कमलेशः तुम हार गए ?
किसी के लिए लड़ने के पहले उसको जान लो
फिर दिशाएं मौन हैं, उत्तर नहीं है
परम पूजनीय गोलवलकर जी : अब नमक
का ही स्वाद जाता रहा : कैसे नमकीन करोगे ?
किसी के लिए लड़ने के पहले उसको जान लो
फिर दिशाएं मौन हैं, उत्तर नहीं है
परम पूजनीय गोलवलकर जी : अब नमक
का ही स्वाद जाता रहा : कैसे नमकीन करोगे ?
कमलेश ! तुम हार गए | तुम्हारे संकट की घड़ी में मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सका
क्यों कि मनुवादी पार्टी सिद्धान्तः ईशनिन्दा (blasphemy) को एक गलत काम मानती है
| मगर आर. एस. एस. की एक बहुत बड़ी हस्ती का बयान जब मैंने समाचार पत्रों में पढ़ा
तथा टी.वी. चैनलों पर सुना कि अप्राकृतिक यौन संबंध (Unnatural sex = गुदा मैथुन,
पशु मैथुन जैसे कुत्ते या बकरी से संबंध आदि - आदि) को दण्डनीय अपराध नहीं माना
जाना चाहिए, क्यों कि भले ही अनैतिक हों, किन्तु इन्हें अपराध नहीं घोषित करना
चाहिए, तो ह्रदय विदीर्ण हो गया | मैंने परम पूजनीय गोलवलकर जी की दुहाई दे कर कई ट्वीट
तथा फेसबुक पेज, ब्लॉग आदि पर लेख अरुण जेटली के ऊपर लिखे थे किन्तु मुझे अपनी
गलती का अहसास अब हो रहा है | मुझे स्वप्न में भी कल्पना नहीं थी कि संघ परिवार का
कोई वरिष्ठ ब्यक्ति यह मांग करेगा कि गुदामैथुन तथा पशुमैथुन की छूट दी जानी चाहिए
| महारानी विक्टोरिया जो इंग्लैण्ड की महारानी थी, के ज़माने में कानून बना कि पशु
मैथुन तथ गुदा मैथुन करने वाले जेल जायेंगे | इसको कुछ लोगों ने माननीय सुप्रीम
कोर्ट में चुनौती दी कि यह कानून निरस्त होना चाहिए | माननीय सुप्रीमकोर्ट ने
निर्णय दिया कि गुदा मैथुन तथा पशु मैथुन को पूर्व की भांति अपराध माना जाएगा |
राम जन्मभूमि के मुद्दे पर भजपा का घोषित स्टैंड है कि वे न्यायलय के फैसले का
सम्मान करेंगे किन्तु आरक्षण तथा गुदा मैथुन के मुद्दे पर उन्हें सर्वोच्च न्यायलय
का फैसला स्वीकार्य नहीं | भाजपा के बरिश्ठ्तम नेताओं में से एक अरुणजेटली ने
पुनर्विचार की मांग की तथा गुदा मैथुन एवं पशु मैथुन पर रोक को मानवाधिकारों का
तथा मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया | ह्रदय स्तब्ध हो गया | लगा कालचक्र की गति
अवरुद्ध हो गई | मैंने भी 'गोलवलकर हम शर्मिंदा हैं - कैबिनेट में जेटली जिन्दा हैं
' का लेख लिखा जो सोशल मीडिया में डाला तथा जेटली की बर्खास्तगी की मांग की | आजम
खां जो अपनी आदतों तथा हरकतों के लिए विख्यात/कुख्यात हैं, ने पूरे आर. एस. एस. को
गाली दे दी तथा उनके वक्तव्यों को दोहरा कर मैं अपनी जवान तथा लेखनी को गन्दा नहीं
करना चाहता | मनुवादी पार्टी ने आजम के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी क्यों कि
मनुवादी पार्टी स्तब्ध थी कि आर. एस. एस. के स्तर से जेटली के विचारों का खंडन
क्यों नहीं हुआ | मनुवादी पार्टी का निर्णय था कि जब R.S.S जेटली के विचारों की
निंदा करेगा, तब हम आजम के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे | कमलेश तिवारी एक अन्य
संगठन हिन्दू महासभा से जुड़े बताये जाते थे - मेरा उनसे कोई व्यक्तिगत परिचय नहीं
था - पता नहीं वे संघ से जुड़े थे या नहीं - किन्तु संघ के प्रति उसके हिन्दूवादी
विरोधियों के भी मन में एक सम्मान रहा है | आजम के बयान की प्रतिक्रिया में कमलेश
तिवारी बौखला उठे तथा वे ईशनिन्दा (blasphemy) वाले शब्द बोल उठे, जिन्हें दोहराना
तक मर्यादा के विरूद्ध है | आज मैं सोंचता हूँ कि कमलेश तुम्हें R.S.S के पक्ष में
नहीं बोलना चाहिए था | R.S.S के शीर्ष व्यक्तियों में एक का ब्यान (जिनका नाम लिख
कर अपनी लेखनी को दूषित नहीं करना चाहता) टी. वी. तथा अख़बारों में देखने को मिला
कि यद्दपि homosexuality immoral है किन्तु इसे दण्डनीय नहीं होना चाहिए | आखिर जब
एक कार्य अनैतिक है तथा आप भी मानते हैं तो फिर जिस अनैतिक कार्य को इंग्लैण्ड की
महारानी तक ने दण्डनीय माना तथा आज भी सुषमा के शब्दों में इटली वाली रानी तक जिस पर
जबान नहीं खोल रही है तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट तक जिसको दण्डनीय घोषित कर रहा है,
उस अनैतिक कार्य को दण्ड से मुक्त कराना किस भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना है -
यह सोंचकर दिमाग झनझना गया | R.S.S की जिन महान हस्ती ने यह बयान दिया, मैं अपना
नाम जान बूझ कर नहीं लिख रहा - पूरा देश स्तब्ध है, हिन्दू समाज स्तब्ध है, भारत
माता स्तब्ध है | परमपूजनीय गुरूजी गोलवलकर की पंक्तियाँ मानस - पटल पर भविष्यवाणी
करती हुई अवतरित होती हैं कि 'जब नमक का ही स्वाद जाता रहेगा तो नमकीन किससे करोगे
?' संघ के शीर्ष व्यक्तियों में एक की वाणी से यह उद्गार यह सोंचने को मजबूर कर रहा
हैं कि नमक का ही स्वाद जाता रहा | R.S.S तो भारतीय संस्कृति एवं दर्शन पर अपना
copyright समझता रहा है | क्या यही भारतीय संस्कृति है ? फिर दिशाएँ मौन हैं, उत्तर
नहीं है |
कमलेश ! तुम प्रतिक्रिया कर जेल
चले गये | और यह तो वैसे ही हुआ जैसे कि किसी महिला के चीरहरण पर कोई गोली चलाकर
हत्या के आरोप में जेल चला जाये तथा महिला यह बयान दे दे कि सड़क पर चीरहरण यद्दपि
अनैतिक है, किन्तु दण्डनीय नहीं होना चाहिए | राममंदिर के लिए रामलला की सौगंध
खाकर के 'सुग्रीवहु सुधि मोरी विसारी पावा राज कोष पुर नारी' सुग्रीव वन जाने के
कारण कहीं राम ने अभिशप्त तो नहीं कर दिया कि इस प्रकार के वक्तव्य निकल रहे हैं |
ऐसे वक्तव्य तो कलम से, वाणी से निकलने नहीं देना चाहिए |
कमलेश ! तुमको रामप्रसाद बिस्मिल
से सबक लेना चाहिए था जिन्होंने अपने आखिरी दिनों में जेल की डायरी में लिखा था
सशस्त्र क्रांति के पहले गाँधी शैली का जनजागरण जरूरी है क्योंकि जिस दिन शहीद
फांसी पर लटकते होते हैं उस दिन किसान हल चला रहा होता है, कोई नौकरी तो कोई और
व्यापार कर रहा होता है | कोई हुक्का गुड़गुड़ा रहा होता है | समाज में एक सनसनाहट
तक नहीं जाती | जब तक R.S.S का कोई वरिष्ठ व्यक्तित्व जेटली की क्लास न लेता, तब
तक तुम्हें R.S.S के पक्ष में नहीं बोलना चाहिए था | आजम तथा R.S.S आपस में समझते
| न जाने प्रभु की क्या इच्छा है ? साक्षी की क्लास ली जाती है, चार बच्चे पैदा
करने की बात पर संघ की टिप्पणी आती है कि 'औरत बच्चा पैदा करने की फैक्ट्री नहीं'
और जेटली की क्लास लेना तो दूर, संघ की एक बड़ी हस्ती उनके समर्थन में उतर आती है |
संघ परिवार 'ऐकोहम बहु स्याम' की शास्त्रीय परंपरा को भूल जाता है तथा चार बच्चा
पैदा करने वाली औरत को 'फैक्ट्री' समझने लगता है | वह यह भूल जाता है कि जब इस
फैक्ट्री का प्रोडक्शन रेट आधुनिकता की होड़ में घट गया, तो अत्याधुनिक कश्मीरी
महिलाओं को कितनी दुर्गति झेलनी पड़ी किस प्रकार महिलाओं की जांघों पर 'पाकिस्तान
जिंदाबाद का गोदना गोद दिया गया (इसका वर्णन Organiser तथा पांचजन्य में पढ़ा जा
सकता है)' - तथा विस्थापित होकर दिल्ली के शरणार्थी शिविर में तम्बुओं में निवास
करना पड़ा | किन्तु क्या कहा जाय - पाप का घड़ा भर जाता है तो बह जाता है | अनुपम
खेर जैसे अपने को राष्ट्र भक्त समझने वाले तथा मोदी युग में पद्मपुरस्कार से
सम्मानित कश्मीरी पंडित तक योगी आदित्यनाथ सुब्रह्मण्यम स्वामी तथा साध्वी प्राची
की गिरफ्तारी की मांग करते हैं | क्या किया जाय, कुएं में ही भांग पड़ी हुई है |
कमलेश - तुम्हें राणा प्रताप से प्रेरणा लेनी चाहिए थी | राणा प्रताप कब अकबर
के विरूद्ध युद्ध करके घास की रोटी खाने को तैयार हुए -
जब एक एक जन को देखा
जननी - पद पर मिटने वाला
तब कड़क - कड़क कर बोल उठा
वह वीर उठा अपना भाला
जननी - पद पर मिटने वाला
तब कड़क - कड़क कर बोल उठा
वह वीर उठा अपना भाला
जब तक आर. एस. एस. में हलचल न आती कि वह गुदामैथुन के समर्थन में बयान देना
बंद करावे, तब तक तुम्हें R.S.S के पक्ष में नहीं बोलना चाहिए था |
कमलेश ! तुम्हें कृष्ण से सीखना
चाहिए था | जब तक कृष्णा (द्रौपदी) ने चीख - चीख कर गुहार नहीं लगाई, तब तक कृष्ण
ने उसकी चीर नहीं बढाई | यदि द्रोपदी स्वयं चीर हरण पर चिंतित न हो तो उसकी चीर
बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है |
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