Wednesday, 8 June 2016

‘मोदी सरकार का संसोधित अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (01जनवरी 2016 से लागू) के निहितार्थ एवम उसके भविष्य के सामाजिक परिणाम’ ---

‘मोदी सरकार का संसोधित अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (01जनवरी 2016 से लागू) के निहितार्थ एवम उसके भविष्य के सामाजिक परिणाम’ ---
मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति अत्याचरण ण अतायाचरण निवारण में जो संसोधन किये है वे सवर्था संविधान की आत्मा के विरुद्ध है I दलितो के जीवन की , उनके मन सम्मान की रक्षा होनी चाहिए इसमें कोई मतभेद का स्थान नही होना चाहिए I कांग्रेसी राज्य में CIVIL RIGHT ACT इसी उद्देश्य से बना था I किन्तु महिलाओ के शील भंग/बलात्कार के मामले में सताई हुई महिलाओ में भेदभाव नही होना चाहिए I कल्पना कीजिए की शहर में अलग-अलग तीन चौराहों पर गुंडे बिना जाति-पाति पूछे बिना पूर्व परिचय के एक लड़की को उठाकर गाड़ी में डाल लेते है तथा चलती गाड़ी में सामूहिक बलात्कार (GROUP-RAPE) करते हुए वो रंगे हाथ पकडे जाते है I
एक चौराहे की लड़की सवर्ण है दुसरे चौराहे की लड़की पिछड़ी है तथा तीसरे चौराहे वाली लड़की अनुसूचित जाति की है I सवर्ण और पिछड़ी से बलात्कार करने वाले पर कम धाराये लंगेंगी तथा स्वाभाविक है कि न्यायालय में आरोप प्रमाणित होने कम धाराओ के कारण कम दंड मिलेगा I
दलित लड़की पर यह संसोधित नियम में अलग से भी अतिरिक्त अधिक दंड मिलेगा I इतना ही नही इन लडकियो से बलात्कार जातिगत आधार पे नही हुआ ये तो कालेज से घर आ रही थी किसी को पता नही था कि कौन किस जाति का है इतना ही नही, सवर्ण तथा पिछड़ी जाति वाली लड्कियो का चिकीत्सकीय परिक्षण होंगा I फोरेंसिक टेस्ट होंगे तथा SCIENTIFIC LABS से महीनो वर्षो तक VAGINAL SWAT, BLOOD TEST तथा SEMINAL FLUID की जाँच आने की प्रतीक्षा करनी होंगी I सालों तक TRIAL चालेगा, जिसमे साक्षियों के टूट जाने की तथा लड़की के घर वालो की डराए-धमकाए जाने की पूर्ण सम्भावना होंगी I किन्तु अनुसूचित जाति की लड़की के सम्बन्ध में २ माह में विवेचना पूर्ण होनी है , किसी MEDICAL REPORT की आवश्यकता नही है तथा २ माह में न्यायालय का निर्णय आ जाना है I एक ओर CHIEF JUSTICE जजों की कमी का रोना रो रहे है तथा वही SC/ST के मामलो में SPECIAL COURT का निर्माण कर २ माह में फैसला देने की व्यवस्था की जा रही रही है I इस से जजों की सामान्य तथा पिछड़ी जाति के केसों को देखने की उपलब्ध्ता और कम होगी तथा जो फैसले ८-१० साल में आते थे वे १०-२० साल में आयेंगे I आशाराम बापू जैसे बहुचार्तित मामले तक में निर्णय नही आ पा रहा है तथा एक के बाद एक गवाह संधिग्ध परिस्थियों में मरते जा रहे है I यदि इनमे कोई महिला अनुसूचित जाति की होती तो २ माह में निर्णय होता तथा लड़की के माँ-बाप सुरक्षित रहते I
इस तरह एक नई प्रतिलोम वर्णाश्रम -व्यवस्था का निर्माण होगा I बलात्कारियो की समझ में आ जायेगा कि बलात्कार करने के पहले औरत की जाति पता कर जो तथा किसी सवर्ण या पिछड़ी जाति की औरत को अपनी हवस का शिकार बनाओI अनुसूचित जाति की लड़की प्राचीन कल की ब्राह्मण लड़की तरह ‘अगम्या’ हो जायगी I बलवान से बलवान क्षत्रिय भी किसी ब्राह्मण लड़की का स्पर्श प्राचीन कल से नही कर सकता था क्योकि वह अगम्या थी I शकुन्तला को दुशंत ने कहा था – असंशयम क्षत्रपरिग्रह क्षमा यथार्थ
मै अनुसूचित जाति के लोगो पर अत्याचार के विरुद्ध हूँ कितु सवर्ण तथा पिछड़ी जाति की महिलाओ के उपर सामूहिक बलात्कार में लम्बे समय से फैसला हो और गवाह तोड़ने का अवसर मिले – यह कहा का न्याय है अत्याचार किसी पर नहीं होना चाहिए I इसी तरह जाति अधिनियम का उपयोग वहा होना चाहिए जहा जातिगत आधार पर उत्पीडन हुआ हो I ट्रेन में सीट के लिये झगडा हो जाये अथवा गाड़ी के पास देने या ओवर टेक करने को लेकर कोई झगडा हो जाये – जहा दोनों पक्षों में से किसी को दुसरे पक्ष की जाति का ज्ञान तक नही है वहा पर SC/ST ACT के प्रयोग का क्या औचित्य है I

No comments:

Post a Comment