Sunday, 24 July 2016

निलंबित भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के नाम खुला ख़त – (भाग – 3)

निलंबित भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के नाम खुला ख़त –  (भाग – 3)
5. भाजपा और संघ परिवार को यह गंभीर आत्मचिंतन करना होगा कि कहीं मायावती की टीम में बैठा हुआ कोई द्रोणाचार्य चक्रव्यूह बनाकर अभिमन्यु वध की योजना में तो नहीं लगा है I मधु मिश्रा ने जो भाषण दिया था उस भाषण को मै दोहराना नहीं चाहता लेकिन भाजपा और R.S.S. के थिंक टैंक जरा मधु मिश्रा और दयाशंकर सिंह  के भाषणों का तुलनात्मक अध्ययन कर ले I  मधु मिश्रा के भाषण में पूरी की पूरी अनुसूचित जाति को गाली दी गयी I इसके विपरीत दयाशंकर सिंह के भाषण में केवल मायावती जी को अपशब्द कहे गये तथा वह भी चरित्र के विषय में नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के विषय में लगाये गए ऐसे आरोपों के बारे में जो भले ही झूठ हो लेकिन स्वयं बसपा से निकले हुए अथवा निकाले हुए लगभग सभी नेताओं ने लगाये है I मै पुन: दोहराना चाहता हूँ कि मै दयाशंकर सिंह के बयानों की निंदा कर रहा हूँ लेकिन मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की  हैसियत से  मात्र इतनी मांग कर रहा हूँ कि सवर्णों के अलावा
   पिछड़ो तथा अनुसूचित जाति के जिन नेताओं ने अमर्यादित बयान दिए है उन सभी पर उसी स्तर की कार्यवाही सुनिश्चित हो I जिस प्रकार उत्तर प्रदेश का यादव समाज श्रीराम गोपाल यादव को प्रखर चिन्तक मानता है वही स्थिति  क्षत्रिय समाज की निगाह में श्री राजनाथ सिंह की है I वी.के.सिंह जी की तुलना लोग चाहे या ना चाहे उस स्थिति से करते है जो उत्तर प्रदेश में शिवपाल यादव जी की है I  क्षत्रिय समाज आज यह प्रश्न पूछ रहा है कि क्या कारण है कि मधु मिश्रा पर FIR लिखाने के लिए कोई बसपाई आगे नहीं बढ़ा तथा दयाशंकर सिंह पर कार्यवाही करने में उग्रवादियों से भी बढ़कर तेजी बरती गयी I इसका उत्तर है मनुवादीपार्टी का जन्म तथा उदय I यदि क्षत्रिय वोटर मनुवादी पार्टी का दामन थाम ले अथवा यदि उन्हें उन ऋषियों की संतानों पर अविश्वास हो जिन्होंने सत्ता की चकाचौंध से दूर रहकर दसियों हजार साल तक उनका राज्याभिषेक किया तथा वे नेपाल के राजा न बन पाए, इसके लिए रिमोट कण्ट्रोल सत्ता का अपने पास इस अर्थ में रखा कि राजा आश्रम के बाहर अपने मुकुट और जूते उतार कर आश्रम में प्रवेश करता था तथा साष्टांग दंडवत करता था तो  क्षत्रिय वीर समाजवादी और बसपा की तरह स्वयं कोई पार्टी बनाकर उसके साथ प्रभावी संख्या में जुड़ जाये तथा सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस तथा मनुवादी समेत जितनी पार्टिया है उनसे वार्ता करे तथा जिस समीकरण में उनके हित सर्वाधिक सुरक्षित हो उसको वोट दे – उसी दिन किसी क्षत्रिय को जलील करने की हैसियत किसी की नहीं बचेगी I यह ध्यान रहे की पार्टी चाहे छोटी हो या बड़ी किन्तु उसमे वही लोग लिए जाये  जो अपने वोट को TRANSFERABLE बनाने को तैयार हो I आज क्षत्रिय voter क्षत्रिय के साथ है क्षत्रिय हित के साथ नहीं है I क्षत्रिय और क्षत्रियहित में एक मौलिक अन्तर है I मायावती जी के पिछले कार्यकाल में जितना कड़ा अनुसूचित जाति अधिनियम था मोदी जी ने उस से हजार गुना कड़ा कर दिया है I विशेष जानकारी के लिए अधिनियम पर मेरी पिछली पोस्टो को पढने  का  कष्ट करे I मैंने उस पहली पोस्ट में ही स्पष्ट कर दिया था कि इस अधिनियम का सर्वाधिक खामियाजा ठाकुरों और भूमिहारो को तथा पिछड़े वर्ग में यादवों और कुर्मियो को झेलना पड़ेगा I ब्राह्मण कभी हारने वाली लड़ाई छेड़ता ही नहीं है I चाणक्य ने जब चन्द्रगुप्त का रुख बदला बदला देखा तो “शिखाम बद्धाम मोक्तुम” अर्थात् बांधी हुई शिखा को फिर से खोलने का मन कर रहा है किन्तु जब उसने गंभीरता से चन्द्रगुप्त मौर्य की चक्रवर्ती सम्राट की स्थिति अपने बुढ़ापे तथा समाज की मन: स्थिति को भांप लिया तो तुरंत उसने पलटी मारी तथा अपने धुर विरोधी राक्षश को महामात्य पद के लिए प्रस्तावित कर दिया जोकि नन्द वंश का महामात्य था तथा जिसके विरुद्ध उसने आजीवन संघर्ष किया था –
     “मित्र हम तो वंशधर चाणक्य के है
      वक्त पर तेवर दिखाना जानते है I
       राजसत्ता चरण की दासी रही है
      हम चलन उसको सिखाना जानते है II”
इसी प्रकार परशुराम जैसे क्रोधी ब्राह्मण ने भी राम से सीधी लड़ाई नहीं छेड़ी – चाहे लक्ष्मण ने  कितनी भी उत्तेजक वाणी क्यों न बोली हो I परशुराम ने  पहले राम के व्यक्तित्व को आजमाया, और तदोपरान्त परीक्षा  लिया –
राम रमापति  कर धनि  लेहू I  
खैचहु चाप मिटे संदेहू II
परीक्षा में दिए गए इस प्रश्न का उत्तर जब राम ने हल कर लिया तो  परशुराम के मन की मनोदशा का वर्णन तुलसीदास जी ने इन शब्दों में किया है –
     छुवत चाप आपुहिं चढ़ी गयउ I
     परशुराम मन  विस्मय  भयउ II  
मन में विस्मय उत्पन्न होने के बाद गौद्विज हितकारी राम को मान्यता देते हुए पुरस्कार में अपने शस्त्र प्रदान कर परशुराम जी तपस्या करने चले गए     I किन्तु क्षत्रिय शेर की तरह दहाड़ मारकर लड़ता है तथा लड़ाई को पूर्णाहुति पर पहुचाये बगैर विजयोत्सव   मनाने लगता है ठाकुर का    सिद्धान्त है कि भागते हुए शत्रु का पीछा नहीं करना चाहिए जब कि ब्राह्मण का सिद्धान्त है कि शत्रु और अग्नि का नाम मात्र का अवशेष भी नहीं छोड़ना चाहिए I वीरता के  ज्वलन्त रूप पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को 17 बार हराया, किन्तु उसे क्षमा कर दिया I  चाणक्य के निर्देशन में केवल एक बार चन्द्रगुप्त मौर्य ने यवन सेना को हराया तथा यूनान की राजकुमारी भारत की महारानी बन गयी I ठाकुर को जब  अपने आश्रम में प्रशिक्षित करके ब्राहमण क्षत्रिय बना लेता है तो वह क्षत्रिय भी उसी ब्राह्मण रणनीति ने अनुरूप युद्ध संचालन करने लगता है I राम इसके ज्वलंत  उदहारण है –       
    ‘निशिचर हीन करो माहि भुज उठाईं प्रण कीन I’
अर्थात् – राम केवल   राक्षसों को हराने की प्रतिज्ञा नहीं किये बल्कि उनके  समूल उन्मूलन का प्राण किये I अगर पृथ्वीराज चौहान राम की शैली में लड़े होते और दया का भाव न लाते तो भारत का इतिहास कुछ और होता I  अंतर केवल इतना था कि पृथ्वीराज चौहान के पास चंदरबरदाई तो था I  किन्तु कोई वशिष्ठ नहीं था I यही स्थिति आज क्षत्रिय  महासभाओ में आ गयी है , जिसके कारण सभी पार्टिया उनकी प्रतिष्ठा ने खिलवाड़ कर रही है I अभी तक किसी क्षत्रिय  महासभा ने राज नाथ सिंह से यह नहीं पूछा कि अभी कुछ महीने पहले जो अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम में संशोधन किये गए उनके चलते क्या किसी सवर्ण या पिछड़े की मर्यादा सुरक्षित रह सकती है ? मायावती के समय में जितना कड़ा SC/ST ACT था I उससे हज़ार गुना कड़ा  SC/ST  ACT मोदी और राजनाथ सिंह ने पारित करवा दिया है I इस विषय पर मैंने कई लेख लिखे है , जिन्हें कोई पढ़ तो उसकी आँखे खुल जाएगी I अभी तो यह एक बानगी है कि एक बड़े कद के  क्षत्रिय के साथ इस अधिनियम का दुरुपयोग किया गया I यदि यह संशोधित अधिनियम न होता तो इतना गंभीर अपराध न बनता I  गाव में रहने वाले तमाम गरीब क्षत्रियों का हाल क्या होगा, जिनके पास एक फेसबुक भी नहीं है I तथा एक बढ़िया क्वालिटी का फ़ोन भी नहीं है, यदि सवर्ण या पिछड़ी महिला से सामूहिक बलात्कार हो जाये या गंभीर यौन शोषण हो तो उसका फैसला 10 साल में होगा, और इस बीच गवाहों पर क्या बीतेगी इसका अंदाजा आशाराम बापू के मामले में क्या हो रहा है इस से लगाया जा सकता है, किन्तु बिना किसी मेडिकल, बिना किसी शाक्ष्य के , बिना किसी स्पर्श या छेड़खानी के , मात्र किसी अनुसूचित जाति की महिला द्वारा मात्र यह आरोप लगा देने से कि अमुक व्यक्ति उसको टकटकी लगाकर देख रहा था यह ऐसा अपराध माना  जायेगा कि 2 महीने में विवेचना तथा अगले 2 महीने में ट्रायल समाप्त हो जायेगा तथा न्यायालय का फैसला भी आ जायेगा I  मनुवादी पार्टी ने इस सम्बन्ध में समाज को आगाह करने के लिए कई लेख लिखे कि कितना बड़ा अनर्थ हो रहा है, तथा इसका कितना बड़ा दुरुपयोग होगा I दयाशंकर सिंह जी के खिलाफ विवेचना 2 महीने में पूरी कर ली जाएगी तथा अगले 2 महीने में मा. न्यायालय को भी मुकदमे की सुनवाई पूरी कर लेनी पड़ेगी I किन्तु  दयाशंकर सिंह  की पत्नी स्वाति सिंह ने जो आरोप लगाये है उनकी विवेचना कब पूरी होगी – इसके लिए कानून ने अनिश्चित काल का समय दे दिया है तथा न्यायालय का ट्रायल पूरा होने में तो उम्र बीत जाएगी I ऐसे  अधिनियम को पारित करने के बाद यदि समस्त सवर्ण सभाओ और  पिछड़ा वर्ग की सभाओ ने यह चेतावनी दी होती कि यह अधिनियम निरस्त नहीं हुआ तो इसका बदला हम चुनाव  के दिन उन सभी पार्टियों के  प्रत्याशियों  से लेंगे जिन्होंने इसके लिए हाथ उठाया है I हमे मधु मिश्रा तथा दयाशंकर सिंह से कोई सहानभूति नहीं है क्योंकि जब यह अधिनियम पारित हुआ तो उस समय में विरोध में इन लोगो ने अपनी पार्टी से त्याग पत्र नहीं दिए किन्तु दयाशंकर की पत्नी व बेटी पर जो आरोप लगाये गए उसके लिए मनुवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता आखिरी साँस तक संघर्ष करने को तैयार है I मै पुन: दोहराना चाहूँगा कि अनुसूचित जाति अधिनियम पारित होने बाद भी जो ब्राह्मण या क्षत्रिय या पिछड़ा भाजपा में बना हुआ है,  वह हमारी सहानभूति का पात्र नहीं है किन्तु यदि उसके परिवार का मान सम्मान खतरे में पड़ता है तो जिस प्रकार जटायू ने सीता माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की उसी प्रकार चाहे हमारा समर्थक हो या विरोधी किसी भी जाति या धर्म की महिला के साथ यदि कोई बदजबानी की जाएगी तो मनुवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता उसके सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देगा I यदि प्रदेश की क्षत्रिय महासभाए  स्वाति सिंह को स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर 2017 के  विधानसभा चुनाव में उतारने को तैयार हो तो मनुवादी पार्टी की ओर से बिना किसी देरी के पूर्ण समर्थन की घोषणा की जाएगी I किन्तु बीजेपी, कांग्रेस, सपा तथा बसपा सभी पार्टिया आरक्षण का तथा SC/ST ACT का समर्थन कर रही है, इस में से किसी का उम्मीदवार बनने पर हम साथ आने को तैयार नहीं है I  क्षत्रिय समाज अगर मनुवादी पार्टी के बैनर से उतरना चाहे तो भी इसकी घोषणा की जा सकती है तथा यदि वह कोई अलग मंच बनाकर मैदान में उतरना चाहे तो भी उसके इस अभियान में आशीर्वाद स्वरूप मनुवादी पार्टी राज्याभिषेक का मंत्र पढने  के लिए तैयार है I ब्राह्मणों के केवल कुछ हिस्सो को जागरूक बनाने में हम सफल हो पाए  है (25%) तथा क्षत्रिय में अभी हम केवल 5% में यह भावना ला पाए है कि  वे जातीय आधार  पर अपने सजातीय को वोट ना देकर अपने हितो के साथ रहने वालो को वोट दे I आज हर पार्टी अम्बेडकर भक्त हो गयी है, जबकि कांग्रेस समेत सभी पार्टिया अभी हाल तक उनके विरुद्ध थी I  इसका कारण यह है कि अनुसूचित जाति का अधिकांश वोटर जातिवाद से मुक्त हो गया है I  आज अनुसूचित जाति का व्यक्ति यह नही देखता कि कौन सा व्यक्ति अनुसूचित जाति का है I यदि किसी सामान्य सीट पर आज बीजेपी का एक अनुसूचित जाति का प्रत्याशी खड़ा कर दिया जाये तथा मायावती उसी सीट से किसी ब्राह्मण क्षत्रिय पिछड़ी या अल्पसंख्यक को टिकट दे दे तो अनुसूचित जाति  के अधिकांश लोग अपने समाज के प्रत्याशी को वोट ना देकर मायावती का टिकट धारण करने वाले सवर्ण पिछड़े या अल्पसंख्यक को वोट दे देगें I  यदि मायावती 2 अगल- बगल  की सीटो पर एक सीट पर शिव सेना तथा दूसरी पर ओवैसी को  समर्थन  की घोषणा कर दे तो उनके समाज का आदमी उनकी इच्छा  के अनुसार शिवसेना या ओवैसी के प्रत्याशी को वोट  देगा I इसे  TARANSFERABLE वोट बैंक कहते है आज की डेट में बड़े पैमाने पर यह वोट बैंक  मायावती को छोड़ कर और किसी के पास नहीं है I छोटे स्वर पर मनुवादी पार्टी के पास यह वोट  बैंक है I  हमारे पास चाहे बहुत बड़ा वोट बैंक न हो,  किन्तु यदि आदेश निर्गत हो जाये तो हमारा कार्यकर्ता उस पार्टी को वोट दे देगा I  जिस पार्टी से अथवा जिस पार्टी के कैंडिडेट से उसको सख्त नफरत है इसी के बूते मधु मिश्र  के खिलाफ कोई मुकदमा कायम नहीं हुआ क्योँकि BSP को मालूम था कि ब्राहमणों के एक तबके  में ऐसी जागरूकता पैदा हो गई है कि वह बीजेपी  या किसी पार्टी के साथ नहीं है बल्कि इस मनास्थिति में है कि  आरक्षण अथवा SC ST ACT के अंतर्गत किसी का  उत्पीड़न किया तो वह और कुछ कर पाए या नहीं ,  उत्पीड़न करने वाली पार्टी से उन सीटो पर तो  वह बदला ले ही लेगा  जहा से उसके समाज के प्रत्याशी  खड़े किये गए है I  क्षत्रिय समाज को  हमारा परामर्श  है कि वह चाहे तो मनुवादी पार्टी के साये में चल रहे दसियो हजार साल पुरानी वर्णाश्रम  व्यवस्था के कार्यक्रम में चला आवे अन्यथा स्वयं की एक ऐसी टीम बनाये जो कि अपने समाज के हितो को देखकर अथवा तौल कर समर्थन  दे और ले I आज स्थिति यह है कि जिस किसी भी  सीट से किसी भी पार्टी से कोई क्षत्रिय प्रत्याशी खड़ा हो जाता है उस समाज का अधिकांश तबका उस सीट पर उसके पाले में  चला जाता है I जिस किसी भी  पार्टी ने टिकट दिया हो हर क्षत्रिय महासभा अधिक से अधिक से क्षत्रियों  को  चुनाव में जिताने   का प्रयास करती है तथा यह क्षत्रिय प्रत्याशी जीत कर आरक्षण तथा  SC / ST ACT के पक्ष में हाथ उठाते  है I अभी हाल तक यही स्थिति ब्राह्मण महासभा की भी  थी I  किन्तु मनुवादी पार्टी के उदय के साथ इस स्थिति में 25 % बदलाव आया है I अब 25 % ब्राह्मण इन मानसिकता का हो गया है कि वह ब्राह्मण प्रत्याशी जिताने  के चक्कर में नहीं है बल्कि उस प्रत्याशी को समर्थन देगा जो कि आरक्षण तथा SC/ST ACT के विरोध में आवाज उठायेगा I  हम अनुसूचित जातियो पर अत्याचार के समर्थक नहीं है I  सिविल राइट्स एक्ट की भावना ठीक थी क्योकि  वह तब लागू होता था जब कि जातिगत आधार पर कोई उत्पीड़न हो I अगर केवल एक अल्टीमेटम क्षत्रिय महासभाओ की ओर  से जारी हो कि  SC/ST ACT तथा  आरक्षण के मुद्दे पर मोदी के सत्ता में आने से पहले जितना दर्द समाज झेल रहा था अगर उस दर्द को मोदी मिटा नहीं सकते या घटा नहीं सकते तो मोदी तथा राजनाथसिंह कम से कम उस दर्द को बढ़ने न दे अन्यथा इस का परिणाम हम २०१७ दे चुनाव में चखा देंगे तो सता के गलियारों में सनसनी आ जाएगी I  तथा इस दिशा में बढे हुए कदम वापस आ जायेंगे I पुनः दोहराना चाहता हूँ की स्वाति सिंह तथा उनका  समाज अपने को अकेला न महसूस करे I  इस संघर्ष में जनबल के साथ उनके साथ है I  हमारा आशीर्वाद उनके साथ है I  जब समस्त  देवता निस्तेज हो गए तो देवी माँ को मोर्चा संभालना पड़ा I जब राणा बेटी के हाथों से घास की रोटी  को विलाव द्वारा छीन ले जाने के बाद शिथिल पड़ने लगे थे तथा अवसाद ग्रस्त हो गए थे तो चित्तौड की महारानी ने राणाप्रताप को इन शब्दों में ललकारा था –
    कह सावधान रानी ने,
     राणा का थाम  लिया कर I
     बोली  अधीर पति  से वह,
    कागद मसि पात्र छिपा कर II
      यदि तू ही कायर बन कर,
       बैरी से संधि करेगा I
     बोझा अखंड भारत का,
    फिर कौन सीस पर लेगा II
    झाला संमुख मुस्काता,
    चेतक धिक्कार रहा है I
     असि चाह रही  कन्या भी,
      तू आंसू ढार रहा है II
     थक गया समर  से यदि तो,
       अपनी तलवार मुझे दे I
       मै चंडी सी बन जाऊ,
        अपनी करवाल मुझे दे II  
आज स्वाति सिंह में  मुझे उसी चित्तौड की महारानी  के दर्शन हो रहे है तथा उनके सम्मान में मुख  से बरबस निकल रहा है-  कहाँ  पद्मिनी  का पराग है,
 सिर से उसे लगा लें  हम I  
 रतन सिंह का क्रोध कहाँ है,
  गातरक्त गर्मा लें हम II  
दयाशंकर अगर कही भी यह फेसबुक पढ़ रहे हो तो उनसे मेरी अपील है की वे अंडर ग्राउंड न रहे निकलकर अपनी ग्रिफ्त्तारी दे I  न्यायालय में भी उन्हें हाजिर होने की जरूरत नहीं है I  वे सीधे जिस थाने में FIR हुई है, उस थाने पर या उस जिले के पुलिस अधीक्षक या  DM कार्यालय पहुचे I मुझे पूरा विश्वास है कि राजनाथ की रैली में जितने लोग भाषण सुनने  आते है, उससे अधिक क्षत्रिय  नौजवान  उनके साथ अपनी गिरफ़्तारी  देने को मिल जायेंगे I  या तो समस्त क्षत्रिय  सभाए इस कार्य में उनकी सहभागी होगी अन्यथा उनका अस्तित्व समाप्त हो जायेगा I  वे एक सूत्री मांग रखे कि वे मर्यादा के अतिक्रमण के प्रायश्चित में अपने आप को कानून के हवाले कर रहे है  किन्तु  उनकी मेरी माँ उनकी बेटी  तथा उनकी पत्नी  के खिलाफ जिन लोगो ने अश्लील बाते कही हो, उनके खिलाफ भी समान कार्यवाही  हो I सपा के क्षत्रिय  मंत्रीयों  एवं विधायको को मुख्यमंत्री से मिलकर यह मांग करनी होगी कि  दयाशंकर सिंह के लिए हमें दया की भीख नहीं चाहिए किन्तु CROSS FIR में जिन लोगो को अभियुक्त बनाया गया है उनपर समयबद्ध प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई तो हम अपने समाज में मुह दिखाने लायक तथा वोट मांगने  लायक नहीं बचेगे I  बीजेपी  के समस्त विधायको तथा सांसदों से गिरफ़्तारी देते समय दयाशंकर यह अपील करे की गृह मंत्री राजनाथ सिंह ऊ० प्र० सरकार को निर्देशित करे की शांति के हित में तत्काल सभी अभियुक्तो पर प्रभावी कार्यवाही की जाये चाहे वे किसी पार्टी के हो I ऐसा निर्देश निर्गत करने का अधिकार संविधान के अंर्तगत गृह मंत्री राजनाथ सिंह को है  तथा निर्देश न मानने पर कोई भी राज्य सरकार बर्खास्त की जा सकती है I  अब तक किसी भी राज्य सरकार ने किसी उचित कार्य के लिए  किसी केन्द्रीय सरकार के निर्देश की अवहेलना करने का साहस नहीं किया है I राज्य सरकारों की  बर्ख़ास्तगी पर मा. उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय ने जब भी हस्तक्षेप किया है वह इस आधार पर  किया है कि  दुर्भावना पूर्ण ढंग से तिकड़म से सरकारों को गिराया गया है I यदि सही निर्देश के पालन करने को कहा जाये तो राज्य सरकार यह साहस नहीं कर सकती कि  वह न माने I
       दयाशंकर सिंह तुम क्यों  छिपे बैठे हो ? अगर कुछ मुह से निकल ही गया तो क्षत्रिय मर्यादा का ध्यान रखते हुए तुममे उसकी क्षमा याचना कर ली I   मत डरो गीता में भगवान् कृष्ण ने अर्जुन से जो कहा है,  उसे  गुरु मंत्र के रूप में तुम्हरे कान में फूंक रहा हूँ -  
क्लैव्यम मा स्म गम: पार्थ
नैतत्वय्युपपद्यते I
क्षुद्र्म ह्रदयदौर्बल्यं   
त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप II
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्ग
जित्वा वां भोक्ष्यसे महीम I
 तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय
 युद्धाय कृतनिश्चिय:II

 ( हे अर्जुन!  नपुंसक मत बन, यह तुझको शोभा नहीं देता है I ह्रदय की दुर्लबलता मत दिखा I  ह्रदय को छोटा मत कर I कमजोरी को छोड़कर उठ खड़ा हो I  यदि मारा गया तो स्वर्ग मिलेगा I  यदि जीता तो इसी धरती का भोग करेगा I क्यों चिंता कर रहा है ? )

Friday, 22 July 2016

निलंबित भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के नाम खुला ख़त – (भाग – 2)

निलंबित भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के नाम खुला ख़त –  (भाग – 2)
4. क्या तिलक, तराजू, कलम और तलवार के प्रतीक ब्राह्मण, क्षत्रिय, बनिया तथा कायस्थ के पास मात्र चार जूते खाने का अधिकार शेष रह गया है ? आदरणीया मायावती जी चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी है बहुत आदरणीय है किन्तु महात्मा गाँधी भी देश में कुछ सम्मान का स्थान रखते है I  महात्मा गाँधी  का दुर्भाग्य मात्र इतना है कि जिस देश की आज़ादी की लड़ाई उन्होंने लड़ी उस देश ने उन्हें पहले तो राष्ट्रपिता माना किन्तु अब उनकी पहचान मात्र एक बनिए की रह गयी है जो कि तराजू उठाता है तथा जब किसी महान आदरणीय व्यक्तित्व ने उन्हें “शैतान की औलाद” घोषित किया तो पूरे देश में एक पत्ता भी नहीं खडका, एक मक्खी भी नहीं भिनभिनाई I भाजपा और संघ परिवार पर महात्मा गाँधी से सम्बंधित तमाम आरोप, चाहे वे झूठे हो या सच्चे , कांग्रेस  लगाती रहती है किन्तु कांग्रेस तक ने इन आरोपों का संज्ञान नहीं लिया और किसी भी प्रकार की गिरफ़्तारी तो दूर, पुरे देश में एक भी गाँधी भक्त ऐसा नहीं निकला जिसने किसी थाने में जाकर मुकदमे की तहरीर ही दे दी हो I गाँधी की संतानों को किसी विधानसभा क्षेत्र या लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने पर सफलता की कोई उम्मीद लगभग नहीं है क्योकि वे वर्तमान राजनीति के जातीय समीकरणों के अंर्तगत फिट नहीं बैठते है I “शैतान की औलाद” कहने पर भूचाल आना तो दूर रहा एक कम्पन भी नहीं हुआ I राज्यसरकार तथा केंद्र सरकार ने भी स्वत: संज्ञान लेकर कोई कदम नहीं उठाया I राजघाट में जलने वाली गाँधी जी की अखंड ज्योति को एक समाज विशेष के नवयुवको ने कैसे बुझाया, उसका वर्णन करते समय वाणी अवरुद्ध हो रही है तथा लेखनी को शर्म आ रही है I मै पुन: दोहराना चाहता हूँ कि आपराधिक मुकदमा कभी काल बाधित (Time-barred) नहीं होता है I क्या मोदी सरकार महात्मा गाँधी के सम्मान की रक्षा के लिए कुछ करेंगे अथवा उन्हें इतिहास के कूड़ेदान में फेक देंगे ?  लोहिया जी ने लिखा है कि गाँधी जी की मृत्यु के बाद कांग्रेसी तीन खेमो में बंट गए – 1. सत्ताधीश कांग्रेसी जिस श्रेणी में जवाहरलाल नेहरु और उनके चेले आते थे I  
2. मठाधीश कांग्रेसी जिस श्रेणी में विनोवा भावे तथा उनके चेले आते थे I
3. कुजात कांग्रेसी जिनको सत्ताधीश तथा मठाधीश कांग्रेसियों ने बहिष्कृत कर रखा था जिस श्रेणी में लोहिया जी  स्वय को मानते थे I जयप्रकाश नारायण के बारे में लोहिया जी को संदेह था कि वे मठाधीशो के अधिक नजदीक है या उन लोगो के जो कांग्रेस से बहिष्कृत है I
    इस प्रकार लोहिया जी भी अपने को गाँधीवादी परम्परा से जोड़ते थे I प्रदेश में लोहिया जी के सपनो की सरकार चल रही है I  समाज यह देखना है कि क्या “शैतान की औलाद” कहने वालो के खिलाफ सपा सरकार कोई कार्यवाही प्रस्तावित करती है अथवा गाँधी को मात्र एक वोट बैंक का अंश मानकर उन्हें सुरेन्द्र मोहन अग्रवाल की बराबरी में ला खड़ा करती है I “सालिकराम की बटिया क्या छोटी क्या बड़ी ?”
      समाज मोदी के सामने भी यह प्रश्न खड़ा कर रहा है कि क्या मधु मिश्रा और दयाशंकर सिंह ही दंड के पात्र है अथवा अन्य समाज के लोग भी जो अपनी जबान पर संयम नहीं रख पाए I यदि मोदी जी यही बात मान ले तो भी समाज को कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि यह मोदी जी की मनुवादी मानसिकता को सिद्ध करेगा जिसकी मान्यता है कि -   काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम I  
  मूर्खानाम तु व्यसनेन निद्रया कलहेन वा II  
अर्थात् विद्वानों का समय काव्य और शास्त्र के विनोद से बीतता है तथा मूर्खो का समय व्यसन, निद्रा तथा कलह में I यदि मोदी जी  नस्लवाद में विश्वास रखते हो तथा उनकी यह मान्यता हो कि वाणी के संयम की अपेक्षा केवल मधु मिश्र तथा दयाशंकर सिंह से की जाती है तथा “हरामजादो” कहने वाली साध्वी से , परकटी कहने वाले नेता से तथा गाँधी को “शैतान की औलाद” कहने वालो से इसकी अपेक्षा नहीं की जाती तो उनका मुख से निकला यह वाक्य संविधान के विरुद्ध होगा किन्तु मधु मिश्रा तथा दयाशंकर सिंह के परिजनों के आंसू पोछ देगा कि मोदी जी RACIAL SUPREMACY के सिधान्त  के चलते उनसे अधिक उत्कृष्ट आचरण की अपेक्षा करते है I जब कल्याण सिंह जी अटल जी को भुलक्कड़ – पियक्कड़ तथा ना जाने किन अन्य विशेषणों से युक्त घोषित करते थे तो उनको यही जवाब मिलता था कि कल्याण सिंह की भाषा में अटल जी तथा उनके शिष्य जवाब नहीं दे सकते I मैथलीशरण गुप्त ने लिखा है कि - 
     “इन्हें समाज नीच कहता है
      पर है ये भी तो प्राणी I
      इनके भी मन और  भाव है
     किन्तु नहीं वैसी वाणी II

मनुवादी पार्टी की मान्यता है कि सभी मनुष्य सामान है तथा वाणी के असंयम पर सभी को सामान रूप से दण्डित होना चाहिए I मनुवादी पार्टी किसी को नीच नहीं मानती तथा सभी से वाणी पर समान संयम की अपेक्षा करती है I प्रश्न यह है कि मोदी सोनिया तथा अन्य सभी दल इस विन्दु पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि क्या गाली देने में भी आरक्षण होगा ? क्या पिछडो और दलितों द्वारा दी गयी गालियां क्षम्य होंगी तथा किसी ब्राह्मण, क्षत्रिय वैश्य  या कायस्थ  द्वारा दी गयी  गाली इस आधार पर दंडनीय होगी कि इन चारो जातियो को हजारो साल से शिष्टाचार सिखाया गया है तथा इनके मुख से यदि कोई शब्द निकलता है तो वह जबान का फिसलना नहीं माना जायेगा बल्कि सुविचारित वक्तव्य माना जायेगा जो R.S.S. शैली के चिंतन और मंथन शिविरो के बाद निर्गत होता है ? क्रमशः 

Thursday, 21 July 2016

निलंबित भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के नाम खुला ख़त –

निलंबित भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के नाम खुला ख़त –   सामान्यतया मेरी आदत व्यास शैली में विस्तार से लिखने की रही है किन्तु आज कुछ संक्षेप में लिखने का मन हो रहा है I इसके लिए मै अपनी कुछ पिछली पोस्टो का सन्दर्भ दे रहा हूँ जिनको पढ़े बगैर मेरी इस पोस्ट का मर्म पाठक को समझ में नहीं आएगा I  पहली पोस्ट है मधु मिश्र के नाम खुला ख़त और दूसरी पोस्ट है भगवान परशराम की ओर से ब्राह्मण और क्षत्रियो को खुला सन्देश I
    भगवान  परशुराम के सन्देश में बड़ा विस्तृत वर्णन किया गया है कि 1. ब्राह्मण और बाभन में क्या अंतर है I
2. तथा इसी क्रम में क्षत्रिय और ठाकुर में क्या अंतर है I
उस पोस्ट को एक बार दुबारा पढने के बाद यदि आप वर्तमान पोस्ट को पढेंगे तो इसकी आत्मा का सही बोध आपको हो सकेगा I लोहा और इस्पात मूलतः  एक ही है लेकिन विभिन्न प्रक्रियाओ से गुजरते हुए जब लोहे को इस्पात बना दिया जाता है तो  उसमे जंग नहीं लगती I ऋषियों के चरणों में बैठ कर जब कोई संस्कारित होता  है तब वह बाभन से ब्राह्मण बन कर तथा ठाकुर से क्षत्रिय बन कर बाहर निकलता है I
      मायावती जी को मै याद दिलाना चाहूँगा कि वे कांग्रेस को मनुवाद की A टीम तथा भाजपा को मनुवाद की B टीम घोषित करती रही है I असली मनुवादी पार्टी तो अब सामने आयी है I इसके पहले नकली मनुवाद था I मनुवादी पार्टी सभी जीवधारियो को सम्मान देती है I जिस कुत्ते से तुलना करने पर मायावती जी बी.के. सिंह पर बौखला उठती है मनुवादी पार्टी तो उस कुत्ते को भी पूज्य मानती है तथा एक श्रेष्ठ देवता की सवारी के रूप में सम्मानित करती है I शीतला देवी का वाहन होने के कारण गधा भी हमारे प्रणाम का अधिकारी है I सूअर पालने वालो की तो बात ही छोड़ दीजिये हम साक्षात् सूअर को भी प्रणाम करते है क्योकि सूअर भी विश्व के दस प्रमुख अवतारों में से एक है I मछली और कछुए को भी मनुवादियों ने अपना प्रणाम अर्पित किया है क्योकि हमारे आराध्य विष्णु मछली और कछुए के रूप में भी अवतरित हो चुके है I
        भगवत गीता में स्वयं भगवान् कृष्ण ने कहा है – “ईश्वरा सर्वभूतानाम हृद्देशे अर्जुन तिष्ठति”
अर्थात – समस्त जीवधारियो के ह्रदय में ईश्वर स्थित है I जब सम्पूर्ण विश्व में प्रजा को पशुओ की तरह समझा जाता था उस युग में पुरुष सूक्त में लिखा गया कि विराट पुरुष का ब्राह्मण मुख  है, क्षत्रिय बाह है, वैश्य जांघ है, तथा पैर है I  इसप्रकार ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा  शुद्र इनको एक ही विराट पुरुष के विभिन्न अंगो के रूप में निरुपित किया गया I आपस में उत्पत्ति स्थल एक होने के कारण इन्हें भाई- भाई की मान्यता दी गयी I मार्क्स लोहिया तथा अम्बेडकर के अनुयायी मनुवादी साम्यवाद की अवधारणा से कदाचित परिचित नही है I इसके बारे में कुछ लेख आगे चल कर लिखे जायेंगे I  स्वय  महात्मा गाँधी ने समय- समय पर पुरुष सूक्त की वर्णाश्रम व्यवस्था की परिकल्पना का समर्थन किया है I गुरूजी गोलवरकर वर्णाश्रम व्यवस्था के सदैव पोषक रहे है I उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि “धर्मं की सही और वास्तविक व्याख्या वह है जो अनंत श्रीविभूषित करपात्री जी महराज करते है I मै तो उस धर्म की रखवाली मात्र के लिए R.S.S. की शाखाओ को संचालित कर रहा हूँ I ” मनुवादी नेता व कार्यकर्ता कभी किसी को अपशब्द नहीं बोलता I वह मात्र नाक दबाकर तपस्या करता है तथा जो चाहता है वह हो जाता है I इसीलिए मनुवादी पार्टी के प्रारंभिक साहित्य में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि मनुवादियों का ना तो सशस्त्र संघर्ष में विश्वास है और ना ही सत्याग्रह में I कभी मनोरंजन के लिए किसी को ज्ञापन भले ही दे दिया जाये किन्तु हम सिद्धान्तत: इसे  निरर्थक मानते है I  कारण  है कि – जंजीर टूटती नहीं आंसू की धार से
दुख द्वन्द दूर होते नहीं है पुकार से I
   गुरूजी गोलवरकर तथा उनके उत्तराधिकारियो ने इसी भट्टी में तपाकर अटलबिहारी बाजपेई तथा कलराज मिश्र जैसो को बाभन से ब्राह्मण बनाया था तथा राजनाथ सिंह जैसे लोगो को ठाकुर से बदल कर क्षत्रिय कह दिया था I जब से मोदी जी का युग आया है तब से R.S.S. बैकफुट पर आ गया है तथा सरसंघचालक भी आरक्षण सम्बन्धी अपने बयानों की व्याख्या मोदी तथा शिवराज सिंह के बयानों के आलोक में कर रहे है I इसी का कारण है कि भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा समाजवादी पार्टी जैसा हो गया है I
      यह कहना कि दयाशंकर सिंह ने गलत कहा – इस विषय में दो मत नहीं हो सकते है I किन्तु निम्नलिखित यक्ष प्रश्नों का उत्तर समाज मोदी साहब से मागेगा और उन्हें देना ही होगा – 1. क्या भारतीय संविधान में समानता का अधिकार है अथवा नहीं ?  क्या वाही काम कोई सवर्ण करे तो दंडनीय हो और वही काम किसी अन्य जाति का व्यक्ति करे तो कोई कार्यवाही ना हो – क्या यह संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप है ? यदि पूर्व में ऐसे मामलो में कार्यवाही हुई होती तो शायद दयाशंकर सिंह की हिम्मत ऐसा बयांन  देने की ना पड़ती I   कमलेश तिवारी ने जो बयांन  दिया तथा उनपर जो कार्यवाही हुई उसका कोई भी व्यक्ति समर्थन नहीं कर सकता I किन्तु जब माँ दुर्गा को उसी टक्कर की गलिया दी गयी बल्कि उससे भी बढ़कर दी गयी जैसी मायावती जी के लिए दी गयी थी तो उस समय नारी सम्मान की बात करने वाले दिग्गज राज नेता कहा थे ? भारतीय  कानून में देवी देवताओ को जीवित पुरुष का दर्जा दिया गया है तथा उनको भी मान सम्मान से युक्त जीवन का मौलिक अधिकार प्राप्त है I आपराधिक मामला कभी समय बाधित (Time-barred) नहीं होता I क्या मा दुर्गा मात्र इसलिए गाली खाए कि उनको गाली देने वाले एक ऐसे विशिष्ट वर्ग से आते है जोकि एक वोट बैंक बन चुका है तथा सभी उस वोट बैंक के तुष्टीकरण में लगे है I अपने को स्वत: घोषित दुर्गा भक्त बताने वाली स्मृति ईरानी को अभी तो आंशिक झटका लगा है I भगवाकरण के लिए कुख्याति की हद तक जाकर विवादास्पद बन चुकी स्मृति ईरानी को कोई मानव संसाधन मंत्रालय में कोई रोक नहीं सका I  देश की जनता दयाशंकर सिंह से पूछना चाहती है मायावती पर दहाड़ कर अपनी मर्दानगी दिखाने वाले वीर योद्धा की जुबान तब क्यों मुखरित नहीं हो पाई ?  समाज मायावती से इस प्रश्न  का जवाब चाहेगा कि यदि उन्हें कभी दिल्ली में प्रधानमंत्री या ग्रहमंत्री बनने का मौका मिला तो क्या वे ऐसे निर्णायक कदम उठाने का प्रयास करेंगी जिनको उठाने का साहस 56 इंच का सीना रखने वाले मोदी जी तथा उनके दाहिने हाथ राजनाथसिंह नहीं कर सके ? समाज नेता जी मुलायम सिंह जी से भी यह प्रश्न पूछ रहा है कि कमलेश तिवारी पर जिस स्तर की कार्यवाही हुई क्या उसी स्तर की कार्यवाही माँ दुर्गा को गाली देने वालो पर भी संभव हो सकेगी ? समाज इस प्रश्न का उत्तर सोनिया गाँधी से भी पूछ रहा है कि क्या महिलाओ की इज्जत का मूल्याकन उनकी जाति देखकर होगी ?
2. क्या यह देश राष्ट्र और समाज के लिए कलंक की बात नहीं है कि अपने सम्मान की रक्षा के लिए मायावती को स्वय मोर्चा संभलना पड़ा ? क्या भाजपा को स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही नहीं करनी चाहिए थी ? इसी मज़बूरी के चलते मायावती को सारी  दुनिया चाहे “दौलत की बेटी” कहकर संबोधित करे किन्तु दलित उन्हें तब तक दलित की बेटी मानता रहेगा जब तक समाज के अन्य लोग केवल घडियाली आंसू बहायेंगे तथा कोई आगे बढकर कार्यवाही नहीं करेगा I
3. क्या मोदी जी यह बताएँगे कि एक राष्ट्रीय  स्तर की पत्रिका ने एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय मंत्री को “सेक्सी संयासन” घोषित किया था तथा “मैंने प्यार किया” शीर्षक से एक लम्बा लेख उनके विरुद्ध छापा था I क्या पिछड़े वर्ग में पैदा महिला जो सन्यास ले चुकी है तथा जो साधना के बल पर काम वासना को जीतने के मार्ग पर अग्रसर है क्या उसके चरित्र हनन  पर कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिए ? राम का मंदिर बनवाने में संवैधानिक तथा विधिक अड़चने हो सकती है किन्तु राम मंदिर के संघर्ष का प्रतीक बन चुकी महिला के चरित्र की रक्षा के लिए साक्षात्  राम और कृष्ण को अवतरित होना पड़ेगा ?  राम मंदिर आन्दोलन से जुड़ा कोई कार्यकर्ता या नेता इसे कैसे भुला पा रहा है –
तेरी कृष्णा के केशो को दुशाशन दुष्ट ने केशव

भरी महफ़िल में खीचा है इसे तुम भूल मत जाना ...क्रमश:

Wednesday, 6 July 2016

भाजपा की आरक्षण निति पर एक विहंगम दृष्टि (भाग-5)
प्रोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर जनहित में सुब्रत त्रिपाठी (IPS Retd.)  पुलिस महानिदेशक (से.नि.) Advocate- High court  द्वारा मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (बे.शि.), शिक्षा निदेशक  (बे.शि.), समस्त बेसिक शिक्षा अधिकारियो तथा अन्य पर्यवेक्षक अधिकारियो को निर्गत की गयी लीगल नोटिस का प्रारूप --  
सेवा में-
      श्रीमान शिक्षा निदेशक (बेसिक शिक्षा ) प्र ..
      विद्या भवन, निशातगंज लखनऊ
विषय –    पदोन्नति में आरक्षण एवं परिणामी ज्येष्ठता के विषय में सिविल अपील सं.-  2608/2011 यू.पी. पावर कार्पोरेशन लि. बनाम राजेश कुमार व अन्य में  माननीय  सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश/निर्णय दिनांक 27.04.2012 के अनुपालन में श्रीमान मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी आदेश सं.- 8/4/1/2002 टी.सी. – 01 का – 2/2015 कार्मिक अनुभाग -2 लखनऊ दिनांक – 21 अगस्त 2015 के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग में आरक्षण एवं परिणामी ज्येष्ठता के अंतर्गत पदोन्नति प्राप्त शिक्षक/शिक्षिकाओं  एवं कर्मचारियों के पदोवनति आदेश निर्गत कराये जाने के सन्दर्भ में मा. सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना विषयक कार्यवाही प्रारंभ किये जाने के विषय में I
महोदय ,
    उपरोक्त आदेश की पूर्ण जानकारी के वावजूद तथा शासनादेशो  के वावजूद उन आदेशो का अनुपालन ना करा कर के सर्व सम्बंधित द्वारा जानकार मा. उच्चतम न्यायालय की घोर अवमानना की जा रही है जो कि स्वय में एक दंडनीय अपराध है I इस विषय में सादर निम्न अनुरोध है --
1.    यह है कि मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा जारी एव आपको निर्देशित उपरोक्त आदेश दिनांक 21 अगस्त 2015 के अनुपालन में बेसिक शिक्षा विभाग उ.प्र. में पदोन्नति में  आरक्षण एवं परिणामी ज्येष्ठता के अंतर्गत हजारो के संख्या में पदोन्नति प्राप्त शिक्षक/ शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों के पदोवनति आदेश प्रदेश के समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा अद्यतन जारी नही किये गए जो मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित उपरोक्त आदेश / निर्णय दिनांक – 27.04.2012 की घोर अवमानना है I जहा बेसिक शिक्षा अधिकारी अवमानना के लिए प्रत्यक्ष रूप से दोषी है, वही पर्यवेक्षक अधिकारी जैसे सहायक शिक्षा निदेशक, उप शिक्षा निदेशक, संयुक्त शिक्षा निदेशक, अपर शिक्षा निदेशक तथा  शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा आदि अप्रत्यक्ष रूप से दुष्प्रेरण (ABETMENT) के दोषी है तथा मा. उच्चतम न्यायालय की घोर अवमानना के पीछे गंभीर निहित स्वार्थ (VESTED INTEREST) के होने की संभावना को नकारा नही जा सकता है जिसके लिए उन्हें न्यायालय की अवमानना में दण्डित किये जाने के अतिरिक्त उच्चस्तरीय जाँच करा कर समुचित वैधानिक तथा विभागीय जाँच में दण्डित किया जाना अपेक्षित है I जहा तक प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा तथा मुख्य सचिव का प्रश्न है, मा. उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन करने के लिए निर्देश निर्गत करने वावजूद भी वे मा. उच्चतम न्यायालय की अवमानना के दोषी है क्योकि उन्होंने मात्र आदेश निर्गत कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली तथा समयबद्ध तरीके से समुचित अनुश्रवण कर न केवल  LETTER बल्कि SPIRIT में मा. उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित नही कराया I मात्र आदेश निर्गत करने की औपचारिकता का निर्वाह किया गया तथा मा. उच्चतम न्यायालय के आदेशो की घोर अवमानना के जाती रही तथा प्रमुख सचिव बे.शि. एव मुख्य सचिव मूक दर्शक बने रहे I बार –बार पक्ष और विपक्ष में कर्मचारीगण सड़क पर उतरे तथा आन्दोलन किये I इस प्रकार इस प्रकरण की समाचार पत्रों, टेलिविज़न चैनलों तथा समय-समय पर उभय पक्ष द्वारा प्रेषित किये गए ज्ञापनो की पृष्ठभूमि में प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा तथा मुख्य सचिव मा.उच्चतम न्यायालय की अवमानना से अनिभिग्य नही काहे जा सकते तथा वे भी अवमानना के उतने ही दोसही है I  
2.    यह है कि मा. उच्चतम न्यायालय द्वारा  निस्तारित सिविल अपील न. 2679 / 2011 में योजित कन्टेम्ट पिटीशन (सी) न. 214 / 2013 श्रीमान मुख्य मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा शपथ पत्र देकर मा. उच्चतम न्यायालय को बताया गया है कि मा. उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित उपरोक्त आदेश /निर्णय दिनांक 27.04.2012 का उत्तर प्रदेश के सभी विभागों में पालन करा दिया गया है तथा जारी सूची के क्रमांक - 38 पर बेसिक शिक्षा विभाग उ.प्र. के मात्र 132 कर्मचारियों का पदावनति अंकित किया है जो उच्च अधिकारी संवर्ग के है तथा प्रदेश के लगभग चालीस हजार से अधिक शिक्षको, अन्य कर्मचारियों एव खंड शिक्षा अधिकारीयों के पदावनति आदेश जान भुझ कर अद्यतन जारी नही किये गए है, साथ ही जिम्मेदार अधिकारियो द्वारा प्रकरण को लगातार टाला जा रहा है I इस प्रकार  मा. उच्चतम न्यायालय में झूठा शपथ पत्र देकर माननीय उच्चतम न्यायालय की घोर अवमानना की गयी है I इस प्रकार  मा. उच्चतम न्यायालय के साथ जान बुझ  कर छल  किया गया है जोकि सर्वथा दंडनीय है I   
3.   यह है कि वर्ष 2015 में जनपद रायबरेली के बछरावा ब्लाक की खंड शिक्षा अधिकारी श्रीमती विमलेश कुमारी गौतम को आरक्षण के अंतर्गत पदोन्नति का लाभ देकर  माननीय उच्चतम न्यायालय की घोर अवमानना की गयी है, इसीप्रकार चर्चा है कि प्रदेश के कुछ जनपदों में परिणामी ज्येष्ठता के अंतर्गत पदोन्नतिया भी की गयी है, जो माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना है I ऐसे प्रकरणों की न्यायालय के स्तर से सूची तलब करके इसके लिए उत्तरदायी अधिकारियो को मा. उच्चतम न्यायालय की अवमानना के लिए सामन्यतया दिए जाने वाले दंड के अतिरिक्त (EXEMPLARY PUNISHMENT) दिया जाना नैसर्गिक न्याय के हित में होगा
4.   यह है कि जनपद रायबरेली में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रायबरेली ने अपने पत्रांक / 1468 -75/2016-17 दिनांक -20.5.16 द्वारा पदोन्नति में आरक्षण एव परिणामी ज्येष्ठता के अंतर्गत पदोन्नति प्राप्त 407 शिक्षक/ शिक्षिकाओं के पदावनति आदेश निर्गत कर दिए गए थे I
5.   यह है कि श्रीमान सचिव उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद इलाहबाद ने श्रीमान शिक्षा निदेशक (बे.शि.) उत्तर प्रदेश के अविहित पत्रांक संख्या – डी.ई./253-55 /2016 -17 दिनांक – 23 मई 2016 एव आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के पत्रांक – 123 /5 /2016 दिनांक – 23 मई 2016 का उल्लेख करके अपने कार्यालय पत्रांक -  बेसिक शिक्षा परिषद/1857 -58 /2016-17, दिनांक 24.5.16 द्वारा श्रीमान जिला बेसिक शिक्षा रायबरेली को निर्देशित कर सुचना मांगी कि   आप द्वारा प्रस्तुत किये गए अभिलेखों का परिक्षण किया गया I परीक्षणोंप्रान्त यह पाया गया कि प्रकरण में यह नही स्पष्ट हो रहा hi कि पदावनत किये गए अध्यापको की पदोन्नति तिथि क्या थी तथा क्या उनकी पदोन्नति परिणामी ज्येष्ठता के आधार पर की गयी थी” जो पूरी तरह  गलत और झूठ है तथा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रायबरेली ने श्रीमान सचिव  उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद् इलाहबाद को बिना कोई सुचना दिए अपने पत्रांक -1700-1707 /2016 -17, दिनांक 28.5.16. द्वारा अपने पूर्व पदावनति आदेश पत्रांक /1468 -75 / 2016 -17 दिनांक 20.5.16.को प्रक्रियागत त्रुटी का उल्लेख कर निरस्त कर दिया जो मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वरा उपरोक्त आदेश/निर्णय दिनांक 27.04.2012 की घोर अवमानना है I
    यह कि पदावनत के पूर्व आरक्षण के सम्बन्ध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी भी सुनवाई से साफ़ मना कर दिया गया है, इसके वावजूद शिक्षा निदेशक (बे.) उ.प्र. एव सचिव उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद् इलाहबाद एव बेसिक शिक्षा अधिकारी रायबरेली द्वारा आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति उ.प्र. के पत्रों को संज्ञान में लेकर पदावनत आदेश निरस्त किया /कराया गया, जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश/निर्णय दिनांक 27.4.2012 की घोर अवमानना के साथ –साथ दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है I
6.   यह है  की जनपद  बहराइच सहित प्रदेश के कुछ जनपदों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा मात्र पदोन्नति में परिणामी ज्येष्ठता के अंर्तगत पदोन्नति प्राप्त कुछ शिक्षक/ शिक्षिकाओं की  पदावनति नहीं की गयी है जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वरा पारित उपरोक्त आदेश/निर्णय दिनांक . 27.4.2012 की घोर अवमानना है I
7.   यह है की जनपद  लखनऊ सहित प्रदेश के अन्य  जनपदों में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा पदोन्नति  एव  परिणामी ज्येष्ठता के अंर्तगत पदोन्नति प्राप्त शिक्षक/ शिक्षिकाओं की  पदावनति नहीं की गयी है तथा खानापूर्ति के नाम पर लगातार प्रकरण को टाला जा रहा है जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वरा पारित उपरोक्त आदेश/निर्णय दिनांक . 27.4.2012 की घोर अवमानना है I
अतः आप से विनम्र निम्न निवेदन है कि –
(अ)                  माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश/ निर्णय दिनांक 27.4.2012 के अनुपालन में जिन शिक्षक/ शिक्षिकाओं का पदावनत या आदेश अपेक्षित हो उनके सम्बन्ध में एक सप्ताह में अनुपालन सुनिश्चित करा कर वेतन फ्रीज करा दिया जाये I  
   (ब)     श्रीमान मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ के आदेश सं. 8/4/1/2002 टी.सी. – 01 का – 2/2015 कार्मिक अनुभाग- 2 लखनऊ दिनांक 21 अगस्त 2015 एव सचिव उत्तर प्रदेश परिषद् इलाहबाद के पत्रांक – बे.शि.प./8250 -8343 /2015 -16 दिनांक 26.8.15 के अनुपालन हेतु प्रदेश के समस्त परिषदीय विद्यालयो में कार्यरत शिक्षक/ शिक्षिकाओं के  एव कर्मचारियों तथा खंड शिक्षा अधिकारियो ने  , जो पदोन्नति में आरक्षण में एव परिणामी ज्येष्ठता का लाभ दिनांक 15.11.1997 से आज तक प्राप्त किया है, उनकी पदावनति (रिवर्ट) एक सप्ताह में कराकर सभी का वेतन फ्रीज कराया जाये I
(स) विन्दु से की कार्यवाही एक सप्ताह में न कराए जाने की स्थिति में अधोहस्ताक्षरी माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जनहित में शिक्षको के गिरे हुए मनोबल के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट को रोकने हेतु तथा मा. उच्चतम न्यायालय की गारिमा तथा भारतीय संविधान के सर्वोपरि स्वरूप की रक्षा हेतु  मा. सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका योजित करेंगे, जिसके हर्जे, खर्चे आदि की सम्पूर्ण जिम्मेदारी व्यक्तिगत रूप से आप व निम्न सभी अधिकारियो की होंगी जिनको यह पत्र पृष्ठांकित है I

               भवदीय
दिनांक – 07.07.2016
सुव्रत त्रिपाठी IPS (Retd.)         
पुलिस महानिदेशक (से.नि.)        
Advocate- High Court

मो. 09519259187
पता- 3/279 विशाल खंड गोमतीनगर लखनऊ 

प्रतिलिपिसूचनार्थ व आवश्यक कार्यवाही हेतु :-
1.   श्रीमान मुख्य सचिव महोदय, उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ I
2.    श्रीमान प्रमुख सचिव (बेसिक शिक्षा) उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ I
3.   श्रीमान सचिव उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद् इलाहबाद I
4.   श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी रायबरेली I
5.   श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी लखनऊ  I
6.   श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी सहरानपुर I
7.   श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रबुद्ध नगर I
8.   श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी मुजफ्फरनगर I
9.   श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी भागपत I
10.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी मेरठ I
11.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बिजनौर I
12.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी गाजियाबाद  I
13.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी पंचशील नगर हापुड़  I
14.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी ज्योतिबाफुलेनगर  अमरोहा I
15.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी मुरादाबाद I
16.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी गौतम बुद्ध नगर  I
17.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बुलंदशहर  I
18.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी भीमनगर संभल  I
19.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी रामपुर I
20.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बदायु I
21.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बरेली I
22.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी पीलीभीत I
23.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी अलीगढ I
24.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी मथुरा I
25.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी महामाया नगर हाथरस I
26.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी काशीराम नगर कासगंज  I
27.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी फरूखाबाद I
28.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी शाहजहापुर I
29.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी लखीमपुर खीरी I
30.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा I
31.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी फिरोजाबाद I
32.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा I
33.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी मैनपुरी I
34.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी इटावा I
35.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी कन्नौज I
36.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी हरदोई I
37.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी सीतापुर I
38.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बहराइच I
39.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी श्रावस्ती I
40.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी औरिया I
41.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी जालौन I
42.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी रमाबाई नगर कानपूर देहात  I
43.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी कानपूर I
44.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी उन्नाव I
45.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बाराबंकी I
46.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी गोंडा I
47.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बलरामपुर I
48.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी सिद्धार्थनगर I
49.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी झांशी I
50.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी ललितपुर I
51.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी हमीरपुर I
52.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बाँदा I
53.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी फतेहपुर I
54.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी अमेठी I
55.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी फैजाबाद I
56.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बस्ती I
57.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी महोबा I
58.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी चित्रकूट I
59.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी कौशाम्बी I
60.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रतापगढ़  I
61.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी सुल्तानपुर I
62.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी अम्बेडकरनगर I
63.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी संत कबीर नगर I
64.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी महाराजगंज I
65.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी इलाहबाद I
66.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी जौनपुर I
67.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़ I
68.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर I
69.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी मिर्ज़ापुर I
70.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी संत रविदास नगर भदोही  I
71.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी वाराणसी I
72.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी गाजीपुर I
73.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी मऊ I
74.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी देवरिया I
75.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर I
76.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी सोनभद्र I
77.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी चंदौली I
78.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी बलिया I
79.                श्रीमान बेसिक शिक्षा अधिकारी मेरठ I