भाग - 2
मनुवादी पार्टी वोटकटवा पार्टी नहीं है
मनुवादी पार्टी का मिशन 2017,
2017 (2), 2019, 2020 तथा 2022
कैसे मनुवादी पार्टी 2022 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आयेगी
कौन नेता होगा, कौन कार्यकर्त्ता होगा,
इटावा का बलराम यादव फार्मूला
क्यों V.I.Ps पार्टी नहीं चला पाते हैं ?
'शैल मूल जिन्ह सरितन्हि नाहीं'
मनुवादी पार्टी वोटकटवा पार्टी नहीं है
मनुवादी पार्टी का मिशन 2017,
2017 (2), 2019, 2020 तथा 2022
कैसे मनुवादी पार्टी 2022 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आयेगी
कौन नेता होगा, कौन कार्यकर्त्ता होगा,
इटावा का बलराम यादव फार्मूला
क्यों V.I.Ps पार्टी नहीं चला पाते हैं ?
'शैल मूल जिन्ह सरितन्हि नाहीं'
इसी तरह मायावती अपने
fundamentals से चिपकी रहीं | चाहें कोई उन्हें दौलत की बेटी कहे या कोई और गंदा
शब्द दे, किन्तु दलित जानता है कि यह मायावती ही हैं जिसने 90% सवर्ण तथा पिछड़े दिग्गजों को
चरणचुम्बन करने के लिए विवश कर दिया - उनके सारे पापों को उसे भूलना पड़ता है |
मायावती ने समर्थन दिया नहीं, लिया | सरकार चली गई, पर समर्थन देने वालों के हांथो
की कठपुतली नहीं बनी | उनके सारे पापों को भूलना दलित समाज की मजबूरी है | यदि
मायावती के हजार वोट पाने के बाद भी पार्टी खड़ी हो गई और 0 सीट 2014 में पाने पर
भी 2017 में चुनाव में वह race में आ गई तो 'शैल मूल' के कारण क्योंकि मायावती के
शैल 'अम्बेडकर' थे तथा अम्बेडकर के शैल थे 'गौतम बुद्ध' | मायावती की पार्टी कभी
नई नहीं थी | आज मायावती की पार्टी समाप्त हो जाय यदि दलितों का (1) दमन तथा (2)
तुष्टीकरण समाप्त हो जाये | या तो रोहित सही था या गलत | यदि सही था तो जो उसके
साथ अत्याचार के लिए उत्तरदायी थे, उन पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए थी | यदि रोहित
गलत था, तो उसके सपोर्ट करने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए थी | आज तक सरकार यह
तय नहीं कर पाई - कि वह सही था या गलत | उसके साथियों का expulsion क्यों वापस लिया गया, यदि वह गलत था | यदि सही था, तो दोषियों पर कार्यवाही
क्यों नहीं हुई ? या तो यह दलितों का दमन है या तुष्टीकरण | दमन और तुष्टीकरण
दोनों खतरनाक हैं | रोहित के अपराध (यदि कोई थे) तो उन्हें उजागर करना चाहिए था |
किन्तु जब इस पर सर्वसम्मति है कि रोहित की माँ दलित थी तथा समाज का यह हाल सबको
मालूम है कि दलित माँ के अन्तर्जातीय बच्चों को सामान्यतया पितृपक्ष के लोग
उपेक्षित करते हैं, तो आखिर स्मृति ईरानी को यह मुद्दा बनाने की आवश्यकता क्या थी
कि रोहित दलित नहीं था | फिर इस पर emphasize करने की क्या आवश्यकता थी कि रोहित
मामले की जाँच में दलित अधिकारी सम्मिलित था | क्या दलित यदि कोई अपराध करेगा, तो
उसकी विवेचना दलित s.o. ही करेगा ? दमन और तुष्टीकरण दोनों को यदि शासन छोड़ दे, तो
मायावती की प्रासंगिकता स्वतः समाप्त हो जाएगी |
इसी प्रकार समाजवादी पार्टी नेहरू
के पिछड़ों पर ढाये गये अत्त्याचारों से पनपी | आजादी के पहले यह व्यवस्था थी कि
सवर्ण प्रथम सोपान पर था, पिछड़ा दूसरे सोपान पर तथा अनुसूचित जाति/जनजाति का
व्यक्ति तीसरे सोपान पर | आरक्षण 10 साल के लिए अम्बेडकर साहब ने लिखा था अर्थात -
1950 + 10 =1960 के बाद आरक्षण 0% हो जाना चाहिए था | किन्तु नेहरू की तुष्टीकरण
की नीति के चलते आरक्षण की अवधि को संविधान का संशोधन कर बढ़ा दिया गया | परिणाम यह
हुआ कि यदि | IAS/IPS पिछड़ी जाति का था तो 5 अनुसूचित वर्ग के | उस असंतोष को भुनाने
के लिए लोहिया ने 82% की लड़ाई पर जोर दिया | किन्तु अनुसूचित जाति के लोगों ने लोहिया
का साथ इस लिए नहीं दिया कि उन्हें पहले ही आरक्षण मिल रहा था तथा उन्हें यह
प्रसन्नता थी कि वे कम से कम पिछड़ों से आगे निकल जायेंगे | इस कुण्ठा (frustration) ने समाजवाद को धार दी तथा चरण सिंह, रामनरेश यादव, कर्पूरी ठाकुर, लालू
यादव, मुलायम सिंह यादव आदि बिभूतियों का आविर्भाव हुआ | V.P. Singh ने देवी लाल
के दांव को काटने के चक्कर में मण्डल कमीशन को कैसे लागू किया तथा कैसे वह कमण्डल
वालों के छद्मयुद्ध के शिकार हुए, इसे विश्व जनता है | कांग्रेस के राज्य में VP
Singh के युग में किस तरह थोक के भाव पिछड़ों के encounter हुए तथा किस तरह 23
दलितों की हत्या करने वालों को राजकीय अतिथि की तरह बिना 1 डंडा मारे जेल भेज दिए
गए - इसे ज़माने ने देखा तथा जैसा कि राष्ट्रकवि दिनकर ने लिखा है -
"जिस दिन रह जाता क्रोध मौन
वह समझो मेरी जन्म लगन"
वह समझो मेरी जन्म लगन"
इसके बाद तुष्टीकरण का दौर चला |
अटल जी के युग में सवर्णों पर जो जुल्म हुए, वह नेहरू युग से कई गुना भीषण थे |
कांग्रेस ने तो केवल आरक्षण दिया था | अटल जी ने बैकलाग तथा प्रमोशन में रिजर्वेशन
ला दिया जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को invalidate करने के लिए
संविधान में संशोधन करके लाया गया | कांग्रेस सवर्ण रुपी पेड़ की डालियों को काट कर
सवर्णों को हीन बना रही थी | किन्तु अटल जी ने सवर्ण रुपी बृक्ष का जड़ से सफाया कर
दिया | यह अटल जी के हांथों संविधान की हत्या थी - इसका प्रमाण यह है स्वयं माननीय
उच्चतम न्यायलय ने लम्बी लड़ाई के बाद इसे असंबैधानिक घोषित कर दिया | मोदी जी के
सत्ता में आने के बाद बिहार में घोषणा की गई कि किसी भी स्थिति में कभी भी आरक्षण
पर पुनर्विचार नहीं किया जायेगा | परिणाम सबके सामने था | 'blood is thickar than
water' | असली पिछड़ों ने - मोदी, साहू, सुनार, तोमर आदि व्यापारिक जातिओं को पिछड़े
वर्ग का अंग मानने से इनकार कर दिया तथा जागरूक सवर्ण सिकुड़कर दबक गए - वोट डालने
नहीं गए और गए भी तो दिया नहीं | यदि किसी महिला से उसका पति वैश्यावृत्ति कराके
शराब पिए, तो समझदार महिला के पास यदि चरित्रवान जीवन बिताने का विकल्प है, तो उसे
आजमाना चाहिए, वरना स्वतंत्र वैश्यावृत्ति करके उस कमाई से कम से कम आराम का जीवन
बिताना चाहिए | यू. पी. के सवर्ण यही निर्णय ले कर आजमा चुके थे तथा ब्राह्मण बसपा
का तथा क्षत्रिय सपा का दामन थाम चुके थे तथा यू. पी. में भाजपा हाशिये पर जा चुकी
थी | बिहार में भी जागरूक सवर्ण यू. पी. के सवर्णों के इस आजमाये रास्ते पर चल पड़ा
तथा भाजपा का बिहार में सफाया हो गया |
किन्तु अत्याचार के कदम रुके नहीं
| प्राइवेट सेक्टर के रिजर्वेशन के बारे में रिपोर्ट तैयार करा ली गई तथा
औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं | जैसे धीरे से एक दिन वी. पी. सिंह ने मण्डल कमीशन
की रिपोर्ट को लागू कर दिया उसी तरह किसी भी दिन प्राइवेट सेक्टर में रिजर्वेशन की
घोषणा हो सकती है | सहयोगी दल के पासवान को सामने करके तीर चलाये जा रहे हैं | इस
वाण के लगने के बाद क्या होगा इसकी कल्पना करें -
(1) आज भी सवर्णों के अधिकांश
एम.बी.ए., बी.टेक., एल.एल.बी., एम.ए., पी.एच.डी. आदि तक सरकारी नौकरियों का
विज्ञापन आने पर चपरासी तक की नौकरी के लिए बड़ी संख्या में आवेदन करते हैं क्योंकि
अधिकांश प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों का वेतन भी
सरकारी चपरासी से कम है | फिर भी पति पत्नी दोनों मिलकर पेट - पर्दा चलाने भर को
वेतन पा जाते हैं तथा गुजारा कर लेते हैं | अब यह प्राइवेट नौकरी भी छीन कर सीधे
भीख मांगने की स्टेज पर पहुंचा देने का षड्यंत्र हो रहा है | क्या पता, भीख में भी
रिजर्वेशन हो जाये |
(2) अनुसूचित जाति या पिछड़ी जाति
की फीस माफ हो - इस पर कोई आपत्ति नहीं कर सक्ता किन्तु उनकी फीस माफी का दण्ड
सवर्णों के बच्चों को झेलना पड़े तथा सवर्णों के बच्चों की फीस IIT आदि में एकतरफा
बढ़ा कर उनकी पढाई को रोकने का षड्यंत्र हो रहा है | बैंक से इतनी मात्र में लोन भी
नहीं मिलता | सभी टैक्सपेयर्स पर अनुसूचित जाति या पिछड़ी जाति की पढाई का बोझ सरकार
डाल देती तो गनीमत थी किन्तु उसका बोझ केवल प्रतिभाशाली बच्चों पर डालना एकलव्य की
तरह उनका अंगूठा काटने के बराबर का अत्याचार है |
(3) साड़ी की दुकान, चाय की दुकान
तथा कारखाना खोलना, स्कूल कालेज खोलना भी प्राइवेट सेक्टर में आता है | मोदी जी कह
रहे हैं हम ऐसी स्थिति लायेंगे कि अनुसूचित जाति के तथा पिछड़े जैसे लोग नौकरी देने
वाले बनें तथा मांगने वाले नहीं | क्या यह बिभिन्न preferential policies के जरिये
उद्द्योग तथा व्यापार जगत की जमींदारी तोड़ने की कवायद तो नहीं है |
ठाकुरों की जमींदारी चली गई | ब्राह्मणों
व कायस्तों को आरक्षण की चोट से कोमा में पहुंचा दिया गया | 'तिलक तराजू कलम तलवार
| इनको मारो जूते चार ||' इसमें से तलवार के स्वागत की पूर्ण व्यवस्था जवाहरलाल
नेहरू ने कर दी थी जमींदारी तोड़ कर तथा इंदिरा जी ने राजा की title छीन कर तथा
privy purse जब्त कर इस क्रम को आगे बढाया था | तलवार भी तिलक तराजू और कलम के
धंधे में घुसने को विवश हो गई थी | अब लगता है तराजू के दमन की बारी आगे है | हर
दस साल पर आरक्षण बढ़ा कर डाक्टर अम्बेडकर द्वारा 10 वर्ष के आरक्षण की न्याय पूर्ण
व्यवस्था का उल्लंघन हर प्रधानमंत्री ने संविधान बदल कर किया | आगे चल कर VP Singh
ने मण्डल कमीशन लागू कर दिया | चार ही
नहीं बल्कि सैकड़ों जूते लगा दिए | बची खुची कसर अटल जी ने बैकलाग तथा प्रमोशन में
रिजर्वेशन लागू करने के लिए संबिधान की निर्मम हत्या कर के पूरी कर ली | जब माननीय
उच्चतम नयायालय किसी संसोधन को अवैध तथा असंवैधानिक घोषित करता है तो यह संविधान
की हत्या के बराबर है | यह सवर्णों के वर्चस्व का समापन था | जिस दिन मोदी जी का
सपना पूरा होगा तथा उस दिन सवर्णों की संप्रभुता के शव का दाह संस्कार हो चुका
होगा |
इतिहास साक्षी है कि मनुवाद के
भीतर उत्पन्न हुई विकृतियों से बौद्ध जीवन दर्शन का अविर्भाव हुआ | Karl Marx ने
लिखा है कि thesis, antithesis तथा synthesis का क्रम चलता रहता है तथा यही
synthesis आगे चल कर thesis का रूप ले लेती है | Dialectical Materialism का सार
तत्त्व है कि किसी भी चीज के विनाश के बीज उसी में छिपे होते हैं | बौद्ध शासन की
विकृतियों ने पतंजलि के जीवन दर्शन को जन्म दिया तथा भारत की पहली सैनिक क्रांति
हुई जिसमें सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर के शुंग वंश के शासन की स्थापना हुई | मनु
स्मृति का पुनर्लेखन हुआ तथा उसके प्रावधान और कड़े कर दिए गए | शंकराचार्य ने जो
समन्वय का दर्शन प्रस्तुत किया वह एक तरह से common minimum program था जिसकी वजह
से काफी समय तक देश में एक व्यवस्था चली | आजादी के बाद यही समन्वय काफी हद तक
डाक्टर अम्बेडकर ने प्रस्तुत किया जिसमे आरक्षण तो दिया गया किन्तु मात्र 10
वर्षों के लिए किन्तु नेहरू अटल तथा मोदी लगातार संविधान का संसोधन कर इसे बढ़ाते
रहे | अटल जी के समय में तो सवर्णों के हितों का सर्वनाश ही हो गया और बची खुची
कसर पूरी करने का संकल्प बार बार लेते हुए मोदी साहब नहीं थकते |
मनुवादी पार्टी के जन्मदाता
यथार्थ के धरातल पर नेहरू अटल और मोदी के अत्याचार है | यदि ये अत्यचार समाप्त हो
जायें तो मनुवादी पार्टी की भूमिका मात्र एक सामाजिक संस्था के रूप में रह जायेगी तथा
इसके राजनैतिक आस्तित्व के कोई आवस्यकता ही नहीं बचेगी | इसी प्रकार पीछे के कई
लेखों में स्पष्ट किया गया है कि किस प्रकार भाजपा कांग्रेस हो गई है तथा कांग्रेस
Communist पार्टी बन गई है | जो सुधी जन विस्तार से पढना चाहे दुबारा लेखों को पढ़
सकते हैं | यदि भारत की सरकार यह सुनिश्चित कर ले कि
(1) सभी के साथ न्याय होगा तथा तुष्टीकरण तथा दमन किसी का नहीं होगा तथा
डाक्टर अम्बेडकर ने जो सर्वसमाज के साथ न्याय किया था वह मूल संविधान लागू होगा तथा
1950 + 10 = 1960 के बाद आरक्षण 0% हो जायेगा
(2) Civil Rights Act के प्रावधान लागू रहेंगे तथा छुआछूत को अपराध माना
जायेगा किन्तु Atrocities Act (जिसे बोलचाल की भाषा में हरिजन एक्ट भी कहते हैं)
समाप्त हो जायेगा क्योंकि presumption clause नैसर्गिक न्याय के मूल सिद्धांतों के
विपरीत है | presumption clause के अनुसार अनुसूचित जाति का व्यक्ति कुछ भी कह दे
उसकी वाणी को सत्य मानते हुए विवेचना में आरोप प्रमाणित माना जायेगा चाहे वह सरासर
झूठ ही क्यों न हो | सामान्यतः आरोप लगाने वाले का दायित्व बनता है कि वह प्रमाणित
करे कि उसके द्वारा लगाये गए आरोप सत्य हैं किन्तु अनुसूचित जाति के मामले में यह burden
of proof shift हो जाता है तथा अनुसूचित जाति के व्यक्ति का साक्ष्य प्रस्तुत करने
का दायित्व समाप्त हो जाता है
(3) यदि भारत की सरकार यह सुनिश्चित कर ले कि सवर्णों को भारत का नागरिक समझा
जायेगा तथा उन्हें संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकार उपलब्ध होंगे तो मनुवादी
पार्टी जैसी किसी पार्टी की आवश्यकता ही समाप्त हो जायेगी | जो IPC उत्तर प्रदेश
में लागू है वही IPC दिल्ली में भी लागू है | दिल्ली में प्रमाणित तौर पर माँ
दुर्गा को गन्दी गलियां दी गईं जिसके प्रत्यक्षदर्शी स्वयं भाजपा के माननीय सांसद
श्री उदित राज जी हैं तथा जिन्होंने उन गालियों पर कोई प्रतिवाद नहीं किया | पूरी
legal community में इस बात पर सर्व सम्मति है कि criminal case कभी
time-barred नहीं होता तथा सभी के लिए equal है | श्री प्रशांत भूषण जैसे
विद्द्वान अधिवक्ता महीनो यह बहस कर सकते हैं कि माँ दुर्गा को गाली देना Right to
freedom of speech and expression की परिधि में आता है और आप के केजरीवाल तथा
कांग्रेस के राहुल गाँधी उनके इन तर्कों पर तालियाँ बजा सकते हैं किन्तु क्या कोई
विद्वान अधिवक्ता माननीय उच्चतम न्यायालय को यह समझा सकता है कि JNU के छात्रों के
लिए अलग कानून रहेगा तथा कमलेश तिवारी के लिए अलग कानून रहेगा | मैं कमलेश तिवारी
की तरफदारी नहीं कर रहा | मनुवादी पार्टी किसी भी प्रकार की blasphemy को गंभीर
अपराध मानती है | जिस दिन भारत की कोई सरकार माँ दुर्गा को गाली देने वालों को तथा
कमलेश तिवारी को एक ही स्तर का दण्ड देना प्रारम्भ कर देगी उस दिन सवर्णों को यह
अहसास होगा कि उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक नहीं माना जा रहा है | इस एहसास के
होते ही मनुवादी लेखकों को पाठक मिलने बंद हो जायेगे तथा मनुवादी पार्टी
अप्रासंगिक हो जायगी | इसी प्रकार खुल्लम खुल्ला मनुस्मृति जलाई गई तथा एक FIR तक
नहीं लिखी गई | जब तक यह स्थिति रहेगी तब तक मनुवादी पार्टी के सैलाव को कोई रोक
नहीं सकता |
(4) जब तक भारत के टुकड़े होने का नारा देने वालों को समझाया बुझाया जायेगा तथा
बंदेमातरम् और भारतमाता की जय कहने वालों को घेर कर पीटा जायेगा तथा उलटे उन्ही
राष्ट्रभक्तों पर मुकदमे कायम किये जायेंगे तब तक मनुवादी पार्टी के प्रवाह को कोई
रोक नहीं सकता | जैसे कांग्रेस संतुलन की भाषा को छोड़ कर कम्युनिष्ठों की भाषा की
नक़ल कर रही है तथा इस कारण उसकी पूरी की पूरी राजनैतिक जमीन लावारिश हालत में परती
पड़ गई है तथा उस जमीन को भाजपा कव्जा करती चली जा रही है और जो थोड़ी सी राजनैतिक
जमीन communists के लिए थी उसमे मात्र एक साझेदार बन कर रह गई है उसी प्रकार भाजपा
का कांग्रेसीकरण हो गया है तथा वह लगातार कांग्रेस की जमीन कब्ज़ा करती चली जा रही
है किन्तु उसकी अपनी जमीन जो आदरणीय हेडगवार जी से लेकर परमपूजनीय गोलवलकर जी ने
बनाई थी उसको लावारिश छोडती चली जा रही है | किस तरह श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने
एक निशान तथा एक विधान के लिए अपना वलिदान दिया था, किस प्रकार जोशी जी तिरंगा ले
कर चलने में गर्व का अनुभव करते थे उसको याद करने में भी भाजपा शर्मिंदा होने लगी
है | हमें किसी प्रयास की जरूरत ही नहीं है | सीजर ने कहा है 'I came, I saw, I
conquered' | यही बात मनुवादी पार्टी पर लागू होती है | तुलसीदास ने लिखा है 'बिन
प्रयास भवसागर तरहीं' अर्थात हम लोग बिना किसी विशेष सघन प्रयास के राजनीति के भवसागर
को पार करने जा रहे हैं |
(5) जिस जमीन को बड़ी मेहनत से RSS और उसके तमाम आनुषंगिक संगठनों ने,
Organiser, पान्च्जन्न्य तथा राष्ट्र धर्म के विद्वान् संपादकों और लेखकों ने बड़ी
मुश्किल से तैयार किया था वह जमीन परती पड़ी है | आज उसका कोई claimant नहीं है |
कठिनाई यह है कि यदि भाजपा अपनी 500 एकड़ की जमीन पर अपना कब्ज़ा जमाये रखती है तो
कांग्रेस की 5000 एकड़ की जमीन पर कब्ज़ा नहीं कर पायेगी | 5000 एकड़ की जमीन को
कब्ज़ा करने में उसका मुकाबला उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक के क्षेत्रीय दल
कर रहे हैं | लिहाजा अपनी बनाये शुचिता के सिद्धान्तों को ताक पर रख कर तथा party
with a diffrence की अवधारणा को भुला कर उत्तर प्रदेश तथा कर्णाटक में प्रदेश
अध्यक्षों का चयन कर रही है | बाकी पार्टियों की नजीर दे कर वह नैतिकता के पिजरे
में बंद स्वयंसेवकों को समझा नहीं पा रही है | आज हर दलित यह पूछ रहा है कि जिन
लोगों का पुनर्वास भाजपा में हो रहा है उनसे तो बंगारू लक्षमण लाख दर्जे साफ़ सुथरे
थे | बंगारू लक्ष्मण तो एक ऐसे अपराध के लिए मृत्युदंड पा गए जो अपराध हुआ ही नहीं
| जिस कार्य के लिए बंगारू लक्ष्मण पर पैसा लेने का आरोप लगा उस कार्य की न तो कोई
फाइल बनी और न ही वह कार्य प्रस्तावित था | बंगारू ने सरकारी खजाने से एक पैसा न
निकाला और न निकलवाया |न ही किसी प्राइवेट आदमी को एक पैसे का लाभ पहुँचाया
|बंगारू लक्ष्मण के भ्रष्टाचार की तुलना नारद जी के मोह से की जा सकती है जिसमे
नारद किसी महिला से अवैध रिश्ते नहीं बनाये किन्तु मात्र इतनी गलती की कि जब
विष्णु ने उन्हें नारी का रूप धारण कर ट्रैप करना चाहा तो वे नारी के सौन्दर्य से
आकर्षित हो गए | इसी प्रकार बंगारू लक्ष्मण पैसे को देख कर आकर्षित हो गए किन्तु
उन्होंने किसी को न तो कोई अनुचित लाभ पहुँचाया और न ही एक पैसे के सरकारी धन का
चूना लगाया | भगवन विष्णु तक ने प्रायश्चित्त कराकर नारद को क्षमादान दे दिया
किन्तु भाजपा में केवल अति पिछड़ों को क्षमादान मिल रहा है तथा किसी सवर्ण और किसी
दलित के लिए समानता के सिद्धांत का प्रयोग नहीं हो रहा है | मात्र जातिवाद के आधार
पर यदि निर्णय लिए जाते रहेंगे तो बिना प्रयास किये ही 0 सीट पर पहुँच चुकी बसपा
को सर्वे सबसे आगे बताएगा तथा 0 से स्टार्ट कर रही मनुवादी पार्टी को आसमान छूने
से कोई रोक नहीं सकता | आवश्यकता आविष्कार की जननी है | आज कोई पार्टी दलितों और
सवर्णों को न्याय दिलाना प्रारम्भ कर दे बसपा और मनुवादी पार्टी की प्रासंगिकता समाप्त
हो जायेगी | इसी प्रकार यदि पिछड़ों के साथ अत्त्याचार नहीं होता तो मुलायम सिंह
यादव की समाजवादी पार्टी की तथा लालू या नीतीश की कोई आवश्यकता न होती | यही
मार्क्स का भी सिद्धांत है | वर्तमान व्यवस्था की कमजोरियों से नई व्यवस्था का
जन्म होता है | मनुवाद से उबरने के लिए हाथी आई तथा नेहरू अटल तथा मोदी द्वारा
किये गए अत्त्याचारों से मनुवादी पार्टी का उद्भव हुआ और विकास होगा | बिना इन
अत्याचारों के बंद हुए मनुवादी पार्टी को कोई रोक नही सकता | माननीय सुप्रीमकोर्ट
के निर्देशों की अवज्ञा करके एकतरफा सवर्णों का दमन करने वाले ही हमारे लिए खाद
पानी का काम कर रहे हैं | इसके लिय किसी भी सहयोग की आवश्यकता नहीं है | कहावत है
कि एक लड़की ने अपनी माँ से कहा जब बच्चा पैदा हो तो मुझे जगा देना - कहीं बच्चा
चारपाई से गिर न जाये | माँ ने कहा 'कि बेटी जब बच्चा पैदा होगा तो तुम चिल्ला
चिल्ला कर सरे घर को जगा देगी' | आज मुझे किसी को संगठित नहीं करना पड़ रहा है |
लोग खुद आकर नेतृत्व करने को कह रहे हैं | राजा और नेता की खुद में कोई औकात नही
होती | चाणक्य के शब्दों में राजा की भूमिका मात्र एक ध्वज की होती है | जो समय की
नवज पहचान लेता है वही जननायक बनता है
क्रमशः ....
No comments:
Post a Comment