आप है दया के धाम आप
रहते अकाम,
आप त्रयलोचन हैं आप
त्रिपुरारी हैं |
भक्त मण्डली को सदा
देते पल में हैं त्राण,
आप सर्व शक्तिमान भव
भय हारी हैं |
आप मुंडमाली और
सिद्ध हैं कपाली आप,
आप शिव शंकर हैं शीश
गंगधारी हैं |
चन्दचूड आप हैं
त्रिशूलपाणि भोले नाथ,
भूधर सुतारमण, भूधर
बिहारी हैं | | 98 | |
आर्त टेर सुन भयभीत
यमराज जी की,
हो गये प्रसन्न भोले
नाथ त्रिपुरारी हैं |
मात्र एक इंगित पे
शूल हुआ वापस है,
दिव्य करुणा के
सिन्धु भव भय हारी हैं |
शांत अग्नि हो गयी
लगी जो यमलोक में थी,
भय मुक्त हुए यमलोक
के बिहारी हैं |
गाने लगे लोग
प्रार्थना है शिव शंकर की,
भक्ति रस डूबे सभी
भव के पुजारी हैं | | 99 | |
क़ल पाश से है हुआ
मुक्त, भक्त शंकर का,
चारों ओर होने लगा
बम बम का निनाद |
सर्व शक्तिमान
महादेव त्रिपुरारी एक,
मानता त्रिलोक सत्य
इसमें नहीं विवाद |
आठों याम नाम
सुपुनीत शिव का अनूप,
सुख दुख में जो सदा
लोग करते हैं याद |
भयमुक्त रहते सदैव
भव सागर में,
निश्चित उन्हीं को
मिलता है मुक्ति का प्रसाद | | 100 | |
(समाप्त)
(हर
हर महादेव)