Friday, 23 June 2017

मनुवादी पार्टी मीरा कुमार को क्यों नैतिक समर्थन दे रही है?

मीरा कुमार जगजीवन राम की बेटी हैं।
मनुवादी पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें क्यों नैतिक समर्थन दे रही है?- इसका एक विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत है। निम्न कारण हैं
1_जगजीवन राम कांग्रेस सरकार में मंत्री थे। मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी होती है। किसी एक के भी सही या गलत निर्णय के लिए पूरी कैबिनेट जिम्मेदार है। हर पाप और पुण्य के लिए हर कैबिनेट सदस्य सहभागी होता है। जगजीवन राम जब मंत्री थे, तब बैकलॉग पैदा हुआ।
बैकलॉग है क्या?
कांग्रेस ने कागज में रिजर्वेशन दे दिया, लेकिन व्यवहार में लागू नहीं किया। दलितों के लिए आरक्षित पद भरे नहीं गए। कारण यह बताया गया कि "हरिजनों" (कांग्रेसी राज्य में दलितों को "हरिजन" पुकारा जाता था) में सुयोग्य अभ्यर्थी नहीं हैं। इस पर सहमति के स्वर में जगजीवन राम तथा महावीर प्रसाद जैसे लोगों ने हाथ उठाया। मायावती ने इस मुद्दे को भुनाया। मायावती के पहले जितने दलित नेता थे उन्होंने दलितों की एकता का प्रयास किया। मायावती ने दलितों का महाभारत किया। मायावती ने कहा कि एक बार तर्क के लिए मान भी लिया जाए कि पर्याप्त इंजीनियर एवं डॉक्टर नहीं उपलब्ध हैं (यद्यपि यह भी गलतबयानी है) लेकिन चपरासी (जिसकी अर्हता निरक्षर है) तथा क्लर्क (जिसकी अर्हता तब हाईस्कूल थी) उसमें बैकलॉग क्यों है?जितनी रिक्तियां हैं, उससे अधिक तो बेरोजगार दफ्तरों में रजिस्टर्ड हैं। निरक्षर तो हर गांव में उपलब्ध हैं।
धीरे-धीरे मायावती जब दलितों को समझा पायी तो जिस गांधी को दलित पूजता था उस गांधी को जब मायावती ने "शैतान की औलाद" घोषित किया तो दलितों ने उसे हाथों-हाथ लिया। जिन दलितों की रिक्तियां नहीं भरी गई उसे बैकलॉग कहते हैं। इसके विपरीत ब्राह्मण समाज में एक महापुरुष उत्पन्न हुए अटल बिहारी बाजपेई जिन्होंने इस बैकलाग को भरने के लिए संविधान में संशोधन कर दिया, जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय ने आगे चलकर असंवैधानिक घोषित कर दिया। मंडल कमीशन लागू करने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह को "क्षत्रियकुलकलंक" की मान्यता दी किंतु "बाभन बछिया" आज भी अटलजी के प्रति इतना क्रूर नहीं हो पाया तथा भले ही उसने "फीलगुड" के बावजूद अटल जी को जड़ से नकार दिया तथा उनके अलावा मुरली मनोहर जोशी, श्यामबिहारी मिश्र समेत पूरे प्रदेश में कसम खाने को एक भी ब्राह्मण को लोकसभा का मुंह नहीं देखने दिया किंतु अपने इस बेटे का नाम सुनकर ब्राह्मण समाज का चेहरा मुरझा जाता है किंतु आज तक मैंने किसी के मुंह से "ब्राह्मणकुल कलंक" जैसा कठोर शब्द नहीं सुना। उस काले कानून के पास होने पर मनुवादी पार्टी की स्थापना हुई थी तथा यह निर्णय हुआ था कि चाहे सपा जीते या बसपा किंतु किसी भी कीमत पर किसी आरक्षण समर्थक सवर्ण को लोकसभा में नहीं पहुंचने देंगे। अटल जी का स्थाई वनवास हो गया।
इस काले कानून को मोदी जी ने पुनः लागू करने की नीतिगत घोषणा की है तथा यह प्रक्रिया में है। मीरा कुमार के पिता के इस सौजन्य के उपलक्ष्य में मनुवादी पार्टी उनका आभार प्रकट करती है तथा अन्य विकल्प न होने पर कम-से-कम अटल तथा मोदी के बैकलॉग के विरोध में मीरा कुमार को नैतिक समर्थन देती है चाहे वे और उनकी पार्टी इसका प्रतिदान करें अथवा नहीं। लाखों लोग जो कि बैकलॉग न होने पर नौकरी न पाए होते वे कांग्रेस के सौजन्य से आरक्षण के लागू होने पर भी आरक्षित सीटों पर नौकरी पा गए तथा उनके वेतन से एक पीढ़ी का पालन पोषण हुआ।

2_कांग्रेस ने Civil Rights Act बनाया इसके अधिकतर प्रावधान जमानती थे तथा कचहरी में खड़े-खड़े जमानत होती थी। किसी अनुसूचित जाति के आदमी को यदि जातिगत आधार पर अपमानित या प्रताड़ित किया जाता तब यह Act लागू होता। अस्पृश्यता को रोकने के लिए यह कानून उचित था। जगजीवन राम उस सरकार में मंत्री थे। बाद में इसे SC/ST Act Prevention of Atrocities Act का रूप देकर और कठोर बना दिया गया। किंतु 2016 में तो मोदी ने सारी हदें पार करते हुए इसे हजार गुना कड़ा बना दिया तथा सवर्णों/ पिछड़ों की महिलाओं की इज्जत को संवेदनशील नहीं माना। इस 2016 के Act के अनुसार यदि किसी दलित महिला को देख कोई मुस्कुरा दे या कनखियों से ताक दे(gestures) या घूर कर देख ले, तो यह घोर संवेदनशील अपराध माना जाएगा तथा इसकी विवेचना 2 माह में तथा Trial(परीक्षण) दो माह में स्पेशल कोर्ट गठित कर न्यायालय का निर्णय सुना दिया जाएगा। यह कानून हमें सीधे दोयम दर्जे का नागरिक बना दे रहा है तथा एक प्रकार का बलात्कार में आरक्षण है। अब कोई दुराचारी अगर बलात्कार के mood में हुआ तो पहले पता कर लेगा कि अगर लड़की सवर्ण या पिछड़ी हो तो उसे बलात्कार का शिकार बनाने में प्राथमिकता दो क्योंकि वर्तमान भारतीय कानून में वह लावारिस हैं तथा उन्हें सालों मुकदमा लड़ना पड़ेगा- परिवार वालों की, गवाहों की या तो हत्या होगी अथवा डरा-धमकाकर अभियुक्तों के हित में बयान होगा।
मीरा कुमार जिस पार्टी में है उसकी देन Civil Rights Act है तथा कोविद जी जिस पार्टी में हैं उसकी देन उपरोक्त 2016 का Act है। मैं इस बात का समर्थक हूं कि दलित महिला पर अत्याचार के मामले में कड़ा से कड़ा दंड मिले किंतु मनुवादी पार्टी की यह मांग है कि सवर्ण तथा पिछली महिला के साथ अत्याचार में भी उतना ही कड़ा दंड मिले तथा उतनी ही त्वरित गति से। सभी वर्गों की महिलाओं की इज्जत बराबर है। 
काशीराम तथा मायावती तक ने रोजी-रोटी में आरक्षण मांगा था- बलात्कार में आरक्षण की मांग तो किसी दलित ने भी नहीं की थी। मैं यह उद्गार दलितों के विरुद्ध नहीं लिख रहा- उनके स्तर से कभी ऐसी मांग नहीं उठी कि सवर्ण तथा पिछड़ी महिलाओं के सम्मान को सम्मान न समझा जाए तथा उनसे भेदभाव किया जाए। मनुवादी पार्टी दलितों के हित में बने कानून के विरुद्ध नहीं है- हमारी मांग सिर्फ इतनी है कि सवर्ण तथा पिछड़ी महिला के बलात्कार आदि के लिए भी Special court बनाई जाए जो समयबद्ध फैसला दे। सवर्ण या पिछड़ी महिला के बलात्कार का मामला भले ही जजों की कमी के कारण लंबित/स्थगित रहे किंतु जजों की कमी चाहे और Acute क्यों न हो जाए किंतु दलित महिला को घूरकर देखने का trial अवरूद्ध न हो- उसका निर्णय 2 माह में हो- यह मोदी के "मन की बात" हो सकती है- किसी दलित नेता की मांग नहीं।

3_मीरा कुमार के पति किस जाति के थे- यह मैं नहीं जानता। किंतु बड़ी संख्या में Facebook तथा Twitter पर कुछ लोग लिख रहे हैं कि उनके पति ब्राह्मण थे तो कुछ लोग इसका जोरदार खंडन कर रहे हैं। इसकी सत्यता का पता लगाने के लिए मनुवादी पार्टी ने अपनी स्टार प्रचारिका मायावती की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति नियुक्त कर दी है जिसमें वे आवश्यकतानुसार स्वविवेक से यथेप्सित सदस्यों को मनोनीत कर सकती हैं। जब उन्होंने 24 घंटों में इतना पता लगा लिया कि कोविद साहब कोरी उप जाति के हैं, जिसकी आबादी बहुत कम है तो निश्चित ही वह यह रहस्योद्घाटन करने में समर्थ होंगी कि मीरा कुमार ने किस जाति में शादी की तथा उस जाति की आबादी कितनी है। इतना प्रथमदृष्टया स्पष्ट है कि वे जगजीवन राम की जाति के नहीं होंगे। अनुलोम विवाह मनुस्मृति में मान्यता प्राप्त है। मनुस्मृति के प्रावधानों के अनुपालन के फलस्वरूप मनुवादी पार्टी अपना नैतिक समर्थन मीरा कुमार को दे रही है।

4_मीरा कुमार देश की सर्वोच्च प्रतियोगिता में सर्वोच्च सेवा के लिए चयनित हुई जिसका cut-off प्रायः IAS से अधिक जाता है तथा पहले तो लगभग 100% IAS से ऊंची merit IFS की होती थी। दलितों की साम्राज्ञी मायावती तथा दलितों के युवराज रामविलास पासवान को मीरा कुमार राजनीति के अखाड़े में पटक चुकी हैं। मनुवाद का दूसरा नाम वंशवाद है। प्रकाश अंबेडकर जब मैदान में नहीं है, तो दलितवंश में मीरा कुमार के जोड़ की वंशावली किसी की नहीं है। अतः गुणवत्ता एवं वंशावली- दोनों दृष्टि से उनकी उत्कृष्टता को ध्यान में रखकर मनुवादी पार्टी उन्हें नैतिक समर्थन दे रही है।

उपरोक्त विश्लेषण के संदर्भ में आप कह सकते हैं कि जब मनुवादी पार्टी के पास कोई वोट नहीं है तो समर्थन का अर्थ क्या है? उत्तर है- यह नैतिक समर्थन है जिसका अर्थ है-
(1)परिचर्चा, लेखों आदि से माहौल तैयार करना
(2)शुभकामना देना तथा
(3)परिणाम अनुकूल आने पर विजयोत्सव मनाना।

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