मुख्यमंत्री के नाम खुला खत
मथुरा कांड का खुलासा
DGP के नाम खुला खत क्यों नहीं?
अंतर्मन में कुछ प्रश्न उठ रहे हैं किंतु जबान पर नहीं आ रहे हैं क्योंकि सुलखान सिंहIPS DGP की कुर्सी पर आसीन हैं। ठीक वैसे ही जैसे इक्ष्वाकुवंश पर तथा राम पर अटूट विश्वास के कारण पहले चरण में पृथ्वी माता ने सीताजी को अपने हृदय में नहीं समेटा था।
मथुरा कांड का खुलासा पढ़ा मन शंका करने की हिम्मत नहीं कर रहा क्योंकि सुलखान सिंह प्रदेश के DGP हैं तथा प्रकाश सिंह, वी.के. सिंह तथा शैलजा कांत मिश्र सी परंपरा की वह उपज हैं, उनके व्यक्तित्व, कृतित्व और निष्पक्षता पर कोई केजरीवाल या दिग्विजय सिंह की प्रवृत्ति का ही व्यक्ति उंगली उठा सकता है- यह मेरे बस की बात नहीं है।
फिर मैं महेश चंद द्विवेदी IPS का UnderTraining रहा हूं जो सही खुलासे के लिए संघर्षरत रहे योद्धाओं में अग्रणी रहे हैं तथा Murder में नामजद अपराधी जितनी बडी संख्या में उनके जिले, Range तथा Zone में निर्दोष घोषित किए गए हैं, उतनी बड़ी संख्या में किसी अन्य IPS Officer के Supervisiory Jurisdiction में नहीं।
जैसे B.S.Bedi साहब के Posting की खबर सुनते ही वही दरोगा सुनिश्चित कर लेता था कि अपराध के आंकड़े आधे हो जाएं- कानपुर में मैं ASP था तो वहां बेदी साहब के नेतृत्व में फ़ीलखाना जैसे इंस्पेक्टर रैंक के थाने में IPC Crime शून्य हो गया था तथा इंस्पेक्टर को डांट पड़ी थी कि बुखार/शुगर/ब्लड प्रेशर कम होना चाहिए किंतु 0 नहीं और तब जाकर आंकड़े पिछले साल के आधे पर रुके थे।इसी प्रकार बाकी officers false nominations को encourage नहीं करते थे किंतु कुछ तो ऐसा था ही किU. P. Cadre के एक दर्जन illustrious officers के jurisdiction में भी उतने नामजद लोगों को clean chit नहीं मिली होगी जितनी अकेले M.C. Dwivedi के कार्यकाल में।
इन संस्कारों में पले होने के कारण false implication तथा unearthing of the case गले के नीचे नहीं उतरता। हम मथुरा Case को फर्जी खुलासा कहने की हिमाकत नहीं कर रहे।
मां सीता तथा मां धरती का एक प्रसंग अंतर्मन में उभरता है। जब सीताजी ने दोबारा अग्नि परीक्षा का प्रस्ताव आने पर (वास्तव में लंका की अग्नि परीक्षा के बाद लव-कुश का शौर्य प्रदर्शन भी एक अग्निपरीक्षा ही थी)- इसे तीसरी अग्नि परीक्षा का प्रस्ताव कह सकते हैं। मां सीता Utterly Depressed हो गयीं तथा उन्होंने मां धरती से निवेदन किया कि "मां तुम फट जाओ तथा अपनी छाती में हमें समेट लो। यही मेरी अग्निपरीक्षा होगी।" यह सुनकर मां धरती स्तब्ध रह गयी। उन्होंने विचार किया
DGP के नाम खुला खत क्यों नहीं?
अंतर्मन में कुछ प्रश्न उठ रहे हैं किंतु जबान पर नहीं आ रहे हैं क्योंकि सुलखान सिंहIPS DGP की कुर्सी पर आसीन हैं। ठीक वैसे ही जैसे इक्ष्वाकुवंश पर तथा राम पर अटूट विश्वास के कारण पहले चरण में पृथ्वी माता ने सीताजी को अपने हृदय में नहीं समेटा था।
मथुरा कांड का खुलासा पढ़ा मन शंका करने की हिम्मत नहीं कर रहा क्योंकि सुलखान सिंह प्रदेश के DGP हैं तथा प्रकाश सिंह, वी.के. सिंह तथा शैलजा कांत मिश्र सी परंपरा की वह उपज हैं, उनके व्यक्तित्व, कृतित्व और निष्पक्षता पर कोई केजरीवाल या दिग्विजय सिंह की प्रवृत्ति का ही व्यक्ति उंगली उठा सकता है- यह मेरे बस की बात नहीं है।
फिर मैं महेश चंद द्विवेदी IPS का UnderTraining रहा हूं जो सही खुलासे के लिए संघर्षरत रहे योद्धाओं में अग्रणी रहे हैं तथा Murder में नामजद अपराधी जितनी बडी संख्या में उनके जिले, Range तथा Zone में निर्दोष घोषित किए गए हैं, उतनी बड़ी संख्या में किसी अन्य IPS Officer के Supervisiory Jurisdiction में नहीं।
जैसे B.S.Bedi साहब के Posting की खबर सुनते ही वही दरोगा सुनिश्चित कर लेता था कि अपराध के आंकड़े आधे हो जाएं- कानपुर में मैं ASP था तो वहां बेदी साहब के नेतृत्व में फ़ीलखाना जैसे इंस्पेक्टर रैंक के थाने में IPC Crime शून्य हो गया था तथा इंस्पेक्टर को डांट पड़ी थी कि बुखार/शुगर/ब्लड प्रेशर कम होना चाहिए किंतु 0 नहीं और तब जाकर आंकड़े पिछले साल के आधे पर रुके थे।इसी प्रकार बाकी officers false nominations को encourage नहीं करते थे किंतु कुछ तो ऐसा था ही किU. P. Cadre के एक दर्जन illustrious officers के jurisdiction में भी उतने नामजद लोगों को clean chit नहीं मिली होगी जितनी अकेले M.C. Dwivedi के कार्यकाल में।
इन संस्कारों में पले होने के कारण false implication तथा unearthing of the case गले के नीचे नहीं उतरता। हम मथुरा Case को फर्जी खुलासा कहने की हिमाकत नहीं कर रहे।
मां सीता तथा मां धरती का एक प्रसंग अंतर्मन में उभरता है। जब सीताजी ने दोबारा अग्नि परीक्षा का प्रस्ताव आने पर (वास्तव में लंका की अग्नि परीक्षा के बाद लव-कुश का शौर्य प्रदर्शन भी एक अग्निपरीक्षा ही थी)- इसे तीसरी अग्नि परीक्षा का प्रस्ताव कह सकते हैं। मां सीता Utterly Depressed हो गयीं तथा उन्होंने मां धरती से निवेदन किया कि "मां तुम फट जाओ तथा अपनी छाती में हमें समेट लो। यही मेरी अग्निपरीक्षा होगी।" यह सुनकर मां धरती स्तब्ध रह गयी। उन्होंने विचार किया
"इक्ष्वाकुवंशप्रभवःकथं त्वाम् त्यजेद कस्मात् पतिरार्यवृत्तः।"
अर्थात तुम्हारा पति साधारण व्यक्तित्व का स्वामी नहीं है। राम इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न हुए हैं साथ ही वे आर्यवृत हैं अर्थात आचरण से आर्य हैं। वे तुम्हें अकस्मात बिना गलती के परित्यक्ता कैसे बना सकते हैं? इस संशय में सीता की मां पृथ्वी पड़ गई तथा बिना पूरी छानबीन के सीता को अपने उदर में प्रवेश नहीं दिया। जिस प्रकार मां पृथ्वी को यकीन नहीं हो पा रहा था कि राम ने बिना गलती के परित्याग किया होगा, उसी तरह चाहे कितने ठोस कारण कोई प्रस्तुत करे मेरा अंतर्मन यह स्वीकृत नहीं कर सकता कि सर्व श्री प्रकाश सिंह, शैलजाकांत मिश्र तथा वी. के. सिंह से दीक्षा प्राप्त सुलखान सिंह जो स्वयं में आर्यवृत्त(outstanding character and integrity beyond doubt) का निष्कलंक जीवन आजीवन बिता चुके हैं, उन्हें कोई प्रलोभन देकर या अल्टीमेटम देकर या डरा-धमकाकर गलत खुलासा किसी संवेदनशील केस में कैसे करा सकता है?
फिर भी.....
फिर भी,कुछ प्रश्न मन में उठ रहे हैं, जिन्हें मैं मुख्यमंत्री के नाम खुले खत में लिख रहा हूं- DGP के नाम खुला खत इसलिए नहीं लिख रहा हूं क्योंकि सुलखान सिंह मुझे व्यक्तिगत जीवन में बहुत सम्मान देते हैं इतना अधिक कि मुझे डर लगने लगता है कि उस सीमा तक सम्मान पाने को deserve भी करता हूं या नहीं। मैं सोचता हूं कि कहीं कोई मेरा सुझाव उन्हें मतिभ्रम न दे दे। मैं ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुआ किंतु मैं ब्राम्हण को जाति न मानकर एक पदवी मानता हूं जिसको JUSTIFY करने के लिए ब्राह्मण कुलोत्पन्न को भी घोर तपस्या करनी पड़ती है तथा क्षत्रिय कुल में उत्पन्न विश्वामित्र एवं अन्य कुलों में उत्पन्न वाल्मीकि, नारद, अगस्त्य, व्याध,जाबाल आदि भी घनघोर तपस्या की सीढ़ियों को चढ़कर ब्राह्मणत्व को अर्जित कर लेते हैं। कभी-कभी अभिजात्यकुलोत्पन्न का बोध आ जाता है तो कभी-कभी प्रतिभा का अहं घेर लेता है जिसे प्रयासपूर्वक तुरंत दूर भगाता हूं। पूर्वाग्रह को भगाए बिना तथा निष्पक्षता का पक्षधर हुए बिना ब्राह्मणत्व को छू पाना संभव नहीं है।
योगी जी से निवेदन इसलिए कर रहा हूं क्योंकि वे मुझसे काफी बड़े हैं। भारत के राष्ट्रपति तक पीठाधीश्वरों के चरणों में स्थान लेते रहे हैं। वे अपने विवेक से तथा समुचित विचार विमर्श से इसके बारे में जितने अंशों को उपयुक्त समझे उतने के बारे में पुलिस विभाग को यथोचित निर्देश जारी कर सकते हैं-
योगी जी से निवेदन इसलिए कर रहा हूं क्योंकि वे मुझसे काफी बड़े हैं। भारत के राष्ट्रपति तक पीठाधीश्वरों के चरणों में स्थान लेते रहे हैं। वे अपने विवेक से तथा समुचित विचार विमर्श से इसके बारे में जितने अंशों को उपयुक्त समझे उतने के बारे में पुलिस विभाग को यथोचित निर्देश जारी कर सकते हैं-
(1)पहला भाग है पुलिस की भूमिका। योगी जी महाराज ने इस केस में पुलिस की भूमिका की चर्चा की जिससे स्पष्ट बोलने का बल मुझे मिल रहा है। अगर गहराई तक विवेचना की जाए, तो ऐसा कोई सुनियोजित अपराध शायद ही अपवादस्वरूप निकले जिसमें पुलिस की भूमिका न हो। यदि ऐसा ना होता तो बड़े से बड़े लोगों तक पहुंच रखने वाले अपराधी भी अपनी choice का police staff अपने थाने में क्या चाहते हैं?
शिवपाल का जब जलवा था, उस समय भी जब तक मनमाफिक Inspector या Staff सैफई में नहीं आ जाता था तब तक किसी रंगबाज चेले का सीना 56 इंच का नहीं हो पाता था। यह सच है कि खूटे के बल पर बछड़ा उछलता है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बच्चा मां की गोद में उछलता है डायन की गोद में नहीं। बृजलाल के जमाने में केवल एक Inspectorरुचि के विपरीत सैफई में पोस्ट हो गया था तथा दबंगई का क्या परिणाम निकला था - इसे सारा जमाना जानता है- मैं पुनरावृत्ति करके कलम को गंदा करना नहीं चाहता। पूरा जमाना जानता है कि Inspector Cantt तथा CO Cantt के रूप में सर्वदेव कुँवर की पोस्टिंग होते ही पूर्वांचल के सारे स्वनामधन्य माफिया "Quit India" कर देते थे तथा नेपाल की सीमा से भारत में तब प्रवेश करते थे जब उस Inspector की रवानगी हो जाती थी। योगी जी अपराध नियंत्रण में पूर्ण सफल हो जाएंगे यदि वह इस बात की समीक्षा करना न भूलें कि किसी भी जघन्य अपराध में पुलिस की क्या भूमिका है?
जो कह रहे हैं कि पुलिस की कोई भूमिका नहीं है उनकसे केवल निम्न प्रश्नों के उत्तर मंगाकर पुनर्विचार करने को कहा जाए-
शिवपाल का जब जलवा था, उस समय भी जब तक मनमाफिक Inspector या Staff सैफई में नहीं आ जाता था तब तक किसी रंगबाज चेले का सीना 56 इंच का नहीं हो पाता था। यह सच है कि खूटे के बल पर बछड़ा उछलता है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बच्चा मां की गोद में उछलता है डायन की गोद में नहीं। बृजलाल के जमाने में केवल एक Inspectorरुचि के विपरीत सैफई में पोस्ट हो गया था तथा दबंगई का क्या परिणाम निकला था - इसे सारा जमाना जानता है- मैं पुनरावृत्ति करके कलम को गंदा करना नहीं चाहता। पूरा जमाना जानता है कि Inspector Cantt तथा CO Cantt के रूप में सर्वदेव कुँवर की पोस्टिंग होते ही पूर्वांचल के सारे स्वनामधन्य माफिया "Quit India" कर देते थे तथा नेपाल की सीमा से भारत में तब प्रवेश करते थे जब उस Inspector की रवानगी हो जाती थी। योगी जी अपराध नियंत्रण में पूर्ण सफल हो जाएंगे यदि वह इस बात की समीक्षा करना न भूलें कि किसी भी जघन्य अपराध में पुलिस की क्या भूमिका है?
जो कह रहे हैं कि पुलिस की कोई भूमिका नहीं है उनकसे केवल निम्न प्रश्नों के उत्तर मंगाकर पुनर्विचार करने को कहा जाए-
(1) जब अपराधी पूर्व में इनामिया था, तो उसे पकड़ने के लिए किस-किस Inspector, S.I. ने दबिश दी तथा परिणाम क्या रहा है- पुष्टि के लिए GD की Entries भी अटैच की जाएं।
(2) क्या ये दबिशें वास्तविक थी या कागजी? मौके पर कोई निष्पक्ष officer जांच कर बताएं कि क्या दबिशें पड़ी भी थी या मात्र कागजी खानापूर्ति थी?
(3) जो अपराधी Police की organised Team पर फायरिंग करते रहे, वे पिछली दबिशों पर तमंचे का हवाईFire तक क्यों नहीं किये?
(4)Mathura में Police की क्या भूमिका रामबृक्ष यादव प्रकरण में थी- क्या भूमिका Refinery की चोरी में हरदम रहती है-
High Profile Sex Rackets में क्या भूमिका होती है कि किसी SSP के Touch करने का साहस करते ही वह blast हो जाता है तथा काफी कर्मचारी उसके transfer को celebrate करते हैं- इसका पता जनता जनार्दन दे देगी Intelligence Department कुछ छुपाना भी चाहे तो हिन्दू युवा वाहिनी के चलते नहीं छुपा सकता है।
High Profile Sex Rackets में क्या भूमिका होती है कि किसी SSP के Touch करने का साहस करते ही वह blast हो जाता है तथा काफी कर्मचारी उसके transfer को celebrate करते हैं- इसका पता जनता जनार्दन दे देगी Intelligence Department कुछ छुपाना भी चाहे तो हिन्दू युवा वाहिनी के चलते नहीं छुपा सकता है।
(5) क्या इन अपराधियों की History sheet खुली थी?
(6) क्या इनके नाम Active list पर लाए गए थे?
(7) क्या यह पीछे के मुकदमों में जमानत पर छूटे थे? क्या जमानतदारों की तस्दीक की गई कि वह असली हैं या फर्जी? जबकि यह तस्दीक जमानत होने के बाद Routineमें होनी चाहिए।
(8) क्या अपराध में लिप्त रहने के बावजूद इनकी पिछली जमानतों को निरस्त करने के लिए कोई प्रार्थना पत्र भी दिया गया? यदि हां, तो कब और किसकी अदालत में?
क्या अब यह अदालतों की जिम्मेदारी रहेगी कि वह पुलिस को जगाए कि अतीक अहमद की जमानत को निरस्त करायें?
केवल मुख्यमंत्री यह statement मंगा लें कि उनके सत्ता में आने के पहले 12 महीनों में कितनी बार पुलिस ने Bail Cancellation के लिए Move किया है तथा सत्ता में आने के बाद कितनी बार किया है तो कोई Major Difference शायद ही मिले तथा यह आंकड़े ही यह प्रमाणित कर देंगे कि अपराधों में पुलिस की क्या भूमिका है तथा किस प्रकार पुलिस अपराधियों को संरक्षण देने से बाज नहीं आ रही है?
क्या अब यह अदालतों की जिम्मेदारी रहेगी कि वह पुलिस को जगाए कि अतीक अहमद की जमानत को निरस्त करायें?
केवल मुख्यमंत्री यह statement मंगा लें कि उनके सत्ता में आने के पहले 12 महीनों में कितनी बार पुलिस ने Bail Cancellation के लिए Move किया है तथा सत्ता में आने के बाद कितनी बार किया है तो कोई Major Difference शायद ही मिले तथा यह आंकड़े ही यह प्रमाणित कर देंगे कि अपराधों में पुलिस की क्या भूमिका है तथा किस प्रकार पुलिस अपराधियों को संरक्षण देने से बाज नहीं आ रही है?
(9)किसी Case में जो अपराधी प्रकाश में आए उनमें- क्या पुलिस ने कभी जमानत आदेश के विरुद्ध Appeal दायर किया? क्या गायत्री प्रजापति जैसे बहुचर्चित Case में पुलिस का गला जब राजनीतिक नेतृत्व दबाएगा तभी Bail के खिलाफ Appeal होगी? मुख्यमंत्री जी एक आंकड़ा मंगा लें कि सत्ता में आने से पहले 12 माह में कितनी Appealsहुई तथा उनके शपथ ग्रहण के बाद कितनी हुई- कोई खास अंतर नहीं मिलेगा। नेताओं तथा अधिकारियों के कड़े बयानों पर कारखास तथा दागी कर्मचारी मुस्कुरा कर कहते हैं
"कुत्ते भूंकते रहते हैं
हाथी अपनी चाल चलता है"
कारखास तथा दागी कर्मचारी स्वयं को हाथी तथा कड़ाई करने वाले अधिकारियों और नेताओं को कुत्ता समझते हैं। जो कार्यवाही गायत्री प्रजापति मामले में हुई- वह अन्य मामलों में क्यों नहीं पुलिस करती?
1989 के पहले हर जमानत के बादAPO/PO/SPO तथा ADGC/DGC एक Acquittal report बनाते थे तथा हर महीने DM तथा SP की Joint Meeting में यह मामला Discuss होता था कि Bail का कौन सा मामला Appeal के योग्य है या नहीं तथा Prosecution Department इस विषय में एक स्वतः स्पष्ट आख्या उपलब्ध करता था जिसमें appeal करने योग्य Judgement है या नहीं इसके कारण समेत Draft बनता था तथा चर्चा होती थी। Judiciary से कोई बात Discussकरने लायक होती थी तो Communication Gap ना हो इसके लिए SSP, DM तथा DJ की एक मासिक बैठक होती थी। जब कोई भोजन ना करे तो Food Supplement से कब तक काम चलेगा?
कारखास तथा दागी कर्मचारी स्वयं को हाथी तथा कड़ाई करने वाले अधिकारियों और नेताओं को कुत्ता समझते हैं। जो कार्यवाही गायत्री प्रजापति मामले में हुई- वह अन्य मामलों में क्यों नहीं पुलिस करती?
1989 के पहले हर जमानत के बादAPO/PO/SPO तथा ADGC/DGC एक Acquittal report बनाते थे तथा हर महीने DM तथा SP की Joint Meeting में यह मामला Discuss होता था कि Bail का कौन सा मामला Appeal के योग्य है या नहीं तथा Prosecution Department इस विषय में एक स्वतः स्पष्ट आख्या उपलब्ध करता था जिसमें appeal करने योग्य Judgement है या नहीं इसके कारण समेत Draft बनता था तथा चर्चा होती थी। Judiciary से कोई बात Discussकरने लायक होती थी तो Communication Gap ना हो इसके लिए SSP, DM तथा DJ की एक मासिक बैठक होती थी। जब कोई भोजन ना करे तो Food Supplement से कब तक काम चलेगा?
1989 के बाद किसी DM ने अपवादस्वरूप अपने इस कर्तव्य का पालन किया होगा। यही कारण है कि पुलिस वाले भी पहले जैसा सम्मान नहीं देते तथा पब्लिक भी जगह-जगह SDM, ADM तथा DM से हाथापाई कर देती है। पूरे उत्तर प्रदेश में अघोषित रूप से SSP तथा DM द्वारा Acquittal Report का न बनवाना तथा Appeal केवल Media Trial होने पर करना-क्या यह अपराधियों को दिया गया अघोषित संरक्षण नहीं है?
क्या यह अपराधियों के आगे घुटना टेकने के समतुल्य नहीं है?
क्या यह अपराधियों के आगे घुटना टेकने के समतुल्य नहीं है?
(10) यह असंभव है कि अपराधी Mobile Phone न use करते हों। जेल में बंद अपराधी तक करते हैं, बाहर वाले क्यों नहीं करेंगे? केवल Case Diary मंगाकर देख ली जाए कि कितने cases में यह प्रश्न पूछने तक का कष्ट किया गया था कि "महाशय आपके फोन का नंबर क्या था?" तथा कितने मामलों में call details को analyse किया गया है। अपराधियों की Call Details क्यों नहीं मंगाई जाती तथा उन्हें विवेचना का Part क्यों नहीं बनाया जाता ? उत्तर है-
ख़त जो आया है वहां से,
बंद रहने दो उसे।
उसमें पोशीदा हमारी,
जिंदगी का राज है।
बंद रहने दो उसे।
उसमें पोशीदा हमारी,
जिंदगी का राज है।
इन Call Details मैं तमाम जनप्रतिनिधियों (भूतपूर्व एवं वर्तमान), पुलिस कर्मचारियों एवं अधिकारियों (वर्तमान एवं पूर्व में नियुक्त) के नाम मिलेंगे। क्या यह विवेचना का विषय नहीं है कि Odd Hours में तथा बार-बार तथा लंबे समय किस बिंदु पर विचार विमर्श होता था। Call Details के आधार पर Case भले कोई खोला गया हो किंतु 1% मामलों में भी Contacts को Identify नहीं किया गया है। क्या यह पुलिस द्वारा अपराध जगत को दिया हुआ खुला संरक्षण नहीं है?
(11) कुछ समय फरार रहने पर अपराधी पकड़ा जाता है। क्या 1% अपराधियों से भी पूछा गया कि "महाशय आप ने फरारी कहां काटी है?" Call Details से फरारी के समय से Location के आधार पर सैकड़ों लोगों का नाम Interrogation में सामने आएगा जिन्होंने शरण दी है। पत्नी तथा Advocate के अलावा किसी के पास जाने का अभियुक्त को अधिकार नहीं है। Notice देकर जहां जहां location Call Details में आई है उनके बारे में बयान लेकर उन्हें Further Interrogation में क्यों नहीं पूछताछ की जाती है कि आपको Harbouring में क्यों न chargesheet किया जाए?
(12) हथियार कहां से आए?
स्रोत क्या है?
हथियारों और कारतूसों की गंगोत्री कहां है?
पुलिस और PAC तक के कारतूस जांच में गायब मिले हैं तथा काफी लोग Chargesheeted हुए हैं। क्या एक भी IPS ऑफिसर की जिम्मेदारी तय की गई कि तुम्हारी Battalion या जिले में कारतूस अपराधियों तक कैसे पहुंचे? IPS अधिकारी Casual तथा Annual Inspection करते हैं।
हथियारों और कारतूसों की गंगोत्री कहां है?
पुलिस और PAC तक के कारतूस जांच में गायब मिले हैं तथा काफी लोग Chargesheeted हुए हैं। क्या एक भी IPS ऑफिसर की जिम्मेदारी तय की गई कि तुम्हारी Battalion या जिले में कारतूस अपराधियों तक कैसे पहुंचे? IPS अधिकारी Casual तथा Annual Inspection करते हैं।
कारतूस गायब होते रहे- राजा को खबर तक नहीं?"
क्या बड़े बंगलों में रहने तथा पगड़ी और किराया वसूलने तक का ही काम बड़े अफसरों का रह गया है? यदि नहीं तो केवल तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर एक भी Class2 अफसर या IPS को कारतूस घोटाले में Jail क्यों नहीं भेजा गया?
क्या बड़े बंगलों में रहने तथा पगड़ी और किराया वसूलने तक का ही काम बड़े अफसरों का रह गया है? यदि नहीं तो केवल तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर एक भी Class2 अफसर या IPS को कारतूस घोटाले में Jail क्यों नहीं भेजा गया?
क्या DIG और IG inspection नहीं करते?
क्या उनकी Supervisory Responsibility नहीं?
क्या उनकी Supervisory Responsibility नहीं?
यदि Scams में Central Government के Secretary न केवल chargesheeted बल्कि convicted भी हो सकते हैं तो कारतूस घोटाले में IPS बेदाग कैसे? इसको IAS Officer क्यों नहीं उठाता है? इसका उत्तर अगले Paragraph में।
(13) यदी कारतूस वाले प्रकरण को छेड़ा जाएगा तो SDM, ADM तथा DM को भी जेल की हवा खानी पड़ सकती है- इस नाते इसमें IPS को नहीं खींचते। थानों को check करने की जिम्मेदारी Executive Magistrate की भी होती है।
Head of Criminal Administration सुनने में बड़ा अच्छा लगता है लेकिन इसकी जिम्मेदारी भी तो निभानी पड़ेगी।
Head of Criminal Administration सुनने में बड़ा अच्छा लगता है लेकिन इसकी जिम्मेदारी भी तो निभानी पड़ेगी।
मीठा मीठा गप्प गप्प
कड़वा कड़वा थू थू
कड़वा कड़वा थू थू
यह जवाब Executive Magistrate को भी देना पड़ेगा कि उन्होंने Inspection में क्या पाया? इसके अलावाArms Shops को Check करने की जिम्मेदारी भी CO+SDM की है तथा यह सुनिश्चित करना SSP+DM तथा DIG+ Commissioner का दायित्व है । आखिर Monthly meetings क्या चाय नाश्ता करने तथा गपशप करने के लिए हैं?
मैं मुख्यमंत्री जी से निवेदन करुंगा कि वे अलग-अलग शहरों में At Random 5 Arms Shop पर खड़े हो जाएं तथा बाहर के अफसरों की टीम से तत्काल (मैं तत्काल लिख रहा हूं क्योंकि 24 घंटे का भी समय मिला तो रिकॉर्ड ठीक हो जाएगा) simultaneous team भेजकर Check कर लिया जाए कि जिन लोगों को कारतूस तथा हथियार बेचे गए हैं-
मैं मुख्यमंत्री जी से निवेदन करुंगा कि वे अलग-अलग शहरों में At Random 5 Arms Shop पर खड़े हो जाएं तथा बाहर के अफसरों की टीम से तत्काल (मैं तत्काल लिख रहा हूं क्योंकि 24 घंटे का भी समय मिला तो रिकॉर्ड ठीक हो जाएगा) simultaneous team भेजकर Check कर लिया जाए कि जिन लोगों को कारतूस तथा हथियार बेचे गए हैं-
-क्या वे लोग इस धरती पर हैं भी या नहीं?
- कभी उस नाम के लोग पैदा भी हुए या नहीं?
-उनके लाइसेंस फर्जी हैं या असली?
तो पाया जाएगा कि हथियार तथा कारतूस ऐसे लोगों को बेचे गए हैं जो non existent हैं अथवा हैं तो उनके license पर ये कारतूस चढ़े नहीं मिलेंगे-उनको दिए ही नहीं गए हैं। यही कारतूस आतंकवादियों तथा नक्सलियों को बेचे जाते हैं। जिन जिलों के DM तथा SP सर्वाधिक ईमानदार माने जाते हों -उनके शस्त्रागारों के हथियार तथा कारतूसों की बिक्री का Simultaneous Verification (ध्यान रहेsimultaneous) करा लिया जाए तो यही स्थिति बिल्कुल true copy attested मिलेगी। लोग कहते हैं कि अमुक अफसर या नेता बहुत इमानदार है- हम उसकी ईमानदारी को लेकर ओढ़ेंगे कि बिछाएंगे- यदि उसके जिले के कारतूस अपराधियों तक बेरोकटोक पहुंचते रहेंगे। इस बिंदु परstanding orders हैं पर इनका फर्जीवाड़े में पालन हो रहा है। यह सरकारी शस्त्रागारों तथा private arms shop का कारतूस घोटाला किसी चारा घोटाला या coal scam से अधिक खतरनाक है।
- कभी उस नाम के लोग पैदा भी हुए या नहीं?
-उनके लाइसेंस फर्जी हैं या असली?
तो पाया जाएगा कि हथियार तथा कारतूस ऐसे लोगों को बेचे गए हैं जो non existent हैं अथवा हैं तो उनके license पर ये कारतूस चढ़े नहीं मिलेंगे-उनको दिए ही नहीं गए हैं। यही कारतूस आतंकवादियों तथा नक्सलियों को बेचे जाते हैं। जिन जिलों के DM तथा SP सर्वाधिक ईमानदार माने जाते हों -उनके शस्त्रागारों के हथियार तथा कारतूसों की बिक्री का Simultaneous Verification (ध्यान रहेsimultaneous) करा लिया जाए तो यही स्थिति बिल्कुल true copy attested मिलेगी। लोग कहते हैं कि अमुक अफसर या नेता बहुत इमानदार है- हम उसकी ईमानदारी को लेकर ओढ़ेंगे कि बिछाएंगे- यदि उसके जिले के कारतूस अपराधियों तक बेरोकटोक पहुंचते रहेंगे। इस बिंदु परstanding orders हैं पर इनका फर्जीवाड़े में पालन हो रहा है। यह सरकारी शस्त्रागारों तथा private arms shop का कारतूस घोटाला किसी चारा घोटाला या coal scam से अधिक खतरनाक है।
हाथ कंगन को आरसी क्या? पढ़े लिखे को फारसी क्या?
जो IAS/IPSअपने को इमानदार समझते हों वे अपने जिले की arms shop का simultaneous verification करा कर देख लें यदि वह पैसा पा रहे हों तो भगवान उनका भला करे तथा यदि मात्र मस्ती में इतना बड़ा अनाचार खुल्लम-खुल्ला हो रहा हो - तो कहीं ना कहीं उनकी आत्मा कर्तव्य की उपेक्षा के लिए अवश्य धिक्कारेगी। Simultaneous Verification से मेरा अभिप्राय है कि जिस दुकान का Verification हो रहा हो उसी दुकान में बैठकर SDM +CO मोबाइल फोन से जिले के, मंडल के, प्रांत के, प्रदेश के SO को फोन करें कि आपके जिले के अमुक लाइसेंसी के नाम कारतूस बिके दिखाए गए हैं जरा तत्काल उसके लाइसेंस को कब्जे में लो तथा देखो कि ये कारतूस चढ़े हैं या नहीं और यदि चढ़े हैं तो क्या Licensee के पास हैं या नहीं तथा उनका हिसाब क्या है?
केवल एक मामले की गहराई से विवेचना कर ली जाए तो फरारी में समय काटने के समय कहां कहाँ location थी कारतूस आदि की प्रश्नोत्तरी आदि से एक मामले में सैकड़ों सफेदपोश लोग जेल जाएंगे।
यदि उपरोक्त बिंदुओं को लेकर गहराई से कार्यवाही नहीं होती है तो नेता का दामन इतना गंदा हो चुका है कि उसकी आड़ में प्रशासन का 10 गुना गंदा दामन छिपा रहेगा। जिन बिंदुओं को मैंने उठाया है उन पर 99% मामलों में जांच ही नहीं होती है- किस नेता ने रोका है?
मात्र Inspector पर सख्ती करने से कुछ नहीं होने वाला, जब तक Supervisory Responsibility fix करके IPS तथा PPS Cadre को accountable नहीं बनाया जाता। Counter से कुछ भला नहीं होने वाला- सख्ती counter productive होगी-अगर अपराध की गंगोत्री पर चोट नहीं होती है।
V.P.Singh के युग से अधिक encounter संभव नहीं है। किंतु VP Singh के भाई माननीय HighCourt के Justice की हत्या हुई तथा अराजकता के माहौल में V.P.Singh को इस्तीफा देकर भागना पड़ा। योगी जी अगर इन Points पर दृढ़ता दिखा दें तो अपराध रूपी रावण की नाभि का अमृत सूख जाएगा।
केवल एक मामले की गहराई से विवेचना कर ली जाए तो फरारी में समय काटने के समय कहां कहाँ location थी कारतूस आदि की प्रश्नोत्तरी आदि से एक मामले में सैकड़ों सफेदपोश लोग जेल जाएंगे।
यदि उपरोक्त बिंदुओं को लेकर गहराई से कार्यवाही नहीं होती है तो नेता का दामन इतना गंदा हो चुका है कि उसकी आड़ में प्रशासन का 10 गुना गंदा दामन छिपा रहेगा। जिन बिंदुओं को मैंने उठाया है उन पर 99% मामलों में जांच ही नहीं होती है- किस नेता ने रोका है?
मात्र Inspector पर सख्ती करने से कुछ नहीं होने वाला, जब तक Supervisory Responsibility fix करके IPS तथा PPS Cadre को accountable नहीं बनाया जाता। Counter से कुछ भला नहीं होने वाला- सख्ती counter productive होगी-अगर अपराध की गंगोत्री पर चोट नहीं होती है।
V.P.Singh के युग से अधिक encounter संभव नहीं है। किंतु VP Singh के भाई माननीय HighCourt के Justice की हत्या हुई तथा अराजकता के माहौल में V.P.Singh को इस्तीफा देकर भागना पड़ा। योगी जी अगर इन Points पर दृढ़ता दिखा दें तो अपराध रूपी रावण की नाभि का अमृत सूख जाएगा।




