Sunday, 22 May 2016

भाग- 2 परशुराम जी का ब्राह्मण - क्षत्रिय समाज के नाम खुला ख़त

भाग- 2
परशुराम जी का ब्राह्मण - क्षत्रिय समाज के नाम खुला ख़त 
ब्राह्मण क्षत्रिय एकता का राम - परशुराम फार्मूला
द्रोणाचार्य - द्रौपदी ब्राह्मण क्षत्रिय एकता के मानक 
शमीक फार्मूला 
जनमेजय का नाग - यज्ञ 
 परशुराम जी बोले जमदग्नि मेरे पिता हैं।  उनकी साधना करो। तब परशुराम प्रकट होंगें। आज जिन हाथों में फर्शा उठाने की शक्ति प्रतीत होती है, जो आज हमें माला पहनाने के लिए आमंत्रित किए जाते हैं, जो हमारी स्मृति में बुलाई गई गोष्ठियों में आयोजकों द्वारा आहूत होते है, वे कौन हैं जरा उन चेहरों को पहचानों। वे वे चेहरे हैं, जो द्रोणाचार्य द्वारा एक अंगूठा की दक्षिणा लेने के एवज में लाखों/करोडों अंगूठों की दक्षिणा ले चुके हैं आरक्षण के नाम पर तथा अब प्राइवेट सेक्टर में रिजर्वेशन का आह्वान  कर रहे हैं।  हमारा जयकारा करके लोग उनका जयकारा करते हैं, जो हमारे दरवाजे से हमारी गाय खोलकर ले जाना चाह रहे हैं। परशुराम अकेले असहाय हैं। जब कोई जमर्दिग्न गला कटाता है, तब मॉं रेणुका 21 बार छाती पीटती है तथा 21 राउण्ड फर्शे का आपरेशन चलता है।
            मैं क्षत्रिय कुल द्रोही नही हॅूं।  मैंने क्षत्रिय कन्या का दूध पिया है। मेरे मामा विश्वामित्र क्षत्रिय थे। सहस्त्रबाहु जिसका मैंने वध किया, वह मेरा मौसा था। मैंने कभी दशरथ या जनक के विरुद्ध सैन्य अभियान नहीं चलाया। क्षत्रिय से मेरा कोई संघर्ष नहीं। क्षत्रिय से संघर्ष करने वाला ब्राहमण बाभनकहलाता है तथा ब्राहमण से संघर्ष करने वाले क्षत्रिय को ठाकुरकहते हैं। बाभनऔर ठाकुर में संघर्ष होता है-ब्राहमण तथा क्षत्रिय में कोई संघर्ष हो ही नहीं सकता है। ठकुराइनस्वभाव की शर्मिष्ठा/गुर कन्या देवयानी को भिखारिन कहती है। इसके उत्तर में बभनईदिखातें हुए देवयानी कहती है कि देवताओं ने धरती ब्राहमणों को दी है तथा ब्राहमणों ने उसे बटाई पर क्षत्रियों को दे दी। जैसे कोई दरवाजे पर कुत्ता पाल लेता है, वैसे अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए क्षत्रियों को पाल लिया गया। यह वार्तालाप बभनईतथा ठकुरैतीके हैं।  ब्राहमण क्षत्रिय में संघर्ष का कोई बिंदु नही। ठाकुर स्वभाव के लक्ष्मण  कहते हैं-
कबहुं न मिले सुभट रन गाढे़,
द्विज देवता घरहिं के बाढे़।
क्षत्रिय स्वभाव के राम घोषणा करते हैं-
विप्र वंस कै असि प्रभुताई,
अभय रहहिं जो तुम्हहिं डेराई।
ठाकुर जब किसी ब्राहमण हो दान देता है, तो उसमें अहंकार आता है कि मैंने दान किया तथा वह दान भिक्षा में बदल जाता है। क्षत्रिय जब दान देता है तब कृतज्ञ होता है कि ब्राहमण ने उसका दान लेने की कृपा की तथा उसके एवज में दक्षिणा देता है।
            ब्राहमण को जब क्षत्रिय भोजन कराता है धन्य महसूस करता है कि ब्राहमण ने उसका भोजन ग्रहण करने की कृपा की तथा इसके प्रतिकर में वह भोजन के बाद दक्षिणा अलग से देता है।  ब्राहमण भी भोजन तथा दान पाने के बाद उसे अन्नदाताकहता है, उसको अपमानित नही करता।
            ‘ठाकुरको बाभननिहुर आर्शीवाद देता है, जैसे कलराज मिश्र जी राजनाथ सिंह को देते हैं। प्रश्न उठता है कि यह निहुर-आर्शीवादक्या है? अवध (फैजाबाद, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अम्बेडकर नगर, अमेठी, गोण्डा, वाराबंकी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर) के ठाकुर को सामने आते देख वहॉं का बाभनचीखने लगता है - महाराज की जय हो, कल्याण हो। बाभन इस बात की प्रतीक्षा नहीं करता कि ठाकुर प्रणाम करे-वह आर्शीवाद की बौछार पहले ही झोंक देता है।  ठाकुर भी प्रसन्न हो जाता है-वह भीख देने की मुद्रा में दान देता है तथा आर्शीवाद पाने के बाद अकड़कर बिना झुके प्रणाम करता है।
            ब्राहमण भीख नहीं लेता-ब्राहमण दक्षिणा लेता है। भिक्षा ब्राहमण का धन है।  किसी के प्रणाम अर्पित करने के बाद ब्राहमण आर्शीवाद देता है-पहले से ही जयकारा लगाना चालू नहीं करता। बाभन पहले से ही आर्शीवाद देना प्रारम्भ करता है।
            ब्राहमण और क्षत्रिय एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।  ब्राहमण थ्योरी है, क्षत्रिय प्रैक्टिकल क्रमशः...























Tuesday, 10 May 2016

मनुवाद का मोदी के SC/ST Act 2016 एवं निजी क्षेत्र में आरक्षण के विरूद्ध संघर्ष का फार्मूला
भाग -2
मनुवादी पार्टी
यदि हम अल्पसंख्यक हैं, तो बहुमत में कौन है ? हरियाणा में गैर - जाट सरकार तथा महाराष्ट्र में गैर - भाजपा सरकार का बन जाना यह साबित करता है कि भारत में किसी प्रान्त में किसी जाति का बहुमत नहीं है | मायावती लोकसभा में 0 हो गईं - केवल तिलक मिट जाने से | भारत में किसी जाति का किसी प्रान्त में - यहाँ तक कि किसी एक सीट पर बहुमत नहीं है |
      यह कहना है कि मनुवाद के नाम पर कोई हमारे साथ नहीं आयेगा - यह भ्रम है | थोक के भाव से अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग, तथा अल्पसंख्यक समाज के लोग हमारे साथ आ रहे हैं | हमारे एक अनुसूचित प्रकोष्ठ के पदाधिकारी को बसपा के कुछ नेताओं ने बहकाने का प्रयास किया कि 'तुम कहाँ फस गए पण्डितों के मकड़जाल में' तो उसने सधा सा उत्तर दिया - 'बहन मायावती से कह दें कि वे सतीश मिश्र तथा अन्य ब्रह्मणों को बसपा से निकल दें - हम मनुवादी पार्टी से इस्तीफा दे कर बसपा में आजायेंगे | वे अपने मतलब के लिए सतीश मिश्र से हाँथ मिलावें तो ठीक है और हम अपने मतलब के लिए मनुवादी पार्टी में शामिल हो तो बुरा है |' बसपा नेता ने पूछा कि 'तुम्हारा क्या मतलब हल हो रहा है' तो उसने कहा - 'मायावती जी किसी को मंत्री बना सकती हैं, लाल बत्ती दे सकती हैं - पर किसी को ग्राम प्रधान, BDC या जिला पंचायत सदस्य या मेयर/चेयरमैन या सभासद नहीं बना सकती | जब प्रधान या किसी अन्य पद की रिजर्व सीट पर 4 S.C. प्रत्याशी लड़ेंगे तो मायावती जी या उनकी पार्टी का विधायक/सांसद/मंत्री उनमे से किसी का भी समर्थन नहीं कर पायेगा क्योंकि उसे चारों के दरवाजे पर वोट मांगने जाना पड़ता है तथा हर गाँव में एक भी SC प्रत्याशी के होस्टाइल हो जाने पर उस बिधायक/सांसद का राजनीतिक भविष्य समाप्त हो जायेगा | इन 4 SC प्रत्याशियों में वह जीतेगा जिसको मनुवादी चाहेंगे | हमारी औकात मंत्री बनने की नहीं है | 80 विधायक + 16 सांसद = 96 सीटों पर 96 व्यक्तियों को ही BSP टिकट दे सकती है | जिस 97वे व्यक्ति को राजनीति करनी है, वह चाहे बहन जी का कितना भी बड़ा भक्त क्यों न हो, उसे बहन जी का साथ छोड़ना है | कोई विकल्प नहीं | इसके अलावा किसी कचहरी में खड़े होकर देख लीजिये | 80% पुकार में चाहे दीवानी हो या फौजदारी, दोनों पक्ष एक ही जाति के होते हैं | दहेज़, दहेज़ हत्या, तलाक का मुकदमा किससे लड़ेंगे ? मकान, दुकान, खेत का बटवारा किससे करेंगे ? इन मामलों में क्या BSP यह खतरा मोल लेगी कि वह एक पक्ष को hostile कर दे ?' यही बात पिछड़ों पर लागू होती हैं | जितने वोट माता प्रसाद पाण्डे प्रदेश में सपा को मिलेंगे, उससे कई गुना यादव हम गली - गली ढूंढ लेंगे | जहाँ 6 यादव प्रधानी में खड़े होंगे, वहां जिस यादव को खुला वोट हम प्रधानी में देंगे तथा चुनाव में प्रचार करेंगे, वह विधायक तथा सांसद के चुनाव में या तो हमारा खुलकर प्रचार करेंगे अन्यथा भविष्य में कभी प्रधान/BDC बनने लायक नहीं बचेंगे | Local Bodies का election जातिवादी शक्तियों की सबसे कमजोर नस है प्रधान/BDC/जिलापंचायत का चुनाव अभी दूर है पर मनुवादी पार्टी विधानसभा के चुनाव 2017 के पहले पिछड़ी/अनुसूचित जाति के प्रधान/BDC/जिलापंचायत के सदस्य घोषित कर देगी | ये समस्त हमें विधानसभा चुनावो में खुला समर्थन देंगे | हर गाँव में पिछड़ा प्रधान प्रत्याशी, पिछड़ा महिला प्रधान प्रत्याशी, पिछड़ा BDC प्रत्याशी, पिछड़ा महिला BDC प्रत्याशी अभी से तय करने जा रहे हैं | इसी प्रकार से 4 अनुसूचित जाति प्रत्याशी उपर्युक्त वेराइटी के हर गाँव में हम तय कर लेंगे | इस प्रकार हर गाँव में 4 जनेश्वर मिश्र के लघु संस्करण तथा 4 सतीश मिश्र के लघु संस्करण हम ढूढ़ लेंगे | जैसे Advocate General/मंत्री बनने के लिए सतीश मिश्र मायावती के साथ खड़े होते हैं, वैसे ही ग्राम स्तर के 4 मजबूत पिछड़े तथा 4 मजबूत अनुसूचित जाति से सम्बंधित लोग प्रधान बनने के लिए हमारे सहचर होंगे |
      अंतिम यक्ष प्रश्न - यदि आरक्षण विरोधी समाज इसी तरह nervous बना रहा तथा वही साथ नहीं आया तो क्या होगा ?
'बाल समय रवि भक्षि लियो
तब तीनहुं लोक भयो अंधियारों' |
मनुवादी पार्टी की शक्ति को शारदा प्रसाद त्रिपाठी बालरूप में अटल जी के सामने प्रदर्शित कर चुके हैं | तब से हम बहुत मजबूत हो चुके हैं | मुख्यमंत्री के रूप में जब राजनाथ सिंह जी हैदरगढ़ से चुनाव लड़े थे, तो अपने सूत्रों से पता कर लें कि R.D. शर्मा कौन थे ? 1400 वोट कांग्रेस पाई थी, 800 वोट अपना दल तथा Zero Budget पर - बिना किसी के दरवाजे पर वोट मांगे - 2800 वोट R.D. शर्मा को मिले थे |

      Israeli अमेरिका में microscopic minority में है | पर वे अपनी terms and conditions American President को dictate करते हैं | ऐसे ही हम यदि जमानत भी न बचा पावें, मात्र 5000 का वोट बैंक प्रति विधानसभा बना पावें तो 'पितु समेत लै - लै निज नामा | करन लगे सब दण्ड प्रणामा | की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी | धरना प्रदर्शन तथा सड़क का संघर्ष धरती पुत्रों का काम है | मनुवादी पार्टी में देव पुत्र नाक दबाकर transferable votebank की साधना कर रहे हैं | transferable votebank (जिसका vote निर्देश पर transfer हो सके) प्रजातंत्र का Atom Bomb है | विभिन्न पार्टियों के heroes जो मंच पर चढ़ कर पानी पी - पी कर मनुवाद को कोसते हैं , वे मनुवादी दरबार में अपनी पार्टी से ticket पक्का होते ही हाजिरी लगाने को मजबूर हो जा रहे हैं | मत घबड़ाओ अपने को अल्पसंख्यक समझकर | जैसे डमरू बजने पर भालू बन्दर नाचने लगते हैं, वैसे ही मनुवादी डमरू बजते ही राजनीति स्वयं नर्तन करने लगेगी | इसके लिए मात्र 1% votebank की जरूरत है, जो transferable हो | जो वोट अभी मनुवाद को समर्पित नहीं हैं किन्तु अपने कारणों से बेचैन हैं हम उन्हें transferable वोट बैंक का प्रशिक्षण दे रहे हैं तथा हरियाणा के जाटों और हार्दिक पटेल के चेलों से अपील कर रहे हैं कि बिना किसी हिंसा के तथा बिना किसी अहिंसा के अपनी वोटों को transferable बनाकर सत्ता को उलट दो भावी सत्ता अपने विनाश के डर से तुम्हारे चरणों में लेटेगी | यह सत्ता के खानदानी शफाखाने की कुंजी है | हमारे पूर्वज जंगल में नाक दबाकर तपस्या करते थे | न कोई ज्ञापन दिया जाता था न कोई धरना न कोई प्रदर्शन | जब कोई महर्षि वरतन्तु का शिष्य कौत्स किसी चक्रवर्ती सम्राट रघु के दरबार में पहुंचता था तो महाराज रघु का ये उत्तर पर्याप्त नहीं माना जाता था कि अभी कल ही आप के भाई बन्दों ने विश्वजित यज्ञ पूरा कराया है तथा मै केवल मूंज की लंगोटी पहने हूँ तथा मेरे पास पहनने को तन पर कपड़े तक नहीं हैं | शिष्य का सपाट सा जवाब आया कि हम कारण पूछने नहीं आये हैं समस्या का समाधान आप का दायित्व है | रघु को निर्णय लेते देर नहीं लगी तथा उन्होंने सेना को आदेश दिया कि कुबेर पर चढ़ाई कर दो | बिना चढ़ाई किये ही कुबेर ने अवस्कता से अधिक स्वर्ण मुद्राएँ अर्पित कर दी | प्रजातंत्र में यह extra constitutional authority बनने के लिए मात्र 1% votebank की जरूरत है जो transferable हो तथा किसी एक केन्द्र के इशारे पर संचालित होता हो | भाजपा ने 2016 में SC/ST Act में एकतरफा संशोधन किये हैं कि किसी सवर्ण या पिछड़े व्यक्ति की बहू बेटी से सामूहिक बलात्कार हो जाये तो भी दसियों साल तक उसे मुकदमा लड़ना पड़े तथा यदि कोई अनुसूचित जाति की महिला को कोई आँख उठा कर देख ले तो इसका जजमेंट स्पेसल कोर्ट को 2 माह के अन्दर देना होगा | यदि कोई सवर्ण या पिछड़ी महिला किसी कामुक पुरुष के इशारों के आगे न झुके तथा वह कामुक पुरुष उस सवर्ण या पिछड़ी महिला के हाथ पैर तोड़ दे तो कानून के अनुसार यह एक साधारण जमानती जुर्म है तथा fracture होने के बावजूद पुलिस को या न्यायालय को ये अधिकार नहीं है कि वे अपराधी को 24 घंटे भी जेल में रख सकें | अधिकतम यह अपराध 325 IPC का बना तथा जमानती जुर्म होने के कारण अभियुक्त को न थाने की हवालात में रखा जा सकता है और न ही जेल में judicial custoudy में | खड़े - खड़े जमानत देने के लिए बिना 10 मिनट भी कस्टडी में रखे बापस लौटने के लिए छोड़ देना - यह पुलिस और न्यायलय की मजबूरी है | इसके विपरीत यदि किसी अनुसूचित जाति की महिला की ओर कोई केवल आँख उठा कर देख ले तो यह गंभीर अपराध है तथा बिना किसी मेडिकल के वह व्यक्ति गंभीर आरोपों से लद उठेगा | स्टेट गेस्ट हॉउस कांड में मायावती जी के स्वयं interested होने के वावजूद सालों तक मुकदमा चला तथा ये विचित्र विडम्बना रही कि उसके अभियुक्त बसपा में चले गए और उसके गवाह सपा में चले गए | यही भारतीय संस्कृत की विशेषता है कि वह समय के साथ घावो के भरने में विश्वास रखती है | यही मनुवाद है | अब दोनों पक्षों के चाहने पर भी वक्त घाव नहीं भर पायेगा तथा कोई सुलह नहीं हो पायेगी फैसला 2 महीने में आ जायेगा | अनुसूचित जाति की महिला की ओर आँख उठा कर देखने वाले व्यक्ति की आँखों में कामुकता तैर रही थी या नहीं - इसके लिए किसी गवाह की आवश्कता नहीं है मात्र उस महिला का व्यान तथा उसका अपना आकलन ही पर्याप्त माना जायेगा | अभी सभी मामलों का फैसला अगर 10 साल में आता है तो कुछ मामलों में स्पेसल जज बना देने पर अन्य मुकदमे देखने के लिए जजों की संख्या और घट जाने के कारण फैसले का समय बढ़कर 20 साल हो जायेगा | यदि इस Act से पीड़ित तमाम सवर्ण और पिछड़े मात्र एक line का निर्णय लेले कि प्रदेश तथा देश को इस तरह का भेद भाव भरा कानून बनाने वाली भाजपा से तथा मोदी से मुक्त कराना है तो 2017 के चुनाव में केवल जितने लोगों पर मुकदमे लंबित हैं मात्र उनके तथा उनके रिश्तेदारों के tactical negative voting कर देने से विधानसभा चुनाव में भाजपा का खाता नहीं खुलेगा | यदि आरक्षण विरोधी तत्व इसमें और सम्मिलित हो जायें और यह मानें कि बाबासाहब अम्बेडकर से 1000 गुना खतरनाक मोदी हैं जो स्वयं बाबासाहब के पुनर्जन्म ले कर मांग करने पर भी आरक्षण को नहीं ख़तम करेंगे तथा प्राइवेट सेक्टर में reservation की आवाज को बुलंद करने वाले रामविलास पासवान को मंत्रिमंडल से निकालने के लिए तथा जिस प्रकार मण्डल कमीशन का खतरा V.P.सिंह के time में मंडरा रहा था उसी प्रकार प्राइवेट सेक्टर में reservation का खतरा पुनः  व्याप्त हो गया है तथा 2019 के पूर्व कभी भी इसके लागू होने की घोषणा हो सकती है तो उन आरक्षण विरोधियों के negative voting का निर्णय लेते ही उत्तर प्रदेश भाजपा मुक्त हो जायेगा तथा 2019 के भयावह परिणामों से बचने के लिए भाजपा मोदी मुक्त हो जाएगी | विद्यार्थियों को सडक पर उतर कर तोड़ फोड़ करने की आवश्कता नहीं है | विद्यार्थियों को कहीं भी धरना प्रदर्शन करने की आवश्कता नहीं है कोई ज्ञापन देने की आवश्कता नहीं है | कौन पढता है ज्ञापन को ? विद्यार्थियों को चाहिए कि अपने माता पिता चाचा बाबा फूफा मौसा साले ससुर बहन बहनोई के दरवाजे पर लेट कर भूख हड़ताल करें तथा यह संकल्प करा कर उठे कि अब वे भविष्य में किसी आरक्षण समर्थक को अपना वोट नहीं देंगे | यह अपने रिश्तेदार न तो लाठी चार्ज कर पाएंगे न तो आंसू गैस के गोले छोड़ पाएंगे और न ही धारा 144 का लाभ इन्हें मिलेगा | 2016 के Act के आधार पर तथा आरक्षण पर मोदी और शिवराज के स्टैंड पर यदि अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्ण शांतिपूर्ण ढंग से 2017 के चुनाव में भाजपा को 0 सीट पर लादे तो भविष्य में कोई मोदी तथा शिवराज सिंह बिना अपनी मानसिकता बदले शीर्ष पर नहीं जा पायेगा | मोदी जी को हम देश के विकास की बात करके हम अपने वोटरों को धोखा दे कर निजी क्षेत्र में आरक्षण और SC/ST Act 2016 लागू करके उन वोटरों की नीद हराम कारने नहीं देंगे जिन्होंने इस धोखे में मोदी और बीजेपी को वोट दिया कि वे विकास करेंगे तथा प्रतिभा पलायन को रोकेगे तथा कम से कम न्याय की बात करेगे पूर्णतया अन्यायी नहीं बनेगे कि अपने ही अपनों का गला काट ले | हम भारत को पुनः प्रतिभा पलायन से मुक्त करके जगत गुरू बनाने का प्रयास करेंगे जिससे भारत पुनः दिग्विजयी बन सके तथा सोने की चिड़िया बन सके |

Monday, 9 May 2016

भाग -1
परशुराम जी का ब्राह्मण - क्षत्रिय समाज के नाम खुला ख़त
ब्राह्मण क्षत्रिय एकता का राम - परशुराम फार्मूला
द्रोणाचार्य - द्रौपदी ब्राह्मण क्षत्रिय एकता के मानक
शमीक फार्मूला
जनमेजय का नाग - यज्ञ
परशुराम - जयंती | अक्षय तृतीया | मन उद्दिग्न था | कई जगहों से आमंत्रण आया | जा न सका | कहाँ जाऊ ? क्या सहस्रबाहु के दरबारियों से हाँथ मिला कर कोई परशुराम संघर्ष कर सकता है | क्या आज परशुराम का आह्वान किया जा सकता है ? समाधिस्थ हो गया | ऐसा लगा, परशुराम जी कुछ सन्देश दे रहे हैं | राम कुछ कह रहे हैं | द्रोपदी और द्रोणाचार्य कानों में कुछ कह रहे हैं | शमीक मुनि कुछ सूत्र दे रहे हैं | जनमेंजय कोई यज्ञ कर रहा है | इसी बीच में समाधि टूटी | 'राम नाम शिव सुमिरन लागे | जाना सती जगत पति जागे |' सारे संदेशों को लिपिबद्ध करने का प्रयास कर रहा हूँ |
      परशुराम जमदग्नि के यहाँ पैदा होते हैं | जमदग्नि जो गला कटा देते हैं, पर अन्याय के आगे समर्पण नहीं करते | आज सभी परशुराम बनने को तैयार हैं | जमदग्नि बनने को कोई तैयार नहीं | पूरे समाज के परशुरामों के लिए जीवन भर गला काटने वाले राधिका प्रसाद पाण्डेय एडवोकेट फैजाबाद को 'जमदग्नि सेना' के गठन के लिए तैयार किया | ईश्वर से प्रार्थना कि वे विचलित न हों |

      अगले अंक में जमदग्नि की अपरिहार्यता पर तथा अन्य बिन्दुओं पर (क्रमशः ...)

मनुवाद का मोदी के SC/ST Act 2016 एवं निजी क्षेत्र में आरक्षण के विरूद्ध संघर्ष का फार्मूला
भाग -1
मनुवादी पार्टी

      लोग प्रायः इस बात पर नर्वस दिखते हैं कि हमारी आबादी बहुत कम है तथा संख्या के अंकगणित में हम कहीं खड़े नहीं हो सकते | यह हीन भावना से ग्रस्त मानसिकता वालों की सोच है | हम इस लेख में सिद्ध कर रहे हैं कि हमारी आबादी 98% से अधिक है | कैसे ? पढ़े और समझे |
      यह ब्राह्मण/क्षत्रिय/वैश्य/कायस्थ/सवर्ण पार्टी नहीं है - यह मनुवादी पार्टी है | 'मनुवादी' शब्द की व्याख्या यदि मनु, चाणक्य, शंकराचार्य, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी करपात्री जी महराज, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी, गुरूजी गोलवलकर के अर्थ में की जाय तो सारा संसार मनुवादी है तथा यदि कोई हिस्सा मनुवादी नहीं है, तो उसे मनुवादी बनाना है - "कृण्वन्तो विश्वमार्यम |" केवल Islam को expansionist कहना तथ्यों से मुंह चुराना है | हर धर्म विस्तारवादी होता है | इसाई धर्म सबको 'Sinner' मानता है और crusade में विश्वास रखता है | अंग्रेज तथा यूरोपीय इसे Whiteman's burden मानते हैं कि सारी दुनिया को 'राहे रास्त' पर लाया जाय | केवल मुसलमान ही किसी को काफ़िर घोषित नहीं करते - सनातन धर्म भी विधर्मियों को म्लेच्छ, अनार्य तथा राक्षस आदि विशेषणों से संबोधित करता है | सबको आर्य बनाने के mission के साथ ही दयानंद आदि सन्त समाज सेवा की ओर अग्रसर होते हैं |
      यदि मनुवाद को इसके विपरीत उस अर्थ में लिया जाय जिस अर्थ में मनुवाद को डा. अम्बेडकर, लोहिया, मायावती, मुलायम, मोदी आदि द्वारा समझा जाता है, तो उस अर्थ में भी मनुवाद व्यापक है | क्या अनुसूचित जातियों में भी तमाम जातियां उपजातियां नहीं हैं, जो परस्पर वैवाहिक संबंध पारम्परिक रूप में अपवादों को छोड़कर नहीं स्थापित करतीं | क्या यह जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं है | क्या इसे सवर्णों या पिछड़ों ने रोक रखा है ? दर्जनों जातियां आपस में प्रथम चरण में जातिव्यवस्था क्यों नहीं तोड़ पा रही हैं ? वे आपस में एक दूसरे से बड़ा मानती हैं - यही मनुवाद है |
      यादव/अहीर ब्राह्मणों तथा क्षत्रियों से समानता चाहते हैं, किन्तु वे दलितों को समानता देने के पक्षधर नहीं हैं | मायवती ने अपनी वाणी को मुखरित करना चाहा, तो उन्हें लोहिया के 82% के संघर्ष का असली चेहरा स्टेटगेस्ट हॉउस में देखने को मिला | 82% के संघर्ष का आह्वान करने वाले भी कितने धुरंधर मनुवादी हैं -इसे प्रमाणित करने के लिए उन्हें किसी साक्ष्य की आवश्कता नहीं है |
      एक बार एक दावत में सपा के एक शीर्षस्थ नेता ने कहा कि आपकी आबादी बहुत कम है | मैंने पूंछा कि 'आप मेरे मकड़ जाल के बाहर कहाँ हैं - आप भी तो मनुवादी हैं |' हमने कहा कि बच्चों की सौगंध खाकर कह दीजिये यदि आप को बराबर तनख्वाह मिलती तथा चौका बरतन, झाडू पोंछा करना होता तो आप किसी ब्राह्मण, नाई या अनुसूचित जाति में किसके घर का domestic servent बनना पसंद करते तथा इसके बाद निर्धारित करें कि आप मनुवादी हैं या नहीं |
      ब्रह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा कायस्थ की संख्या कम हो सकती है किन्तु जो व्यक्ति या समाज वृहद स्तर पर arranged inter - cast marriages नहीं कर रहा है, वह हर व्यक्ति या समाज मायावती की परिभाषा से मनुवादी है | यदि किसी पिछड़े या अनुसूचित जाति के व्यक्ति का वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास है तो वह मनुवादी है तथा यदि वह वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास नहीं रखता तथा ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र इस वरिष्ठता सूची में आस्था नहीं रखता तो वह जनेश्वर मिश्र की तरह समाजवादी है और सतीश मिश्र की तरह बसपाई है | मनुवादी एक विचारधारा है एक जाति नहीं है ठीक वैसे ही जैसे साम्यवादी पार्टी एक विचारधारा है | भारत की 98% आबादी मनुवादी है क्योंकि अभिभावक द्वारा तय की गई अधिकांश शादियाँ  आज की तारीख में भी अपनी जाति में ही होती हैं तथा मायावती की भाषा में यही मनुवाद है |
      डा. अम्बेडकर जाति व्यवस्था के मकड़जाल से छूटने के लिए बौद्ध हो गए | सर्वाधिक मानव समानता की व्यवस्था इस्लाम में है -
एक ही सफ में खड़े हो गये महमूदो अयाज |
न कोई बन्दा रहा, न कोई रहा बंदा नेवाज |
किन्तु मनुवाद से क्या इस्लाम उबर पाया ? इसका जवाब मौलाना हाली ने दिया है -
वो दीने हजाजी का बेबाक बेड़ा
निशा जिसका अक्शाए आलम में पहुंचा
न जैहूँ में अटका
न कुलजम में झिझका
मुकाबिल हुआ
कोई खतरा न जिसका
किया पैसपर जिसने सातों समन्दर
वो डूबा दहाने में गंगा के आकर
क्या परिणाम रहा इस cultural war का - सुनिये अल्लामा इकबाल की जुबानी -
जिनकी अजाओं से जहाँ में
डंका बजा तौहीद का
वे नमाजे हिन्द में
नजरें - बरहमन हो गईं
इतना ही नहीं और भी सुनें -
वो दीं जिससे तौहीद फैला जहाँ में
वो बदला गया आ के हिदोस्तां में
'जवावी शिकवा' में 'शिकवा'के उत्तर में अल्लामा इकबाल ने लताड़ लगाई है -
शेख हो, सैयद हो, पठान हो तुम
सच बताओ कि मुसलमान हो तुम
जब तक खां साहब के रिश्तेदारान अंसारियों के यहाँ रूटीन में रिश्ता नहीं बना रहे हैं, तब तक डा. अम्बेडकर और मायावती की परिभाषा में धर्म भले बदल गया हो - पर मनुवाद कायम है |
      मायावती की मनुवाद का ही दूसरा नाम वंशवाद है | एक जमाना था जब लोहिया, जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेंद्रदेव जैसे विचारक कोस - कोस कर मनुवाद/वंशवाद की आलोचना करते थे | मायावती के शब्दकोष में मनुवाद का ही दूसरा नाम वंशवाद है | मैं एक लेखमाला Neo - Casteism पर लिख रहा हूँ - 'नव जातिवाद' पर | कैसे नई जातियां पैदा हो रही हैं | नेता एक जाति हो गई, वकील या डाक्टर एक जाति हो गए - सिनेमा के ऐक्टर एक जाति हो गए - तमाम जातियां नई उत्पन्न हो रही हैं | पैतृक पेशे में बिना aptitute तथा competence के उतरना ही जातिवाद है | तब तक ऊँगली नहीं उठी जब तक वशिष्ठ का स्थान पराशर व्यास और शुकदेव लेते रहे | पर जब वंशवाद ने योग्यता को विस्थापित कर दिया तो हाहाकार मच गया | आज फिर वंशवाद का विकृत रूप सामने है | कब तक किसी राहुल गाँधी के लिए प्रशांत किशोर प्रियंका को ढाल बनायेंगे ?
      इसी प्रकार ब्राह्मण स्तब्ध रह गया था जब अटल जी ने संविधान को बदल कर - माननीय सुप्रीमकोर्ट द्वारा सवर्णों को दिए गए न्याय को छीन लिया था - backlog तथा reservation in promotion का कानून बनाकर  जिसे माननीय सुप्रीमकोर्ट ने पुनः असम्बैधानिक घोषित कर दिया | पूरे उत्तर प्रदेश से अटल जी को छोड़कर एक भी ब्राह्मण उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से लोकसभा में नहीं पहुँच पाया | अटल जी के अत्याचारों के खिलाफ शारदा प्रसाद त्रिपाठी ने 'मनुवादी पार्टी' की स्थापना करके हुंकार भरी तथा अटल जी की सीट को अपवाद मान लें तो भाजपा लोकसभा में ब्राह्मण शून्य हो गई | बिहार में किसी पत्रकार ने विधान सभा के चुनावों का सही विश्लेषण नहीं किया है | जितने क्षत्रियों तथा भूमिहारों को बिहार में टिकट मिला था, वे काफी संख्या में जीते किन्तु जो टिकट ब्राह्मणों को मिले, उनमे लगभग अटल युग का इतिहास दुहरा दिया गया तथा इक्का दुक्का अपवादों को छोड़कर बिहार में विधानसभा में भाजपा ब्राह्मण शून्य हो गई | इसी प्रकार 'पिछड़ा Chief minister' के नारे के कारण यादव विधायक प्रत्याशी भी लगभग थोक में भाजपा में हार गए | यू.पी. के चुनाव में प्राइवेट सेक्टर की आरक्षण की Report submit होने से और विचित्र स्थिति पैदा हो गई है | सबको पता है कि जैसे V.P. सिंह ने अकस्मात मण्डल कमीशन लागू कर दिया, वैसे ही मोदी 2019 के चुनाव के चुनाव के पूर्व सत्ता से पदच्युत नहीं हुए, तो प्राइवेट सेक्टर में Reservation लागू कर देंगे | उनके सहयोगी मंत्री रामविलास पासवान ने अभी से माहौल को गर्माना चालू कर दिया है | इस scenario के बाद कायस्थों का मनुवादी पार्टी में प्रवेश थोक के भाव बढ़ रहा है | Sc/St Atrocities Act के 2016 के संशोधन के बाद क्षत्रिय और भूमिहारों को भाजपा कैसे संभालेगी - 2 माह में मुकदमों का फैसला होना प्रारम्भ हुआ तो अथाह संख्या में क्षत्रिय, जाट, कुर्मी जो trial झेल रहे हैं, उनमे हलचल आएगी तथा दसियों साल से जो मुकदमे लंबित थे, उनमे भाजपा के इन traditional voters में वैसे ही panic आएगा जैसे आरक्षण के बारे में गलत निर्णयों के कारण अटल जी का 'feel good' हवा हवाई हो गया था तथा भाजपा ब्राह्मण शून्य हो गई थी तथा मोदी और शिवराज की ललकार सुनकर बिहार के 'बामन बछिया' ने बिहार में भाजपा को 'ब्राह्मण शून्य'कर दिया | अब Act 2016 के संशोधन तथा 2 माह में निर्णय का कानून भाजपा के बाहुबली traditional voters को भजपा के विरूद्ध negative voling के लिए मजबूर कर देगा | यदि यू.पी. में भाजपा कांग्रेस की स्थिति में आ जाये, तो भाजपा विवश हो जाएगी कि आरक्षण के नाम पर तथा अनुसूचित जाति संशोधन Act 2016 के नाम पर हाहाकार मचाने वाले मोदी को अडवाणी जी का पड़ोसी बना दें | Act 2016 को कोई पढ़ ले तो रोंगटे खड़े हो जायेंगे | यदि किसी सवर्ण/पिछड़ी महिला से gang rape हो जाये तो सालों मुकदमा चलने पर judgement आएगा - तब तक गवाह टूट चुके होंगे तथा यदि किसी दलित महिला को कोई घूर कर देख ले तो इसका निर्णय 2 माह में आएगा | यह Right to equality का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है - संविधान की आत्मा के विरूद्ध है | क्या सवर्ण और पिछड़ी महिला की इज्जत इज्जत नहीं है - इसके विरूद्ध हम सडक पर नहीं उतरेंगे और न ही कोई ज्ञापन देंगे और न ही धरना - प्रदर्शन करेंगे | हमारा विश्वास न तो हिंसक संघर्ष में और न ही अहिंसक संघर्ष में | हम transferable votebank का निर्माण करते हैं तथा हमारा votebank इतना trained होता है कि वह negative voting करके हमारी ओर आँख उठाकर देखने वालों को अच्छी तरह देख लेता है | 2017 के यू.पी. के चुनाव परिणामों के बाद केशवदेव मौर्य तथा कलराज मिश्र जैसे लोग यू.पी. की एक विधान सभा सीट से भी खाता खोल ले तो हम इसे अपनी नैतिक पराजय मान लेंगे तथा समीक्षा करेंगे | जितने लोग Sc/St Act में trail झेल रहे हैं, केवल उनके परिवार वालों और निकट संबंधियों की सूची बना कर उनको negative voting के लिए train कर दिया जाय - इतना ही भाजपा को इस सीमा तक झकझोर देगा कि 2017 में Act 2016 repeal हो जायेगा तथा private sector में reservation की आवाज बुलंद करने वाले रामविलास पासवान को मंत्रिमण्डल से drop करना पड़ेगा | मोदी जी भी तब तक यू.पी. की performence के बाद 2019 की चुनौती के मद्देनजर मार्गदर्शक मण्डल में बैठाये जा चुके होंगे |
      उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि हम अल्पसंख्यक नहीं हैं | अल्पसंख्यक ब्राह्मण हो सकता है, अल्पसंख्यक क्षत्रिय हो सकता है, अल्पसंख्यक वैश्य हो सकता है किन्तु मनुवादी अल्पसंख्यक नहीं है | शंकराचार्य, दयानन्द, विवेकानंद, करपात्री जी महराज, गुरूजी गोलवलकर, महात्मा गाँधी ने मनुवाद को जिस अर्थ में समझा है, उस अर्थ में 100% विश्व मनुवादी है तथा अम्बेडकर, लोहिया, मायावती, राहुल, कन्हैया मनुवाद की जो व्यख्या करते हैं, उसके अनुसार 98% आबादी मनुवादी है | स्टेट हॉउस काण्ड के प्रणेता तथा उनके अनुयायी मनुवादी हैं - यह मायावती जी को अच्छी तरह पता है | कांग्रेस मनुवाद की 'A' team है तथा भाजपा मनुवाद की 'B' team है - यह मेरी गर्वोक्ति नहीं है - यह मायावती का कड़वा अनुभव है | गाँधी जी ने दलितों को 'हरिजन' कहकर अपमानित किया - यह अम्बेडकर साहब तथा मायावती जी जानते हैं तथा हमें उन्हें brainwash करने की जरूरत नहीं है | यही उनके अर्थों में मनुवाद है | रोहित दोषी है या नहीं - इस पर किसी निर्णय पर न पहुच पाना - रोहित के लिए आँसू बहाना तथा आत्महत्त्या के आरोपियों को संरक्षण देना ही मनुवाद है - यह मायावती जानती हैं | जब मायावती तथा अम्बेडकर हमें बहुसंख्यक मानते हैं - तो जो सवर्ण बुद्धिजीवी अपने को अल्पसंख्यक घोषित करते हैं - वे defeatist mentality तथा inferiority complex के शिकार हैं | (क्रमशः...)



Monday, 2 May 2016

भाग - 2
अनुसूचित जाति एवं जन जाति अत्याचार निवारण संशोधन अधिनियम 2015
की समीक्षा
निहितार्थ एवं संभावित दुष्परिणाम
(2) यूँ तो बिना किसी साक्ष्य के किसी भी आरोप को प्रमाणित मान लेना अन्याय की पराकाष्ठा है फिर भी यदि यह केवल उस मामले में लागू हो जिसमे पीड़ित व्यक्ति आरोपित व्यक्ति से कमजोर हो तो भी वह अत्याचार किसी सीमा तक सहन किया जा सकता है किन्तु यदि पीड़ित व्यक्ति आरोपित व्यक्ति से कई गुना ताकतवर हो तथा उसको भी इस प्रावधान का लाभ दिया जाए कि आरोपित व्यक्ति चाहे कितना भी कमजोर क्यों न हो फिर भी शिकायत कर्ता के अनुसूचित जाति से सम्बद्ध होने की स्थिति में बिना साक्ष्य के आरोप प्रमाणित मान लिए जायंगे तो यह किसी भी स्थिति में न्याय पूर्ण नहीं कहा जा सकता | कल्पना कीजिये कि कोई पुलिस का DG रैंक का अधिकारी यह आरोप लगता है कि एक सिपाही या लिपिक ने उसको गाली देदी या थप्पड़ मार दिया तो क्या उसे अनुसूचित जाति का होने के आधार पर इस प्रावधान का लाभ मिलना चाहिए | यह कोई कोरी कल्पना नहीं है | कांग्रेस की एक मंत्री रह चुकी अनुसूचित जाति की महिला ने एक गंभीर आरोप लगाया कि अमुक मंदिर में अमुक तारीख को उनकी जाति पूँछी गई तथा उनके दर्शन में अवरोध उत्पन्न किया गया | मंत्री स्तर की महिला के साथ escort तथा अन्य सुरक्षा प्रबंध रहा होगा | क्या इसकी कल्पना भी की जा सकती है की शासन के अंग अनुसूचित जाति के मंत्री का जातिगत आधार पर उत्पीडन हो और वह साक्ष्य प्रस्तुत करने में इस कारण असमर्थ है कि अनुसूचित जाति से सम्बद्ध है | क्या ये एक प्रतिशत भी संभव लगता है कि किसी माननीय मंत्री का जातिगत आधार पर उत्पीडन हो तथा थाने में कोई FIR तक न लिखी जाए | फिर भी सम्मानित लोगों के बीच में आंसू बहा देने पर अधिकांश लोग उन्ही के साथ सम्बेदना प्रदर्शित करने लगे | कमजोर व्यक्ति को इस नियम के आधार पर सहारा दिया जाता तो भी बात किसी सीमा तक समझ में आ सकती थी किन्तु इस नियम का प्रयोग शक्तिशाली लोग अपने से कमजोर को सताने के लिए कर रहे हैं | उल्लेखनीय है कि स्वयं माननीया मंत्री जी ने आगंतुक रजिस्टर में टिप्पणी लिख रखी थी कि मंदिर में उनके साथ बड़ा अच्छा व्यव्हार किया गया | फिर भी यदि माननीया मंत्री ने जिद पकड़ कर FIR लिखा दी होती तो तुष्टीकारण में संलग्न समस्त राजनैतिक दल ये मांग कर रहे होते कि पुजारिओं को गिरफ्तार कर लो क्योंकि -
      (क) आपराधिक मामला कभी काल - बाधित (Time - Barred) नहीं होता तथा कितना भी समय बीत जाये, पिछले समय का आपराधिक मुकदमा लिखा जा सकता है |
      (ख) आपराधिक कानून में यह presumption ला दिया गया है कि अनुसूचित जाति का व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोल सकता तथा उसके मुह से निकले असत्य वचन को भी सत्य मान कर कार्यवाही की जाय | अनुसूचित जाति का व्यक्ति कितना भी महान क्यों न हो, वह इस स्थिति में नहीं माना जाता कि वह कि उससे उसके द्वरा लगाए गए आरोपों के साक्ष्य मांगे जा सके |
(3) शम्बूक वध के बारे में कहा जाता है कि बिना किसी ट्रायल, के बिना किसी साक्ष्य के बिना सुनवाई का मौका दिए तथा बिना किसी जिरह के शम्बूक का वध कर दिया गया | डाक्टर राम मनोहर लोहिया शम्बूक वध से इतने द्रवित थे कि मरते दम तक वशिष्ठ को गलियां बकते रहे तथा चुनौती भरे लहजे में राम को ललकारते रहे कि उन्हें राम से सीता के आंसुओं का तथा शम्बूक के खून का बदला लेना है | किन्तु जब समस्त अगडी और पिछड़ी जातियों के लोगों को कानून में संशोधन कर के शम्बूक बना दिया गया तो न तो किसी ने ललकारा और न ही किसी ने आँसू बहाये | कारण यह था कि वशिष्ठ और राम के वंशजो ने अपना 90% मत जिस पार्टी को दिया था वही उन्हें शम्बूक बना रही थी |
(4) धरा 3(EB) में लिख गया है कि "social boycott" means a refusal to permit a person to render to other person or recieve from him any customary service or to abstain from social relations that one would maintain with other person or to isolate him from others. अर्थात सामाजिक बहिष्कार का अर्थ है कि किसी को कोई परम्परागत सेवा देना या उसे प्राप्त करना यदि बंद कर दिया जाय या अन्यथा किसी को समाज से अलग - थलग कर देना | कल्पना कीजिये किसी पुरोहित से यदि कोई दलित कोई अनुष्ठान कराने को कहता है तो यदि वो पुरोहित मना करे तो भी अपराध है कि वह सामाजिक बहिष्कार कर रहा है तथा यदि वह अनुष्ठान करा दे तो भी अपराध है क्योंकि धारा चार (1) (a) के अनुसार किसी गैर अनुसूचित जाति के व्यक्ति के द्वारा निम्न कार्य कारित करना अपराध की श्रेणी में आता है -
(4) In section 3 of the principal act,-
(i) for sub section (1), the following sub - section shall be substituted, namely:-
'(1) Whoever, not being a number of a Scheduled Caste or a Scheduled Tribe-
      (a) puts any inedible or obnoxious subustance into the mouth of a member of a Scheduled Cast or Scheduled Tribe or forces such member to drink or eat such inedible or abnoxious subustance.'
और तमाम अनुष्ठानों में पंचगव्य का सेवन आवश्यक होता है | एसी स्थिति में कानून की अस्पष्टता को दूर किया जाना आवश्यक है

(5) बहिष्कार और अपमान के क्या मानक हैं यह विवेचक के विवेक पर छोड़ दिया गया है | मोदी जी को यह स्पष्ट बताना होगा कि क्या कोई पिता किसी अन्तर्जातीय विवाह की स्थिति में कन्यादान से इनकार करने का अधिकार रखता या नहीं रखता है | प्रजातन्त्र में यदि कोई वयस्क कन्या अपनी इच्छा से अंतर्जातीय विवाह करने का निर्णय लेती है तो खाप पंचायतों की तरह लड़का लड़की को मार डालने या पीटने का अधिकार किसी को प्राप्त नहीं है | किन्तु ऐसी शादियों में भाग न लेने के माता - पिता के अधिकार को चुनौती नहीं दी जा सकती | यदि किसी वयस्क लड़की को अपनी इच्छा से शादी करनी है तो वह माता पिता को उस शादी में भाग लेने के लिए या आशीर्वाद देने के लिए बाध्य नहीं कर सकती | इसी तरह किसी वयस्क लड़की को इस बात का पूर्ण अधिकार है कि वह कहाँ विवाह करे | किन्तु व्यावहारिक धरातल पर पुलिस वोट बैंक के तुष्टीकरण के लिए इस कानून की ऐसी व्याख्या कर रही है कि नौकरिओं के आरक्षण की तरह बेटियों के कन्यादान में भी आरक्षण का क़ानून बन गया हो | बरेली में एक मामले में एक डाक्टर लड़की ने तथा उसके पिता ने एक डाक्टर लड़के के प्रस्ताव को यह कह कर अस्वीकृत कर दिया कि वे अपनी जाति के बाहर विवाह नहीं करेंगे | इस पर उस डाक्टर लड़के को यह सोच कर जातिगत अपमान बोध हुआ कि यदि वह अनुसूचित जाति का न होता तो उसका विवाह का प्रस्ताव अस्वीकृत न होता | कर्ण को भी इसी तरह की ग्लानि हुई थी जब किसी द्रोपदी ने सूतपुत्र होने के नाते उसे स्वयम्बर में भाग नहीं लेने दिया था | किन्तु यदि किसी को यह अधिकार है कि उसे जातिगत आधार पर अपमानित न किया जाय तो किसी कन्या तथा उसके पिता को यह भी अधिकार प्राप्त है कि वे अपनी जाति के बाहर विवाह न करने का निर्णय ले सके तथा किसी अन्य जाति के व्यक्ति के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर सकें | यदि लड़की वाले प्रस्ताव रखने वाले के दरवाजे पर जा कर मारपीट करे या गाली गलौज करे तो भी एक बार कोई इसकी आलोचना कर सकता है किन्तु प्रेमी तथा उसके घर वाले लड़की के घर पर जा कर मानसिक दबाव बनायें तथा शादी के लिए मना करने पर जातिगत उत्पीड़न का आरोप लगायें तथा मात्र सवर्ण कुल में जन्म लेने की गलती का प्रायश्चित करने के लिए लड़की तथा उसके घर वाले अभियुक्त बना दिए जायं तथा इधर उधर मारे - मारे फिरें यह कहाँ का न्याय है | बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का व्यान छपा कि तमाम सवर्णों की बेटियां उनकी गर्लफ्रेंड रही हैं तथा उसी दिन शाध्वी कही जाने वाली एक वरिष्ठ महिला नेता ने यह प्रमाणपत्र जारी किया कि मांझी दलितों तथा पिछड़ों के गौरव हैं | नारीत्व का सम्मान होना चाहिए किसी भी जाति के महिला को गर्लफ्रेंड बनाना किसी अन्य जाति के लिए प्रजातंत्र में गौरव की बात नहीं होनी चाहिए बल्कि इसे एक सामान्य तथ्य के रूप में लिया जाना चहिये | हमीरपुर में आयोजित एक जन सभा में एक वरिष्ठ नेता एलान कर चुके हैं कि 'अब रोटियों के रिजर्वेशन से काम नहीं चलेगा, अब बेटियों में रिजर्बेशन की आवश्यकता है' इस प्रकार की स्थितियों पर कैसे नियंत्रण पाया जाये - इसके लिए सुविचारित चिंतन अपेक्षित है | क्रमशः .....