भाजपा की छद्म गृह नीति और उसके निहतार्थ – (भाग -1)
सुनने में बड़ा अटपटा लग सकता है लेकिन जाने अनजाने में भाजपा देश को एक भीषण
गृहयूद्ध की आग में झोंक रही है – केवल सत्ता की लालच में जातिगत समीकरणों को
दुरुस्त करने के चक्कर में I आदि शंकराचार्य के महान प्रयासों से जो तमाम पन्थो
में एक समन्वय की धारा बही थी तथा आपसी मतभेदों को भूलकर दार्शनिक चिंतन में मतभेद
होने के वावजूद भी एक सुस्थापित कर्मकांड बनाया गया था I तथा एक नयी जीवन पध्दति
का निर्माण हुआ था जोकि न तो सनातनी थी, न बोद्ध थी, न जैन थी, न सगुण थी, न
निर्गुण थी बल्कि सभी का समन्वय करती हुई भारतीय थी, जिसे आज हम हिन्दू संस्कृति के नाम से जानते है I हिन्दू संस्कृति कब बनी ? कैसे बनी
? इसकी कोई व्याख्या नहीं हो सकती है I इसमें किसी कट्टरता की भी गुंजाईश नहीं है, किन्तु जीवन पध्दति सुस्पष्ट है I एक अंग्रेज ने
लिखा है कि हर धर्म FUNDAMENTAL IST है, केवल हर धर्म के FUNDAMENTALS अलग है I इस पर किसी
उदारवादी भारतीय चिन्तक ने पूछा – यदि ऐसा है तो बताइए कि हिन्दू धर्म के FUNDAMENTALS
क्या है ? अंग्रेज लेखक का उत्तर था कि देखने में हिन्दू धर्म भले ही विचारो का
जंगल लगता हो तथा उसमे “मुंडे मुंडे मति:
भिन्ना” को चरितार्थ करते हुए हजारो चिंतन
धराये हो, किन्तु हिन्दू धर्म
के दो FUNDAMENTALS है – 1. What eat ? ( हम क्या खाए ? )
2. Whom to marry ? ( हम किस से शादी करे ?)
इन दो FUNDAMENTALS का जब तक कोई पालन करता है तब तक वह हिन्दू है I ईश्वर का
अस्तित्व मानने पर वह आस्तिक, न मानने पर नास्तिक हिन्दू कहा जायेगा, किन्तु दोनों
हालात में हिन्दू बना रहेगा I किन्तु अभक्ष्य पदार्थो (गोमांस) के खाने पर अथवा निषिध्द
श्रेणियों में विवाह करने पर वह हिन्दू समाज से बहिष्कृत हो जायेगा I शायद हिन्दू
धर्म ही विश्व में इकलौता एक ऐसा धर्म है
जहा एक ओर तो सबसे अधिक देवी देवता है, तो दूसरी ओर ईश्वर के अस्तित्व को नकारने
वाले भी हिन्दू धर्म के अंग माने जाते है I तथा दोनों में खुल्लम-खुल्ला न केवल प्रेम-विवाह
बल्कि परम्परागत रूप से ARRANGED MARRIAGE (तैशुदा शादिया) भी होती है I जैसे कि यदि कोई साम्यवादी पार्टी का सदस्य है तो ईश्वर का अस्तित्व न
मानने के वावजूद भी परम्परागत रूप से उसके बेटे-बेटियों की शादी अपनी जाति के लोगो
में ही हो जाएगी I आर्य समाजियों का मूर्ति पूजा तथा गंगस्नान में नाम मात्र का
विश्वास नहीं है, किन्तु न जाने कितने आर्य समाजियों के बेटे-बेटियों की शादी अपनी जाति के सनातनी लोगो अर्थात् मूर्ति पूजा में विश्वास करने वालो के घर में होती है,
किन्तु यदि कोई किसी अन्य धर्म में वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर लेता है तो तत्काल वह समाज से बाहर
मान लिया जाता है I म्लेच्छ (विदेशी मूल
के धर्म) में शादी विवाह न करना हिन्दू समाज का एक FUNDAMENTAL है , जैसे काफिरों
के साथ जिहद इस्लाम का एक FUNDAMENTAL है,
चाहे मौलाना मदनी इसको कितना भी नकारे I मौलाना मदनी जैसे गाँधी जी की पीढ़ी में ना
जाने कितने वरिष्ठ मुसलमान गाँधी जी के व्यक्तिगत समर्थक थे किन्तु जब अल्लामा
इकबाल की बांगेदरा, शिकवा तथा जवाबी शिकवा को लोगो ने
मंच से सुना तो इस्लाम को शांति का पैगाम बताने
वालो की आवाज केवल गाँधी जी के आश्रम में
रह गयी तथा शेष दुनिया में अलमाना इकबाल की गरज-तड़प सुनाई देनी लगी –
काट कर रख दिए
कुफ्फार के लश्कर किसने
हिन्दू धर्म इन FUNDAMENTALS के साथ अपनी जीवन पद्धति के साथ हजारो साल से
जीवन जी रहा है तथा वैचारिक बांधा कहीं रास्ते
में नहीं आयी I वर्णाश्रम व्यवस्था, सनातन संस्कृति का अंग रही है जोकि कालांतर
में न जाने कब जाति व्यवस्था में परिवर्तित हो गयी I जितने मत मतांतर बने, वे सब
सनातनी वैदिक व्यवस्था को चुनौती देने के लिए बने , किन्तु वर्णाश्रम व्यवस्था के
उच्च स्तम्भ ब्राह्मण तथा क्षत्रिय वहा भी घुस लिए I समय के चक्र के साथ साथ जो
लोग सनातन धर्म को बदलने चले थे वही बदल गए I यहाँ तक की अल्लामा इकबाल तक को हथियार डाल देने पड़े –
“जिनकी अजाओ से
जहाँ में
डंका बजा तौहीद का I
वे नमाजे हिन्द में
नजरे बरहमन हो गयी”
ऐसे जलजले दार सनातनी हिन्दू व्यवस्था
को फिर से छिन्न भिन्न करने का व्यापक षडयंत्र हो रहा है I जिस प्रकार द्रोपदी के चीर हरण के समय भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य
तथा कृपाचार्य केवल मूक दर्शक बने रहे तथा उठकर कमरे के बहार भी नहीं गए I उसी
प्रकार हिन्दू अस्मिता, मर्यादा तथा गरिमा की द्रोपदी का चीर हरण हो रहा तथा मोदी एवं सरसंघचालक उसके
मूक दर्शक बने हुए है I यह एक दुखद स्थिति है मै इन वाक्यों की नहीं लिखता मै RSS
के लोगो तथा मोदी के भक्तो को FANATIC मानता I मुझे आज भी विश्वास है कि जिस
प्रकार भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य तथा कृपाचार्य चरित्र हीन नहीं थे, उच्च आदर्शो
के पोषक थे लेकिन रजस्वला की स्थिति में द्रोपदी
के चीर हरण को देखकर वे प्रतिक्रिया नहीं
कर पाए, क्यों नहीं कर पाए, इसका उत्तर भीष्म
पितामह ने उस समय दिया जब सरसैया में पड़े हुए भीष्म कृष्ण के कहने पर उनसे धर्म नीति
सिखने के लिए हुए पांड्वो को उपदेश दे रहे
थे तो द्रोपदी ठहाका मार कर हंस पड़ी, कारण
पूछने पर उसने प्रश्न किया कि तब आप की धर्म नीति कहा थी जब रजस्वला की स्थिति में मेरा चीर हरण हो रह था तथा आप उस समय
सक्षम होते हुए भी इसका प्रतिकार नहीं कर रहे थे I भीष्म ने सरसैया पर लेते हुए
पूर्ण शालीनता से उत्तर दिया कि पापी दुर्योधन का अन्न खा कर उनकी वुद्धि विकृत हो
गयी थी, तथा धर्म की वाणी उनके गले में अटक गयी थी I भीष्म ने तो स्वय वह मंत्र
बताया कि कैसे वे रास्ते से हटेंगे I तथा शिखंडी को आगे कर के परदे के पीछे से
अर्जुन ने तीर चला कर भीष्म को रास्ते से हटाया था I इस लेख माला से यह स्पष्ट
किया जा रहा है कि किस प्रकार सत्ता में आने के बाद आरएसएस व भाजपा के शीर्ष
व्यक्तित्व हिंदुत्व के सनातन में न चाहते हुए उसीप्रकार योगदान दे रहे है जैसे न
चाहते हुए द्रोपती के लज्जा के समापन में भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य तथा कृपाचार्य
योगदान दे रहे थे I मुझे पूर्ण विश्वास है कि भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य तथा
कृपाचार्य द्रोपदी का चीर हरण नहीं देखना चाहते वे द्रोपदी का कैबरे (नग्न नृत्य) देखकर आनंदित नहीं हो रहे
थे बल्कि उनकी आत्मा रो रही थी I इसी प्रकार मुझे विश्वास है कि मोदी और संघपरिवार
हिंदुत्व का पतन एवं गृहयुद्ध नहीं देखना चाहते होंगे , किन्तु हिन्दू समाज को वे
जाने अनजाने में गृहयुद्ध की आग में झोंक रहे है I जिस प्रकार भीष्म ने भीष्ममुक्त भारत का रास्ता बताया उसी प्रकार हम
मोदी एवं सरसंघचालक से अपेक्षा करते है कि वे गम्भीरता से इस लेख को पड़े तथा इस पर
एक चिंतन शिविर की वैठक बुलाये कि जो चीजे कही जा रही है वे सत्य है अथवा नहीं और
यदि सत्य है तो क्या यह होना चाहिए अथवा नहीं I
प्रमाण में कुछ तथ्य प्रस्तुत करना चाहता हूँ – 1. अटल बिहारी बाजपेई की
तरह एक भाजपा की सरकार एक मजबूर सरकार
नहीं है बल्कि पूर्ण बहुमत की सरकार है I बहुमत आने पर गठबंधन के साथियों को
उपेक्षित नहीं करना चाहिए I किन्तु जिस प्रकार भीष्म ने दुर्योधन पर लगाम नहीं
लगाया वह गलती नहीं दोहरानी चाहिये I
एक केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में बयान
दिया कि यदि मायावती अम्बेडकर की सचमुच की भक्त है तो उन्हें हिंदुत्व का परित्याग
कर देना चाहिए I एवं अपनी पूरी पार्टी के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार कर लेना चाहिए I
यह जन भावनाओ को भड़काने वाली बात है तथा
हिन्दू की 20 % आबादी को कम करने का
प्रयास है I भाजपा अपने बूते पर पूर्ण बहुमत पर है तथा गठबंधन धर्म का यह मतलब
नहीं है कि हिन्दू धर्मं का विभाजन का आह्वान
करने का अधिकार सहयोगियों को मिले I ऐसे मंत्रियो को तत्काल सत्ता से बर्खास्त
करने की मांग मनुवादी पार्टी कर रही है I तथा सत्ता के लिए मोदी को इतना बेचैन
नहीं होना चाहिए कि वह हिन्दू धर्म के विश्वास का आह्वान करने वालो का सहारा ले I
स्पष्ट है कि हिन्दू धर्म का जितना नुकसान मोदी सरकार रही है, उतना नुकसान कभी
मुलायम व मायावती ने नही किया I मुलायम ने भले ही हिन्दुओ पर अयोध्या में गोली चलवाई, भले ही दंगो पर वोट की
लालच में मुसलमान का पक्षपात करने का आरोप
लगा हो, भले ही मायावती ने चार जूते मरने का ऐलान
किया हो, लेकिन कभी मुलायम व मायावती ने 25 -30 करोड़ की आबादी को धर्म
छोड़ने का आह्वान नही किया I यह आह्वान मोदी सरकार का मंत्री कर रहा है I मनुवादी
पार्टी मांग करती है कि इस पर अटॉर्नी जनरल से तत्काल राय ली जाये कि यह दो वर्गों
के बीच संघर्ष उत्पन्न करने वाली बाजी है अथवा IPC की धारा के अंतर्गत यह अपराध है
अथवा नहीं I यदि यह अपराध की श्रेणी में आता है तो तत्काल सम्बंधित मंत्री को गिरफ्तार कर जेल भेज देन चाहिए I तथा
यदि किन्ही तकनीकी कारणों से यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है तो भी जिस जनता
ने वोट देकर मोदी को जिताया है उसकी भावना को घहरा आघात पंहुचा है I तथा एक ओर कहाँ
परमपूज्यनीय गोलवरकर जी हेडगवार जी , मसीही
हिन्दू तथा मोहम्मदी हिन्दू की बात करते
थे वह मोदी सरकार का मंत्री ललकार रहा है 25 – 30 करोड़ लोग हिन्दू धर्म को छोड़ दे
I मोदी , गोलवरकर जी हेडगवार जी की आवाज मोदी है इस आचरण को देखकर स्वयं में उनकी आत्मा रो रही होगी तथा
दुख से सर झुकाए खड़ी होगी I सनातन संस्कृति ने अनुसूचित जाति के लोगो को छोटा भाई
कहा गया है तथा यह माना गया है कि जिस प्रकार सिर से लेकर पैर तक सभी अंग एक ही शरीर के है उसी
प्रकार ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य तथा शुद्र एक ही विराट पुरुष से निकले है तथा
आपस में भाई भाई है I परस्पर परिवार में संघर्ष भी होता है तथा मेंल मिलाप भी होता
है I कभी कोई चार जूते मारता है तो दूसरा ठीक करने के लिए आठ जूते मारता है तो कभी
बर्दास्त करता है और प्यार से समझाता है I किन्तु परिवार एक रहता है I शम्बूक के साथ
क्या किया, क्यों किया, किन परिस्तिथियो में किया, कुछ किया भी या नहीं I ये सारी
बाते विवादास्पद हो सकती है किन्तु यह भी एक तथ्य है कि तुलसीदास ने अपने इतने रामचरित मानस में इतनी बड़ी घटना पर एक लाइन भी
नहीं लिखा तथा यदि यह घटना सही भी रही हो तो भी इसे समाज के सामने गौरवगाथा के रूप
में उपस्थित नहीं किया I यहाँ तक की अनुसूचित जाति के लोग नही आपस में मिलने पर एक
दुसरे को जय राम जी की कहते थे तथा मान्यवर काशीराम के नाम में भी राम शब्द आता है मायावती का नाम लक्ष्मी जी के नाम पर है I यही समाज को चलाने
का तरीका है I वशिष्ठ के 100 पुत्रो का बध विश्वामित्र ने किया किन्तु उचित अवसर
पर वशिष्ठ ने ब्रह्मर्षि कहकर विश्वामित्र
का अभिनन्दन किया I परशुराम जी ने तमाम इलाको में क्षत्रियो का संहार किया I
किन्तु क्षत्रियो ने कभी भी शहस्त्रबाहू
को अपने रोलमंडल में नहीं माना क्योंकि वे एक ब्राहमण की गाय छीन रहा था, किन्तु
उस रघु को अपना रोल माना जिसके पिता दिलीप ने एक एक ब्राह्मण की गाय की रक्षा के
लिए अपने शरीर तक को समाप्त कर देने का प्रस्ताव रखा I द्रोपती जैसे क्रोधी महिला
तक ने जिस ने दुशाशन की छाती का खून पी लेने का तथा दुर्योधन की जांघ तोड़ने का
अनुमोदन किया I उसने भी अश्वगथाओ को यह कह कर क्षमा कर कि मै नहीं चाहती कि
गुरुपत्नी भी मेरी तरह विलाप करे I वशिष्ठ और द्रोपती सनातन धर्म के परस्पर
सदभावना एवं एकता के समक्ष है I आजतक मायावती ने भी यह नहीं ललकारा था कि वे अपने
अनुवायियो के साथ हिन्दू धर्म छोड़ देगी I किन्तु दबी जबान से ही उनको ऐसा कहने के
लिए मोदी के जिस मंत्री ने मजबूर किया उसे एक भी मिनट कैविनेट में बनाये रखने का अधिकार मोदी के पास
नहीं है I
·
इस तरह के उदहारण अगले अंक में रखी
जाएँगी कि किस प्रकार सामाजिक समरसता के प्रतीक सनातन धर्म के ताने बाने को तोड़ने
का प्रयास जाने अनजाने में यह सरकार कर रही है I चिंतन शिविर में तमाम छोटी मोटी
अनगिनत बातो पर विचार होता है I आरएसएस के चिंतन शिवरों में इतने गंभीर मुद्दे पर
अवश्य गंभीर चिंता होनी चाहिए कि गाते गाते विवाह हो जाता है I यदि दलितों को धर्म
परिवर्तन के लिए उकसाया गया तो कोई बौद्ध बनेगा तो कोई ईसाई व मुसलमान भी I यह दिन देश राष्ट्र
तथा समाज के लिए घातक होगा I
अगले
अंक के तथ्यों के मध्यनजर यदि कड़े कदम नहीं उठाये गए तो ईश्वर न तो मरा है न तो
सेवानिवृत्त हुआ है और न ही उनके खिलाफ
कोई अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ है I सनातन धर्म की रक्षा का ठेका न तो हमने ले
रखा है न ही अन्य किसी सांसारिक जीव को दिया गया है I हिन्दू धर्म में खत्मुल नवी की कॉन्सेप्ट नहीं है यहाँ तो - ‘संभवानि
युगे युगे’ की अवधारणा है I यदि पाप का
घड़ा इसी प्रकार बढता रहा तो सनातन धर्म की रक्षा का ठेका शाश्वत धर्म गोप्ता अर्थात् स्वय भगवान् के नाम है I तथा
वे हर युग में अवतरण करते है जब भगवान् का अवतार होना होता है तो तमाम भालू बन्दर
पहले से मैदान में आकर उसकी पूर्व भूमिका तैयार करने लगते है I मनुवादी पार्टी के
कार्यकर्ता तथा पदाधिकारी पहले इस दायित्व
को पूरा कर रहे है इस से अधिक ना हमारी औकात है न हमारी महत्वकांक्षा I
भारत का हर बच्चा जब तक
होगा अर्जुन
हनुमान नहीं I
ऐसे पतितो में आ सकते
कभी कृष्ण एवं राम नहीं II क्रमशः ...
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