#जो_माननीय_उच्चतम_न्यायालय_का_दिया_हुआ_न्याय_भी_लागू_न_करा_सके#वह_एक_स्वतंत्र_देश_के_स्वतंत्र_नागरिक_कैसे_हैं?
#अगर_संविधान_में_इस_प्रकृति_के_आरक्षण_की_व्यवस्था_पहले_से_है_तो#संविधान_में_संशोधन_की_जरूरत_क्यों_पड़_रही_है?
#आज_एक_काला_दिन_है_तथा_हर_सवर्ण_पिछड़े_और_अल्पसंख्यक_के_घर_में_1सप्ताह_तक#शोक_दिवस_मनाया_जाना_चाहिए_तथा_उसको_रोकने_के_उपाय_सोचने_चाहिए।
#माननीय_उच्चतम_न्यायालय_ने_निर्णय_दिया_था_कि जब दो लोग एक साथ, एक ही दिन, एक ही ग्रेड में, एक ही पद पर भर्ती हुए तथा साथ-साथ नौकरी की है तो उनमें से #किसी_को_भी_पिछड़ेपन_का_आधार_बनाकर_अपने_से_वरिष्ठों_को_लांघने_देना_असंवैधानिक_है।
फिर भी इस निर्णय को ना मानकर इसके विरोध का रास्ता अपनाया गया तथा शिवसेना और समाजवादी पार्टी को छोड़कर समस्त राजनैतिक दलों ने इस निर्णय को पलटवाने के लिए हामी भरी तथा जैसे द्रौपदी के चीरहरण के समय भीष्म, द्रोणाचार्य तथा कृपाचार्य रोकना तो दूर उठकर कमरे के बाहर तक नहीं जा पाए, उसी प्रकार #जब_सवर्णों_पिछड़ों_तथा_अल्पसंख्यकों_की_जीविका_का_चीर_हरण_हो_रहा_था उस समय अधिकांश राजनैतिक दलों के सभी महारथी सामूहिक रुप से तालियां बजा रहे थे।
अब पुनः उस #माननीय_उच्चतम_न्यायालय_के_आदेश_को_निष्प्रभावी_बनाने_के_लिए_#संविधान_संशोधन_करने_का_निर्णय_लिया_गया_है तथा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के तहत जो लोग प्रोन्नति पा गए थे उन्हें Revert करके अपने जूनियर अधिकारियों के अधीनस्थ काम करने के लिए विवश करने का निर्णय मोदी सरकार ने लिया है।
हर समझदार व्यक्ति यह सोचे कि क्या सवर्ण, पिछड़े तथा अल्पसंख्यक के घर में उत्पन्न होना कोई अभिशाप है कि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के परिपेक्ष्य में प्राप्त राहत भी छीन ली जाए।
एक सप्ताह के मंथन के बाद अपनी रुचि और विवेक के अनुसार सभी सुधिजन यह निर्णय लें कि क्या करना समीचीन होगा?
मैंने पूर्व के लेखों में स्पष्ट भविष्यवाणी की थी कि उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव जीतने के बाद मोदीजी यह कदम उठाएंगे। चिंतन तथा आपसी विचार विमर्श के बाद अगली रणनीति की घोषणा की जाएगी।

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