Sunday, 24 July 2016

निलंबित भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के नाम खुला ख़त – (भाग – 3)

निलंबित भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के नाम खुला ख़त –  (भाग – 3)
5. भाजपा और संघ परिवार को यह गंभीर आत्मचिंतन करना होगा कि कहीं मायावती की टीम में बैठा हुआ कोई द्रोणाचार्य चक्रव्यूह बनाकर अभिमन्यु वध की योजना में तो नहीं लगा है I मधु मिश्रा ने जो भाषण दिया था उस भाषण को मै दोहराना नहीं चाहता लेकिन भाजपा और R.S.S. के थिंक टैंक जरा मधु मिश्रा और दयाशंकर सिंह  के भाषणों का तुलनात्मक अध्ययन कर ले I  मधु मिश्रा के भाषण में पूरी की पूरी अनुसूचित जाति को गाली दी गयी I इसके विपरीत दयाशंकर सिंह के भाषण में केवल मायावती जी को अपशब्द कहे गये तथा वह भी चरित्र के विषय में नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के विषय में लगाये गए ऐसे आरोपों के बारे में जो भले ही झूठ हो लेकिन स्वयं बसपा से निकले हुए अथवा निकाले हुए लगभग सभी नेताओं ने लगाये है I मै पुन: दोहराना चाहता हूँ कि मै दयाशंकर सिंह के बयानों की निंदा कर रहा हूँ लेकिन मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की  हैसियत से  मात्र इतनी मांग कर रहा हूँ कि सवर्णों के अलावा
   पिछड़ो तथा अनुसूचित जाति के जिन नेताओं ने अमर्यादित बयान दिए है उन सभी पर उसी स्तर की कार्यवाही सुनिश्चित हो I जिस प्रकार उत्तर प्रदेश का यादव समाज श्रीराम गोपाल यादव को प्रखर चिन्तक मानता है वही स्थिति  क्षत्रिय समाज की निगाह में श्री राजनाथ सिंह की है I वी.के.सिंह जी की तुलना लोग चाहे या ना चाहे उस स्थिति से करते है जो उत्तर प्रदेश में शिवपाल यादव जी की है I  क्षत्रिय समाज आज यह प्रश्न पूछ रहा है कि क्या कारण है कि मधु मिश्रा पर FIR लिखाने के लिए कोई बसपाई आगे नहीं बढ़ा तथा दयाशंकर सिंह पर कार्यवाही करने में उग्रवादियों से भी बढ़कर तेजी बरती गयी I इसका उत्तर है मनुवादीपार्टी का जन्म तथा उदय I यदि क्षत्रिय वोटर मनुवादी पार्टी का दामन थाम ले अथवा यदि उन्हें उन ऋषियों की संतानों पर अविश्वास हो जिन्होंने सत्ता की चकाचौंध से दूर रहकर दसियों हजार साल तक उनका राज्याभिषेक किया तथा वे नेपाल के राजा न बन पाए, इसके लिए रिमोट कण्ट्रोल सत्ता का अपने पास इस अर्थ में रखा कि राजा आश्रम के बाहर अपने मुकुट और जूते उतार कर आश्रम में प्रवेश करता था तथा साष्टांग दंडवत करता था तो  क्षत्रिय वीर समाजवादी और बसपा की तरह स्वयं कोई पार्टी बनाकर उसके साथ प्रभावी संख्या में जुड़ जाये तथा सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस तथा मनुवादी समेत जितनी पार्टिया है उनसे वार्ता करे तथा जिस समीकरण में उनके हित सर्वाधिक सुरक्षित हो उसको वोट दे – उसी दिन किसी क्षत्रिय को जलील करने की हैसियत किसी की नहीं बचेगी I यह ध्यान रहे की पार्टी चाहे छोटी हो या बड़ी किन्तु उसमे वही लोग लिए जाये  जो अपने वोट को TRANSFERABLE बनाने को तैयार हो I आज क्षत्रिय voter क्षत्रिय के साथ है क्षत्रिय हित के साथ नहीं है I क्षत्रिय और क्षत्रियहित में एक मौलिक अन्तर है I मायावती जी के पिछले कार्यकाल में जितना कड़ा अनुसूचित जाति अधिनियम था मोदी जी ने उस से हजार गुना कड़ा कर दिया है I विशेष जानकारी के लिए अधिनियम पर मेरी पिछली पोस्टो को पढने  का  कष्ट करे I मैंने उस पहली पोस्ट में ही स्पष्ट कर दिया था कि इस अधिनियम का सर्वाधिक खामियाजा ठाकुरों और भूमिहारो को तथा पिछड़े वर्ग में यादवों और कुर्मियो को झेलना पड़ेगा I ब्राह्मण कभी हारने वाली लड़ाई छेड़ता ही नहीं है I चाणक्य ने जब चन्द्रगुप्त का रुख बदला बदला देखा तो “शिखाम बद्धाम मोक्तुम” अर्थात् बांधी हुई शिखा को फिर से खोलने का मन कर रहा है किन्तु जब उसने गंभीरता से चन्द्रगुप्त मौर्य की चक्रवर्ती सम्राट की स्थिति अपने बुढ़ापे तथा समाज की मन: स्थिति को भांप लिया तो तुरंत उसने पलटी मारी तथा अपने धुर विरोधी राक्षश को महामात्य पद के लिए प्रस्तावित कर दिया जोकि नन्द वंश का महामात्य था तथा जिसके विरुद्ध उसने आजीवन संघर्ष किया था –
     “मित्र हम तो वंशधर चाणक्य के है
      वक्त पर तेवर दिखाना जानते है I
       राजसत्ता चरण की दासी रही है
      हम चलन उसको सिखाना जानते है II”
इसी प्रकार परशुराम जैसे क्रोधी ब्राह्मण ने भी राम से सीधी लड़ाई नहीं छेड़ी – चाहे लक्ष्मण ने  कितनी भी उत्तेजक वाणी क्यों न बोली हो I परशुराम ने  पहले राम के व्यक्तित्व को आजमाया, और तदोपरान्त परीक्षा  लिया –
राम रमापति  कर धनि  लेहू I  
खैचहु चाप मिटे संदेहू II
परीक्षा में दिए गए इस प्रश्न का उत्तर जब राम ने हल कर लिया तो  परशुराम के मन की मनोदशा का वर्णन तुलसीदास जी ने इन शब्दों में किया है –
     छुवत चाप आपुहिं चढ़ी गयउ I
     परशुराम मन  विस्मय  भयउ II  
मन में विस्मय उत्पन्न होने के बाद गौद्विज हितकारी राम को मान्यता देते हुए पुरस्कार में अपने शस्त्र प्रदान कर परशुराम जी तपस्या करने चले गए     I किन्तु क्षत्रिय शेर की तरह दहाड़ मारकर लड़ता है तथा लड़ाई को पूर्णाहुति पर पहुचाये बगैर विजयोत्सव   मनाने लगता है ठाकुर का    सिद्धान्त है कि भागते हुए शत्रु का पीछा नहीं करना चाहिए जब कि ब्राह्मण का सिद्धान्त है कि शत्रु और अग्नि का नाम मात्र का अवशेष भी नहीं छोड़ना चाहिए I वीरता के  ज्वलन्त रूप पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को 17 बार हराया, किन्तु उसे क्षमा कर दिया I  चाणक्य के निर्देशन में केवल एक बार चन्द्रगुप्त मौर्य ने यवन सेना को हराया तथा यूनान की राजकुमारी भारत की महारानी बन गयी I ठाकुर को जब  अपने आश्रम में प्रशिक्षित करके ब्राहमण क्षत्रिय बना लेता है तो वह क्षत्रिय भी उसी ब्राह्मण रणनीति ने अनुरूप युद्ध संचालन करने लगता है I राम इसके ज्वलंत  उदहारण है –       
    ‘निशिचर हीन करो माहि भुज उठाईं प्रण कीन I’
अर्थात् – राम केवल   राक्षसों को हराने की प्रतिज्ञा नहीं किये बल्कि उनके  समूल उन्मूलन का प्राण किये I अगर पृथ्वीराज चौहान राम की शैली में लड़े होते और दया का भाव न लाते तो भारत का इतिहास कुछ और होता I  अंतर केवल इतना था कि पृथ्वीराज चौहान के पास चंदरबरदाई तो था I  किन्तु कोई वशिष्ठ नहीं था I यही स्थिति आज क्षत्रिय  महासभाओ में आ गयी है , जिसके कारण सभी पार्टिया उनकी प्रतिष्ठा ने खिलवाड़ कर रही है I अभी तक किसी क्षत्रिय  महासभा ने राज नाथ सिंह से यह नहीं पूछा कि अभी कुछ महीने पहले जो अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम में संशोधन किये गए उनके चलते क्या किसी सवर्ण या पिछड़े की मर्यादा सुरक्षित रह सकती है ? मायावती के समय में जितना कड़ा SC/ST ACT था I उससे हज़ार गुना कड़ा  SC/ST  ACT मोदी और राजनाथ सिंह ने पारित करवा दिया है I इस विषय पर मैंने कई लेख लिखे है , जिन्हें कोई पढ़ तो उसकी आँखे खुल जाएगी I अभी तो यह एक बानगी है कि एक बड़े कद के  क्षत्रिय के साथ इस अधिनियम का दुरुपयोग किया गया I यदि यह संशोधित अधिनियम न होता तो इतना गंभीर अपराध न बनता I  गाव में रहने वाले तमाम गरीब क्षत्रियों का हाल क्या होगा, जिनके पास एक फेसबुक भी नहीं है I तथा एक बढ़िया क्वालिटी का फ़ोन भी नहीं है, यदि सवर्ण या पिछड़ी महिला से सामूहिक बलात्कार हो जाये या गंभीर यौन शोषण हो तो उसका फैसला 10 साल में होगा, और इस बीच गवाहों पर क्या बीतेगी इसका अंदाजा आशाराम बापू के मामले में क्या हो रहा है इस से लगाया जा सकता है, किन्तु बिना किसी मेडिकल, बिना किसी शाक्ष्य के , बिना किसी स्पर्श या छेड़खानी के , मात्र किसी अनुसूचित जाति की महिला द्वारा मात्र यह आरोप लगा देने से कि अमुक व्यक्ति उसको टकटकी लगाकर देख रहा था यह ऐसा अपराध माना  जायेगा कि 2 महीने में विवेचना तथा अगले 2 महीने में ट्रायल समाप्त हो जायेगा तथा न्यायालय का फैसला भी आ जायेगा I  मनुवादी पार्टी ने इस सम्बन्ध में समाज को आगाह करने के लिए कई लेख लिखे कि कितना बड़ा अनर्थ हो रहा है, तथा इसका कितना बड़ा दुरुपयोग होगा I दयाशंकर सिंह जी के खिलाफ विवेचना 2 महीने में पूरी कर ली जाएगी तथा अगले 2 महीने में मा. न्यायालय को भी मुकदमे की सुनवाई पूरी कर लेनी पड़ेगी I किन्तु  दयाशंकर सिंह  की पत्नी स्वाति सिंह ने जो आरोप लगाये है उनकी विवेचना कब पूरी होगी – इसके लिए कानून ने अनिश्चित काल का समय दे दिया है तथा न्यायालय का ट्रायल पूरा होने में तो उम्र बीत जाएगी I ऐसे  अधिनियम को पारित करने के बाद यदि समस्त सवर्ण सभाओ और  पिछड़ा वर्ग की सभाओ ने यह चेतावनी दी होती कि यह अधिनियम निरस्त नहीं हुआ तो इसका बदला हम चुनाव  के दिन उन सभी पार्टियों के  प्रत्याशियों  से लेंगे जिन्होंने इसके लिए हाथ उठाया है I हमे मधु मिश्रा तथा दयाशंकर सिंह से कोई सहानभूति नहीं है क्योंकि जब यह अधिनियम पारित हुआ तो उस समय में विरोध में इन लोगो ने अपनी पार्टी से त्याग पत्र नहीं दिए किन्तु दयाशंकर की पत्नी व बेटी पर जो आरोप लगाये गए उसके लिए मनुवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता आखिरी साँस तक संघर्ष करने को तैयार है I मै पुन: दोहराना चाहूँगा कि अनुसूचित जाति अधिनियम पारित होने बाद भी जो ब्राह्मण या क्षत्रिय या पिछड़ा भाजपा में बना हुआ है,  वह हमारी सहानभूति का पात्र नहीं है किन्तु यदि उसके परिवार का मान सम्मान खतरे में पड़ता है तो जिस प्रकार जटायू ने सीता माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की उसी प्रकार चाहे हमारा समर्थक हो या विरोधी किसी भी जाति या धर्म की महिला के साथ यदि कोई बदजबानी की जाएगी तो मनुवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता उसके सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देगा I यदि प्रदेश की क्षत्रिय महासभाए  स्वाति सिंह को स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर 2017 के  विधानसभा चुनाव में उतारने को तैयार हो तो मनुवादी पार्टी की ओर से बिना किसी देरी के पूर्ण समर्थन की घोषणा की जाएगी I किन्तु बीजेपी, कांग्रेस, सपा तथा बसपा सभी पार्टिया आरक्षण का तथा SC/ST ACT का समर्थन कर रही है, इस में से किसी का उम्मीदवार बनने पर हम साथ आने को तैयार नहीं है I  क्षत्रिय समाज अगर मनुवादी पार्टी के बैनर से उतरना चाहे तो भी इसकी घोषणा की जा सकती है तथा यदि वह कोई अलग मंच बनाकर मैदान में उतरना चाहे तो भी उसके इस अभियान में आशीर्वाद स्वरूप मनुवादी पार्टी राज्याभिषेक का मंत्र पढने  के लिए तैयार है I ब्राह्मणों के केवल कुछ हिस्सो को जागरूक बनाने में हम सफल हो पाए  है (25%) तथा क्षत्रिय में अभी हम केवल 5% में यह भावना ला पाए है कि  वे जातीय आधार  पर अपने सजातीय को वोट ना देकर अपने हितो के साथ रहने वालो को वोट दे I आज हर पार्टी अम्बेडकर भक्त हो गयी है, जबकि कांग्रेस समेत सभी पार्टिया अभी हाल तक उनके विरुद्ध थी I  इसका कारण यह है कि अनुसूचित जाति का अधिकांश वोटर जातिवाद से मुक्त हो गया है I  आज अनुसूचित जाति का व्यक्ति यह नही देखता कि कौन सा व्यक्ति अनुसूचित जाति का है I यदि किसी सामान्य सीट पर आज बीजेपी का एक अनुसूचित जाति का प्रत्याशी खड़ा कर दिया जाये तथा मायावती उसी सीट से किसी ब्राह्मण क्षत्रिय पिछड़ी या अल्पसंख्यक को टिकट दे दे तो अनुसूचित जाति  के अधिकांश लोग अपने समाज के प्रत्याशी को वोट ना देकर मायावती का टिकट धारण करने वाले सवर्ण पिछड़े या अल्पसंख्यक को वोट दे देगें I  यदि मायावती 2 अगल- बगल  की सीटो पर एक सीट पर शिव सेना तथा दूसरी पर ओवैसी को  समर्थन  की घोषणा कर दे तो उनके समाज का आदमी उनकी इच्छा  के अनुसार शिवसेना या ओवैसी के प्रत्याशी को वोट  देगा I इसे  TARANSFERABLE वोट बैंक कहते है आज की डेट में बड़े पैमाने पर यह वोट बैंक  मायावती को छोड़ कर और किसी के पास नहीं है I छोटे स्वर पर मनुवादी पार्टी के पास यह वोट  बैंक है I  हमारे पास चाहे बहुत बड़ा वोट बैंक न हो,  किन्तु यदि आदेश निर्गत हो जाये तो हमारा कार्यकर्ता उस पार्टी को वोट दे देगा I  जिस पार्टी से अथवा जिस पार्टी के कैंडिडेट से उसको सख्त नफरत है इसी के बूते मधु मिश्र  के खिलाफ कोई मुकदमा कायम नहीं हुआ क्योँकि BSP को मालूम था कि ब्राहमणों के एक तबके  में ऐसी जागरूकता पैदा हो गई है कि वह बीजेपी  या किसी पार्टी के साथ नहीं है बल्कि इस मनास्थिति में है कि  आरक्षण अथवा SC ST ACT के अंतर्गत किसी का  उत्पीड़न किया तो वह और कुछ कर पाए या नहीं ,  उत्पीड़न करने वाली पार्टी से उन सीटो पर तो  वह बदला ले ही लेगा  जहा से उसके समाज के प्रत्याशी  खड़े किये गए है I  क्षत्रिय समाज को  हमारा परामर्श  है कि वह चाहे तो मनुवादी पार्टी के साये में चल रहे दसियो हजार साल पुरानी वर्णाश्रम  व्यवस्था के कार्यक्रम में चला आवे अन्यथा स्वयं की एक ऐसी टीम बनाये जो कि अपने समाज के हितो को देखकर अथवा तौल कर समर्थन  दे और ले I आज स्थिति यह है कि जिस किसी भी  सीट से किसी भी पार्टी से कोई क्षत्रिय प्रत्याशी खड़ा हो जाता है उस समाज का अधिकांश तबका उस सीट पर उसके पाले में  चला जाता है I जिस किसी भी  पार्टी ने टिकट दिया हो हर क्षत्रिय महासभा अधिक से अधिक से क्षत्रियों  को  चुनाव में जिताने   का प्रयास करती है तथा यह क्षत्रिय प्रत्याशी जीत कर आरक्षण तथा  SC / ST ACT के पक्ष में हाथ उठाते  है I अभी हाल तक यही स्थिति ब्राह्मण महासभा की भी  थी I  किन्तु मनुवादी पार्टी के उदय के साथ इस स्थिति में 25 % बदलाव आया है I अब 25 % ब्राह्मण इन मानसिकता का हो गया है कि वह ब्राह्मण प्रत्याशी जिताने  के चक्कर में नहीं है बल्कि उस प्रत्याशी को समर्थन देगा जो कि आरक्षण तथा SC/ST ACT के विरोध में आवाज उठायेगा I  हम अनुसूचित जातियो पर अत्याचार के समर्थक नहीं है I  सिविल राइट्स एक्ट की भावना ठीक थी क्योकि  वह तब लागू होता था जब कि जातिगत आधार पर कोई उत्पीड़न हो I अगर केवल एक अल्टीमेटम क्षत्रिय महासभाओ की ओर  से जारी हो कि  SC/ST ACT तथा  आरक्षण के मुद्दे पर मोदी के सत्ता में आने से पहले जितना दर्द समाज झेल रहा था अगर उस दर्द को मोदी मिटा नहीं सकते या घटा नहीं सकते तो मोदी तथा राजनाथसिंह कम से कम उस दर्द को बढ़ने न दे अन्यथा इस का परिणाम हम २०१७ दे चुनाव में चखा देंगे तो सता के गलियारों में सनसनी आ जाएगी I  तथा इस दिशा में बढे हुए कदम वापस आ जायेंगे I पुनः दोहराना चाहता हूँ की स्वाति सिंह तथा उनका  समाज अपने को अकेला न महसूस करे I  इस संघर्ष में जनबल के साथ उनके साथ है I  हमारा आशीर्वाद उनके साथ है I  जब समस्त  देवता निस्तेज हो गए तो देवी माँ को मोर्चा संभालना पड़ा I जब राणा बेटी के हाथों से घास की रोटी  को विलाव द्वारा छीन ले जाने के बाद शिथिल पड़ने लगे थे तथा अवसाद ग्रस्त हो गए थे तो चित्तौड की महारानी ने राणाप्रताप को इन शब्दों में ललकारा था –
    कह सावधान रानी ने,
     राणा का थाम  लिया कर I
     बोली  अधीर पति  से वह,
    कागद मसि पात्र छिपा कर II
      यदि तू ही कायर बन कर,
       बैरी से संधि करेगा I
     बोझा अखंड भारत का,
    फिर कौन सीस पर लेगा II
    झाला संमुख मुस्काता,
    चेतक धिक्कार रहा है I
     असि चाह रही  कन्या भी,
      तू आंसू ढार रहा है II
     थक गया समर  से यदि तो,
       अपनी तलवार मुझे दे I
       मै चंडी सी बन जाऊ,
        अपनी करवाल मुझे दे II  
आज स्वाति सिंह में  मुझे उसी चित्तौड की महारानी  के दर्शन हो रहे है तथा उनके सम्मान में मुख  से बरबस निकल रहा है-  कहाँ  पद्मिनी  का पराग है,
 सिर से उसे लगा लें  हम I  
 रतन सिंह का क्रोध कहाँ है,
  गातरक्त गर्मा लें हम II  
दयाशंकर अगर कही भी यह फेसबुक पढ़ रहे हो तो उनसे मेरी अपील है की वे अंडर ग्राउंड न रहे निकलकर अपनी ग्रिफ्त्तारी दे I  न्यायालय में भी उन्हें हाजिर होने की जरूरत नहीं है I  वे सीधे जिस थाने में FIR हुई है, उस थाने पर या उस जिले के पुलिस अधीक्षक या  DM कार्यालय पहुचे I मुझे पूरा विश्वास है कि राजनाथ की रैली में जितने लोग भाषण सुनने  आते है, उससे अधिक क्षत्रिय  नौजवान  उनके साथ अपनी गिरफ़्तारी  देने को मिल जायेंगे I  या तो समस्त क्षत्रिय  सभाए इस कार्य में उनकी सहभागी होगी अन्यथा उनका अस्तित्व समाप्त हो जायेगा I  वे एक सूत्री मांग रखे कि वे मर्यादा के अतिक्रमण के प्रायश्चित में अपने आप को कानून के हवाले कर रहे है  किन्तु  उनकी मेरी माँ उनकी बेटी  तथा उनकी पत्नी  के खिलाफ जिन लोगो ने अश्लील बाते कही हो, उनके खिलाफ भी समान कार्यवाही  हो I सपा के क्षत्रिय  मंत्रीयों  एवं विधायको को मुख्यमंत्री से मिलकर यह मांग करनी होगी कि  दयाशंकर सिंह के लिए हमें दया की भीख नहीं चाहिए किन्तु CROSS FIR में जिन लोगो को अभियुक्त बनाया गया है उनपर समयबद्ध प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई तो हम अपने समाज में मुह दिखाने लायक तथा वोट मांगने  लायक नहीं बचेगे I  बीजेपी  के समस्त विधायको तथा सांसदों से गिरफ़्तारी देते समय दयाशंकर यह अपील करे की गृह मंत्री राजनाथ सिंह ऊ० प्र० सरकार को निर्देशित करे की शांति के हित में तत्काल सभी अभियुक्तो पर प्रभावी कार्यवाही की जाये चाहे वे किसी पार्टी के हो I ऐसा निर्देश निर्गत करने का अधिकार संविधान के अंर्तगत गृह मंत्री राजनाथ सिंह को है  तथा निर्देश न मानने पर कोई भी राज्य सरकार बर्खास्त की जा सकती है I  अब तक किसी भी राज्य सरकार ने किसी उचित कार्य के लिए  किसी केन्द्रीय सरकार के निर्देश की अवहेलना करने का साहस नहीं किया है I राज्य सरकारों की  बर्ख़ास्तगी पर मा. उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय ने जब भी हस्तक्षेप किया है वह इस आधार पर  किया है कि  दुर्भावना पूर्ण ढंग से तिकड़म से सरकारों को गिराया गया है I यदि सही निर्देश के पालन करने को कहा जाये तो राज्य सरकार यह साहस नहीं कर सकती कि  वह न माने I
       दयाशंकर सिंह तुम क्यों  छिपे बैठे हो ? अगर कुछ मुह से निकल ही गया तो क्षत्रिय मर्यादा का ध्यान रखते हुए तुममे उसकी क्षमा याचना कर ली I   मत डरो गीता में भगवान् कृष्ण ने अर्जुन से जो कहा है,  उसे  गुरु मंत्र के रूप में तुम्हरे कान में फूंक रहा हूँ -  
क्लैव्यम मा स्म गम: पार्थ
नैतत्वय्युपपद्यते I
क्षुद्र्म ह्रदयदौर्बल्यं   
त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप II
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्ग
जित्वा वां भोक्ष्यसे महीम I
 तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय
 युद्धाय कृतनिश्चिय:II

 ( हे अर्जुन!  नपुंसक मत बन, यह तुझको शोभा नहीं देता है I ह्रदय की दुर्लबलता मत दिखा I  ह्रदय को छोटा मत कर I कमजोरी को छोड़कर उठ खड़ा हो I  यदि मारा गया तो स्वर्ग मिलेगा I  यदि जीता तो इसी धरती का भोग करेगा I क्यों चिंता कर रहा है ? )

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