Tuesday, 31 October 2017

मनुवादी पार्टी की शिक्षा व् रोजगार के charecter of students नीति | छात्रों का माँग पात्र



1 - single facelity universities को बढ़ावा दिया जाय जैसे medical universities, technical universities, agricultural universities etc | इसी तरह कला, संकाय, आदि के अलग विश्वविद्यालय खोले जाएँ तथा अपनी field में EMINENCE को वरीयता दी जाये |
2 – job guarantee को शिक्षा व्यवस्था में ensure किया जाए | अर्थात विश्वविद्यालयों में उतने ही लोग admissions पायें जितनों के job में adjust किये जाने की क्षमता हमारे system में develop हो चुकी है | आज लाखों लोग पढ़ कर बेरोजगार हैं | B.TECH , PHD की DEGREE वाले चपरासी के पद के लिए फ़ार्म भर रहें हैं | यह शिक्षा व्यवस्था का कोढ़ है | यह देश की श्रमशक्ति के साथ बर्बादी का षड्यंत्र है | इतना लम्बा समय शिक्षा प्राप्त करने में बर्बाद करने का क्या औचित्य है, जब उनके लायक पद नहीं है अथवा उनमे उसके लिए योग्यता न पैदा की जा सके |
3 – शिक्षा रोजगारपरक हो अर्थात ‘अर्थकरी च विद्या’ | जो विद्या अर्थकारी न हो उसे पृथक कर दी जाए तथा मात्र ACADEMIC INTEREST को PURSUE करने वाले उसे पढ़े जैसे ALREADY job में लगे लोग जो अपनी योग्यता बढ़ाना चाहते हों अथवा HOUSEWIVES जो WORKING LADIES नहीं बनना चाहती है तथा सिर्फ ACADEMIC PURSUIT के लिए पढ़ रही हैं अथवा ऐसे बच्चे जिनके GUARDIANS को यह चेतावनी निर्गत हो कि उनके बच्चे  को नौकरी नहीं मिलेगी तथा वह केवल ACADEMIC INTEREST के लिए पढ़ रहा है |
4 – प्रतियोगितात्मक परीक्षा के लिए AGE को DRASTICALLY LOWER DOWN कर दिया जाय तथा उन्हें आवश्यकतानुसार GRADUATION LEVEL COURSE प्रशिक्षण काल में पढाया जाय | जैसे NDA आदि में SELECTION होता है INTERMEDIATE के बाद वैसे ही सरकारी अस्पतालों, सरकारी नौकरियों में जितने DOCTORS AND ENGINEERS की जरुरत है, उतने लोग सरकारी INSTITUTIONS में भर्ती के लिए छांट लिए जांयें तथा उनके लिए सरकारी ENGINEERING AND MEDICAL universities में पढाई, पुस्तकों आदि की उचित व्यवस्था कराई जाए तथा यदि वे सरकारी नौकरी न करना चाहें तो या तो वे पढ़ाई का खर्च अपने पास से जमा करें अन्यथा उनकी DEGREE जब्त कर ली जाएँ तथा उस योग्यता के बूते पर PRIVATE PRACTICE अथवा PRIVATE job के लिए ENTITLED न रहें | इसी तरह चपरासी और CLERK से लेकर IAS/etc तक की भर्ती INTERMEDIATE के बाद कर ली जाए तथा FURTHER EDUCATION उनको TRAINING PERIOD  में दी जाए जैसे ARMY OFFFICERS को NDA के बाद दी जाती है NURSERY, PRIMARY से लेकर universities के TEACHERS की भर्ती कर ली जाए तथा उनके अलग – अलग TRG/INSTITUTIONS/UNIVERSITY में उनकी पढाई पूर्ण हो | university education उस विषय की उतने लोगों की दी जाये जितनो के job की जिस विषय की requirement है |
5 – Pub sector में जितने लोगों की आवश्यकता हो, उतने के लिए वह sector अपन INSTITUTE खोल ले अथवा SUITABLE CANDIDATES का अपने स्तर से चयन करें तथा उनके पढाई के खर्च का वहन करें |
6 – इस प्रक्रिया से आधी उमर तक पढने तथा उसके बाद बेरोजगारी का कुण्ठित जीवन जीने की घुटन से देश की जवानी को मुक्ति मिलेगी|
7 – छोटी नौकरियों के लिए HIGH SCHOOL तथा बड़ी नौकरियों में INTERMEDIATE के बाद SELECTION कर लिया जाय तथा job पाने के लिए आखिरी AGE LIMIT 18 साल कर दिया जाय | शेष लोगों के लिए क्या स्वरोजगार हो सकते हैं, इस पर सरकार POLICY बनावे, WHITE PAPER लाये तथा वे भी अपना दिमाग लगावें | 40 साल तक सरकारी नौकरी पाने की लालच में लाखों लडकें दिल्ली के मुखर्जीनगर से लेकर हर छोटे – बड़े शहर तथा यहाँ तक कि कस्बों में भी कोचिंग सेंटरों के शिकार हो रहे हैं तथा माँ – बाप की गाढ़ी कमाई का लाखों रुपया कोचिंग में, जगह – जगह फ़ार्म भरने में, परीक्षा देने में, टिकने - खाने में तथा किराए में बर्बाद करते है | उनकी पूँजी भी खर्च हो जाती है तथा अपना कारोबार चालू करने के लिए भी कुछ नहीं बचता है | माँ बाप खेत, मकान, जेवर बेंचकर या गिरवी रखकर दलालों के हाथ अपना सर्वस्व लुटा रहे हैं |
8 – हमारा कार्यक्रम ही आधुनिक वर्णाक्रम व्यवस्था है जिसमें किसी प्रकार की बेरोजगारी के लिए कोई SCOPE नहीं है |
9 – हाईस्कूल तक UNIVERSAL EDUCATION हो तथा FREE हो | बच्चो को भोजन, वस्त्र तथा किताबें सरकारी खर्चे पर PROVIDE की जाएँ |
10 – सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए आवश्यक है कि सरकारी कर्मचारी, अधिकारी तथा किसी भी पार्टी के नेता के लिए यह आवश्यक कर दिया जाए कि उसके बच्चे किसी सरकारी स्कूल में पढ़े | कानून बनने के बाद यदि किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का बच्चा किसी गैर – सरकारी स्कूल में पढता पाया जाता है तो मात्र इसी आधार पर उसे तत्काल सेवामुक्त कर दिया जाए | इसी प्रकार यदि किसी प्राइवेट स्कूल में किसी नेता का बच्चा पढता पाया जाय तो उसे आजीवन प्रधान से लेकर एम. पी. तक किसी भी प्रकार का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य मान लिया जाय | चुनाव में पर्चा भरते ही उससे इस आशय का AFFIDAVIT  लिया जाए कि क़ानून बनने के बाद उसके बच्चे किसी गैर सरकारी  SCHOOL में नहीं पढ़े है तथा किसी भी STAGE में AFFIDAVIT के असत्य पाए जाने पर उसकी सदस्यता तथा भविष्य के लिए प्रत्याशी बनने की अर्हता तात्कालिक प्रभाव से समाप्त समझी जाए तथा बच्चों की DEGREE भी निरस्त कर दी जाए | इतने ही कड़े प्रावधान सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए किये जाएँ | मात्र इस एक संशोधन से बिना किसी extra – BUDGET, या SUPERVISION के सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में स्वतः सुधार आ जाएगा |
11 – TEACHING STAFF से कोई भी गैर TEACHING DUTY न ली जाय जैसे PULSE POLIO, आधार कार्ड, जनगणना, पशुगणना आदि | अपरिहार्य परिस्थिति में आम चुनाव वगैरह में 2 – 4 दिन की DUTY भले लग जाए और वह भी अन्य विकल्प न होने पर परन्तु शिक्षकों को हर विभाग की STAPNEY WHEEL न बनाया जाय |
12 – शिक्षक संस्थानों में RESERVETION सर्वथा समाप्त कर दिया जाय – चाहे वह ADMISSION के स्तर पर हो या TEACHERS या STAFF के RECRUITMENT के स्तर पर | सर्वाधिक योग्य विद्यार्थी तथा सर्वाधिक योग्य शिक्षक ही देश के भविष्य की रीढ़ की हड्डी हैं | जब संवेदनशील अवस्था में बच्चों से जाति प्रमाणपत्र मांगें जाते हैं तथा जाति पूँछी जाती है, तो देश में जातिवाद कैसे समाप्त होगा |
13 – नारी – शिक्षा को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाय तथा महिलाओं के विद्यालय जाते या लौटते समय छेड़खानी की घटनाओं को गंभीरता से नियंत्रित किया जाय |

14 – शिक्षा पूर्णतया स्टेट द्वारा FUNDED हो तथा निःशुल्क हो | 

Sunday, 8 October 2017

पावस में बादल प्यासा |


कल्पना बताओ तुमने,
यह काम - कला कब सीखी |
जिसके आगे लगती है,
वसुधा की सब निधि फीकी || 24 ||

मेरे आंगन में आओ,
मेरी बाँहों में लिपटो |
तुम मेरी हो, मेरी हो,
मेरी बाँहों में सिमटो || 25 ||
सिमटो, बिखरो, फैलो तुम,
प्रज्ञा के वातायन में  |
जैसे सुधियां बसती है,
प्रेयसि के अरुण नयन में || 26 ||

कवि तुम क्या सोच रहे हो,
कल्पना तुम्हारे द्वारे |
आएगी बढ़कर आगे,
अनुरागी हाथ पसारे || 27 ||

तुमको ही आगे बढ़कर,
अगवानी करना होना |
अंतस के मृदु भावों को,
कवि – वाणी करना होना || 28 ||

कल्पना अल्पना दोनों,
जीवन की दो बाहें हैं |
जीवन की दो साधें है,
जीवन की दो राहें हैं || 29 ||
क्रमशः ......


आरक्षण का समापन कैसे ?
अध्याय – 4
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि विचारधारा के संघर्ष तथा जातिगत संघर्ष की बार बार चर्चा होती है किन्तु हकीकत है कि जातिगत संघर्ष आदमी का अपनी जाति से होता है | इसी प्रकार अंतिम संघर्ष अपनी विचारधारा से है | अडवाणी सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा कर भाजपा को रंगमंच में लाये तो पहले चरण में समन्वय के नाम पर तथा सर्वस्वीकार्यता की आड़ में पूर्ण बहुमत न होने से अटल जी गद्दीनशीन हो गए | दुबारा अडवाणी जी जब दूल्हा बनने को तैयार हुए, तो मोदी जी ने लत्ती मार दी | इतना पीछे पड़े कि पिंजड़े के तोते ने ऐसी चोट मारी कि राष्ट्रपति का पद भी ठिठक कर दूर जा गिरा तथा कोर्ट में चार्जशीट बोनस में | अगर सजा हो गयी तो रामलला को भी लगेगा कि जिन्ना का जयकारा करने का दण्ड मिला | मुलायम को मायावती या मोदी झटका नहीं दे पाए – अपने ही बेटे ने बुढ़ापे में उन्हें अपनी औकात बता दी | चचा शिवपाल का कद भतीजे ने नापा, किसी गैर ने नहीं | संजय के न रहने के बाद इंदिरा को चुनौती बहू मेनका से मिली तथा सास ने ही मेनका को घर से निकाला | सोनिया को उनके ही द्वारा नामित नरसिंहराव ने किनारे कर दिया तथा सीताराम केसरी को भगाने का काम सोनिया के चेलों ने किया, किसी भाजपाई ने नहीं | काशीराम को सद्गति तथा अघोषित वनवास देने का सच्चा या झूठा आरोप मायावती पर ही लगा | जातिगत आधार पर देखें तो हरिशंकर तिवारी को राजेश तिवारी ने हराया तथा इसका बदला राजेश तिवारी से हरिशंकर के बेटे ने लिया | कुशल तिवारी को शरद त्रिपाठी से हार मिली | रमाकांत यादव और मुलायम आपस में भिड़े तो शेर की तरह दहाड़ते हुए ब्रजभूषण सिंह का माथा दुसरे सिंह पंडित सिंह ने ही सहलाया | मैंने कभी गाय के पीछे भैंस को या भैंसा के पीछे सांड को भागते नहीं देखा | खेत, मकान, दूकान का बटवारा अपने पट्टीदार से होगा | दहेज़, तलाक, दहेज़हत्या का मुकदमा अपने रिश्तेदार से लड़ना है | प्रधान, बी.डी.सी., जिला पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख, अध्यक्ष जिला पंचायत का चुनाव अपने समाज के लोगो से होना है |
 आरक्षण होना चाहिए या नहीं होना चाहिए - इस पर एकता की आवश्यकता थी इसीलिए इस मुद्दे पर उस युग में दलितों या पिछड़ों में एकता बनी किन्तु जैसे ही दलितों को आरक्षण मिल गया, डा. अम्बेडकर साहब केवल श्रद्धा के पात्र रह गए | दलित ने पैर छुए डा. अम्बेडकर या मरणोपरांत उनके चित्र के किन्तु जगजीवनराम जैसे के माध्यम से कांग्रेस का वोटबैंक बन गया | यही हाल पिछड़ों का है | जब तक मण्डल कमीशन विवादास्पद था, सारे पिछड़े एक थे | लेकिन जैसे ही मण्डल कमीशन लागू हो गया, पिछड़ों की एकता हवा हो गयी | यादव मुख्यमंत्री बनते ही कुर्मी, लोध, गूजर, जाट आदि जातियों के जितने कद्दावर नेता थे, यादवों से उनका 36 का आंकड़ा हो गया | रामविलास पासवान, उदितराज आदि आदि दलित महापुरुष पहले से माया के बागी थे | दीनानाथभास्कर, रामसमुझपासी, जुगल किशोर, इन्द्रजीत सरोज कहाँ रह गए ? यदि जाटव ( गौतम ) को नौकरी मिलेगी तो किसी पासी, खटिक, धोबी की घटेगी |
यदि किसी यादव को नौकरी मिलती है, तो जाटव का नाम काटकर उसका नाम नहीं जोड़ा जा सकता – उसके लिए किसी कुर्मी, लोहार, बढई, लोध, गूजर, जाट का नाम काटना पड़ेगा – इतना ही नहीं यदि सैफई, इटावा, कन्नौज, मैनपुरी, एटा, फीरोजाबाद के यादव थोक के भाव में नौकरी पाएंगे तो अन्य जिलों में यादवों की स्थिति दीन  सुदामा की हो जाएगी |  इसी प्रकार यदि मायावती के राज्य में जाटव चमकेंगें, तो किसी यादव के सितारे गर्दिश में नहीं होंगे बल्कि पासी, बाल्मीकि, धोबी आदि को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा | इतना ही नहीं, यदि मेरठ मण्डल तथा हरयाणा, पंजाब के जाटव ( गौतम ) चमकेंगें तो यू. पी. के गौतम प्रभाहीन हो जायेंगें |
जिन जातियों का वोट बैंक बन चूका था, उनमे तो दरारे पड रहीं है |  फिर ऐसे परिवेश में सवर्णों का वोट बैंक हवा हवाई कल्पना है – चाहे यह थोक सवर्ण वोट बैंक हो या फुटकर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या कायस्थ या भूमिहार वोट बैंक |

इसीलिए सवर्ण एकता, पिछड़ी एकता या दलित एकता विचारधारा के आधार पर संभव ही नहीं है | यदि यह संभव नहीं है, तो मनुवादी पार्टी इस वोट बैंक का निर्माण कैसे करेगी ? इसका उत्तर अगले अध्याय में .............

Friday, 6 October 2017

संविधानेतर सत्ता ( extra constitutional authority ) क्या है ? संविधानेतर सत्ता का निर्माण कैसे होता है ?



सविधानेतर सत्ता से तात्पर्य है
“बिना किसी उत्तरदायित्व के अधिकारों का उपभोग “| बिना पद ग्रहण किये अधिकारों का उपभोग | इसके दृष्टान्त हैं –
1 – प्राचीन काल में ब्राह्मणों द्वारा राजसत्ता पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण –
          देखने में ब्राह्मण राजसत्ता से दूर वन में कुटी में निवास करता था किन्तु राजा आश्रम में प्रवेश से पूर्व अपना मुकुट तथा अपने जूते उतार देता था तथा ॠषि के सामने साष्टांग दण्डवत प्रणाम ( पेट के बल जमीन पर ऐसा लेट जाना कि शरीर आठ जगह जमीन को स्पर्श करे | ( मुग़ल दरबार के फर्शी सलाम से भी कठिन था | एक ही स्वर था – ‘मैं सेवक समेत सुत नारी’|
  ‘मैं तुम्हारा अनुचर मुनिराया ||’
2 – चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य
3 – गाँधी और कांग्रेस पार्टी | पूर्ण बहुमत से सुभाष चन्द्र बोस के जीतने पर भी जब गांधी ने यह कह दिया कि “ पट्टामि सीता मैय्या की हार मेरी हार है”| तो सुभाष चन्द्र बोस को कांग्रेस की अध्यक्षता से त्यागपत्र देना पड़ा |
4 – R.S.S. तथा जनसंघ / भाजपा /
5 – यहूदी लाबी तथा अमरीका आदि |
R.S.S. तथा गाँधी किसी एक दल की EXTRA – Constitutional Authority बन पाए | मनुवादी पार्टी हर दल की संविधानेतर सत्ता बनना चाहती है | चाहे कोई सत्ताधारी बने, हमारा चरणसेवक रहे |
रास्ता क्या है ? स्थानान्तरणीय वोट ( Transferable vote bank ) प्रजातंत्र का Atom Bomb है | सुनामी चुनाव में कभी कभी आती है | उत्तर प्रदेश में जबसे मैंने होश संभाला, इतनी बड़ी सुनामी देखी है, जिससे किसी पार्टी के अज्ञात चेहरे ( Unknown Faces ) भी जीत कर आ गए -
1 – जब देश आजाद हुआ
2 – जब इंदिरा जी ने बांग्लादेश विजय किया
3 – जब आपात काल के बाद जनता पार्टी सत्ता में आई
4 – जब इंदिरा जी की हत्या हुई
5 – जब मोदी प्रधानमंत्री तथा
6 – जब योगी मुख्यमंत्री बने |
निन्मलिखित अवसरों पर हवा बही जिसे सुनामी तो छोडिये, आंधी या तूफान कहना भी शायद गलत होगा |
1 – जब आपातकाल के बाद जनता पार्टी के असफल प्रदर्शन के बाद इंदिरा जी सत्ता में आई |
2 – जब बोफोर्स के मुद्दे पर वी.पी. सिंह ने जनता को विश्वास में लिया |
3 – जब बाबरी मस्जिद / विवादित ढांचा गिरा |
4 – जब मायावती तथा
5 – अखिलेश यादव की पूर्ण बहुमत की सरकार आई |
सुनामी के 6 मौकों पर Transferable Vote bank जब तक बहुत व्यापक स्तर पर न होता, तब तक कोई खासा प्रभाव न होता तथा परिणाम भी लगभग निरर्थक होता लेकिन व्यापक बहुमत पाने वाला प्रत्याशी अंतिम क्षण तक प्रायः संशय में रहता है कि जीतेगा या हारेगा | वह तनाव में रहता है | जिसकी जीत सुनिश्चित होती है तथा सुनामी के बाद सर्वथा सुनिश्चित होती है, तथा जिसे कोई भी संशय नहीं होता उसके सामने जीत सुनिश्चित होने के बावजूद भी एक अजीब लाग – डॉट ( competition )  होता है जैसे – अपनी सीट पर मोदी ज्यादा वोट से जीते या General v.k.singh या योगी आदित्यनाथ | सुनामी के बावजूद भी लक्ष्मीकांत बाजपेयी जैसे महापुरुष विधायिकी हार जाते हैं तथा 2 दर्जन विधायक marginal votes से जीतते है | सांसद के चुनाव में भी बस्ती तथा गाजीपुर जैसी सीटों में Transferable Vote bank हल्का सा भी होता तो कहर बरपा कर दिए होता तथा भाजपा के पूर्ण बहुमत को रोकने में सफल होता |
इसी को अमेरिकी साहित्य में Pressure Group के नाम से राजनीतिज्ञ जानते है | Pressure Group जितना प्रभावी होता है, उतना बड़ा से बड़ा दल नहीं हो सकता | यह अलग बात है कि अधिकांश दल भी Pressure Group की तरह काम कर रहे हैं तथा अपनी औकात से कुछ बढ़कर ही सत्ता में भागीदारी पाकर संतुष्ट हो जाते हैं | उन्हें संविधानेतर सत्ता के स्वाद का ज्ञान ही नहीं है | मनुवाद इसके मर्म को अच्छी तरह समझते हैं, जिसके माहात्म्य का ज्ञान न होने से बाकी दल सत्ता में भागीदारी की ललक रखते हैं |
संविधानेतर सत्ता चलाने वाले कभी धरना प्रदर्शन नहीं करते | उनका आदेश चलता है | शक्ति अर्जित करने के लिए तपस्या पूरी नहीं होती है, तब तक उसके शरीर पर दीमक लग जाए उसे परवाह नहीं | तपस्या पूरी होने पर सुकन्या के हाथों च्यवनप्रकाश खाकर ठीक हो जायेगा | पूरी की पूरी राजकीय सेना का मलमूत्र अवरुद्ध करने की शक्ति आ जाएगी | जब ॠषि की झाडी साफ़ नहीं हुई तथा ॠषिपुत्र को सांप ने काट लिया, तो कोई ॠषि शाम्बूक से लड़ने झगड़ने तथा उससे बेगार कराने नहीं गया | कोई गाली गलौज नहीं | कोई बहस नहीं | केवल एक लाइन की घोषणा – राम का राज्य धर्मराज्य नहीं रहा | पिता के रहते पुत्र की मृत्यु हो जाए – ऐसा धर्मराज्य में कैसे हो सकता है ? वर्णाश्रम व्यवस्था खतरे में -  ब्राह्मण की मर्यादा खतरे में | ( जैसे समाजवादी पार्टी / कांग्रेस के राज्य में हर क्षण इस्लाम खतरे में रहता है | ) राम, जो केवट को गले लगाते थे, जो शबरी के जूठे बेर खाते थे, जो एक धोबी तक के तुष्टीकरण के लिए माँ सीता को वाल्मीकि आश्रम भेज दिए थे – उन्हें भी गोद्विजहितकारी तथा मर्यादापुरुषोत्तम बने रहने के लिए उस समय लागू संविधान के प्रावधानों के अनुरूप शम्बूक समस्या का निस्तारण करना पड़ा | सत्ता को विचलित करने का नशा बड़ा विलक्षण होता है | प्रजातंत्र में यह केवल transferable vote bank कर सकता है | यह कैसे बनाया जाए ?

विचारधारा इसका मूल है | मगर इसके आधार पर transferable vote bank  नहीं बन सकता | यहीं अम्बेडकर साहब fail हो गए तथा मायावती ने बाजी मार ली | अम्बेडकर साहब खुद दलितों का वोट गांधी के मुकाबले प. मदन मोहन मालवीय या अनन्तश्री करपात्री जी महाराज या परम पूजनीय गोलवलकर जी को नहीं दिला सकते थे | किन्तु मायावती जी स्टेट गेस्ट हाउस काण्ड के मुल्जिमो को भी  vote transfer कर सकती हैं | [ transferable vote bank क्यों अम्बेडकर नहीं बना पाए तथा क्यों मायावती बना लें गई ? उत्तर है ] अगले अध्याय में ..........

पावस में बादल प्यासा

उपकरण नहीं हैं कोई,
अनुराग नहीं ऐसा है |
जो कभी नहीं स्वीकारे,
कोई कब तुम जैसा है || 12 ||

तुम पर न्यौछावर होता,
वसुधा का सारा वैभव |
न्यौछावर हो सकता है,
मुग्धा परियों का शैशव || 13 ||

कल्पने,प्राप्ति – पथ स्वामिनि,
बस सहज तुम्हारी इच्छा |
कुछ भी न जगत में जिसकी,
तुम करती कभी प्रतीक्षा || 14 ||

यति स्वयं तुम्हारी गति है,
रति स्वयं तुम्हारी चेरी |
सोचने और पाने में,
लगती न एक क्षण देरी || 15 ||

मेरी आशा को केवल,
तुम ही स्वर दे पाती हो |
वातायन स्वागत करता,
जिस द्वारे तुम आती हो || 16 ||

है बिना तुम्हारे रीता,
यह भरा – भरा सा दिन है |
तुम पास नहीं यदि मेरे,
तो लगता प्रात मलिन है || 17 ||


क्रमशः ....