Wednesday, 8 June 2016

आर.एस.एस. के नाम खुला ख़त --- आरक्षण पुराण

आर.एस.एस. के नाम खुला ख़त
आरक्षण पुराण
कलियुग परीक्षित के मुकुट में बैठ गया
अब सीता (मोदी) के जमीन में समा जाने तथा राम (R.S.S.) के जल समाधि लेने का समय आ गया है I
आरक्षण के चलते सुई के नोक क बराबर भी जमीन नही मिली रही I 
सन्मार्ग पर स्थित पवित्रता के प्रतीक परीक्षित (मोदी) ने शमीक (सवर्णों) के गले में मरा साँप (आरक्षण विषयक उद्गार तथा संशोधित SC/ST Act 2016) डाल दिया I
तक्षक नाग 2017 के यू.पी. के विधानसभा चुनाव में परीक्षित को डंस  लेगा  तथा  भाजपा के पास फिर श्रीमदभागवत सुनकर मनुवादी बनने के आलावा कोई विकल्प नही होगा I
रावण (देशद्रोही शक्तियों) ने सीता (मोदी) को लक्ष्मणरेखा (सवर्णों की मर्यादा) लांघने को तैयार कर लिया I
 2017 के चुनाव में सीता (मोदी) का राजनितिक अपहरण तथा 2019 के चुनाव में पुनः वनवास सुनिश्चित है I

Backlog +
Promotion में reservation (आरक्षण) +
Private sector में reservation (आरक्षण) +
मध्यप्रदेश में पुजारियों में reservation (आरक्षण) +
राम मंदिर के शिलान्यास में reservation (आरक्षण) +
 राम मंदिर के निर्माण के बाद सवर्णों को मंदिर में प्रवेश की छूट मिलेगी अथवा उसमें भी Backlog भरा जायेगा I
परीक्षित (मोदी) बड़े पवित्र राजा थे उनके भय से कलयुग भागा-भागा फिर रहा था I  उसको कही कोई नही मिल रहा था I  जैसे मोदी काँग्रेस  मुक्त भारत के निर्माण में विकास के नारे के बलपर  तेजी से अग्रसर हो रहे है, उसी प्रकार परीक्षित कलिमुक्त भारत की दिशा में अग्रसर थे I परीक्षित के तेज के सामने कलि नहीं ठहर पा रहा था I कलिमुक्त भारत होने ही  वाला था I अचानक कालचक्र थम सा गया जब परीक्षित ने कलि को शरणागति तथा दया का पात्र देख  ज्ञान दिया गया कि सोने में निवास करो I
बड़े गौर से सुन रहा था जमाना I
तुम्ही सो गए दास्ता कहते कहते II
यह कहावत मोदी पर सटीक बैठती है I SC/ST Act का विश्लेषण अपने पढ़ा होगा, नहीं  पढ़ा है तो मेरी पिछली पोस्ट को  उलट कर पढ़ ले I अम्बेडकर साहब जैसे विचारवान statement ने स्पष्ट लिखा था कि 1950 + 10 = 1960 के बाद आरक्षण 0% हो जाना चाहिए I यदि अम्बेडकर स्मृति  (भारतीय संविधान) को नेहरु से लेकर मोदी तक समस्त पार्टियों के प्रधानमंत्रियो ने तोडा-मरोड़ा न होता तो अम्बेडकर स्मृति ही मनुस्मृति बन जाती I यदि कोई मनुस्मृति तथा अम्बेडकर स्मृति के Amendmensts को निकल दे, तो दोनों लगभग  identical है I दोनों के क्षेपक ही  सारी बुराईयों की जड़ है I जिन लोगो को मनुस्मृति से allergy है, वे मात्र इस पर सिद्धान्तत: सहमत व्यक्त कर दे कि स्वार्थपूरित votebank तथा तुष्टीकरण (appeasement) की राजनीति के चलते जितने क्षेपक (amendment) अम्बेडकरस्मृति (भारतीय संविधान) में जोड़े गए है , उसको सर्वसम्मति  से निरस्त कर दिया गया जाये, तो हम मनुस्मृति की मांग को छोड़ सकते है I अम्बेडकरस्मृति  यदि मूल रूप में लागू कर जाये तो –
1.    आरक्षण 0% हो जायगा I
2.    जमीदारी पुनः वापस आ जाएगी I
3.    राज परिवार के लोग अपने नाम के आगे राजा, युवराज, रानी, राजमाता, राजकुमारी लिखने के अधिकार पुनः पा जायेंगे तथा प्रिवीयर्स पाएंगे I
4.    योग्यता ही वरिष्टता का मापदंड बन जाएगी I
मूल मनुस्मृति भी यही कहती है I चाहे तरबूजा चाकू पर गिरे या चाकू तरबूजे  पर कटेगा तरबूजा ही I इस भावना से ओतप्रोत होकर
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण पर पुनर्विचार का सुझाव दिया किन्तु सत्ता के मद में चूर मोदी ने उन्हें ललकार दिया तथा आरक्षण पर अनाप सनाप बयान देना चालू कर दिया I आग में घी डाला शिवराज सिंह ने , परिणाम सामने था – बिहार से भाजपा का सफाया I
मोदी सबक सीखने की जगह और कलिकाल ग्रस्त हो गए I उन्होंने जोर से 56” का सीना फुलाते हुए ललकारा कि यदि अम्बेडकर साहब पुनः धरती पर जन्म ले तथा अम्बेडकर स्मृति (भारतीय संविधान) में की गयी आरक्षण समाप्ति की घोषणा को फिर से लागू करने की मांग करे तो आरक्षण की समाप्ति पर पुनर्विचार संभव नही  है I यह स्पष्ट हो गया कि सुई की नोक बराबर जमीन भी देने को  मोदी साहब तैयार नही है I

अब कल से promotion में reservation, backlog, private सेक्टर में reservation पर क्रमश: चर्चा होगी I मनुवाद की A team (कांग्रेस) तथा B team (भाजपा) के आरक्षण तथा SC/ST Act सम्बंधित काले-कारनामे को कल से उजागर किया जायेगा I भाजपा को सचेत किया जाता है कि मनुवादी पार्टी शंकराचार्य बनना चाहती है -- मोदी इसे पतंजलि बनने को विवश न करे I 

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