Monday, 24 April 2017

#मनुवादी_पार्टी_बहुविवाह_तीन_तलाक_और_हलाला_को_क्यों_संविधान_सम्मत_मानती_है?

#यदि_मैं_MUSLIM_PERSONAL_LAW_BOARD_का_एडवोकेट_होता_तो_माननीय_सुप्रीम_कोर्ट_में POLYGAMY(बहुविवाह), TRIPLE TALAQUE(तीन तलाक), हलाला(HALALA) के पक्ष में क्या तर्क प्रस्तुत करता?
आज एक फैशन हो गया है कि हर धर्म की धार्मिक मान्यताओं का उपहास उड़ाया जाए। यह फैशन कबीरदास ने चालू किया जिसकी कमान आधुनिक युग में राजा राममोहन राय ने संभाली। हिंदुओं केPERSONAL LAW में बड़े पैमाने पर जवाहरलाल नेहरू और अंबेडकर की प्रेरणा से बदलाव कर दिए गए तथा हिंदुओं की सहिष्णुता के नाते कोई व्यापक प्रतिरोध ना होने से तथा मात्र डॉ राजेन्द्र प्रसाद, परम पूजनीय गुरु जी गोलवलकर तथा स्वामी करपात्री जी महाराज के विरोध को दरकिनार कर के HINDU PERSONAL LAW में सारे संशोधन किए गए। यह तीनों हस्तियां COMMON CIVIL CODE के विरुद्ध थी। इनका मानना था कि बगीचे का हर फूल एक रंग का तथा एक लंबाई-चौड़ाई का नहीं होता। जो COMMON CIVIL CODE बनेगा वह देश में जितने धर्म है तथा विश्व की आधुनिक युग में जो मान्यताएं हैं इन को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा जो कि सभी पर समान भाव से लागू होगा। यह प्रकारांतर से हिंदू तथा मुस्लिम मान्यताओं को ध्वस्त करके उनका इसाईकरण करना होगा। हर धर्म की कुछ FUNDAMENTAL(मूलभूत) मान्यताएं होती हैं जिनके आधार पर वह धर्म टिका होता है। उन मान्यताओं के समाप्त हो जाने पर #उस_धर्म_की_केवल_लाश_बचती_है_तथा_आत्मा_समाप्त_हो_जाती_है। जैसे हिंदुओं की मान्यता थी कि तलाक संभव ही नहीं है। विवाह जन्म जन्मांतर का बंधन है तथा जिस घर में डोली जाती है, उसी घर से अर्थी उठती है। विधवाओं एवं परित्यक्ताओं के नाम पर आंसू बहाने वाले राजा राममोहन राय, जवाहरलाल नेहरू तथा डॉक्टर अंबेडकर को यह पता ही नहीं था कि हिंदू धर्म में विधवाओं तथा परित्यक्ताओं के मानवाधिकारों की कितनी प्रबल रक्षा हुई है इस पर मैं किसी अन्य लेख में प्रकाश डालूंगा क्योंकि यह मौजूदा लेख का वर्ण्य विषय नही है। इस लेख में मैं इस तथ्य पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं कि किस प्रकार इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की गई है तथा किस प्रकार माननीय सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आलोक में देश के कानूनों की जो व्याख्या की है उससे कई गुना बेहतर स्थिति मुस्लिम महिलाओं की है। यह लेख किसी दिग्विजय सिंह का नहीं है और ना यह लेख किसी राहुल गांधी या किसी कम्युनिस्ट के कलम से निकला। इस लेख में उस व्यक्ति की कलम चली है जो अनंत श्री विभूषित स्वामी करपात्री जी का दीक्षा शिष्य होने का सौभाग्य रखता है तथा IAS परीक्षा में संस्कृत विषय लेकर 21 वर्ष की आयु में सफलता पाई तथा IPS में अपना होम कैडर पाया। इसके अलावा मुझे संस्कृत का एक आचार्य होने का तथा वेद वेदांग, उपनिषद-पुराण तथा शास्त्रों की चर्चा में निष्णात परिवार से संबद्ध होने का गौरव भी मुझे प्राप्त है। मुझे किसी शास्त्रार्थ महारथी जैसा गहन ज्ञान भले ना हो किंतु "#पल्लव_ग्राहि_पांडित्यं" से दूर भी नहीं हूं। मेरा परिवार पीढ़ियों से पांडित्य कर्म से जीवन यापन करता रहा है और आज भी मेरे परिवार के तमाम लोगों की जीविका का साधन यही है। मैं जो कुछ भी कह रहा हूं वह पूर्ण होशो हवास में कह रहा हूं तथा मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से पूर्ण प्रयास कर रहा हूं कि शास्त्रों के विरुद्ध न जाऊं।
#अनंत_श्री_करपात्री_जी_महाराज_ने_कहा_है कि देश को SECULAR मुसलमानों की जगह दीनदार और इमानदार मुसलमानों की जरूरत है। जो अपने धर्म का सम्मान नहीं करता वह दूसरे के धर्म का सम्मान क्या करेगा?
साम्यवादी विचारधारा के लोग तथा सुधारवादी लोग देश में साझा संस्कृति के नाम पर एक #ऐसी_संस्कृति_चाहते_हैं_जहां_मुसलमानों_की_दाढ़ी_और_हिंदुओं_की_चोटी_का_मजाक_उड़ाया_जाए तथा सब के गले में TIE(टाई) पड़ी देख कर प्रसन्नता का अनुभव किया जाए कि इसका LOOK SECULAR है क्योंकि इसके गले में टाई है तथा इसके सिर पर न चोटी है और नीचे दाढ़ी भी नहीं है।
अगर गोवा में तमाम विदेशी महिलाएं अजीबोगरीब ड्रेस में सुबह SUNBATH लेती हैं, तो क्या साझा संस्कृति के नाम पर SO CALLED SECULAR ELEMENTS को ऐसा कानून बनाने का अधिकार है कि हिंदू महिलाएं अपनी साड़ी तथा मुस्लिम महिलाएं अपना बुर्का उतार कर घूमें?
हिंदू धर्म में जवाहरलाल नेहरु और डॉ अंबेडकर ने छेड़छाड़ किया जिसके परिणाम स्वरुप हिंदू महिलाओं की बड़ी संख्या में हत्या होने लगी तथा विवाह विच्छेद के और परित्याग के मामले कई गुना बढ़ गए। #यदि_MUSLIM_PERSONAL_LAW_से_छेड़छाड़_हुई_तो_मुस्लिम_महिलाओं_की_दुर्दशा_और_बढ़_जाएगी। तीन तलाक तथा हलाला की तुलना सती प्रथा से करना OUT OF PLACE है। सती प्रथा ना तो किसी शास्त्र में निर्धारित है और ना ही किसी युग में यह प्रचलन में थी। राजा दशरथ की मृत्यु के बाद उनकी कोई पत्नी सती नहीं हुई और तब कोई राजा राममोहन राय पैदा नहीं हुए थे।
महाभारत युग में पांडवों की माता कुंती तथा उनकी अजिया सास सत्यवती भी कभी सती नहीं हुई।
#ना_केवल_उत्तर_भारत_में_बल्कि_दक्षिणी_भारत_में_भी_कभी_सती_का_रिवाज_नहीं_था। अपवाद स्वरुप EMOTIONAL OUT BURST में मेघनाथ की पत्नी सुलोचना सती हो गई थी लेकिन यह वैसे ही था जैसे कि भावावेश या अवसाद में आज भी पति के ना रहने पर तमाम महिलाएं प्राण त्याग कर देती हैं।
रावण की पत्नी मंदोदरी तथा बालि की पत्नी तारा भी अपने पति के भाइयों के गले बंध गई थीं तथा कभी सती नहीं हुईं।
मध्य युग में जो महिलाएं सती हुई वह शत्रुओं के हाथ पड़ जाने पर उनके शरीर तथा आत्मा का हनन न हो- इस कारण से सती हुई तथा इसके पीछे कोई हिंदू धर्म की मान्यता नहीं थी। आपातकाल में आज भी कितनी पीड़ित महिलाएं आत्मदाह कर लेती हैं तथा इसके पीछे आत्म रक्षा की भावना होती है। इसलिए सती प्रथा के खिलाफ कानून बनने पर किसी कोने से कोई व्यापक विरोध नहीं हुआ। किंतु हिंदू कानून में जो तलाक की व्यवस्था की गई, वह धार्मिक अत्याचार थी। #जिसे_हिंदू_धर्म_या_इस्लाम_धर्म_नहीं_पसंद_हो_वह_उसे_छोड़_कर_कोई_दूसरा_धर्म_अपना_ले अथवा निर्दल प्रत्याशी की तरह बिना किसी धर्म के नास्तिक( atheist) बन कर रहे। किंतु उसे उस धर्म में रहकर उस धर्म की मान्यताओं की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है। जिस विचार से कोई सहमत नहीं है उसको छोड़ देना किसी का मूलभूत अधिकार(FUNDAMENTAL RIGHT) हो सकता है किंतु उस धर्म में बने रहकर उस धर्म को खोखला करना गलत है। #मनुवादी_पार्टी_डा_अंबेडकर_को_धन्यवाद_देती_है_कि_उन्होंने हिंदू धर्म को छोड़ दिया तथा भले ही वह एक हिंदू के रूप में पैदा हुए किंतु एक हिंदू के रूप में मरे नहीं। लेकिन जवाहरलाल नेहरु जैसे लोगों को मनुवादी पार्टी हिंदू कानून में संशोधन करने के कारण उसी प्रकार मुनाफिक मानती है जैसे इस्लाम तस्लीमा नसरीन या सलमान रश्दी को। मुनाफिक अपने को BY ACCIDENT OF BIRTH उस धर्म का मानते हैं जिसमें वह पैदा होते हैं तथा उस में जो चीजें उन्हें रुचिकर नहीं लगती हैं उनका विरोध तथा निंदा चालू कर देते हैं। #मनुवादी_पार्टी_की_यह_सोच_है_कि अगर आप किसी मकान में किराएदार हैं तो आपको उस मकान में नक्शा बदल कर तोड़फोड़ करवा कर पुनर्निर्माण करने का कोई अधिकार नहीं है। जिस हिंदू को तलाक की जरूरत महसूस हो वह कुछ प्रख्यात सिनेमा कलाकारों की तरह धर्म परिवर्तन कर ले।
अब मैं आ रहा हूं बहु-विवाह,हलाला तथा तीन तलाक की संवैधानिकता पर।
#माननीय_सुप्रीम_कोर्ट_ने_LIVE_IN_RELATIONSHIPके_मामलों_में_यह_निर्णय_लिया_है_कि_यह_मामले_अवैध_नहीं हैं। जो चीज अवैध नहीं है वह चाहे निंदनीय हो अथवा प्रशंसनीय, वह कम से कम असंवैधानिक नहीं है। कोई चीज अवैध नहीं है- इसका यही अर्थ निकलता है कि वह संविधान की किसी धारा के विरुद्ध नहीं है।
#LIVE_IN_RELATIONSHIPक्या_है?
बिना किसी धार्मिक संस्कार के किए- बिना किसी फेरे के, बिना किसी पैगाम के कबूल तथा तत्पश्चात निकाह के ऐसे ही यारी दोस्ती में साथ रहकर जो शारीरिक सुख दिया या लिया जाता है उसे LIVE-IN-RELATIONSHIP कहते हैं। अगर दो पड़ोसियों के बच्चे बिना किसी शादी विवाह के चुपचाप पति पत्नी की तरह रहने लगें तो उनके इस काम में बाधा डालना उनके मानवाधिकारों तथा संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध है तथा बाधा डालने वालों के विरुद्ध वह उचित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराने का अधिकार रखते हैं। मेरा यह निवेदन है कि तीन तलाक के विरुद्ध आवाज उठाने वाले बुद्धिजीवी यह जवाब दें किLIVE-IN-RELATIONSHIP में रहने वाली महिला को जब चाहे कोई छोड़ कर चल दे तथा वह RESTITUTION OF CONJUGAL RIGHTS का मुकदमा भी दायर नहीं कर सकती है।#किस_मानदंड_पर_ट्रिपल_तलाक़_असंवैधानिक_है_तथाLIVE_IN_RELATIONSHIP_संवैधानिक_है- इस परLEGAL-LUMINARIES(विधिवेत्ता) अपने विचार व्यक्त करें। तीन तलाक में तो कम से कम मेहर मिलेगा तथा कुछ समय तक कुछ गुजारे के लिए भी मिलेगा और अन्य आवश्यक सहयोग करने का भी MUSLIM PERSONAL LAW BOARD आश्वासन दे रहा है। किंतु LIVE-IN-RELATIONSHIP की परित्यक्ता महिला का सहयोग कौन करेगा?
#तीन_तलाक_की_शिकार_महिलाओं_से_कई_गुना_संख्या_उन_महिलाओं_कि_है_जो_LIVE_IN_RELATIONSHIP_की_शिकार_हुई हैं। बिना एक बार भी तलाक बोले तथा बिना सूचना दिए जब चाहे तब कोई उस महिला के घर जाना बंद कर दे- इसमें देश के बुद्धिजीवियों को कुछ भी असंवैधानिक नहीं लग रहा है तथा कोई भी पत्रकार किसी TV या अखबार में इसको पर्याप्त कवरेज नहीं दे रहा है किंतु मात्र इस्लाम की तौहीन करने तथा उसका मजाक उड़ाने के लिए तीन तलाक के मुद्दे को बार बार उछाला जा रहा है। ऐसी ही एक धारणा हिंदू धर्म की है कि उसमें तलाक अनुमन्य ही नहीं है। अब कानूनी तौर पर जवाहरलाल नेहरु और डॉ अंबेडकर के सौजन्य से हिंदू विवाह में संशोधन करके कानूनी रूप से तो इसे अनुमन्य कर दिया गया है किंतु धार्मिक रूप से तलाक नहीं हो सकता।
#कोई_मछली_अगर_जल_में_तैर_रही_है_तो_जाड़े_के_मौसम_में_यह_सोच_कर_कि_उसे_ठंड_लग_रही_होगी, यदि कोई कृपा करके उस मछली को पानी से निकालकर बाहर कर दे तो वह मछली मर जाएगी। हिंदुओं में तलाक का कानून बनने के बाद इन्हीं परिस्थितियों में महिलाओं की हत्या की घटनाएं बहुत तेज बढ़ गई हैं यदि तीन तलाक पर रोक लगाई गई तो मुस्लिम महिलाओं के भी बुरे दिन आ जाएंगे।
धर्म कोई चाट की दुकान नहीं है कि जो कोई चाहे वह उस के प्रावधानों में बदलाव करता रहे। #जिस_हिंदू_को_तलाक_चाहिए_वह_हिंदू_धर्म_छोड़_दे तथा जिस मुस्लिम को तलाक से परहेज हो वह इस्लाम को छोड़ दे। किंतु किसी धर्म में बने रहकर उसकी बुराई करना ही मुनाफ़िक़ की असली पहचान होती है और मुनाफ़िक़ होना किसी भी धर्म में कोई सम्मान की चीज नहीं है।
कल हम यह व्याख्या करेंगे कि किस प्रकार COMMON CIVIL CODE की बात चिल्लाने वाले सारे योगी भक्त तथा मोदी भक्त उस समय बुरी तरह भड़क जाएंगे जब COMMON CIVIL CODE बनेगा तथा उसे एक भी हिंदू या मुसलमान मंजूर नहीं करेगा। यह वही कारण थे जिनकी वजह से डॉ. राजेंद्र प्रसाद, गुरु जी गोलवलकर तथा अनंत श्री करपात्री जी महाराज ने COMMON CIVIL CODE का विरोध किया था तथा HINDU PERSONAL LAW और MUSLIM PERSONAL LAW को बनाए रखने की बात कही थी।

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