Saturday, 22 July 2017

नरेश! तुमसे यही अपेक्षा थी. लोहिया के आदर्शों को अब सपा में अकेले तुम्हीं साकार कर रहे हो। लोहिया के असली प्रवक्ता हो-जनेश्वर मिश्र के वारिस- थिंकटैंक।

जनसंघ/भाजपा ही लोहिया, जयप्रकाश,मुलायम सिंह, लालू, मायावती तथा अन्ना जैसों की संजीवनी है।
नरेश की चौतरफा निंदा हो रही है। राम के स्वरूप का निर्धारण करते हुए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है-
जाकी रही भावना जैसी।
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।।
तुलसीदास के इस मानक पर नरेश अग्रवाल पूरी तरह खरे उतरते हैं।
जैसे वे स्वयं हैं, जैसी उनकी भावना है-उसी रुप में राम ने उनको दर्शन दिए। प्रभु की मूर्ति उसी रुप में दिखी।
मंथरा को,कैकेई को,भरत को, लक्ष्मण को, वशिष्ठ को, विश्वामित्र को, सीता को, जनता को, अहिल्या को, सुबाहु-ताड़का को,रावण को, विभीषण को, सुग्रीव को, बालि को, हनुमान को राम अलग-अलग रूपों में दिखे- यद्यपि वे एक ही व्यक्तित्व थे। इसी प्रकार नरेश ने अपनी औकात बता दी- राम उन्हें उसी तरह धरातल पर ला देंगे जैसे उनके संरक्षक मुलायम सिंह यादव को ला दिया है। मुलायम सिंह यादव ने कितनी शान से अयोध्या में परिंदे के पर न मारने की चेतावनी दी थी-कितना नाज था उन्हें मुसलमानों पर- आजम खान समेत एक मुसलमान विधायक भी उन्हें साथ देने को नहीं मिला। तड़पते हुए पुनः राम का नाम लेने वाली भाजपा के शरणागत हुए- वह भी चुपके चुपके। प्रायश्चित की मुद्रा में नहीं- अयोध्या गोलीकांड का औचित्य बखानते हुए। स्वयं तो डूबेंगे ही, शिवपाल को भी ले डूबेंगे- अपर्णा को भी। न सीधे भाजपा में शामिल होने दे रहे हैं और न ही भाजपा की खिलाफत कर पा रहे हैं। न घर के, न घाट के।
हर घाट का पानी नरेश पी चुके हैं- शीघ्र ही वे भाजपा की गोद में होने की जुगाड़ में होंगे।
RSS को पहचानना सबके वश की बात नहीं- कम से कम राहुल तथा दिग्विजय सिंह जैसों की तो कतई नहीं। RSS जिसको ऊपर उठाने लगे, समझ लो कि उसका विनाश आ गया। ऊपर उठाने के बाद जब वह जमीन पर पटकती है,तो घायल जीव कराहने लायक भी नहीं बचता- सीधे राजनीति के गटर में बह जाता है। जयप्रकाश नारायण तथा अन्ना जैसों को जीरो से हीरो बनाना और पुनः हीरो से जीरो बना देना- "पुनर्मूषको भव" (फिर से चूहे बन जाओ)- RSS के लिए मात्र एक लीला है- मनोरंजन का साधन।
नरेश समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य हैं। उनके आदिगुरु लोहिया जी ने घोषणा की थी कि उन्हें राम से सीता के आंसुओं का तथा शंबूक के खून का बदला लेना है। नेहरू को लोहिया आधुनिक वशिष्ठ घोषित करते हुए अपमानजनक बातें वशिष्ठ के लिए करते थे। जनेश्वर मिश्र जैसे "मिनी लोहिया" "जनेऊ तोड़ो अभियान" में जनेऊ का कितना सम्मान रखते थे- दुनिया जानती है।
मंच पर चढ़कर जनेऊ तोड़ा जाता था तथा पैरों तले रौंद दिया जाता था। मुलायम सिंह यादव के जमाने में राम एवं राम भक्तों को पत्ता न खड़कने की चुनौती दी गई, तथा इसी चुनौती ने बाबरी मस्जिद को इस हालत में पहुंचा दिया।
नरेश अग्रवाल लोहिया तथा सपा की विचारधारा के प्रतिनिधि हैं। उनका यह कार्य स्वाभाविक है। गलती तो उन लोगों की है जो 'कालनेमि' हैं, एवं रामभक्त बने बैठे हैं, किंतु नरेश अग्रवाल जैसों को संसद की सदस्यता से च्युत नहीं करते हैं। जो सजा कमलेश तिवारी को उनके उद्गारों के लिए मिली, वह सजा नरेश अग्रवाल को क्यों नहीं मिल सकती?
शायद भाजपा के नक्शे में हो कि कभी भविष्य में नरेश अग्रवाल को भाजपा में शामिल करना पड़े, इसलिए भाजपा निर्णायक कार्यवाही करने में हिचक रही है।

Monday, 17 July 2017

यमराज से साक्षात्कार| काल-पाश से है हुआ मुक्त भक्त शंकर का| भाग 4

    नमः शिवाय की थी गूँजी ध्वनि चारों ओर,
    सब जड़ चेतन थे मोद भरने लगे।
    शंकर के नाम की पुनीत सुरसरि बही,
    सारे शिव भक्तगण स्नान करने लगे।
    बिन साधना के हुए नष्ट सबके त्रिताप,
    बिन धर्म किये सभी लोग तरने लगे।
    पाप शाप सभी महापापियों के हुए दूर,
    अंतर की पीर हर नाम हरने लगे।।13।।
    शंकर का नाम पड़ता था श्रवणों के मध्य,
    बिन पुण्य किये सभी पुण्य फल पाते थे।
    तीर्थ करने का नाम कोई भी न लेते अब,
    किसी देवता के लोग मंदिर न जाते थे।
    भक्ति रस में समस्त लोग पगते थे और,
    सभी लोग अन्तर अपार सुख लाते थे।
    बैठते सभी थे आके भक्त के ही चारों ओर,
    पल ये सभी के मन मंदिर को भाते थे।।14।।
    मात्र शिव शंकर का नाम जपता था भक्त,
    बदले में कुछ भी नहीं था चाह करता।
    उमा पति चरणों में भक्ति की ही याचना थी,
    अन्य वर मांगने का भाव न उभरता।
    साधना में लीन रहने की कामना थी मात्र,
    किंचित न भौतिक सुखों को उर धरता।
    हर की समायी शक्ति ऐसी मन मंदिर में,
    भूल कर के भी कभी काल से न डरता।।15।।
    आपकी उदारता है जगत प्रसिद्ध नाथ,
    सकल सुरों में मात्र आप एक भोले हैं।
    आप के तपोबल की थाह लगती न कभी,
    खाते आप संखिया, धतूर, भंग-गोले हैं।
    आप का त्रिशूल हर लेता असुरों के प्राण,
    आप के त्रिनेत्र में निहित अग्नि शोले हैं।
    डोले जो न भक्त आप की ही साधना से कभी,
    द्वार उनके लिए तो आठों याम खोले हैं।
    (क्रमशः)

Friday, 14 July 2017

यमराज से साक्षात्कार। काल-पाश से है हुआ मुक्त भक्त शंकर का। भाग 3

शंकर की भक्ति पर उसको अपार गर्व,
उनकी ही साधना से ध्यान न हटाता था।
चाहे कितने सबल झंझावात झकझोंरें,
डिगता कदापि न कभी भी भय खाता था।
रंच धन धाम की न चाहे उसको थी और,
शिव-रूप को ही मन मंदिर बिठाता था।
लाता था सदैव रसना में शिव नाम मंजू,
अन्य देवता को उसे धाम नहीं भाता था।।9।।
तन मन की सुधि रहती कदापि उसे,
शंकर की जब साधना में लीन होता था।
जपता था मंत्र जब नमः शिवाय का तो,
सोंचता था कुछ न उसी में बुद्धि खोता था।
लेशमात्र भी विकार रखता न अंतर में,
गहता विवेक सद्भावना संजोता था।
जिससे भला हो सदा सारे जगतीतल का,
वही उपकारी बीज विश्व मध्य बोता था।।10।।
नाम जपता था जब भोले शिव शंकर का,
चेतन क्या जड़ भी समस्त झूम जाते थे।
हंसने प्रसून लगते थे जगतीतल के,
अन्तर में विहग अपार सुख पाते थे।
सूर्य, चंद्र का भी रथ रूक-रुक जाता और,
तारक समूह रत्न राशियां संजाते थे।
लाते थे सुरभि वात के झकोर पंकजों से,
चाव भर उर में तड़ाग लहराते थे।।11।।
नाम सुन छाते मेघमाल नभ मण्डल में,
हर्ष ले अपार मोतियों के बरसाते थे।
बार-बार दामिनी भी झलक दिखाती और,
ठुमुक-ठुमुक के मयूर नाच जाते थे।
झूम-झूम पाटल पराग थे लुटाते तथा,
सुमन सुरभि गांठ खोल हरषाते थे।
घूम-घूम मधुप समूह मंजू गाते गीत,
विटपावली के वृन्द डोल-डोल भाते थे।।12।।
(क्रमशः)

Thursday, 13 July 2017

यमराज से साक्षात्कार। काल-पाश से है हुआ मुक्त भक्त शंकर का। भाग 2

ऐसे मधु पूरित समय में ही नित्य प्रात,
भक्त शिव भोले आशुतोष त्रिपुरारी का।
साधना में निरत सदैव रहता था और,
नाम जपता था सदा कनक अहारी का।
किसी और के न द्वार जाता भूल के भी कभी,
शैलजा रमण का ही परम् पुजारी था।
शूल पाणि को ही था बसाए मन मंदिर में,
उनके ही रूप राशि छवि का भिखारी था।।5।।
नाम जपता था आठों याम शिवशंकर का,
उनकी वरद् हस्त-छांव में विचरता।
उनके ही पूजन में अन्तर रमाता सदा,
उनका ही रूप मन मंदिर में धरता।
उनकी कृपा की अभिलाषा उर में थी बसीं,
उनकी ही वन्दना था बार-बार करता।
उनके ही आत्मबल पाता था सदैव भक्त,
उनसे ही ज्ञानपुंज मानस में भरता।।6।।
जल से सदैव नहलाता शिव शंकर को,
मोद भर अंतर में अक्षत चढ़ाता था।
अपने करों से सदा दुग्ध से कराता स्नान,
विल्व पत्र का दे अर्घ अति सुख पाता था।
मन्दार पुष्प से सजाता था उमेश शीश,
भाल पे सुरभि युक्त चन्दन लगाता था।
गाता था उमा पति की वन्दना में गीत और,
उनके पदों में नित्य मस्तक झुकाता था।।7।।
शिव के चरण पंकजों में लगता ध्यान,
उनकी ही अर्चना में समय बिताता था।
धर्म के कार्य में सदैव रहता था रत,
नित्य सद्कर्म में ही मन को लगाता था।
भौतिक सुखों की चाह करता नहीं कदापि,
चाहे जितने हों न दुखों से भय खाता था।
साधना सदैव करता था भोले शंकर की,
और किसी का भी नाम उसको न भाता था।।8।।
(क्रमशः)

Wednesday, 12 July 2017

यमराज से साक्षात्कार| काल-पाश से है हुआ मुक्त भक्त शंकर का| (भाग 1)

दूर हो रहा था अंधकार जगतीतल से,
तारक समूह स्वत्व अंबर में खोता था।
शीतल समीर मंद-मंद बहने लगा था,
दल विहगों का उर हर्ष बीज बोता था।
शीश को उठाने का प्रयत्न करते थे कंज,
माल लहरों के सर चाव से संजोता था।
पहुंच रहा था चंद्र पश्चिम की देहली पे,
टाल कर रात का वितान प्रात होता था।।1।।
स्वर्ग की परी सा लिए कनक कलेवर को,
प्राची के महल में उषा की छवि झलकी।
बरस गया प्रकाश सारे जगती तल में,
गिरि-शिखरों से रवि गागरी जो छलकी।
पीने मधुरस पाटलों की मंजु प्यालियों का,
मोद भर उर पंक्ति मधुपों की ललकी।
होने लगे गीत विहगों के सब ओर और,
गूँजी ध्वनि स्वच्छ नदियों के कलकल की।।2।।
रवि रश्मियों के उतरे हैं यान वसुधा पे,
खोल मुख सकल सुमन हँसने लगे।
चाह मधुपों में रस पान करने की जगी,
जाकर सहर्ष पाटलों में बसने लगे।
चारों ओर सुरभित वात बहने लगा है,
लतिका-समूह तरुओं से लसने लगे।
ऊँघने लगे हैं गीदड़ों के दल डालियों पे,
कुमुद के वृन्द मुट्ठियों को कसने लगे।।3।।
होता जब अम्बर का अमल वितान और,
हेम-रंग रंजित उषा का गात होता था।
चारों ओर हर्ष की हिलोर फैलती थी जब,
सुमुनावली से सुरभित वात होता था।
जब विहगों के मधुगान गूंजते थे मंजू,
अमिय पराग युक्त जलजात होता था।
जब रात का वितान नष्ट कर रश्मियों से,
मनहारी सुषमा लिए प्रभात होता था।।4।।
क्रमशः

Saturday, 8 July 2017

रायबरेली हत्याकांड ब्राह्मण महासभाओं के नाम खुला खत| संपूर्ण देशवासियों (किसी भी जाति/धर्म) के नाम खुला खत

कुछ ब्राह्मण संगठनों ने आह्वान किया है कि वे रायबरेली हत्याकांड में सरकार द्वारा लिए गए फैसले से संतुष्ट हैं तथा इस पर राजनीति नहीं करेंगे और सरकार का इस मुद्दे पर साथ देंगे।
क्या न्याय की मांग करना राजनीति करना है?
ब्राह्मण ने देश, राष्ट्र तथा समाज के हित में सदैव अपने स्वार्थों का बलिदान किया किंतु स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। ब्राह्मण ने रावण का साथ नहीं दिया, राम की पूजा की। मां सीता को चोंच मारने वाले इंद्र पुत्र जयंत की पूजा नहीं की- मां सीता की आराधना की।
इस युग में भी मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से

1_मैंने विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल में भुट्टा चुराने वाले यादवों तक का fake encounter करने की नीति की आलोचना की है।

2_देवली हत्याकांड (जिसमें 24 हरिजन एक साथ मारे गए थे) के अभियुक्तों राधे और संतोष को उसी सम्मान के साथ जेल भेजे जाने की आलोचना की है जिस सम्मान के साथ रायबरेली हत्या कांड के अभियुक्तों को जेल भेजा गया है।

3_रिहाई मोर्चा के संयोजक के साथ Debate में K-News पर मैंने रिहाई फोरम की उस जायज मांग का समर्थन किया जिसमें मां एक अपराध में जेल काट रहे बच्चे को अपना बेटा बताकर DNA Test की मांग कर रही थी।

4_अन्याय, अत्याचार तथा अनाचार किसी के साथ हो, उसके खिलाफ आवाज उठाने में कभी जाति तथा धर्म की बाधाओं को नहीं आने दिया।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यदि सताया हुआ पक्ष ब्राह्मण हो तो हम केवल इसलिए बचाव की मुद्रा में आ जाएं कि लोग क्या कहेंगे?

किसने क्या सोचा या समझा
मुझको पता नहीं
मेरी मन गति कभी दूसरों
की अनुगता नहीं
मुझको कुछ अंदाज नहीं है खोने पाने का
मैंने महज बुने
कबिरा के ताने बाने हैं।
(सुव्रत त्रिपाठी)

इस संबंध में प्रेरणा ली जा सकती है रमेश चंद्र IAS, कालिका प्रसाद IAS, फतेह बहादुर IAS, ओम प्रकाश IAS, चमनलाल प्रद्योत IPS, दारापुरी IPS, बृजलाल IPS, बंशीलाल IPS, रामेश्वर दयाल IPS, मल्कियत सिंह IPS, होशियार सिंह बलवारिया IPS, प्रकाश सिंह IPS, रतीराम IPS, सियारामशरण आदित्य IPS जो सदैव अपने समाज के कल्याण के लिए चिंतित रहे किंतु किसी अन्य समाज के सदस्य के प्रति उनके मन में घृणा के भाव नहीं थे। जिस जाति में किसी व्यक्ति ने जन्म लिया, उसमें सुधार लाने तथा उसके उत्थान एवं रक्षा के बारे में सोचना उसका दायित्व है- किंतु इतनी ही संवेदनशीलता हर समाज के बारे में होनी चाहिए।

मैं केवल रायबरेली के पंडितों के लिए ही कलम और वाणी नहीं चला रहा। मैंने स्वाति सिंह प्रकरण में पूर्ण समर्थन का आह्वान किया था क्योंकि दयाशंकर सिंह ने कुछ भी कहा हो, उसके लिए वे दंडित हुए किंतु नसीमुद्दीन के मंच से जो दयाशंकर की पत्नी और बेटी के पेश करने की बात आई, वह अक्षम्य थी। हम शर्मिंदा हैं कि स्वाति सिंह के मंत्री बन जाने के बाद भी नसीमुद्दीन की गिरफ्तारी नहीं हुई। इसके लिए हम भाजपा की निंदा करते हैं कि भाजपा जब तक विपक्ष में होती है, तब तक भाजपा पद्मिनी वाली भाजपा रहती है तथा सत्ता में आते ही वह जोधाबाई को आदर्श मानने लगती है। भाजपा को नसीमुद्दीन को जेल भेजकर यह संदेश देना चाहिए था कि स्वतंत्र भारत में किसी को अकबर की तरह मीना बाजार लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती, जहां बहुएं और बेटियां पेश की जाएं।

इसी क्रम में मेरी मांग है कि रायबरेली कांड को सभी जाति और धर्म के लोग गंभीरता से लें। जो लोग इसे उपेक्षित करेंगे वे सोच लें कि यही प्रवृत्ति मलियाना और हाशिमपुरा कांड कराती है।

इस कांड के बाद जिस तरह का बयान स्वामी प्रसाद मौर्य का आया, वह जले पर नमक छिड़कने वाला था तथा पुलिस द्वारा अभियुक्तों को थाने में तथा रास्ते में जो Red Carpet Welcome दिया गया, वह दिल को दहला देने वाला था। किस तरह से प्रशासन ने पूरी घटना को दुर्घटना का रूप देना चाहा- यह किसी से छिपा नहीं है। आरोप लगाया गया कि हत्या के शिकार लोग अपराधी प्रवृत्ति के हैं। भाजपा के ही एक अनुषांगिक संगठन के भलारा जी का बयान पढ़ने को मिला कि उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। यदि तर्क के लिए मान भी लिया जाए कि है, तो क्या किसी को नृशंस हत्या करने का अधिकार मिल गया?

यह बयान जंगलराज का आह्वान है। पकड़ लेने के बाद मार डालना तथा जला देना, अंग-भंग करना- क्या उचित है?
अखिलेश के राज्य में तो सिर्फ जंगलराज था भाजपा के राज्य में तो जंगल का कानून लागू करने की बात की जा रही है। Private enemities को free fight में बदलने से रोकना state का दायित्व है।
मृतकों की लाश पर मैं राजनीति करने पर विश्वास नहीं रखता। मृतक मेरी पार्टी के सदस्य नहीं थे- लेकिन वे मनुष्य थे तथा कोई ब्राह्मणवाद का आरोप न लगा दे इस डर से उनसे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता।
कुछ ब्राह्मण सभाओं का आह्वान पढ़ने को मिला कि वे इस संबंध में होने वाले प्रदर्शनों का पूर्ण बहिष्कार करेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा से वार्ता के बाद साक्षात आराध्य विष्णु को लात मारने वालों के वंशज कैसे लात खाने को तैयार हो गए- यह आश्चर्य का विषय है।
मैं तो समझता हूं कि निम्न परिस्थितियां लात खाने के तुल्य हैं, आपकी सोच क्या है?-

1 स्वामी प्रसाद मौर्य कि मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी तो दूर उन्होंने बिना शर्त क्षमायाचना तक नहीं की( unconditional apology tender नहीं की)।

2 क्षमा याचना तो दूर, अपने वचन वापस तक नहीं लिए, खंडन करने की औपचारिकता तक नहीं निभाई। Press द्वारा out of the context quote (उदधृत) किये जाने का बहाना तक नहीं ढूंढे।

3 परिस्थितियां चीख-चीखकर बोल रही हैं कि कम से कम 100-50 लोगों की इस घटना में संलिप्तता थी। किंतु केवल कुछ गिने चुने लोगों को प्रकाश में लाया गया है।

4_CBI जांच के बिना यह स्पष्ट नहीं हो सकता कि किस महापुरुष की प्रेरणा से पुलिस द्वारा अभियुक्तों को VIP Treatment दिया गया।

ये चारों परिस्थितियां लात खाने के बराबर हैं। लात खाकर भी लात न मारना दयनीयता की पराकाष्ठा है परंतु लात मारना तो दूर चीखना-चिचियाना भी बंद कर देना पतनोन्मुख मानसिकता का द्योतक है। TV Debates में,फेसबुक पर तथा अन्य माध्यमों से मैंने अपनी solidarity व्यक्त की।हमारे प्रदेश अध्यक्ष तथा सचिव परिजनों तक पहुंचे तथा स्वयं के Bedridden स्थिति में होने के कारण court तथा electronic media में जो कुछ संभव है- करने का प्रयास कर रहा हूं। अपनी-अपनी कार्य प्रणाली के अनुसार जो संगठन विधि सम्मत ढंग से जो करना चाहे, मेरा तथा मनुवादी पार्टी का उसे पूर्ण समर्थन है। बहिष्कार का तो प्रश्न ही नहीं उठता। हां, यह अवश्य है कि हमारा विश्वास किसी दिल्ली के जंतर-मंतर पर या लखनऊ के GPO पर विरोध प्रदर्शन में नहीं है। फिर भी यदि कोई कर रहा है, तो मैं उसका विरोध नहीं कर रहा। हमारी शैली है- गली-कूचे में, गांव गांव की चौपाल तक, हर घर के Drawing room तथा Bedroom तक किसी चर्चा को ले जाना। जिसे social media में viralकरना कहते हैं-

हम ज्ञान के गोलों से
औ तर्क की तोपों से
दुनिया से जहालत की
दीवार ढहा देंगे।

हमने हर समर्थक के निश्चित तिथि पर बाल छिलवाने का कार्यक्रम पूरे देश में रखा था, जिसे इस कारण से स्थगित किया जा रहा है कि मृतकों के परिवारीजन कुछ स्थानीय परिस्थितियों के कारण अभी सारे कार्यक्रम स्थगित किए हुए हैं। अगर हर ब्लाक में भी मात्र 100 व्यक्ति मुंडन करा लें तो महीने भर तक जो भी व्यक्ति घुटा सिर देखकर कारण पूछेगा, उसे पूर्ण उत्तर मिल जाएगा तथा घर-घर चर्चा हो जाएगी।

मैं समस्त सवर्ण बंधुओं से अनुरोध करता हूं कि वे यदि किसी ऐसी सामाजिक संस्था या जातिगत महासभा के सदस्य हों, जो जातिगत आरक्षण की समर्थक लोगों को सदस्यता या पद देती है या उनको अतिथि बनाती है अथवा चुनाव के समय आरक्षण समर्थकों को वोट देने की अपील करती है उन सभाओं से दूरी बनाएं।

Tuesday, 4 July 2017

अपील... स्वयं सेवकों की आवश्यकता है

जो विभिन्न जिलों में पांच पंडितों की हत्या के उपलक्ष्य में बाल मुड़ाने ने के आयोजन का कोऑर्डिनेशन करने को तथा बाल मुड़ाने को एवं इस निमित्त मित्रों को निमंत्रित करने का नेतृत्व करेंगे।
मनुवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से मैं उनका व्यक्तिगत रूप से ऋणी रहूंगा। निवेदन है कि जो लोग इस घटना से दुखी हों, वे इसमें सहयोग करें।
इसके अलावा रायबरेली, कौशांबी या प्रतापगढ़ के दुखी बंधुओं से अनुरोध है कि 9519259187 पर मुझसे परिवार के लोगों से वार्ता करावें।
पूर्व पुलिस महानिदेशक(DG) होने के नाते आश्वस्त करता हूं कि पुलिस के एक-एक हथकंडे पर मेरी टीम सतर्क दृष्टि रखे है तथा सचेत कर देता हूं कि लीपापोती की कोशिश करने वालों के विरुद्ध निशुल्क हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में पैरवी होगी क्योंकि मैं दोनों ही जगह रजिस्टर्ड एडवोकेट हूं।
द्रोणाचार्य ने घोषणा किया है-
"मेरे आगे चारों वेद हैं तथा पीछे बाणों से युक्त धनुष है। शस्त्र और शास्त्र दोनों से मैं युद्ध कर सकता हूं।"
इसी प्रकार न तो पुलिस विभाग की कोई हरकत चलने पाएगी और न ही कोर्ट में गुमराह करने के हथकंडे काम आएंगे।
संतप्त पारिवारिक लोगों से इस दौरान उस तहसील या ब्लॉक के लोग संपर्क करके उनका phone number भेज दें या बात करा दें।
#कोई_खेल_न_हो_जाए- इसलिए केस को गति देने के लिए फिलहाल लखनऊ में बंधा हुआ हूं।
#मुक्त_होते_ही_साक्षात_उनके_घर_जाऊंगा। समस्त ब्राह्मण संगठनों से अनुरोध है कि यदि उनके पास निकटस्थ गांवों में कोई सदस्य या कार्यकर्ता हो, वह जनहित में यह सहयोग प्रदान करने के लिए उन से निवेदन करें।

शाबाश बेटी श्रेष्ठा सिंह हमें तुम पर गर्व है

जब तक तुम्हारे जैसे पुलिस अधिकारी विभाग में विद्यमान है तब तक कहीं न कहीं अपराधियों के मन में पुलिस का खौफ रहेगा और जो अधिकारी श्रेष्ठा के स्थान पथभ्रष्टा भी होगी उसको भी देखकर अपराधियों के मन में एक खौफ होगा कि कहीं यह श्रेष्ठा न निकले।
कहीं जीवन में दधीचि की हड्डियों की जरूरत पड़े 09519259187 पर ring कर सकती हो अथवा कहीं भी माननीय उच्चतम न्यायालय अथवा माननीय उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने के लिए अथवा विधिक परामर्श या सहायता के लिए किसी प्रकार के सहयोग या मार्गदर्शन की आवश्यकता तुम्हें अथवा सिपाही से लेकर DG तक( जो कर्तव्यनिष्ठ हों)के लिए मेरी सेवाएं बिना शर्त, बिना शुल्क,तुम्हारी संस्तुति पर अर्पित हैं। ईश्वर तुम्हें शक्ति दे-कोटिशः शुभाशीर्वाद।
मेरा निवासस्थान
सुव्रत त्रिपाठी
279,विशाल खंड 3
गोमतीनगर, लखनऊ।