Friday, 5 August 2016

भाजपा की छद्म गृह नीति और उसके निहतार्थ – (भाग -3)

भाजपा की छद्म गृह नीति और उसके निहतार्थ – (भाग -3)
     क्या सामाजिक कटुता को बढानें के नित्य नये फार्मुले ढूढे जा रहे है पहले बीजेपी द्वारा नारा लगाया गया कि -
    “सौगंध राम की खाते है हम मंदिर वाही बनायेंगे”
   पर उस नारे को बिल्कुल भुला दिया गया I पहले जब आंशिक सत्ता मिली तो अटल बिहारी बाजपेई युग में बीजेपी ने कहा कि पूर्ण बहुमत मिलने पर कानून बना कर मंदिर निर्माण कराया जायेगा, इस मुद्दे पर देश में काफी खून-खराबा हुआ I तथा पूर्ण बहुमत आने पर भाजपा कहने लगी कि न्यायालय का जो फैसला होगा, उसी के अनुसार कार्यवाही होगी, न्यायालय का फैसला मानने को तो मुलायम सिंह और सोनिया गाँधी भी तैयार थी , फिर राम की झूठी सौगंध खिलाने की क्या आवश्यकता थी I  इतने से भी जब पेट नहीं भरा तो मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री मायावती को ललकारने लगे कि वे हिन्दू धर्म छोड़ दे I शायद समाज में छेद कर डालने से पेट नहीं भर रहा है अब पिछले दरवाजे से ब्राह्मणों और क्षत्रिय में संघर्ष पैदा करने की कोशिश की जा रही है ताकि समस्त सवर्ण जातिया कहीं भाजपा के आरक्षण पर नाम पर, बैकलाग के नाम पर तथा promotion में रिजर्वेशन के नाम पर एक जुट न हो I खास तौर से आरक्षण विरोधी आन्दोलन के प्रबल होने के बाद तथा मनुवादी पार्टी के अभ्युदय के बाद परदे के पीछे से भाजपा के रणनीतिकार ब्राह्मण क्षत्रिय संघर्ष को हवा देने का प्रयास कर रहे है I वे यह भूल जाते है कि वीर बहादुर सिंह विश्वनाथ प्रताप सिंह  तथा श्रीपति  मिश्र के कार्यकाल में कांग्रेसी राज्य में ब्राह्मण क्षत्रिय संघर्ष को जो हवा दी गयी , उसका परिणाम हुआ – यू.पी. से कांग्रेस का समापन I भाजपा भी अब उसी रस्ते पर चल निकली है I भाजपा के ब्राह्मण सांसद ने मंच पर चढ़ कर भाषण दिया जिसमे रावण को महिमामंडन  किया गया, तथा प्रकारोत्तर से राम और सीता के लिए अपमानजनक भाषण का प्रयोग किया गया I किन्तु आज तक उस सांसद को पार्टी से निलंबित नहीं किया I आज की देवी मायावती को (जिसको देवी बनाने में मुख्य श्रेय भाजपा का था क्योकि बीजेपी ने ही मायावती को सत्ता का आक्सीजन दे कर उन्हें राजनीति में चमकाया था I) अपमानित करने में तो दयाशंकर सिंह पार्टी से निलंबित हो गए, किन्तु रावण को महिमामंडित करके त्रेतायुग में हजारो साल से पूजी जा रही सीता देवी को  अपमानित करने वाले बीजेपी  सांसद का स्पष्टीकरण तक नहीं दिया गया I एक भी क्षत्रिय तथा ब्राह्मण नेता ने उफ़ तक नहीं की I चाहे राजनाथ सिंह या कलराज मिश्र रहे  हो किसी ने आवाज तक नहीं उठायी I प्रश्न यह है कि क्या देवी-देवताओं को भी जाति के आधार पर बाँट दिया जायेगा I  राम केवल क्षत्रिय के भगवान् बन कर रह जायेंगे  और परशुराम ब्राह्मणों के देवता रहेंगे ? इस देश में एक सामाजिक सामंजस्य बन चूका था I जिसके अनुसार क्षत्रिय समाज ने ब्राह्मण को गाय दान देने की जगह ब्राह्मण की गाय छीनने के प्रयास में जमदग्नि की हत्या करने वाले सहस्त्रबाहु को क्षत्रिय ने नकार दिया था  तथा क्षत्रिय को आर्या का अपहरण करने वाले को पुलस्य  कुल में उत्पन्न होने के बावजूद भी ब्राह्मणों ने सिर से ख़ारिज कर दिया था , हर ब्राह्मण, हर क्षत्रिय राम और परशुराम दोनों को विष्णु का अवतार मानता था I क्योकि दोनों ने ही परस्पर एक दुसरे को यह मान्यता प्रदान की  थी  I किन्तु बीजेपी अब क्या चाह  रही है ? क्या भाजपा  चाह रही है कि ब्राह्मण सड़क पर उतर कर राम को गाली बके,  तथा क्षत्रिय  सड़क पर उतर कर परशुराम  को गलियाँ  दें I मनुवादी पार्टी ऐसे किसी भी प्रयास की कठोर निंदा करती है तथा सामाजिक समरसता को बनाये रखने की पक्षधर है I हमारा सुविचारित मत है कि रावण का मनुमग्न करके बिना सोचे समझे वातावरण में जहर घोलने वाले सांसद पर प्रभावी कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए I  इसके आलावा राम को अपमानित करने वाले तथा रावण का गुणगान करने वाले बीजेपी सांसद को संसद से पार्टी की प्रारंभिक सदस्यता से निलंबित किया जाना चाहिए और किसी भी पार्टी को   ऐसे लोगो को टिकट नहीं देना चाहिए –
            “राखि को सकै राम कै द्रोहि”

  यदि ऐसा नहीं हुआ तो कल सीता पर आपत्तिजनक हमला करने वाले ब्राह्मण पुत्र जयंत का गुणगान करने वाला भी कोई दूसरा भाजपाई ब्राह्मण नेता उत्पन्न कर दिया जायेगा I  प्रश्न यहाँ ब्राहमण और क्षत्रिय का नहीं है भगवान को  जातियों में बांटने की गन्दी प्रथा को तत्काल विराम देने की आवश्यकता है I भारतीय संस्कृति समन्वय की रही है जातिगत विद्वेश की इसमें कही गुंजाईश नहीं है I हमने भगवान बुद्ध तक को विश्व के 10 अवतारों में स्थान दिया है I  तथा  परिणामस्वरूप कोई सनातनी हिन्दू बुद्ध गाली नहीं दे सकता I बुद्ध को विष्णु का रूप माना गया है I मनुवादी पार्टी के पुरे साहित्य को पढ़ लिया जाये, हर कदम पर बसपा की नीतियों की आलोचना मिलेगी , किन्तु कहीं मायावती या काशीराम के व्यक्तिगत जीवन में झाकने की कोशिश नहीं की गयी है, वर्ग संघर्ष से खतरनाक वर्ण संघर्ष है I  तथा इस संघर्ष को रोकना हर देश-भक्त का कर्तव्य है I यदि बीजेपी ने राम को अपमानित करने वाले अपने सांसद पर लगाम नहीं लगायी तथा कार्यवाही नहीं की तो जनता चुनाव के अवसर पर अपनी रामभक्त को प्रदर्शित करते हुए उसको कड़वा सबक सिखा देगी ...क्रमशः   

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