही विश्लेषण नहीं किया है |
जितने क्षत्रियों तथा भूमिहारों को बिहार में टिकट मिला था, वे काफी संख्या में
जीते किन्तु जो टिकट ब्राह्मणों को मिले, उनमे लगभग अटल युग का इतिहास दुहरा दिया
गया तथा इक्का दुक्का अपवादों को छोड़कर बिहार में विधानसभा में भाजपा ब्राह्मण
शून्य हो गई | इसी प्रकार 'पिछड़ा Chief minister' के नारे के कारण यादव विधायक
प्रत्याशी भी लगभग थोक में भाजपा में हार गए | यू.पी. के चुनाव में प्राइवेट
सेक्टर की आरक्षण की Report submit होने से और विचित्र स्थिति पैदा हो गई है |
सबको पता है कि जैसे V.P. सिंह ने अकस्मात मण्डल कमीशन लागू कर दिया, वैसे ही मोदी
2019 के चुनाव के चुनाव के पूर्व सत्ता से पदच्युत नहीं हुए, तो प्राइवेट सेक्टर
में Reservation लागू कर देंगे | उनके सहयोगी मंत्री रामविलास पासवान ने अभी से
माहौल को गर्माना चालू कर दिया है | इस scenario के बाद कायस्थों का मनुवादी
पार्टी में प्रवेश थोक के भाव बढ़ रहा है | Sc/St Atrocities Act के 2016 के संशोधन के बाद क्षत्रिय और भूमिहारों को भाजपा कैसे संभालेगी - 2
माह में मुकदमों का फैसला होना प्रारम्भ हुआ तो अथाह संख्या में क्षत्रिय, जाट,
कुर्मी जो trial झेल रहे हैं, उनमे हलचल आएगी तथा दसियों साल से जो मुकदमे लंबित
थे, उनमे भाजपा के इन traditional voters में वैसे ही panic आएगा जैसे आरक्षण के
बारे में गलत निर्णयों के कारण अटल जी का 'feel good' हवा हवाई हो गया था तथा
भाजपा ब्राह्मण शून्य हो गई थी तथा मोदी और शिवराज की ललकार सुनकर बिहार के 'बामन
बछिया' ने बिहार में भाजपा को 'ब्राह्मण शून्य'कर दिया | अब Act 2016 के संशोधन
तथा 2 माह में निर्णय का कानून भाजपा के बाहुबली traditional voters को भजपा के
विरूद्ध negative voling के लिए मजबूर कर देगा | यदि यू.पी. में भाजपा कांग्रेस की
स्थिति में आ जाये, तो भाजपा विवश हो जाएगी कि आरक्षण के नाम पर तथा अनुसूचित जाति
संशोधन Act 2016 के नाम पर हाहाकार मचाने वाले मोदी को अडवाणी जी का पड़ोसी बना दें
| Act 2016 को कोई पढ़ ले तो रोंगटे खड़े हो जायेंगे | यदि किसी सवर्ण/पिछड़ी महिला
से gang rape हो जाये तो सालों मुकदमा चलने पर judgement आएगा - तब तक गवाह टूट
चुके होंगे तथा यदि किसी दलित महिला को कोई घूर कर देख ले तो इसका निर्णय 2 माह
में आएगा | यह Right to equality का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है - संविधान की आत्मा
के विरूद्ध है | क्या सवर्ण और पिछड़ी महिला की इज्जत इज्जत नहीं है - इसके विरूद्ध
हम सडक पर नहीं उतरेंगे और न ही कोई ज्ञापन देंगे और न ही धरना - प्रदर्शन करेंगे
| हमारा विश्वास न तो हिंसक संघर्ष में और न ही अहिंसक संघर्ष में | हम
transferable votebank का निर्माण करते हैं तथा हमारा votebank इतना trained होता
है कि वह negative voting करके हमारी ओर आँख उठाकर देखने वालों को अच्छी तरह देख
लेता है | 2017 के यू.पी. के चुनाव परिणामों के बाद केशवदेव मौर्य तथा कलराज मिश्र
जैसे लोग यू.पी. की एक विधान सभा सीट से भी खाता खोल ले तो हम इसे अपनी नैतिक
पराजय मान लेंगे तथा समीक्षा करेंगे | जितने लोग Sc/St Act में trail झेल रहे हैं,
केवल उनके परिवार वालों और निकट संबंधियों की सूची बना कर उनको negative voting के
लिए train कर दिया जाय - इतना ही भाजपा को इस सीमा तक झकझोर देगा कि 2017 में Act
2016 repeal हो जायेगा तथा private sector में reservation की आवाज बुलंद करने वाले
रामविलास पासवान को मंत्रिमण्डल से drop करना पड़ेगा | मोदी जी भी तब तक यू.पी. की performence
के बाद 2019 की चुनौती के मद्देनजर मार्गदर्शक मण्डल में बैठाये जा चुके होंगे |
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि
हम अल्पसंख्यक नहीं हैं | अल्पसंख्यक ब्राह्मण हो सकता है, अल्पसंख्यक क्षत्रिय हो
सकता है, अल्पसंख्यक वैश्य हो सकता है किन्तु मनुवादी अल्पसंख्यक नहीं है |
शंकराचार्य, दयानन्द, विवेकानंद, करपात्री जी महराज, गुरूजी गोलवलकर, महात्मा
गाँधी ने मनुवाद को जिस अर्थ में समझा है, उस अर्थ में 100% विश्व मनुवादी है तथा
अम्बेडकर, लोहिया, मायावती, राहुल, कन्हैया मनुवाद की जो व्यख्या करते हैं, उसके
अनुसार 98% आबादी मनुवादी है | स्टेट हॉउस काण्ड के प्रणेता तथा उनके अनुयायी
मनुवादी हैं - यह मायावती जी को अच्छी तरह पता है | कांग्रेस मनुवाद की 'A' team
है तथा भाजपा मनुवाद की 'B' team है - यह मेरी गर्वोक्ति नहीं है - यह मायावती का कड़वा
अनुभव है | गाँधी जी ने दलितों को 'हरिजन' कहकर अपमानित किया - यह अम्बेडकर साहब
तथा मायावती जी जानते हैं तथा हमें उन्हें brainwash करने की जरूरत नहीं है | यही
उनके अर्थों में मनुवाद है | रोहित दोषी है या नहीं - इस पर किसी निर्णय पर न पहुच
पाना - रोहित के लिए आँसू बहाना तथा आत्महत्त्या के आरोपियों को संरक्षण देना ही
मनुवाद है - यह मायावती जानती हैं | जब मायावती तथा अम्बेडकर हमें बहुसंख्यक मानते
हैं - तो जो सवर्ण बुद्धिजीवी अपने को अल्पसंख्यक घोषित करते हैं - वे defeatist
mentality तथा inferiority complex के शिकार हैं | (क्रमशः...)