Wednesday, 3 August 2016

भाजपा की छद्म गृह नीति और उसके निहतार्थ – (भाग -2)

भाजपा की छद्म गृह नीति और उसके निहतार्थ – (भाग -2)
          क्या अल्पसंख्यको के ध्रवीकरण के भय से अब भाजपा इतनी भयभीत हो गयी है कि अल्पसंख्यको के मुद्दों पर अब उसकी बोलने की हिम्मत नहीं रह गयी है I तथा जैसे जादू-टोना करने वाली कोई औरत जब पराये लोगो पर जादू-टोना नहीं कर पाती है तो वह अपने ही घर के लोगो पर जादू-टोना करना चालू कर देती है I उसी प्रकार क्या बीजेपी सरकार साम्प्रदायिक संघर्ष की ओर  समाज को मोड़ने की दिशा से पीछे हटकर अब हिन्दुओं  में आपस में जातिगत  संघर्ष कराने पर अमादा हो गयी है I दलित हिन्दुओं में जिन मुद्दों पर कभी संघर्ष नहीं था उन मुद्दों पर संघर्ष उभरने लगा है I परम्परागत रूप से काफी समय से मरे हुए बैलों व गोमांस को काटने-चीरने का काम दलितों का एक वर्ग करता था , किन्तु कभी भी किसी गौभक्त ने मृत्यु के उपरांत इस कार्यवाही पर कोई हरकत नहीं की I अब इस पर भी गौरक्षको के हमले चालू हो गए है I गुजरात में राज्य सरकार भी बीजेपी की तथा केंद्र सरकार भी बीजेपी की है I क्या यह इन दोनों सरकारों का दायित्व नहीं बनता है कि इसकी तह तक जाकर गंभीरता से पता करे कि यह गौभक्त है कौन ? तथा इनका क्या उद्देश्य है ? क्या ये AAP पार्टी य कांग्रेस पार्टी या किसी अन्य धर्म निरपेक्ष तंत्र द्वारा माहौल बिगाड़ने की साजिश है अथवा बीजेपी के ही उदारवादी चेहरे द्वारा कट्टरपंथीयो को बदनाम करने के लिए तथा असली गौभक्त पर लगाम लगाने के लिए यह ड्रामा तो नहीं  कराया जा रहा है ?
   मुझे याद है कि एक बार आतंकवाद के समय हिन्दुओं और सिक्खों में मतभेद पैदा करने के लिए किसी ने एक गाय काट दी तथा पंजाब में यह भ्रम फैलाया गया कि यह हरकत सिक्खों की है I भिंडरावाले ने इस मुद्दे  पर जवाब दिया कि “ कोई सिक्ख तो गाय काटने की सोच ही नहीं सकता , गाय की रक्षा के लिए सिक्ख  अपना गला कटा सकता है I यह गाय बीबी (इंदिरा गाँधी ) द्वारा कटावायी गयी होगी और इसका उद्देश्य सिक्खों को बदनाम का रहा होगा I तब जाकर मामला शांत हो पाया था I आई.बी. इत्यादि इस समय क्या कर रही है कि इन सुनियोजित घटनाओं के पीछे किसका हाथ है – यह पता भी नहीं लगा पा रही है I कांग्रेस की पी.यल. पुनिया  यूनिट तक को यह बयांन  देना पड़  रहा है कि कैबिनेट की सामूहिक जिम्मेदारी होती है I तथा किसी कैबिनेट मोदी के बयांन के लिए पूरी कैबिनेट जिम्मेदार है I   किसी केन्द्रीय मंत्री द्वारा बड़े पैमाने पर किसी को हन्दू धर्म छोड़ने  के लिए ललकारना एक बहुत बड़ा हमला है  हिंदुत्व पर I  बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार है I यदि ऐसा बयान देने वालो के सिर पर मोदी और अमित शाह का हाथ नहीं है तो ऐसे गैर-जिम्मेदार बयानदेने वाले कैबिनेट मंत्री को तात्कालिक प्रभाव से क्यों बर्खास्त नहीं किया जा रहा है ?
    मायावती के हाथ से दलित वोट छीनने के लालच में मोदी जी, आप मायावती की इतनी घेराबंदी मत कीजिए कि  वह हिन्दू धर्म छोड़ने को मजबूर हो जाये, ऐसी  आप से आशा नहीं थी I जिस संघ के आप प्रचारक रहे है वह संघर्ष हेडगवार व गोलवरकर के जमाने से हिंदुत्व को व्यापक आयाम देने की ओर अग्रसर था I आपने भी इस युग को न केवल देखा है बल्कि जिया भी है I आप मायावती से वही खिलवाड़ कर रहे है , जो कभी महात्मा गाँधी जी ने जिन्ना से किया था I जिन्ना और अल्लामा इकबाल जैसे घनघोर राष्ट्र भक्तो को गाँधी की इसी कूटनीति ने पाकिस्तान परस्त बना दिया I जब गाँधी जी खिलाफत आन्दोलन छेड़ा था तथा यह घोषणा किया था कि “खिलाफत गाय  है”  तो जिन्ना ने इसका प्रतिवाद किया था कि  आप मुसलमानों में extra TERRITORIAL LOYALTY पैदा कर रहे है” I जिन्ना का कहना था कि टर्की में क्या हो रहा है ? वहां खिलाफत रहे या न रहे – इसमें भारतीय मुसलमान को क्या लेना देना I जिन्ना का निवेदन था कि ऐसा माहौल पैदा किया जाये कि मुसलमान अपनी बुनियादी अशिक्षा बेरोजगारी की समस्याओं के बारे में सोचे I गाँधी जी मुसलमानों को बहकाकर PAN ISLAMISM की ओर मोड़ रहे थे इस पर अकबर इलाहाबादी  ने गाँधी जी और मदन मोहन मालवीय का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए लिखा है –
           गाँधी और मालवीय में  है क्या फर्क
           इस बहस में आप नाहक है गर्क I
           फर्क है जो अक्ल-ओ-इश्क में है
             एक काशी में है , एक दमिश्क में है II 
 अर्थात् – मदन मोहन मालवीय तो हिंदुत्व के प्रति सच्चे प्रेम के चलते काशी में बैठे रहे ,  किन्तु मुसलमानों के तुष्टीकरण के लिए तथा उनको अपने मकड़ जाल में फ़साने के लिए महात्मा गाँधी जी दमिश्क (सीरिया की राजधानी, जोकि मुसलमानों काएक पवित्र धार्मिक स्थल है I ) वहां बैठे I
    जिस प्रकार गाँधी जी ने जिन्ना की अनैतिक घेराबंदी कर के उसे पाकिस्तान का समर्थक बना दिया उसी प्रकार  वौद्ध धर्म अपनाने के लिए अपने कैबिनेट मंत्री द्वारा मायावती को ललकार दिलाकर मोदी जी चाहे या न चाहे देश में नए गृह युद्ध की नीव डाल रहे है  जिस प्रकार गाँधी जी ने जिन्ना को I  उसी प्रकार दलित वोटो पर अपना एकाधिकार की लालच में मोदी जी दलितों को हिन्दू धर्म से दूर कर रहे है I गाँधी जी के भक्तो ने जिन्ना के बारे में गाना गाना चालू कर दिया है –
   “रोजो से इन्हें नफरत
   नमाजो से इन्हें गफलत I
   ये कायदे आजम है
   या कफिरे आजम है II ”
गाँधी जी के इन हरकतों का जवाब देने के लिए जिन्ना ने उग्र इस्लामिक तेवर अपनाये , तथा गाँधी जी के इन हरकतों से तंग आकर  -    “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा”  लिखने वाला अल्लामा इकबाल आग उबलने लगा –
          चीनो अरब हमारा, हिन्दोस्तां हमारा
          मुस्लिम है, हम वतन है सारा जहाँ हमारा
इकबाल के इस यू टर्न पर पं.बृजनारायण चकवस्त  ने ने अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किये थे कि –
     “हिंदी होने पर था नाज जिसे
     वो हैजाजी बन बैठा I
    अपनी महफ़िल का रिंद पुराना
    आज नजामी बन बैठा II
    पैगामजुनू जो लाता था
    इकबाल वो अब इस दुनिया में नहीं”

ठीक इसी  प्रकार दलित वोट बैंक को मायावती से छीनने की लालच में मोदी मायावती से उसी प्रकार की  हरकत कर रहे है जैसी गाँधी जी ने जिन्ना के साथ की थी, गाँधी जी ने जाने अनजाने में देश के विभाजन की नीव डाली I मोदी जी  उसी प्रकार जाने अनजाने में हिन्दू, धर्म, राष्ट्र तथा  समाज का विघटन कर रहे है I मायावती अच्छी हो या बुरी इस पर मतभेद हो सकते है I मै मायावती जी का समर्थक नहीं हूँ, किन्तु मनुवादी पार्टी का सुविचारित निर्णय है कि मायावती जैसे प्रभाव वाली महिला को धर्म परिवर्तन के लिए ललकारना देश, राष्ट्र तथा समाज तथा धर्म  के लिए घातक है I हिन्दू राष्ट्र का सपना दिखाकर वोट लेने वालो लोगो की सरकार ने मायावती की हैसियत वाली महिला की धर्म परिवर्तन के लिए ललकारने वाले लोग सरकार में बैठे रहे – भाजपा तथा संघ दोनों के लिए कलंक का विषय है   ... क्रमशः  

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