केजरीवाल के ऊपर लगाए गए आरोप 100%झूठे हैं।
यदि केजरीवाल पर लगाए गए आरोप सही भी हों तो कम से कम कपिल मिश्रा की गवाही झूठी है।
भाजपा तथा कांग्रेस द्वारा केजरीवाल के इस्तीफे की मांग राजनैतिक नीचता है यद्यपि इस नीचता की शुरुवात केजरीवाल ने ही की थी तथा सुबह से लेकर शाम तक प्रधानमंत्री तथा शीला दीक्षित के विरुद्ध प्रलाप करने का उनको दिया हुआ ईश्वरीय दंड है।
21 साल की आयु में मैं IPS में भर्ती हुआ तथा मेरा अधिकांश सेवाकाल या तो जिले में बिता अथवा किसी विशिष्ट जांच एजेंसी में। बड़ी संवेदनशील जांचों को संचालित करने का अवसर प्राप्त हुआ किंतु कपिल मिश्रा के लगाए हुए आरोप मुझे सफेद झूठ लगते हैं तथा यदि वे आरोप सत्य पाए जाएं तो यदि मैं किसी जांच एजेंसी का DG होता तो मैं कपिल मिश्रा का उपयोग एक गवाह के रूप में नही बल्कि एक वायदा माफ गवाह के रूप में करता। एक गन्दा से गन्दा नेता या अधिकारी भी किसी ऐसे आदमी की जानकारी या मौजूदगी में नगद पैसा नहीं ले सकता जोकि बीच में दलाली न कर रहा हो अथवा सहभागी न रहा हो।
एक सिपाही तक जब किसी से पैसा लेता है तो वह पूरा प्रयास करता है कि दूसरे सिपाही न जानने पाएं वरना चर्चा होने पर विभाग के अन्य लोग अपना हिस्सा मांगेंगे।
भ्रष्टतम अधिकारी और नेता तक केवल उस व्यक्ति के समक्ष पैसा लेते देखे गए हैं जो किसी न किसी रूप में डील में पार्टनर हों। या तो कपिल मिश्रा सरासर झूठ बोल रहे हैं अन्यथा यह देन लेन तभी संभव है जब इस मामले में अथवा किसी अन्य मामले में कपिल मिश्रा केजरीवाल की दलाली करते रहे हों। वैसे न तो मुझे कपिल मिश्रा के चरित्र पर शक है और न ही केजरीवाल के। केजरीवाल को मैं इतना दोषी मानता हूं कि विश्वनाथ प्रताप सिंह ने चरित्र हनन की जिस घिनौनी राजनीति की नींव डाली केजरीवाल ने न केवल छत डाली बल्कि उसपर गुम्बद भी बना दिया। रात दिन प्रधानमंत्री मोदी तथा शीला दीक्षित को कोसने और उनपर झूठे आरोप लगाने के सिवा केजरीवाल ने कुछ खास नहीं कर दिखाया। विश्वनाथ प्रताप सिंह किसी जमाने में इसी प्रकार दावा करते थे कि बोफोर्स घोटाले के सारे सबूत उनके Pocket में हैं तथा राजीव ने विदेश में LOTUS के नाम से एक खाता खोल रखा है तथा इस खाते में अवैध धन जमा है। इस खाते का एकाउंट नंबर भी वे बांटते फिरते थे। राजीव भ्रष्ट थे अथवा नहीं मैं इस मुद्दे पर यहां चर्चा नही कर रहा हूं। किंतु यदि वे भ्रष्टतम भी होते तो भी LOTUS के नाम से खाता क्यों खोलते जो उनके राजीव नाम का अंग्रेजी अनुवाद था।
वे LILY अथवा ROSE या Wood रख सकते थे। इसी प्रकार केजरीवाल ने गैरजिम्मेदाराना ढंग से शीला दीक्षित तथा मोदी पर भ्रष्टाचार के आरोपों की झड़ी लगा दी। संभवतः कपिल मिश्रा द्वारा लगाए गए आरोप उन पापों के एवज में Divine Justice हों। ईश्वर न मरा है, न रिटायर हुआ है,न इस्तीफा दिया है और न ही उनके विरुद्ध कोई अविश्वास का प्रस्ताव पास हुआ है। ईश्वर केजरीवाल जैसे राजनैतिक शुचिता का ध्यान न रखने वाले लोगों के लिए कोई न कोई कपिल मिश्रा पैदा कर देता है। प्रशान्त भूषण ने अपने स्वभाव के विपरीत तथा योगेंद्र यादव ने अपने स्वभाव के अनुरूप जो मर्यादित टिप्पणी दी है तथा लगाए हुए आरोपों की गंभीरता से जांच करने की मैं मांग तो करता हूँ किंतु जब तक आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं, तब तक मैं इन आरोपों को संज्ञान में लिए जाने लायक नहीं मानता।
एक सिपाही तक जब किसी से पैसा लेता है तो वह पूरा प्रयास करता है कि दूसरे सिपाही न जानने पाएं वरना चर्चा होने पर विभाग के अन्य लोग अपना हिस्सा मांगेंगे।
भ्रष्टतम अधिकारी और नेता तक केवल उस व्यक्ति के समक्ष पैसा लेते देखे गए हैं जो किसी न किसी रूप में डील में पार्टनर हों। या तो कपिल मिश्रा सरासर झूठ बोल रहे हैं अन्यथा यह देन लेन तभी संभव है जब इस मामले में अथवा किसी अन्य मामले में कपिल मिश्रा केजरीवाल की दलाली करते रहे हों। वैसे न तो मुझे कपिल मिश्रा के चरित्र पर शक है और न ही केजरीवाल के। केजरीवाल को मैं इतना दोषी मानता हूं कि विश्वनाथ प्रताप सिंह ने चरित्र हनन की जिस घिनौनी राजनीति की नींव डाली केजरीवाल ने न केवल छत डाली बल्कि उसपर गुम्बद भी बना दिया। रात दिन प्रधानमंत्री मोदी तथा शीला दीक्षित को कोसने और उनपर झूठे आरोप लगाने के सिवा केजरीवाल ने कुछ खास नहीं कर दिखाया। विश्वनाथ प्रताप सिंह किसी जमाने में इसी प्रकार दावा करते थे कि बोफोर्स घोटाले के सारे सबूत उनके Pocket में हैं तथा राजीव ने विदेश में LOTUS के नाम से एक खाता खोल रखा है तथा इस खाते में अवैध धन जमा है। इस खाते का एकाउंट नंबर भी वे बांटते फिरते थे। राजीव भ्रष्ट थे अथवा नहीं मैं इस मुद्दे पर यहां चर्चा नही कर रहा हूं। किंतु यदि वे भ्रष्टतम भी होते तो भी LOTUS के नाम से खाता क्यों खोलते जो उनके राजीव नाम का अंग्रेजी अनुवाद था।
वे LILY अथवा ROSE या Wood रख सकते थे। इसी प्रकार केजरीवाल ने गैरजिम्मेदाराना ढंग से शीला दीक्षित तथा मोदी पर भ्रष्टाचार के आरोपों की झड़ी लगा दी। संभवतः कपिल मिश्रा द्वारा लगाए गए आरोप उन पापों के एवज में Divine Justice हों। ईश्वर न मरा है, न रिटायर हुआ है,न इस्तीफा दिया है और न ही उनके विरुद्ध कोई अविश्वास का प्रस्ताव पास हुआ है। ईश्वर केजरीवाल जैसे राजनैतिक शुचिता का ध्यान न रखने वाले लोगों के लिए कोई न कोई कपिल मिश्रा पैदा कर देता है। प्रशान्त भूषण ने अपने स्वभाव के विपरीत तथा योगेंद्र यादव ने अपने स्वभाव के अनुरूप जो मर्यादित टिप्पणी दी है तथा लगाए हुए आरोपों की गंभीरता से जांच करने की मैं मांग तो करता हूँ किंतु जब तक आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं, तब तक मैं इन आरोपों को संज्ञान में लिए जाने लायक नहीं मानता।

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