Saturday, 25 June 2016

भाजपा की आरक्षण निति पर एक विहंगम दृष्टि (भाग-4) मनुवादी पार्टी का 77% बनाम 23% का संघर्ष तथा डॉ राम मनोहर लोहिया के 85% बनाम 15% के संघर्ष का तुलनात्मक विवेचन (भाग-1) ----

भाजपा की आरक्षण निति पर एक विहंगम दृष्टि (भाग-4)
मनुवादी पार्टी का 77% बनाम 23% का संघर्ष तथा डॉ राम मनोहर लोहिया के 85% बनाम 15% के संघर्ष का तुलनात्मक विवेचन (भाग-1)   ----

परिणामी ज्येष्ठता प्रदान करने का मतलब है परोक्ष रूप से उच्च पदों पर अनुसूचित जाति/जनजाति के सेवको का शत- प्रतिशत आरक्षण I
नियुक्ति के समय मेरिट में उपर  होते हुए भी सामान्य व अन्य पिछड़े वर्ग के कार्मिको का भविष्य अन्धकारमय क्योंकि उन्हें सामान्यतया बिना किसी पदोन्नति के सेवानिवृत्त होना पड़ेगा I
माननीय उच्च न्यायलय इलाहबाद की लखनऊ खण्डपीठ द्वारा 04 जनवरी 2011 को दिए गए फैसले में सेवा नियमावली अधिनियम 1994 के सेक्शन 3(7) एवं ऊ०प्र० सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली (तीसरा संशोधन) 2007 के विनियम 8-क को INVALID (अवैध), ULTRAVIRES (अधिकारातीत) एवं UNCONSTITUTIONAL (असंवैधानिक) करार दिया गया है और इसी के साथ इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश निरस्त कर दिया गया है I
माननीय न्यायाधीशों द्वारा दिए गए फैसले में साफ़ कहा गया है कि पदोन्नतियो में आरक्षण में प्रदान करने के विषयक 1994 के अधिनियम के सेक्शन 3(7) एवं तदोपरान्त परिणामी ज्येष्ठता प्रदान करने विषयक विनियम 8-क, 2007 के लागू करने से सरकार ने बराबरी के सिद्धान्त (equality clause) का उल्लंघन किया है और यह संशोधन संविधान सम्मत नही है अत: इन नियमो के तहत 8-क लागू कर सरकारी विभागों व निगमों में जारी की गयी समस्त ज्येष्ठता सूचिया पूरी तरह निरस्त कर दी गयी है I
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल २०१२ को सुनाये गए एतिहासिक फैसले में लिखा  -  “ In the ultimate analysis, we conclude and hold that section 3(7) of the 1994 Act and Rule 8A of the 2007 Rules are ultra vires as they run counter to the dictum in M.Nagraj (supra)”
        माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने वाले अधिनियम 1994 के सेक्शन 3(7) और परिणामी ज्येष्ठता प्रदान करने के 2007 के नियमो के नियम 8-क को अवैधानिक घोषित कर दिया गया I इतना ही नही माननीय सर्वोच्च न्यालायल ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि –
     “Any promotion  that has been given on the dictum of Indra  Sawhney (supra) and without  the aid or assistance of the Section 3(7) & Rule 8A shall remain undisturbed”
    उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मा. सर्वोच्च न्यायालय के 27 अप्रैल २०१२ के फैसले को पूर्णतया लागू करने के निर्णय का पालन करते हुए प्रदेश के सभी सरकारी विभागों व निगमों में तत्काल पदोन्नतिया प्रारंभ की   जाये I
     विगत पांच वर्षो में ऐसे कर्मचारियों व अधिकारियो को जिन्हें रिक्तियों के बावजूद पदोन्नत किये बिना सेवानिवृत्त कर दिया गया है, उन्हें न्याय प्रदान करते हुए पद रिक्त होने की तिथि से नोशनल पदोन्नति प्रदान कर समस्त सेवा एवं सेवा नैवृतिक लाभ प्रदान किये जाये I

   अगले लेख में हम इस 77% बनाम 23% संघर्ष की तुलना डॉ राम मनोहर लोहिया के उस संघर्ष से करेंगे जिसमे 85% बनाम 15% संघर्ष का उल्लेख था I प्रोन्नति में आरक्षण के माध्यम से 23% जनसंख्या का तुष्टीकरण करने के लिए मा. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटा जा रहा है I  मा. सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार घोषणा की है कि प्रोन्नति में आरक्षण संविधान के विरूद्ध है तथा प्राकृतिक न्याय का हनन करता है I फिर भी मोदी सरकार इस आदेश को पलटने के लिए हर तरह के हथखंडे इस्तेमाल कर रही है I अखिलेश सरकार ने कई विभागों में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लागू किया तथा ना जाने किस बहकावे में आकर शिक्षा विभाग जैसे कुछ विभागों में उस को लागू नही कर रही है I इस कदम से ना घर के ना घाट के वाली कहावत चरितार्थ हो रही है ऐसा क्यों हो रहा है ? भाजपा, कांग्रेस तथा सपा को किस  प्रकार रस्ते पर लाया जा सकता है इसकी चर्चा अगले अंक में ....क्रमश:

No comments:

Post a Comment