Tuesday, 23 August 2016

गऊ माता की चीत्कार ...कहा खो गया गोधरा का हीरो मोदी, खोजो उसको... जनवाणी ... FIR लिखा दो संघ कार्यालय तथा विश्व हिन्दू परिषद के कार्यालय में I प्रतिध्वनि ... ये थाने अब टूट चुके है I परम पूजनीय गुरूजी गोलवरकर के शब्दों में ...अब कैसे नमकीन करू ? नमक का ही स्वाद चला गया I (भाग-4)

गऊ माता की चीत्कार ...कहा खो गया गोधरा का हीरो मोदी,  खोजो उसको...
जनवाणी ... FIR लिखा दो संघ कार्यालय   तथा विश्व हिन्दू परिषद के कार्यालय में I
प्रतिध्वनि ...  ये थाने अब टूट चुके है I
परम पूजनीय गुरूजी गोलवरकर के शब्दों में ...अब कैसे नमकीन करू ? नमक का ही स्वाद चला गया I
(भाग-4)
    एक कैबिनेट मंत्री का बयान सामने आया था कि बीफ़ के निर्यात पर सरकार सब्सिडी दे रही है तथा इससे स्वाभाविक है कि शासन के स्तर पर गौ-हत्या को प्रोत्साहन मिल रहा है I कैबिनेट की एक सामूहिक जिम्मेदारी होती है I किसी भी कैबिनेट मंत्री का बयान पूरी सरकार का बयान होता है I यदि यह बयान गलत है तो केंद्र सरकार को इसका खंडन करना चाहिए तथा उस  कैबिनेट मंत्री का स्पष्टीकरण लेना चाहिए कि ऐसा बयान उन्होंने किस आधार पर दिया I यदि यह स्थिति सही है तो यह निहायत शर्मनाक स्थिति है I इसी प्रकार तमाम होटलों में बीफ़ को परोसा जा रहा है I क्या 80 % गौरक्षको को परोक्ष रूप  से गुंडा कहने वाले मोदी जी कर्तव्य नहीं है कि वे गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध के लिए कानून बनाये ? गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना संविधान के नीति निर्देशक सिधान्तो के अंतर्गत आता है I इस विषय में बनाए हुए कानून को देश के किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी सकती क्योकि ऐसा करना किसी भी सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है I कोई भी इसपर साम्प्रदायिकता  का आरोप नहीं लगा सकता I महात्मा गाँधी ने लिखा है कि “गौहत्या का प्रश्न मेरे लिए देश की  आज़ादी से बढकर है I” स्वयं आज़मखान तक ने गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है चाहे इस के पीछे भावना कुछ भी रही हो I मानो केंद्र सरकार को मुंह चिढाते हुए मांग की है स्वयं केंद्र सरकार द्वारा दिए गए लाइसेंस के तहत बीफ़ का एक्सपोर्ट  हो रहा है तथा फुटकर मामलो पर शांति व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है I मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से मै केंद्र सरकार से निम्न बिन्दुओ पर एक श्वेत पत्र प्रकाशित करने की मांग कर रहा हूँ –
1.   कितना बीफ़ किस-किस देश को निर्यात हो रहा है तथा इसका लाइसेंस किस सरकार ने दिया था ?
2.   इस बीफ़ के निर्यात को रोकने में कौन सी कानूनी अड़चन है ? उलटे ऐसा करना तो सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है I
3.   गायो को काटने के लिए जो कत्लगाह बने है उनके लाइसेंस किस के कार्यकाल में जारी किये गए तथा उनकी क्षमता बढाने का आदेश किस के कार्यकाल में जारी हुए ?
4.   इन कत्लगाहो का मालिक कौन है तथा ये कत्लगाह जहाँ गाय काटी जाती है किसकी जमीन पर बने है तथा यह लोग किस पार्टी से सम्बद्ध  है ? तथा किस पार्टी को चंदा देते है ?
5.   जो जो लोग अब तक गायो की तस्करी में पकड़े   गए है उनके नाम पते क्या है तथा उनकी राजनितिक प्रतिबद्धता क्या है ?
6.   जिन ट्रकों से गायो को काटने के लिए भेजा जाता है उन ट्रको के मालिक कौन है तथा उनकी राजनितिक प्रतिबद्धता क्या है ?
7.   गौरक्षा की आड़ में अपनी दूकान चलाने वालो को तो मोदी जी ने गुंडा घोषित कर दिया किन्तु पूर्वांचल में गौतस्करी के आरोप में पकडे गए व्यक्ति के समर्थन में जिस भाजपा विधायक ने कानून को अपने हाथ में लेकर इस सीमा तक अशांति फैलाई कि एक भाजपा कार्यकर्ता मर गया, उस गौतस्करी के आरोपियों के समर्थन में प्राण देने वाले भाजपा कार्यकर्ता तथा भाजपा विधायक के लिए भी कोई शब्द मोदी जी के पास है I क्या इनकी भी कभी क्लास होगी ? क्या इस बात पर भी कभी विचार होगा कि गौतस्करों के पक्ष में सड़क पर उतर कर प्राण गवाने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं तथा भाजपा विधायक को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना कितना आवश्यक है ? क्या अनुशासन का चाबुक केवल मधु मिश्र और दयाशंकर सिंह के लिए है ? क्या गुंडा घोषित किये गए गौरक्षको के बाद भाजपा में आगे बढ़ने के लिए गौतस्करों के पक्ष में सड़क पर उतरना ही भाजपा में सम्मान पाने के लिए एक मात्र मानक बन जायेगा ?
         यहाँ मै पुन: एक बार विकास के अजेंडे पर लौटना चाहता हूँ जो मोदी जी का मुख्य अजेंडा है ? इस पर गहन समीक्षा होनी चाहिए कि क्या विकास के लिए fundamentals को छोड़ा जा सकता है ? मनुवादी पार्टी के लोग fundamentalist है I इस शब्द से आज के बुद्धजीवियो को अलेर्जी है I किन्तु यदि fundamentals को छोड़ दिया जाए जीवन दर्शन के नाम पर कुछ बचता ही नहीं है तथा मनुष्य मात्र एक मशीन बन कर रह जाता है I आज तमाम अच्छे होटलों में बीफ़ घोषित रूप से परोसा जा रहा है तथा भाजपा के MP यह लेख लिख कर अपने को प्रगतिशील शिद्ध करते है कि वे बीफ़ परोसने वाले इन होटलों में अपने मित्रो के साथ जाकर शाकाहारी भोजन का स्वाद लेते है I किसी गरीब मुसलमान के घर में बीफ़ पाए जाने की सूचना पर हंगामा काटने वाले नौजवान धर्म योद्धा बीफ़ परोसने वाले होटलों में शाकाहारी भोजन का स्वाद लेने वाले भाजपाई नेताओं के दरवाजे पर धरना प्रदर्शन तक नहीं करते I संविधान में नीति निर्देशक तत्व है कि देश में पूर्ण मद्य निषेध हो I किन्तु बीफ पर तथा शराब पर पूर्ण निषेध इसलिए नहीं लगाया जाता कि इस से विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी आयेगी I क्या आधुनिक देश बनाने के लिए सेक्स-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा ? क्या कोवलम बीच तथा गोवा का विकास विदेशी मानको के अनुरूप किया जाएगा ? क्या मानवाधिकार के मानको पर खरे उतरने के लिए अमेरिका इंग्लैंड तथा फ़्रांस से भी नरम कानून बनाए रखे जायेंगे ? विकास जरुरी है पर स्वाभिमान तथा FUNDAMENTALS को ताक पर रख कर नहीं I  राणाप्रताप की परम्परा स्वाभिमान की परम्परा रही है तथा मानसिंह की परम्परा विकास की परम्परा रही है I यदि राणाप्रताप ने यह भीष्म-प्रतिज्ञा न की होती तो उन्हें घास की रोटी न खानी पड़ती तथा पिंक-सिटी जयपुर से बढ़िया विकास का माडल बनकर  मेवाड़ उभरता  –
   अब से मुझ को है हास शपथ
    कवि की कविता की तान शपथ
    गायक के मधुमय  गान शपथ
     महलो के वेश-विलास शपथ
     रमणी के वे मधुमाश शपथ
     कट सकते है नख केश नहीं
     जब तक स्वतंत्र यह देश नहीं
    मरने कटने का क्लेश नहीं  
      कम हो सकता आवेश नहीं
       जननी तू भी निज हाथ न दे
       कोई भी मेरा साथ न दे
        अरि को न कभी सोने दूंगा
         अरि को विष-बीज न बोने दूंगा
         जब तक कर है, है भाला
    इस प्रतिज्ञा का परिणाम हुआ  कि मेवाड़ में “वन-वन स्वतंत्रता – दीप लिए फिरने वाले बलवान” के आह्वान पर विकास की गंगा के बहने स्थान पर उत्सर्ग की गंगा बहने लगी –
  हलचल सी मची परधानो में
  विजली सी गिरी जवानो में
  वह भीष्म प्रतिज्ञा घहर गयी
  तत्क्षण अकबर के कानो में
       तथा उत्सर्ग की गंगा का आचमन करने वाले मेवाड़ को पिंक-सिटी आफ जयपुर भले न बना पाए हो लेकिन –
   एक एक इंच धरती तर थी
   बहादुरों के खूनो से
   और उत्सर्ग के इस गंगा के बहने पर नौजवानों के रोल माडल राणाप्रताप नहीं रह गए बल्कि झाला  सरदार हो गए –
    राणा बनने की चाह नहीं
     मुझ में इतनी है शक्ति कहाँ
     मा तेरी पावन पूजा में
     झाला सा शीश चढ़ा पाए
      मा तेरी पावन पूजा में
      हम इतना केवल कर पाए
     विकास की चाह रखने वालो के घर में आग की लपटों में शीतलता का अनुभव करने वाली पदमिनी  नहीं पैदा होती बल्कि अकबर की गोद में खिलखिलाने वाली जोधाबाई पैदा होती है I अकबर के मीना बाजार का वर्णन करते हुए श्यामनारायण पाण्डेय ने लिखा है –
    कभी हमारी मा बहनों से
     सजता था मीना बाजार
     फ़ैल गया था अकबर का वह
    कितना पीड़ामय व्यभिचार
     शिव के पदोदक की जगह हालाहल का का स्वाद चखने को तैयार चूडावत सरदार की हाडारानी किसी मीना बाजार में पेश नहीं की जा सकती और न ही कोई पापी उसको अपने सामने पेश होने का आह्वान कर सकता है क्योकि उसके उत्सर्ग का परिणाम होता है कि –
   चूडावत ने तन भूषित कर
    युवती के सिर की माला से
    खलबली मचा दी मुगलों में
     अपने भीषणतम  भाला से
    आज देश भीषण परिस्थतियो से गुजर रहा है I हम विकास चाहते है किन्तु गौमांस बेच कर नहीं I

हम विकास चाहते है किन्तु मंच पर  चढ़ कर कोई यदि दुष्साहस करे कि हमारी बहू-बेटियों को अपने सामने पेश करने का आह्वान करने की हिमाकत करे तथा मीना बाजार के दिनों की याद दिलाये तो हम विकास के लिए यह कीमत देने को तैयार नहीं है I यदि कोई साध्वी चार बच्चे पैदा करने का आह्वान करे तो संघ तथा भाजपा से जुड़े लोग उसकी क्लास ले - विकास के लिए हमें यह शर्त मंजूर नहीं है I कॉमन सिविल कोड  लागू करने में हो सकता है कि कुछ व्यवहारिक कठिनाईयां हो किन्तु हिन्दुओ पर एक तरफ़ा परिवर्नियोजन लागू करने का प्रयास किया जाए – यह स्वभिमान का हनन है I यदि कोई  साध्वी चार बच्चे पैदा करने की बात करती है तो उसका मजाक कोई धर्म-निरपेक्ष नेता करे – यहाँ तक गनीमत है किन्तु संघ परिवार तथा भाजपा से जुड़े वरिष्ठ लोग यह कह कर मजाक उडाये कि औरत बच्चा पैदा करने की फैक्ट्री नहीं है तो यह संवाद दुखद है I एक तरफ़ा परिवार नियोजन के कानून लागू कर विकास का माहौल पैदा करना भ्रामक है I हमारा अनुरोध है कि विकास की आंधी में स्वाभिमान उड़ने न पाए I       

Tuesday, 16 August 2016

आज बंग विच्छेद हो गया कवि रवीन्द्र सुनते होंगे

आज बंग विच्छेद हो गया
कवि रवीन्द्र सुनते होंगे
वीर भूमि पंजाब बंट गयी
नानक सर धुनते होंगे
घायल देश व्यथा से आकुल

आहों में क्या मुस्काएं I 

Sunday, 14 August 2016

गऊ माता की चीत्कार ...कहा खो गया गोधरा का हीरो मोदी, खोजो उसको...(भाग-3)

गऊ माता की चीत्कार ...कहा खो गया गोधरा का हीरो मोदी,  खोजो उसको...
जनवाणी ... FIR लिखा दो संघ कार्यालय   तथा विश्व हिन्दू परिषद के कार्यालय में I
प्रतिध्वनि ...  ये थाने अब टूट चुके है I
परम पूजनीय गुरूजी गोलवरकर के शब्दों में ...अब कैसे नमकीन करू ? नमक का ही स्वाद चला गया I
(भाग-3)
     मोदी से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे इस आशय के बयान और निर्देश जारी करे कि यदि कही पर 1% गौरक्षक गौरक्षा के अपने अधिकारों का अतिक्रमण करते दिखे अर्थात् किसी को पकड़ कर मारते पिटते अथवा जान से मारते पाए जाए तो कानून को अपना काम करना दिया जाए और विधि के प्रावधानों के अनुसार उन पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए किन्तु राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह ऐसी स्थिति न पैदा करे  कि गौरक्षको को कानून अपने हाथ में लेने की आवश्यकता पड़े I कही से सुचना मिलने की आवश्यकता ही नहीं है – खुल्लम-खुल्ला हर जिले के व्यस्ततम चौराहे से तथा सबसे चौड़ी सडको से ये गाड़िया गुजर रही है I यह एक तरह से राष्ट्रीय अस्मिता को खुले आम चुनौती दे रही है I गौरक्षा नीति-निर्देशक तत्वों में वर्णित है I गाँधी ने लिखा है कि गौरक्षा का प्रश्न मेरे लिए स्वराज से बढकर है I गायो की तस्करी की गाड़िया साम्प्रदायिक सदभाव को भी नष्ट कर रही है I प्रदेश मुख्यालय तथा मण्डल मुख्यालय पर विशेष टोलिया गठित की जाए जो विभिन्न स्थलों पर छापे मारे तथा जिस किसी भी जगह गायो की तस्करी पकड़ी जाए वहा के थानाध्यक्ष से लेकर पुलिस अधीक्षक तक सम्पूर्ण अधिकारियो का सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र  अवरुद्ध कर दिया जाए और उनके खिलाफ विभागीय एवं वैधानिक कार्यवाही भी प्रस्तावित की जाए I गंभीरता से जाँच की जाए कि –
 गायो की तस्करी से जुडी ये गाड़िया किस ट्रांसपोर्ट की है ? इस प्रश्न का उत्तर बहुत चौकाने वाला होगा I इन गाडियों के मालिक किन पार्टियों से जुड़े है – यह निर्देश जारी कर केंद्र सरकार राज्य सरकारों से जवाब क्यों नहीं मांग रही है ? इसका जवाब है –
         ख़त जो आया है वहां से
         बंद रहने दो उसे I
          उस में पोशीदा हमारी
          जिन्दगी का राज है II
अभी आपने देखा कि पुलिस ने बलिया में एक तस्कर के खिलाफ जब मुकदमा कायम कराया तो उसके विरोध में नरही थाने  पर फेफना विधायक उपेन्द्र तिवारी के नेतृत्व में धरना दे रहे भाजपायियो तथा पुलिस के बीच  भीषण झड़प हुई I पशु-तस्करों के समर्थन में न तो आजम खान आये और न ही मुल्ला कहे जाने वाले मुलायम सिंह I इस दौरान हुए पथराव के बाद पुलिस फायरिंग में एक भाजपा नेता की मौत हो गयी I अगर अखिलेश यादव साहस कर के मात्र एक श्वेत पत्र जारी कर दे कि विभिन्न सरकारों में पिछले 20 वर्षो में किन-किन लोगो की  पशु तस्करी में गिरफ़्तारी हुई है तथा किन किन की गाड़िया पकड़ी गयी है और कौन कौन से ट्रांसपोर्टर इस में लिप्त है तो तमाम पूजनीयो के चेहरे से नकाब उठ जायेगा I एक वेश्या अपने स्वगत में जो कहती है वह चरितार्थ हो जायेगा -     
      जो मेरी छाया के
       छू जाने के डर से
       मंदिर में मस्जिद में
       रहते दिन भर छिपते I
       रातो में वे आकर
        चरणों में लेटा करते
        मै लखती हूँ उनको
         कुछ भय से संशय से I
          आँखे ये फैला कर  
      दो मंजिल के उपर II
       कामी जिस जग ने मेरी
     लज्जा को है छीना
     जिस के धोखे में यह
      लतिका है आधीना
      जो मेरे अधरों की
       मदिरा पर जीता है
       वह वंचक ही मुझको
      कहता है अकुलीना II
      उल्टी चाले जग की
       देखा हूँ मै करती
      आँखे ये फैला कर
       दो मंजिल के उपर II
 मोदी जी के गौभाक्तो को चेतावनी देते-देते मोदी भक्तो में इतना जोश आ गया कि वे पुलिस के भीषण अत्याचार के तमाम मुद्दों को छोड़कर पशु-तस्करी के आरोप में मुकदमा दर्ज किये जाने के विरोध में अपने जीवन का बलिदान तक दे दिए तथा यह नौबत आ गयी कि एक ADM समेत 11 पुलिसकर्मियों के विरुद्द हत्या का मुकदमा कायम हो गया तथा राज्य सरकार को डीएम तथा यस.पी. को निलंबित करना पड़ा I आज तक इतना  तगड़ा हल्लाबोल पशु तस्करी के मामले में किसी मुलायम या आजम खान के चेले ने भी नहीं किया I जिस व्यक्ति पर पशु तस्करी का आरोप था उसका नाम है चंद्रमा यादव , थानाध्यक्ष है राजेश यादव तथा मुख्यमंत्री है अखिलेश यादव I  ऐसी हालत में यह कॉमन सेंस के विपरीत है कि अखिलेश यादव के राज्य में थानाध्यक्ष राजेश यादव किसी चंद्रमा यादव को किसी गलत मुकदमे में फसायेंगे और वह भी विशेष रूप से पशु तस्करी के  I मोदी जी को यह कड़े निर्देश देने चाहिए थे कि गौ-तस्करों पर कार्यवाही हो तथा इसमें सहयोग देने के लिए यदि गौ भक्त कोई सुचना देते है तो या अन्य किसी प्रकार का सहयोग करना चाहते है तो उसे सहर्ष स्वीकार किया जाए तथा यदि किन्ही 1% मामले में वे कानून का अतिक्रमण करते पाए जाते है तो उनके विरुद्ध कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाए ...क्रमशः


Saturday, 13 August 2016

गऊ माता की चीत्कार ...कहा खो गया गोधरा का हीरो मोदी, खोजो उसको... (भाग 2 )

गऊ माता की चीत्कार ...कहा खो गया गोधरा का हीरो मोदी,  खोजो उसको...
जनवाणी ... FIR लिखा दो संघ कार्यालय   तथा विश्व हिन्दू परिषद के कार्यालय में I
प्रतिध्वनि ...  ये थाने अब टूट चुके है I
परम पूजनीय गुरूजी गोलवरकर के शब्दों में ...अब कैसे नमकीन करू ? नमक का ही स्वाद चला गया I
कौन कहता है गौरक्षको को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है ?
    मोदी जी कहते है कि 80% गौरक्षक कानून हाथ में ले रहे है तथा वे आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है I ये बयान निहायत ही गैर-जिम्मेदाराना है I मोदी जी अपने अटॉर्नी जनरल से पूछ ले कि कानून एक आम नागरिक से क्या अपेक्षा रखता है I यह बात किसी से छिपी नहीं है कि गायो  की तस्करी अफीम की तस्करी नहीं है कि उसे पकड़ने के लिए मुखबिरों के किसी तंत्र की आवश्यकता हो I जब गायो की गाड़िया गुजरती है तो आधे किलोमीटर दूर से मालूम हों जाता है कि गायो की तस्करी हो रही है I लगभग हर जिले से होकर ये गाड़िया गुजरती है तथा बिना स्थानीय पुलिस को विश्वास में लिए गायो की तस्करी नहीं हो सकती I जब श्री मोतीलाल वोरा  UP के गवर्नर थे तो उनके कार्यकाल में उनके निर्देशन में तत्समय DGP डॉ.गिरीश बिहारी के हस्ताक्षर से कुछ निर्देश निर्गत हुए थे जिन्हें यदि लागू करा दिया जाए तो किसी भी राज्य में गायो की तस्करी को जड़ से रोका जा सकता है I इनमे निर्देश थे कि -
1.   यदि किसी वरिष्ठ अधिकारी के निर्देशन में डाले गए छापे में कोई गायो की ट्रक पकड़ी जाती है तो उस इलाके के थानाध्यक्ष तथा क्षेत्राधिकारी पर अपराधियों को सहयोग देने तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का मुकदमा पंजीकृत करा कर गहराई से विवेचना कराई जाए I
2.   जिन-जिन रास्तो से वह ट्रक गुजरी है उन रास्तो के थानाध्यक्षो तथा   क्षेत्राधिकारियो की भी सहअभियुक्त बनाने के लिए गहराई से साक्ष्य संकलन किया जाए I
3.   उपरोक्त दोनों निर्देशों में साक्ष्य न प्राप्त होने की स्थिति में कम से कम सम्बंधित क्षेत्राधिकारियो तथा थानाध्यक्षो के सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र को अवरूध्द कर दिया जाए क्योकि गाय की तस्करी सार्वजानिक रूप से होती है तथा यह DEEMED है कि बिना पुलिस की मौन सहमति  के यह संभव नहीं हो सकता I  

        इन आदेशो का पालन किसी भी राज्य में नहीं हुआ I मोती लाल वोरा जी के हटने के बाद UP में भी यह आदेश ठन्डे बस्ते में डाल दिये गए I किसी भाजपा शासित राज्य तक ने गौरक्षा के नाम पर केवल लीपा पोती की जा रही है  I मै भाजपा शासित राज्य के किसी मुख्यमंत्री को चुनौती देता हूँ कि बिना किसी मुखबिरी के सैकड़ो गायो को काटने के लिए जाते हुए जिस दिन भाजपा का हाई कमान या आरएसएस का हाई कमान कह दे उस दिन पकड़ कर दिखा सकता हूँ I सारा प्रेस सारी  जनता सबको पता है कि भूमाफिया, खनन माफिया तथा पशुतस्कर माफिया पुलिस के संरक्षण में ही आपरेट करते है I शिकायतों को कौन सुनेगा ? सामान्य आदमी के विरुद्ध की गयी  शिकायतो तक को कोई सुनने वाला नहीं है I ऐसी हालत में कानून स्वयं इस बात की इजाजत देता है कि कोई भी नागरिक कानून को हाथ में ले सकता है I यहाँ मै दोहराना चाहूँगा की कानून हाथ में लिया जा सकता है किन्तु कानून की लक्ष्मण-रेखा का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है I भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया के अनुसार यदि किसी भी नागरिक के संज्ञान में कोई अपराध हो रहा है उसे रोकने के लिए उसको निकटतम पुलिस स्टेशन को सूचित करना चाहिए किन्तु पुलिस सहायता न मिल पाने की स्थिति में वह कानून को हाथ में लेते हुए अपने सहयोगियों की सहायता से अपराध को घटित होने से रोक सकता है I कल्पना कीजिये कि कोई आदमी चौराहे पर गाय काटने जा रहा है तो दर्शको के फ़ोन करने पर यदि थाने का फोन नहीं उठता है अथवा फोन उठने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती है तो दर्शको को यह कर्तव्य नहीं है कि पुलिस के आने तक गाय को कटने दे तथा मूक दर्शक बने रहे I दर्शको का अधिकार है कि जो गाय को काट रहा है उसको ऐसा करने से रोके तथा नजदीक के पुलिस स्टेशन के हवाले कर दे I यदि गाय पर हमला करने वाला रोकने वालो पर हमला करता है तो हमलावर जिस अनुपात में बल का प्रयोग करता है, आत्मरक्षा में उसी अनुपात में बल का प्रयोग किया जा सकता है I हा यह अवश्य है कि  किसी को पकड़ लेने के बाद किसी की पिटाई करना या उसकी हत्या करना अपराध है I किन्तु जब यह देखा जा रहा है कि  गायो के  तमाम तस्कर पुलिस अधिकारियो तक पर गाड़ी चड़ा दे रहे है तथा कई स्थानों पर फायरिंग भी कर रहे है तो जान का खतरा उत्पन्न होने पर किसी गौभक्त को आत्मरक्षा के लिए भारतीय दंड विधान की धारा 96 से लेकर 106 के अंर्तगत कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में किसी की जान तक लेने का भी अधिकार है I कानून बना ही इस लिए है कि उसे कोई भी नागरिक अपने हाथ में ले सकता है I हाँ कानून का अतिक्रमण करने का – कानून की लक्ष्मण रेखा को लांघने का अधिकार किसी को नहीं है I किसी अपराधी को कस्टडी में लेने के बाद मार-पीट करने, अमानवीय व्यवहार करने अथवा हत्या कर देने का अधिकार पुलिस के पास भी नहीं है I मोदी को अपील यह करनी चाहिए थी कि कोई भी गौरक्षक कसी भी स्थिति में कानून को तो अपने हाथ में ले किन्तु कानून की  लक्ष्मण रेखा का उलंघन न करे तथा कानून के दायरे में रहते हुए अपने गौरक्षा के संकल्प को पूरा करे I ऐसा न कर के 80% गौरक्षको अपराधी घोषित कर देना शुद्ध मानसिक दिवालियापन  है I क्रमशः 

Friday, 12 August 2016

गऊ माता की चीत्कार ...कहा खो गया गोधरा का हीरो मोदी, खोजो उसको.....

गऊ माता की चीत्कार ...कहा खो गया गोधरा का हीरो मोदी,  खोजो उसको...
जनवाणी ... FIR लिखा दो संघ कार्यालय   तथा विश्व हिन्दू परिषद के कार्यालय में I
प्रतिध्वनि ...  ये थाने अब टूट चुके है I
परम पूजनीय गुरूजी गोलवरकर के शब्दों में ...अब कैसे नमकीन करू ? नमक का ही स्वाद चला गया
मोदी ने गोरक्षको के बारे में जो बयान जारी किया है वह ह्रदय को स्तब्ध कर  देने वाला है I जयशंकर प्रसाद ने कामायनी में जो लिखा है, वह विकास की गंगा में गोते लगाने में तल्लीन मोदी पर शत-प्रतिशत चरितार्थ होता है -    
  मनु तुम श्रध्दा को गए भूल 
  उस पूर्ण आत्मविश्वासमयी को,
उड़ा दिया था समझ तूल II  
तुम ने तो समझा असत विश्व,
जीवन धागे में रहा झूल I
जो क्षण बीते सुख साधन में,
 उनको ही वास्तव लिया मान I
वासना तृप्ति ही स्वर्ग बनी,
यह उलटी मति को व्यर्थ ज्ञान II
जब गूंजी यह वाणी तीखी,
कम्पित करती अम्बर अकूल
मनु को जैसे चुभ गया शूल II
ऐसा ही शूल हर गौभक्त के ह्रदय में चुभा होगा जब उसने मोदी का यह बयान पढ़ा कि 80% गौरक्षक आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है तथा रात के अँधेरे में वे अपराध करते है  तथा दिन में गौरक्षा का नाटक करते है I मै मोदी जी से कुछ  प्रश्न पूछना चाहता हूँ –
1.   अगर यह तथ्य सही है तो आप को सत्ता में आये एक अच्छा समय बीत गया तथा अधिकांश प्रदेशो में आपकी सरकार है I  यदि आदरणीय मोदी जी का बयान सही है तो देश की जनता तथा देश का संविधान यह प्रश्न पूछता है कि अब तक किसी बीजेपी शासित  सरकार ने भी एक प्रतिशत (1%) गौरक्षको पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की है ?
        अमित शाह ने जैसे कहा था कि कालाधन वापस लाने वाला बयान तथा अच्छे दिन लाने वाला बयान  मोदी का एक जुमला था,  उसी प्रकार क्या गौभक्तो के बारे में दिया यह बयान मात्र दलितों एवं अल्पसंख्यको से छल करके उनका वोट लेने के लिए गढ़ा एक जुमला है ? यदि यह सत्य है तो  अब तक दर्जनों साल से मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार है  तथा दर्जनों साल से गुजरात में भी स्वय मोदी की तथा उसके बाद उनके उत्तराधिकारीयो की सरकार थी, अब तक किसी गौभक्त के विरुद्ध 1% मामले में भी किसी बीजेपी सरकार ने कठोर कार्यवाही तो दूर नरम से नरम कार्यवाही तक नहीं की I मै यह नहीं मान सकता कि मोदी जी इतने पतित हो सकते है कि भारतीय संविधान की हत्या करके 80% गौभक्त अपराधो में लिप्त रहे हो तथा मोदी जी ने 1% के विरुद्ध भी कार्यवाही नहीं की हो तथा इस प्रकार के अपराधो में लिप्त गौरक्षको को खुला संरक्षण दिया हो, तथा अपराध करने की छूट दिए हो – यह बात मै मोदी जैसे व्यक्तित्व के बारे में नहीं सोच सकता I
       जिस प्रकार दिग्विजय सिंह तथा राहुल गाँधी का मानना है कि महात्मा गाँधी की हत्या संघ ने करायी (जिस से मै सहमत नहीं हूँ ) उसी प्रकार मै यह मानने को तैयार नहीं हूँ कि अपराधिक मामलो में   लिप्त 80 % गौरक्षको को मोदी या शिवराज तथा वसुंधरा राजे जैसे लोगो या संघ प्रमुख जैसे लोगो ने नंगा संरक्षण दिया हो I मेरी समझ में नहीं आ सकता है कि संघ की जिन शाखाओ में चाल-चरित्र और चेहरा बदलने की बात लड़कपन से सिखाई जाती है  वहा पर अपराधो की आड़ में गौरक्षा का नाटक करने वालो पर संघ या बीजेपी का हाथ होगा – यह मेरी समझ से परे है किन्तु मोदी जी ने जो बयान दिया है उसका एक ही अर्थ फलित होता है कि संघ परिवार ने अपराधो में लिप्त गौरक्षको को संरक्षण दिया तथा अब,  जब पूर्ण बहुमत की सरकार आ गयी है तो उसे 2 तिहाई  की सरकार बनाने के लिए अल्पसंख्यको तथा दलितों की आवश्यकता है इसी लिए दलितों की ओर अल्पसंख्यको को जाल में फ़साने के लिये यह मीठी गोली दी जा  रही है तथा जिन गौरक्षको पर बीजेपी भक्तो तथा मोदी भक्तो का गर्व था, वे अब इन्हें कूड़ेदान में फेंक देना चाहते है I यह दृष्टि परिवर्तन (attitudinal change)  इतना आसान नहीं है I चीते की सवारी करके कोई चीते से उतर नहीं सकता और यदि उतरेगा तो चीता उसे खा जायेगा I अगर यह तर्क के लिए मान भी लिया जाए तो अधिकांश  वोट विकास के नाम पर मोदी को मिला तो भी आरएसएस के आलोचक तक को यह स्वीकार करना चाहिए कि भगवा ध्वज को नित्य सलामी देने वाले तथा हाफ पैंट पहनने वाले तपस्वियों और मनीषियों से प्रभावित लोगो तथा राममंदिर और गौभक्ति में आस्था रखने वालो के वोट बैंक भी कुल वोट का 50 % न हो  तो भी कम से कम  का 30 -40 % रहा ही होगा I यह 30 -40 % वोट बैंक आज बच्चो को पैदा करने वाली फैक्ट्री बनाने का आरोप लगाकर कर जिन साध्वीं का अपमान  हुआ है उनकी ओर  आशा भरी नजरो से देख रहा है तथा गौरक्षपीठाधीश्वर की ओर टकटकी लगा कर देख रहा  है कि लब जेहाद के विरुद्ध अभियान छेड़ने  वाला महापुरुष मोदी की किस विद्या से, मोदी के  किस जादू-टोने  से,  किस फर्जी या सच्चे आश्वासन से, मौन धारण किये हुआ है I जैसे प्रियंका  में लोग उनके पिता राजीव गाँधी की मासूम छवि न ढूढकर उनकी दादी इंदिरागांधी की दबंग छवि के दर्शन करना चाहते है, उसी प्रकार योगी आदित्य नाथ के चेहरे में लोग महंत अवैद्यनाथ की सोम्य,शालीन तथा  पूजनीय छवि को न ढूढकर बाबा दिग्विजय नाथ की तेजस्वी छवि को ढूढना चाहते है, जिनकी एक हुंकार मात्र से दिल्ली में जवाहर लाल  नेहरु तक हिलने लगते थे I आज गौरक्षा तथा गौभक्तो  के बारे में दिए गए इस ह्रदय विदारक  बयान पर साध्वी प्राची, ऋतंभरा, तोगडिया  तथा बाबा बाबा आदित्यनाथ चुप क्यों है ? क्यों नहीं मुखर हो पा रहे –यह चिंता का विषय है –
     “फिर दिशाए मौन है, उत्तर नहीं है I”
 संघ परिवार भी मोदी की हा में हाँ मिला रहा है I यह देश का दुर्भाग्य है कि मोदी के पास वशिष्ठ की भूमिका निभाने वाला कोई  वशिष्ठ नहीं बचा I संघ परिवार की भूमिका मात्र चंदरबरदाई की रह गयी है, जो लड़ाई का भविष्य पूछने पर पृथ्वीराज के सामने रुधे गले से उनके भविष्य का चित्रण करता है –
बांधि लियो  चामुंड है,
हत्यो सुमति कैमास I
संभरीष साम्राज्य की
करत तऊ पै आस II
यह स्थिति बनी रही तो 2019 के आते आते लोकसभा चुनावो में इस 30 – 40 % के मौन हो जाने पर मोदी की  वही स्थिति होगी, जो पृथ्वीराज के तराइन के मैदान में हुई थी तथा  विश्वनाथ प्रताप सिंह और अटल बिहारी बाजपेई की आरक्षण मुद्दे को लेकर  भारतीय राजनीति के प्रांगण में हुई थी I जिस डाल  पर बैठे है, उस डाल को काटना कभी शुभ नहीं होता है I स्वय मोदी,  शिवराज एव वसुंधरा राजे द्वारा 1 %   गौरक्षको पर भी कार्यवाही न करना इस बात का प्रमाण है कि 80 % गौरक्षको को अपराधी बताना मात्र एक जुमला है, एक झूठ का पुलिंदा है तथा किसी हताश निराश विपक्ष के नेता की मुख से निकलने पर तो सहा  जा सकता है किन्तु पूर्ण बहुमत के प्रधानमंत्री के मुख से इतना बडा झूठ शोभायमान नहीं है I जो भी कांड आज तक हुए है उनपर मोदी जी एक आयोग बैठा  दे तथा 10% गौरक्षक भी यदि पेशेवर अपराधो में  लिप्त पाए जाये तो मै सार्वजानिक रूप से इस लेख के लिए क्षमा याचना करने तथा इण्डिया गेट या किसी भीड़ भरे स्थान पर कान पकड़ कर क्षमा याचना करने को तैयार हूँ I किन्तु किसी जज की अध्यक्षता में बैठाये गए  जाच आयोग में यदि 10 % गौरक्षक भी गौरक्षा से जुड़े अपराधो में लिप्त न पाए जाये तो मोदी को भी टीवी पर तथा संसद में न केवल सार्वजानिक रूप से क्षमा याचना करनी चाहिए बल्कि इसका प्रायश्चित भी करना चाहिए I गउ – माता इतनी असहाय नहीं है I ईश्वर न मरा है , न सेवा निर्वृत्त हुआ है,  न उसने त्याग पत्र दिया है, न ही उसके खिलाफ अविश्वास का को प्रस्ताव पारित हुआ है I प्रभु स्वयं शाश्वतधर्मगोप्ता है I वे स्वयं अवतरित होंगे तथा गाय के सम्मान की और  गौभक्त  के सम्मान की रक्षा होंगी I
2.   यदि बीजेपी शासित राज्यों में किसी संकोच वश  कोई कार्यवाही न की गयी हो तो UP में श्री मुलायम सिंह यादव तथा श्री अखिलेश यादव की सरकार मिलकर 8 साल तक चली जिनको  संघ से जुड़े लोग बड़े प्रेम से मुल्ला मुलायम सिंह यादव कहते है I 5 वर्षो तक मायावती की भी पूर्ण बहुमत की सरकार रही I  दिल्ली में तथा अन्य प्रान्तों में कांगेस  की सरकार रही I  बंगाल में पहले कम्युनिस्टो की सरकार रही उसके बाद ममता बनर्जी की सरकार रही,  जो  कि दोहराई भी गयी,  जिनको बड़े सम्मान से संघी “जेहादी दीदी” के नाम से संबोधित करते है I केरल में लगातार कम्युनिस्टो एवं कांग्रेस की सरकार रही I आन्ध्र में चंद्राबाबु नायडू की सरकार रही  , जिनके ससुर N.T. RAMAROV गेरुवा कपडे में नमाजियों के बीच में खड़े होकर नमाज अदा करने लगते थे I अधिकांश प्रान्तों में स्वयं लंबे समय तक   ऐसे पार्टियों की की सरकार रही, जिनकी विचारधारा को संघ से जुड़े लोग “छद्म धर्म निरपेक्ष” कहते है, किन्तु किसी  भी सरकार में गौरक्षा के आन्दोलन से जुड़े 1% लोगो पर भी किसी सरकार ने कठोर तो दूर, नाम मात्र की  कार्यवाही भी  नहीं की I “HOLIER THAN THOU?” के चलते आज मोदी  जी इतना गन्दा बयान दे रहे है, जितना गन्दा बयान आज तक   किसी आजम खान, ओवैसी, राहुल गाँधी, दिग्विजय सिंह , ममता बनर्जी,  किसी भी  कम्युनिस्ट नेता, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती आदि एक भी नेता ने नहीं दिया था I क्या हो गया है हमारे धर्म राज युधिष्ठिर को कि वह गउ-माता तथा गौरक्षको की मान प्रतिष्ठा तथा गरिमा को तुष्टीकरण के जुए में द्रोपदी की भांति दाव  पर लगा रहे है I यह भारत के लिए बुरे दिनों की शुरुआत है काश अच्छे दिन आवें या न आवें – हमारे सामान्य दिन लौटा दिये जाये -  इतने गंदे दिन हमे न देखने को मिले I

3.   गुरु जी गोलवरकर ने लिखा है कि यदि नमक का स्वाद चला जाये तो कैसे  नमकीन करेंगे ? यदि चीनी  का स्वाद चला जाये तो मिठास कहाँ से लावोगे ? गुरूजी  आरएसएस को नमक मानते थे, जिस से राजनितिक चरित्र को नमकीन किया जा सके I आरएसएस को चीनी  मानते थे,  जिस से राजनितिक चरित्र में  मिठास लायी जा सके I आज आरएसएस मोदी की आवाज में हाँ में हाँ मिला रहा है तथा यह स्पष्ट है कि वह समय भी आ गया है कि जब नमक का स्वाद चला गया I अब कोई चीज नमकीन नहीं की जा  सकती I अब चीनी का स्वाद गया तथा किसी चीज  में मिठास लाना संभव नहीं है I यह राष्ट्रीय  चरित्र के क्षरण का एक स्पष्ट सबूत है कि विपक्ष द्वारा शासित राज्यो में भी  1% गौरक्षको के आपराध में लिप्त  न होने के स्पष्ट आकंड़ो के बावजूद संघ परिवार एक स्वर में गौभक्त तथा गौरक्षको को बदनाम कर रहा  है I क्रमशः