Thursday, 9 June 2016

आर.एस.एस. के नाम खुला ख़त आरक्षण पुराण

आर.एस.एस. के नाम खुला ख़त
आरक्षण पुराण
कलियुग परीक्षित के मुकुट में बैठ गया
अब सीता (मोदी) के जमीन में समा जाने तथा राम (R.S.S.) के जल समाधि लेने का समय आ गया है I
आरक्षण के चलते सुई के नोक क बराबर भी जमीन नही मिली रही I 
सन्मार्ग पर स्थित पवित्रता के प्रतीक परीक्षित (मोदी) ने शमीक (सवर्णों) के गले में मरा साँप (आरक्षण विषयक उद्गार तथा संशोधित SC/ST Act 2016) डाल दिया I
तक्षक नाग 2017 के यू.पी. के विधानसभा चुनाव में परीक्षित को डंस  लेगा  तथा  भाजपा के पास फिर श्रीमदभागवत सुनकर मनुवादी बनने के आलावा कोई विकल्प नही होगा I
रावण (देशद्रोही शक्तियों) ने सीता (मोदी) को लक्ष्मणरेखा (सवर्णों की मर्यादा) लांघने को तैयार कर लिया I
 2017 के चुनाव में सीता (मोदी) का राजनितिक अपहरण तथा 2019 के चुनाव में पुनः वनवास सुनिश्चित है I

Backlog +
Promotion में reservation (आरक्षण) +
Private sector में reservation (आरक्षण) +
मध्यप्रदेश में पुजारियों में reservation (आरक्षण) +
राम मंदिर के शिलान्यास में reservation (आरक्षण) +
 राम मंदिर के निर्माण के बाद सवर्णों को मंदिर में प्रवेश की छूट मिलेगी अथवा उसमें भी Backlog भरा जायेगा I
आरक्षण इस शब्द ने देश में कई बार हलचल पैदा किया है I  संसद के शीतकालीन सत्र दिसम्बर 2012 में तक्कालीन केंद्र सरकार ने लगभग सम्पूर्ण विपक्ष के सहयोग से अनुसूचित जाति/जनजाति के कार्मिको को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने हेतु 17 दिसम्बर 2012 को राज्यसभा में पारित करवाया I आरक्षण का यह एक्स्टेन्शन कतई सहन नही किया जा सकता है I नौकरी में दक्षता, ईमानदारी और परिश्रम जैसे गुणों  के साथ काम करने वाले कर्मचारी का यह नैसर्गिक अधिकार है कि उसे अपने काम के बदले सही वक़्त पर पदोन्नति प्राप्त हो, किन्तु यहां भी आरक्षण का बताशा उसकी जिंदगी में जहर घोल रहा है I मात्र प्रचलित नियमो के अनुसार अगड़ी और सक्षम जाति में जन्म लेने के फलस्वरूप उसके आगे बढने का अवसर निर्ममता से कुचल दिए जा रहे है और उसी के सामने उस से कम योग्य उस से कनिष्ट व्यक्ति को भी पदोन्नति मिल रही है स्वाभाविक सी बात है कि इससे ना केवल उसका मनोबल गिर रहा है बल्कि इसे यह भी कह सकते है कि आत्मबल लगभग समाप्त प्राय है I उसके जीवन में निराशा के भाव जग रहे है I
117 वा सविधान संशोधन 17 जून,1995 अथार्थ 20 वर्ष पूर्व से लागू होगा इसका अर्थ यह है कि 20 वर्ष पूर्व से देश के कई करोड़ कर्मचारियों व अधिकारियों की वारिष्टता सूची बदल जाएगी I  जूनियर कर्मचारी सीनियर बनाये जायेगे, इस प्रकिया से न केवल सामाजिक समरसता बिगड़ेगी अपितु व्यापक प्राशासनिक अराजकता का व्याप्त होना अवश्यम भावी है I 
         उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी सर्वोच्च न्यायलय के फैसलो को निष्प्रभावी करने हेतु चार बार संविधान को संशोधित  किया जा चुका है 77वा संविधान संशोधन 17 जून ,1995 को, 81वा संविधान संशोधन 09 जून, 2000 को, 82 वा संविधान संसोधन 08 सितम्बर, 2000 को, और 85 वा  संविधान संसोधन 04 जनवरी 2002 को किया गया I इन सभी संविधान संसोधनो के जरिये मा. सर्वोच्च न्यायलय के फैसलो को निष्प्रभावी किया गया है I
         हम सोचने को मजबूर हो जा रहे है कि हम भारत के नागरिक रह गए है अथवा नही I भारत के नागरिक का यह अधिकार है कि छोटी से छोटी अदालत से भी वह अगर कोई फैसला लता है तो उसका अनुपालन करा सके I  यह दुर्भाग्य है कि मा. सर्वोच्च न्यायालय से स्पष्ट फैसला लाने  के वावजूद हमारे जनप्रतिनिधि संविधान को बदल कर मा. सर्वोच्च न्यायलय के फैसले को निरस्त कर देते है तथा मा.सर्वोच्च न्यायालय को बार-बार फैसला देना पड़ता है कि संशोधन द्वारा किये गया यह निरस्तीकरण अवैध तथा असंवैधानिक है I उससे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि हमारे अधिकारों की निर्मम हत्या वे लोग कर रहे है जो हमारे वोटो पर जिन्दा है I  हमारी ही जूती हमारे ही सिर पर मारी जा रही है I एक वेश्या के स्वगत वचनों को निम्न शब्दों में उदधृत किया गया है –
   कामी जिस जग ने मेरी
   लज्जा को है छीना
    जिसके धोखे में यह
    लतिका है आधीना
     जो मेरे अधरों की
     मदिरा पर जीता है
    वह वंचक ही मुझको   
    कहता है अकुलीना
     उलटी चाले जग की
      देखा हूँ मै करती
      आँखे ये फैला कर
      दो मंजिल के उपर


   लगभग यही दशा भारत के सवर्णों की है I जिसको वे वोट देते है वही उनके अधिकारों का हनन करता है तथा मार खाए इन लोगो को उलटे मनुवादी कहकर तिरष्कृत किया जाता है I मनुवादी पार्टी की स्थापना ही इस उद्देश्य से की गयी है कि अब तक मनुवादी को गाली समझा जाता था किन्तु जिस प्रकार स्वामी दयानंद और विवेकानंद ने मनु पर गर्व व्यक्त किया है जिस प्रकार महात्मा गाँधी तथा गुरु जी गोलवरकर ने पुरुष सूक्त तथा  वर्णाश्रम व्यवस्था में आस्था व्यक्त की है किन्तु उनके अनुयायी भाजपा तथा कांग्रेस मनुवाद को गाली समझने लगे है उस ग्लानि को दूर करने के लिए गर्व से मनुवादी पार्टी से जुड़े लोग अपने नाम के आगे मनुवादी लगाने लगे है I   

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