Monday, 9 May 2016

भाग -1
परशुराम जी का ब्राह्मण - क्षत्रिय समाज के नाम खुला ख़त
ब्राह्मण क्षत्रिय एकता का राम - परशुराम फार्मूला
द्रोणाचार्य - द्रौपदी ब्राह्मण क्षत्रिय एकता के मानक
शमीक फार्मूला
जनमेजय का नाग - यज्ञ
परशुराम - जयंती | अक्षय तृतीया | मन उद्दिग्न था | कई जगहों से आमंत्रण आया | जा न सका | कहाँ जाऊ ? क्या सहस्रबाहु के दरबारियों से हाँथ मिला कर कोई परशुराम संघर्ष कर सकता है | क्या आज परशुराम का आह्वान किया जा सकता है ? समाधिस्थ हो गया | ऐसा लगा, परशुराम जी कुछ सन्देश दे रहे हैं | राम कुछ कह रहे हैं | द्रोपदी और द्रोणाचार्य कानों में कुछ कह रहे हैं | शमीक मुनि कुछ सूत्र दे रहे हैं | जनमेंजय कोई यज्ञ कर रहा है | इसी बीच में समाधि टूटी | 'राम नाम शिव सुमिरन लागे | जाना सती जगत पति जागे |' सारे संदेशों को लिपिबद्ध करने का प्रयास कर रहा हूँ |
      परशुराम जमदग्नि के यहाँ पैदा होते हैं | जमदग्नि जो गला कटा देते हैं, पर अन्याय के आगे समर्पण नहीं करते | आज सभी परशुराम बनने को तैयार हैं | जमदग्नि बनने को कोई तैयार नहीं | पूरे समाज के परशुरामों के लिए जीवन भर गला काटने वाले राधिका प्रसाद पाण्डेय एडवोकेट फैजाबाद को 'जमदग्नि सेना' के गठन के लिए तैयार किया | ईश्वर से प्रार्थना कि वे विचलित न हों |

      अगले अंक में जमदग्नि की अपरिहार्यता पर तथा अन्य बिन्दुओं पर (क्रमशः ...)

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