Wednesday, 16 August 2017

#यमराज_से_साक्षात्कार




देख यह दृश्य आया क्रोध शिव शंकर के,

लोचनों में रोष-लालिमा की छटा भायी है |

फडकी भुजाएं हिला सकल कलेवर भी,

भस्म झड़ने से मानों धूम धुन्ध छायी है |

वक्ष मुण्डमाल के हैं मुण्ड टकराने लगे,

भाल नेत्र की पलकों में भी गति आयी है |

कंठ पड़े पन्नग हैं फन को उठाने लगे,

अक्ष मालिका भी बार-बार बल खायी है | | 77 | |


बिखरी जटायें गंग भाल चन्द्र को पकड़,

शिव शीश रुकने का यत्न करने लगी |

एक पल ही में जब बदल दिशा गयी तो,

शैलजा पे सुरसरि धार गिरने लगी |

देख यह दृश्य जह्नुजा है मुसकाने लगी,

उमा भी हैं अंतर में मोद भरने लगी |

भीग गये गोद बैठे बालक गजानन भी,

षड़ानन पर भी फुहार पड़ने लगी | | 78 | |


बज उठा डमरू डमक डम डम डम,

शूल से भी रश्मि अग्नि बाण छूटने लगे |

उछल-उछल नंदी क्रोध दिखलाने लगे,

कोप-ज्वालामुखी भी गणों में फूटने लगे |

शिव लोक के प्रकोप से है काँपने लगा तो,

नगपति से भी शिला खण्ड टूटने लगे |

दृश्य देख हुए अति भयभीत यमराज,

शंकर के भक्त गण सौख्य लूटने लगे | | 79 | |


हाथ को बढ़ाया शूल ओर शिव शंकर ने,

भक्त, देव गण अपलक देखने लगे |

देख के अपार क्रोध आज भूत भावन का,

कितने ही यमदूत यमपुर से भगे |

एक दूसरे से व्योम-तारे टकराने लगे,

छिपे हुए कोटि वह्नि शोले उसमें जगे |

कर जोड़ सकल गणों ने है प्रणाम किया,

दृश्य अवलोक यह सभी हैं रह ठगे | | 80 | |


#_क्रमशः

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