पदोन्नति में आरक्षण पर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान ग्रहमंत्री भारत
सरकार के निर्णय की समीक्षा
भाजपा की आरक्षण निति पर एक विहंगम दृष्टि ----
स पर फेसबुक पर सूरज ठाकुर की पोस्ट
श्री
राजनाथ सिंह जो एनडीए सरकार मे गृह मंत्री है वे यह कहते है कि मुलायम सिहं की
नालाकियो की वजह से प्रमोशन मे आरक्षण खत्म हो गया और हमारी सरकार अगर उत्तर प्रदेश
मे बनी तो हम
इसे लागू करने के लिए प्रयासरत होगें !
यानि की हरिजन
क्षत्रिय को आदेश देगा क्या ये उचित होगा एक अयोगय नौजवान ये करे वो भी आरक्षण के
आधार पर
क्या राजनाथ
सिहं जी के लेख को सुनकर / पढकर
क्षत्रिय समाज
राजनाथ सिहं पर यह दबाव बनाये या तो
वह इसका खंडन
करे और अगर वह खंडन नही करते
तो क्या वे
क्षत्रिय समाज के राणा प्रताप है या वी.पी सिहं
है
क्षत्रिय सभाएँ
/ संगठन / नौजवान जो नौकरी कर रहै है या करने जाऐगें उन्हे चपरासी की नौकरी मिलेगी
जिन हरिजन लोगो ने २० साल तक मजदूरी की उन्हे आरक्षण के आधार पर उँचे पद पर रखा
जाएगा जिन्हे अपने ह्सताक्षर भी करने नही करते वह देश की कमान संभालेंगे प्रमोशन
मे आरक्षण की मांग करने वाले जब सुप्रीम कोट्र का फैसला ही नही मानेंगे और आरक्षण
के मुद्दे पर sc चार - २ बार फैसला सुनाया हो
इससे अटल जी उलट
चुके है ओर मोदी जी भी और राजनाथ जी से उसकी घोषणा करवायी जा रही है तो क्या अटल
जी / वी.पी सिहं ब्रहंाण व क्षत्रिय समाज के गौरव है
या कंलक है इस
बयान को देने वाले २०साल के क्षत्रिय नौजवान बिना किसी गलती के बिना किसी विभागीय
जांच बिना किसी आरोप के एक तरह से अनपढ़ घोषित कर दिया जाऐ उस कानून की प्रशंसा
करने वाले क्षत्रिय समाज के कंलक है या गौरव बढाने वाले इसका फैसला क्षत्रिय समाज
क्षत्रिय सभाऐ व नौजवान करे जो इससे सहमत हो कि यह सही है या गलत ये भविष्य के लिए
सही है या दलितो के लिए या राजनित के लिए ये तो एक श्रवण समाज के लिए गला घोट़ने जैसा
है आप इस पोस्ट पर टि्प्पणी करे अथवा इसे शेयर किजिए यह मेरी आपसे विनती है प्लीज
आगे बढाए I (सूरज ठाकुर )
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इंद्रा सहानी
मामले में आरक्षण की व्यवस्था अवैध करार दिए जाने के बाद 77 वा संविधान संशोधन किया गया और परिणामी
ज्येष्ठता प्रदान करने उद्देश्य से 85वा
संविधान संशोधन किया गया I 1995 में जो 77
वा संशोधन किया गया वह नीचे प्रस्तुत है
THE CONSTITUTION
(SEVENTY-SEVENTH AMENDMENT) ACT, 1995
Statement of Objects and Reasons
appended to the Constitution
(Eighty-sixth Amendment) Bill, 1995 which
was enacted as
THE CONSTITUTION (Seventy-seventh
Amendment) Act, 1995
STATEMENT OF OBJECTS AND REASONS
The Scheduled
Castes and the Scheduled Tribes have been enjoying the
facility of reservation in promotion since 1955. The Supreme Court in
its judgment dated 16th November, 1992 in the case of Indra
Sawhney
and Others vs. Union of India and Others,
however, observed that
reservation of appointments or posts under
article 16(4) of the
Constitution is confined to initial appointment and cannot extent
to
reservation in the matter of promotion. This ruling of
the Supreme
Court will adversely affect the interests of the Scheduled Castes and
the Scheduled Tribes. Since the representation
of the Scheduled
Castes and the Scheduled Tribes in services in the States
have not
reached the required level, it is necessary to continue the
existing
dispensation of providing reservation in promotion in the case of the
Scheduled Castes and the Scheduled Tribes. In view of the
commitment
of the Government to protect the interest of the Scheduled Castes and
the Scheduled Tribes, the Government have decided to
continue the
existing policy of reservation in promotion for the Scheduled
Castes
and the Scheduled Tribes. To carry out this, it is necessary to amend
article 16 of the Constitution by inserting a new clause (4A) in
the
said article to provide for reservation in promotion for the Scheduled
Castes and the Scheduled Tribes.
2. The Bill
seeks to achieve the aforesaid object.
NEW DELHI;
SITARAM KESRI.
The 31st May, 1995.
THE CONSTITUTION
(SEVENTY-SEVENTH AMENDMENT)
ACT, 1995
[17th June, 1995.]
An Act further to
amend the Constitution of India.
BE it enacted by
Parliament in the Forty-sixth Year of the Republic of
India as follows:-
1.
Short title.-This Act may be
called the Constitution
(Seventy-seventh Amendment) Act, 1995.
2.
Amendment of article 16.-In article 16 of the Constitution, after
clause (4), the following clause shall be inserted, namely:-
"(4A) Nothing in this article shall prevent the State
from making any
provision for reservation in matters of promotion to
any class or
classes of posts in the services under the State in
favour of the
Scheduled Castes and the Scheduled Tribes which, in the opinion of the
State, are not adequately represented in the
services under the
State.".
यह एक प्रकार से सवर्णों की नागरिकता को समाप्त
करने के तुल्य था I कोई सवर्ण किस बात का भारत का नागरिक है अगर न्यायपालिका
का दिया हुआ न्याय उसे उपलब्ध ना हो सके I
किसी भी स्वतंत्र देश में एक नागरिक का अधिकार है कि जब उसके अधिकारों का हनन हो तो वह न्यायलय की
शरण ले सके तथा न्यायलय से अनुकूल निर्णय पाने के बाद अपने अधिकारों की रक्षा कर
सके I किन्तु सर्वोच्च न्यायलय का निर्णय पाने के बाद भी सवर्ण न्याय ना पा सका
तथा संविधान को बदल करके मा. सर्वोच्च न्यायलय के फैसले को निष्प्रभावी कर दिया
गया I प्रश्न है कि राम जन्म भूमि के मुद्दे पर सभी दल मानते है कि न्यायलय के फैसले का सम्मान किया
जायेगा किन्तु आरक्षण के मुद्दे पर बार बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के वावजूद
कोई राष्ट्रीय दल इसे मानने को तैयार नही है I
सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि संविधान में संशोधन में करने वाले लोग हमारे
वोटो के बल पर जीतते थे तथा आज भी जीत रहे है I हमने कभी पढ़ा था और सुना था कि
दधीचि ने वृत्रासुर के वध के लिए अपनी हड्डियों का दान कर दिया था I किन्तु आज तो
आरक्षण विरोधी बच्चो के माता-पिता आरक्षण समर्थको को वोट देकर उनके कैरियर का,
उनके भविष्य का, उनके रक्त और मांस का , उनकी अस्थियो का दान उन लोगो को कर रहे है
जो उनके बच्चो के हित में दिए गए मा. ऊच्चतम न्यायलय के फैसलों को भी लागू नही
होने दे रहे है I आज फेसबुक पर एक पोस्ट
पढने को मिली ---
बसपा
के एक बड़े नेता ने ब्राह्मणों की तुलना इस गंदे जानवर से की......
मायावती की पार्टी बसपा के एक नेता ने
मर्यादा को ताक पर रखते हुए ब्राहमणों को लेकर एक विवादित पोस्ट को सोशल मीडिया पर
अपलोड किया है. देवरिया के बीएसपी नेता ने फेसबुक पर एक कमेन्ट को पोस्ट किया है
जिसमे उसने ब्राह्मणों को सूअरों का झुंड बताया है. इस शर्मनाक टिप्पणी को जिलें
के सलेमपुर विधानसभा क्षेत्र के बसपा अध्यक्ष संजय भारती ने फेसबुुक पर लिखा है.
जिसके बाद से पूरी यूपी की सियासत गर्मा गई है.
बता दें कि भारती में अपने हाथ से एक पोस्ट लिखकर उसे फेसबुक पर पोस्ट किया.
जिसमे उन्होंने लिखा था कि ब्राहमण शब्द का मतलब होता है सूअरों का झुंड. बसपा
नेता ने संधि-विच्छेद करते हुए यह लिखा था कि ब्राहमण का अर्थ- ‘ब्राह+मण = सुुअरों का झुंड’. उनके अनुसार ब्राह का अर्थ
होता है सुअर जबकि मण का अर्थ होता है झुंड.
इसके अलावा उनके
पोस्ट में यह भी लिखा हुआ था कि ‘क्योंकि विष्णु
ने एक बार ब्राह का रूप यानी सुअर धारण किया था इसी कारण उनको इसका अवतार माना
जाता है’.
भारती की यह
पोस्ट हांलाकि सोशल मीडिया में वायरल हो चूकी है. साथ ही इस आपत्तिजनक पोस्ट के
बाद पुरे सियासी खेमे में बबाल मंचा हुआ है. लेकिन बसपा के बड़े नेताओं कहना है की
उन्हें इस पोस्ट की कोई जानकारी नहीं हैं.
इस पर कुछ नेताओ तथा कार्यकर्ताओं ने
जिलाधिकारी को ज्ञापन देने की अनुमति
मांगी तो मैंने उन्हें स्पष्ट मना कर दिया कि मनुवादी पार्टी का ना तो हिंसक
संघर्ष में विश्वास है और ना ही अहिंसक आन्दोलन में I हम जन जागरण में विश्वास
रखते है I यदि कोई समाज अपने हितो की हत्या करने वालो का, सुप्रीम कोर्ट से पाए
हुए न्याय को छीनने वालो का जयकरा लगाता है तो समाज को यह आत्म चिंतन करने की जरुरत
है कि इस से बेहतर उसे समाज और क्या देगा इसका सही इलाज हरदोई के सूरज ठाकुर ने सुझाया है
तथा नीचे अमर उजाला की कुछ कटिंग तथा सूरज
ठाकुर की पोस्ट सलंग्न की गयी है I इसका इलाज यही है कि गहलौत और राजनाथ सिंह के
बयान पर गाव-गाव में परिचर्चा की जाये कि क्या सुप्रीम कोर्ट के दिए हुए न्याय को छीनने
वाले अटलबिहारी बाजपेई और मोदी को प्रसन्न करने के लिए अनर्गल बयानबाजी करने वाले
राजनाथ सिंह अपने समाज का समर्थन पाने का हकदार है या नही I यदि भाजपा ने स्टेट गेस्ट हाउस के बाद
वेंटिलेटर पर जा चुकी बसपा को
सत्ता का आक्सिजन ना दिया होता तो क्या बसपा इस स्थिति में आ पाती कि ब्राह्मण,
क्षत्रिय तथा यादव समाज के तमाम दिग्गज बाहुबली महारथी “पितु समेत लै लै निज नामा
I
करन लगे सब दंड प्रनामा II”
की मुद्रा में “मै सेवक समेत सुत नारी”
के उद्घोष के साथ तन मन धन के साथ चरणों में समप्रित हो जाते I
यदि बसपा हाई कमान को यह
ज्ञान होता कि इस प्रकार के अपमान जनक पोस्ट डालने की प्रतिक्रिया ब्राह्मण समाज
जाटों की तरह सड़क पर उतर कर नही करेगा
बल्कि वोट डालने के दिन जितने ब्राह्मण टिकट पाए होंगे कम से कम उनको तक्षक नाग की तरह डस लेगा तथा
उतनी सीटे पार्टी इस तरह की पोस्टो से हार जाएगी तो इस तरह की पोस्ट डालने वाला
चाहे संस्थापक सदस्य ही क्यों ना होता वह जुगुल किशोर जैसे महापुरुषों की सत्संगति
करने के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल निलंबित कर दिया गया होता I इसी
प्रकार यदि आरक्षण विरोधी यदि दृढ़ संकल्प ले ले कि मोदी गहलौत और राजनाथ के बयानों
के प्रतिशोध में प्रथम चरण में भाजपा मुक्त उत्तर प्रदेश तथा दूसरे चरण में 2019 में भाजपा मुक्त भारत लाकर रहेंगे तो
तत्काल सारी बयानबाजी पर लगाम लग जाएगी ----
रुख से पर्दा हटा दे ऐ साकी जरा
रंग महफ़िल अभी ये बदल जायेगा I
जो कि बेहोश है होश में आएगा
जो
कि गिरता
है वो भी संभल जायेगा ...क्रमश: