जातिगत समीकरण
संख्या का अंकगणित
हम कैसे बहुमत बनायेंगे
प्रथम चरण - एकता के स्थान पर महाभारत
अर्जुन उवाच
कथं भीष्ममहं संख्ये द्रोंण च मधुसूदन |
इषुभिः प्रतियोत्स्यामि पूजार्हावरिसूदन ||
भगवानुवाच
अशोच्यानन्वशोचास्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे |
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ||
प्रथम चरण - जमदग्नि ब्रिगेड
उरूजे इस्लाम होता है हर कर्बला के बाद
संख्या का अंकगणित
हम कैसे बहुमत बनायेंगे
प्रथम चरण - एकता के स्थान पर महाभारत
अर्जुन उवाच
कथं भीष्ममहं संख्ये द्रोंण च मधुसूदन |
इषुभिः प्रतियोत्स्यामि पूजार्हावरिसूदन ||
भगवानुवाच
अशोच्यानन्वशोचास्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे |
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ||
प्रथम चरण - जमदग्नि ब्रिगेड
उरूजे इस्लाम होता है हर कर्बला के बाद
वोट बैंक बनाने का जिन्ना/मायावती फार्मूला
कैसे एकता बनाई जाती है इसका जवाब जानना है तो प्रकृति की गोद में जाइए |
गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत कब खोजा गया ? जब सेव न्यूटन के सिर पर गिरा | सेव पहले
भी गिरते थे, बाद में भी गिरे होंगे ? पर बैज्ञानिक न्यूटन ने जब प्रकृति की गोद
में द्रष्टि डाली, तो गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत सामने था | आर्कमिडीज का सिद्धांत
कैसे खोजा गया ? जब आर्कमिडीज नंगे पानी के टब में नहा रहा था तथा पानी को
विस्थापित होते देखा - प्रयोगशालाओं की तुलना में नंगी आँखों से किया हुआ
observation अधिक सार्थक सिद्ध होता है | नन्दवंश का विनाश कब हुआ ? जब चाणक्य की चोटी
पकड़ कर घसीटी हुई | चाणक्य के पिता आचार्य चणक की निर्मम हत्या क्रूरतम तरीके से
नन्दवंश के शासन में की गई | किन्तु जैसे देश, राष्ट्र, समाज की चिंता में निमग्न
राष्ट्रवादी भाजपा के उत्थान की कामना कर रहे हैं, यह जानते हुए कि योजना बद्ध ढंग
से आरक्षण के असीमित विस्तार तथा क्रियान्वयन से उनके सम्वैधानिक अधिकारों को
माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को संसोधित करके भाजपा छीन लेती है - उसी प्रकार
यह जानते हुए कि आचार्य चणक को क्रूरतम ढंग से मारा गया है, स्वयं उनके बेटे ने आज
के RSS के स्वयंसेवक की मानसिकता का निर्वाह करते हुए नन्दवंश के सामने एक Project
Report पेश की कि कैसे नन्दवंश के साम्राज्य का विस्तार और व्यापक हो - कैसे
नन्दवंश के शासक को सक्षम चक्रवर्ती सम्राट् बना दिया जाये | चाणक्य को यह चिंता
नहीं सता रही थी कि जिस प्रकार मेरे बाप की क्रूरतम ढंग से हत्या की गई वैसे ही
चक्रवर्ती सम्राट् होने पर न जाने कितने निरीह बापों और बेटों की जघन्य हत्या
होगी, न जाने कितनी मुराओं का शीलभंग होगा | आज जैसे राष्ट्रवादियों को यह चिंता
नहीं सता रही कि माँ दुर्गा को गन्दी गली देने वालों के विरुद्ध एक मामूली धारा की
FIR तक नहीं लिखी गई और कमलेश तिवारी के ऊपर जो धाराएँ लगाई गईं वह धाराएँ क्यों
नहीं लगाई जा रही हैं - यह सवाल नहीं कोई पूछ रहा कि राम के आदि पूर्वज के सम्मान
की प्रतीक मनुस्मृति जलाने पर साधारण धारा तक का मुकदमा पंजीकृत नहीं हुआ तो हम
किस बात के भारतीय नागरिक हैं - हमारा मान - सम्मान और नागरिकता क्या सुरक्षित हैं
? हम तकनीकी तौर पर भारत के नागरिक भले ही हों लेकिन जब माननीय सुप्रीम कोर्ट
द्वारा दिया गया न्याय तक सत्ता के मठाधीशों द्वारा छीन लिया जा रहा हो, तो हमारी
नागरिकता के मायने क्या हैं ? नागरिक को माननीय मुंसिफ न्यायलय तक न्याय दिलाने
में सक्षम हैं तथा जब तक superior court से stay प्राप्त न हो, तब तक वह आदेश लागू
रहेगा राम जन्मभूमि के मुद्दे पर कहा जाता है कि न्यायलय का फैसला मानेंगे |
किन्तु आरक्षण के मुद्दे पर माननीय उच्चतम न्यालय का बार - बार दिया हुआ फैसला अटल
बिहारी बाजपेई सोनिया तथा मोदी मानने को तैयार नहीं | राष्ट्रकवि दिनकर ने लिखा है
-
स्वत्व कोई छीनता हो और तू
त्याग तप से काम ले यह पाप है
पुण्य है विच्छिन्न कर देना उसे
बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है |
त्याग तप से काम ले यह पाप है
पुण्य है विच्छिन्न कर देना उसे
बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है |
किन्तु हमें इसकी भी जरूरत नहीं है | हम तो वह ब्रह्मास्त्र विकसित करने जा
रहे हैं कि बिना किसी हिंसा और रक्तपात का सहारा लिए हमारे डमरू की ध्वनि पर संसार
नाच रहा होगा | हम बीन बजाने जा रहे हैं तथा सारे सांप नाचना चालू करेंगे | यही
हाल चाणक्य के जमाने का था | अटूट राष्ट्रप्रेम में चाणक्य अपने पिता के अपमान तथा
हत्या तक को भूल गए जैसे आज मोदी साहब के इस आह्वान को सुनने के बाद भी केवल कुछ
आरक्षण बिरोधी समझ पाये हैं कि मोदी के उत्तर प्रदेश में विजयी होने की स्थिति में
आरक्षण विरोधियों के सर्वनाश करने की मोदी की हिमाकत और भी बढ़ जाएगी | SC/ST Act
को तथा आरक्षण को और भी धारदार बना दिया जायेगा | इसी प्रकार राष्ट्रप्रेम में
चाणक्य अपने पिता के अपमान तक को भुला कर राष्ट्रप्रेम के उन्माद में आज के मोदी
भक्तों की तरह उस समय के परिवेश में नन्दवंश के भक्त बन गए तथा अपने व्यक्तिगत परिवेश
से ऊपर उठकर RSS के एक typikal कार्यकर्ता
की तरह राष्ट्रहित में चिंतन करने लगे | तंद्रा तब टूटी जब नन्दवंश की गर्जना
सुनाई दी - 'यह अपने पिता की हत्या के कारण कोई षड्यंत्र रच रहा होगा | चोटी पकड़
कर घसीटकर बाहर फेंक आओ |' जब अपनी चोटी पकड़कर घसीटने का अनुभव हुआ, तब नन्दवंश के
विनाश का संकल्प हुआ तथा पूरा हुआ | इसका सार यह है कि पहले परिवेश बनता है तभी
एकता होती है |
यदि congress राज्य में Backlog न बना होता, तो
मायावती दलितों को न समझा पातीं कि गाँधी शैतान की औलाद थे | पहले दलित गाँधी भक्त
था तथा Congress को वोट देता था | जब गाँव - गाँव परिचर्चा करके मायावती ने समझा
लिया कि मुलायम सिंह तथा भाजपा से सौ गुना खतरनाक Congress है, तो Scheduled Caste
Congress से इस सीमा तक विमुख हो गए कि उदित राज जी ने Congress में न जाकर भाजपा
में जाना पसंद किया | जो दलित Voter BSP से छिटका भी, वह Congress में न जाकर BJP
में गिरा | पहले कम लोगों को समझ में आया, धीरे - धीरे सबकी समझ में आ गया |
Congress ने आरक्षण का क़ानून बनाया, किन्तु उस समय के मठाधीश सवर्ण अधिकारीयों में
से अधिकांश ने यह प्रमाण पत्र जारी कर दिया कि सुपात्र दलित नहीं मिला - इस लिए
सामान्य वर्ग से भरती कर ली गई | जितने लोगों को आरक्षण कोटे में नौकरी मिलनी
चाहिए थी, उन्हें नहीं मिली | जगजीवन राम तथा महाबीर प्रसाद जैसे लोग नेहरू तथा
इंदिरा जी के दलितोद्धार पर तालियाँ बजाते रहे तथा प्रतिवाद नहीं किया | यदि यह
दशा केवल Engg. तथा Medical जैसे क्षेत्रों में होती तो समझाया जा सकता था कि
योग्य अभ्यर्थी नहीं रहे होंगे किन्तु यह backlog चपरासी तक की नौकरी में आ गया |
Cirtificate जारी हुए कि निरक्षर दलित तक सरकारी नौकरी नहीं करना चाहता क्योंकि उस
समय चपरासी की योग्यता निरक्षर थी | जगजीवन राम तथा महावीर प्रसाद माला पहने घूमते
रहे - तथा backlog बढ़ता गया | कांग्रेसी दलितों को बरगलाते थे कि 'हम भले बुरे हों
लेकिन यदि हम चले गए तो BSP नहीं आ रही - यह वोटकटवा है | सत्ता में मुलायम तथा
जनसंघ भाजपा जैसे लोग आयेंगे |' मुलायम की लाठी तथा भाजपा के चन्दन के डर से दलित
कांग्रेस से चिपका रहा जैसे भाजपा सवर्णों को भय दिखा रही है कि भाजपा चली गई, तो कोई
विकल्प नहीं है | केशवदेव मौर्या मुख्यमंत्री नहीं हुए तो मायावती और मुलायम में
से कोई मुख्यमंत्री होगा | सपा, बसपा या कांग्रेस आयेंगे - जो और भी बुरे हैं - मनुवादी
नहीं आने जा रही है - यह तो वोटकटवा है | कुछ समय दलित डरकर कांग्रेसी बना रहा,
किन्तु धीरे - धीरे दलित की समझ में आ गया कि Congress चली जाए, भले ही सपा/भाजपा
आ जायें | जब यही Certificate जारी होना है कि निरक्षर दलित भी सरकारी नौकरी नहीं
चाहता तो ऐसा संरक्षक हमें नहीं चाहिए | मायावती सत्ता में नहीं आई - सत्ता में
मुलायम आये किन्तु जब दलित संगठित हुआ तो जो मुलायम दलित को डरावने लगते थे, उनका
उसने चित्र समाचारपत्रों में तथा टी.वी. चैनलों पर छपा देखा कि लुंगी लपेटे
मान्यवर कांशीराम जी बेड पर लेटे हैं तथा उनके सिरहाने की तरफ नहीं बल्कि पैर की
तरफ नेता जी मुलायम सिंह बैठे हैं | दलित का आत्मविश्वास जाग गया | वह बसपा से और
चिपक गया | सपा - बसपा का मिलन हुआ - स्टेट गेस्ट हॉउस काण्ड भी हुआ | मत घबड़ाए
दमन चक्र से | स्टेट गेस्ट हॉउस काण्ड के बाद ही मायावती का विकराल रूप प्रकट हुआ
जिसमे उसकी वाणी में ललकार थी -
चढ़ गुंडों की छाती पर
बटन दबेगी हांथी पर |
बटन दबेगी हांथी पर |
परशुराम के नाम पर कोई आनुषंगिक संगठन (frontal organisation) बनाने की कोशिश
हमने नहीं की | क्यों ? परशुराम के प्रति श्रद्धा की कमी नहीं है बल्कि -
राणा बनने की चाह नहीं
मुझमे इतनी है शक्ति कहाँ
माँ तेरी पावन पूजा में
झाला सा शीश चढ़ा पायें |
'वन - वन स्वतंत्रता दीप लिए,
रने वाला बलवान कहाँ'
मुझमे इतनी है शक्ति कहाँ
माँ तेरी पावन पूजा में
झाला सा शीश चढ़ा पायें |
'वन - वन स्वतंत्रता दीप लिए,
रने वाला बलवान कहाँ'
वाला राणा पैदा करने वाले को पहले झाला पैदा करना पड़ता है | परशुराम हवा में
नहीं पैदा होते | आज हवा में परशुराम पैदा किये जा रहे हैं - इसीलिए फरसे में धार
नहीं है | परशुराम जयंती में परशुराम को माला पहनाने के लिए आरक्षण समर्थकों को
निमंत्रित किया जा रहा है | जो लोग आरक्षण के लिए हाथ उठा रहे हैं - उनसे परशुराम
जी को माला पहनवाई जा रही है | उनका गरिमामंडन किया जा रहा है | कहाँ से रहेगी
फरसे में धार जब परशुराम के नाम पर संगठन बनने वाले, 'जय परशुराम' के नाम पर नारा
लगाने वाले अपनी मुंह बोली बहन जी के दरवार में 'मैं सेवक समेत सुत नारी' के
उद्गारों के साथ पेट के बल रेंगकर साष्टांग दण्डवत् की मुद्रा में 'तन - मन - धन'
के साथ शरणागत हो रहे हैं | जय परशुराम का नारा लगाने वाले backlog तथा promotion
में reservation के लिए संविधान में संशोधन करने वाली BJP/कांग्रस/BSP/SP को वोट
दे रहे हैं | क्या आरक्षण के समर्थकों को परशुराम जयंती के मंच पर बिठाने का कोई
औचित्य है | इस विषय पर मेरे विस्तृत लेख 'मधु मिश्र के नाम खुला ख़त' को पढने का
कष्ट करें | परशुराम पैदा करना बच्चों का खेल नहीं | परशुराम पैदा करने के लिए
जमदग्नि की आवश्यकता होती है | जमदग्नि परशुराम का पिता है | जो समाज जमदग्नि नहीं
पैदा कर सकता है, वह परशुराम नहीं पैदा कर सकता | जब किसी जमदग्नि का गला कटता है,
तब किसी परशुराम का फरसा उठता है तथा माँ रेनुका के छाती पीटने पर प्रलय आ जाती है
| अभी पहले चरण में 'जमदग्नि ब्रिगेड' के नाम से एक अनुषांगिक संगठन खोलने की
आश्यकता परिलक्षित हो रही है जिसके लिए सुपात्र व्यक्तियों को विभिन्न स्तरों पर
छांटा जा रहा है | बिना 'झाला' पैदा किये कोई समाज 'राणा' नहीं पैदा कर सकता | श्याम
नारायण पाण्डे ने लिखा है -
जब एक - एक जन को देखा
जननी पद पर मिटने वाला
तब कड़क - कड़क कर बोल उठा
वह वीर उठा अपना भाला |
जननी पद पर मिटने वाला
तब कड़क - कड़क कर बोल उठा
वह वीर उठा अपना भाला |
बिना जमदग्नि को पैदा किये परशुराम की कल्पना असंभव है |
जिस दिन जमदग्नि के आह्वान के बाद
परशुराम का आह्वान किया जायेगा, उस दिन शक्ति दिखाई देगी | पहले चरण में हमें अपना
घर ठीक करना होगा | आरक्षण विरोधियों को तथा SC/ST Act में कानून जो और कड़े किये
गए हैं उनसे निपटना होगा तथा उनको निपटाना होगा | सरकार के खिलाफ हिंसक या अहिंसक
संघर्ष तक नहीं छेड़ना चाहिए | यहाँ तक कि एक ज्ञापन तक नहीं देना चाहिए | कौन पढता
है इन ज्ञापनों को ? अहिंसक संघर्ष करेंगे लाठियों से तोड़ दिए जायेंगे - जेल में
सड़ जायेंगे | हिंसक संघर्ष करेंगे तो कश्मीर के उग्रवादियों से बड़ा संघर्ष नहीं कर
पाएंगे ? भिंडरावाले से बड़ा संगठन नहीं बना पाएंगे | कुछ नहीं मिलेगा | धरना देना
है तो अपने माँ - बाप के, मामा - फूफा के, जीजा - मौसा के, साले - साढू के, साली -
सलहज के दरवाजे पर दीजिये जो किसी आरक्षण समर्थक पार्टी के सदस्य हों, जों किसी आरक्षण
समर्थक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हों, जिनकी गाड़ी में किसी आरक्षण समर्थक
पार्टी का झन्डा लगा हो, जो किसी आरक्षण समर्थक प्रत्याशी को वोट देते हों | भूख -
हड़ताल उनके दरवाजे करो | या तो द्रौपदी का चीरहरण को एक तथ्य के रूप में स्वीकार
करो तथा अर्जुन की तरह चीखो -
गुरूनहत्वा हि महानुभावान
श्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके |
हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव
भुज्जीय भोगान रुधिरप्रदिग्धान |
श्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके |
हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव
भुज्जीय भोगान रुधिरप्रदिग्धान |
(अपने गुरुजनों का बध न करके भीख मांगना बेहतर है | अर्थकामना से गुरुजनों की
हत्या करके खून से सने भोगों का खाना अच्छा नहीं है |)
जो लोग कहते हैं कि हम तो भाजपा
के परम्परागत वोटर रहे हैं, वे अर्जुन की वाणी सुने. तथा तत्पश्चात कृष्ण का उत्तर
सुनें | अर्जुन कहता है -
कथं भीष्महं संख्ये
द्रोणं च मधुसूदन |
इषुभिः प्रतियोत्स्यामि
पूजार्हावरिसूदन |
द्रोणं च मधुसूदन |
इषुभिः प्रतियोत्स्यामि
पूजार्हावरिसूदन |
(हम भीष्म तथा द्रोण पर वाण कैसे चलाये - वे तो हमारे पूजनीय रहे हैं |)
इस पर कृष्ण का उत्तर है -
अशोच्यानन्वशोचस्तवं
प्रज्ञावादांश्च भाषसे
गतासूनगतासूश्च
नानुशोचन्ति पंडिताः |'
कलैव्यम मा स्म गमः पार्थ
नैतत्वय्युपपद्यते |
छुद्रम हृदय दौर्बल्यं
त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप |
प्रज्ञावादांश्च भाषसे
गतासूनगतासूश्च
नानुशोचन्ति पंडिताः |'
कलैव्यम मा स्म गमः पार्थ
नैतत्वय्युपपद्यते |
छुद्रम हृदय दौर्बल्यं
त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप |
(जिनकी कोई चिन्ता नहीं करनी चाहिए, उनके बारे में मत सोंचो | ज्ञानोपदेश बंद
करो | नपुंसक मत बनो | दिल को छोटा मत करो | ह्रदय की दुर्बलता को छोड़ कर उठ खड़े
होओ |')
एक शक्ति के रूप में बसपा का उदय
इसी फार्मूले के तहत हुआ था | बसपा के लोगों के सामने भी यही तर्क रखे जाते थे कि
कांग्रेस तो ख़त्म हो जाएगी किन्तु बसपा नहीं आएगी - आयेंगे मुलायम सिंह और भाजपा |
यही यथार्थ में हुआ भी | किन्तु बसपा इतनी
मजबूत बन कर उभरी कि अखिलेश सरकार में उसके लोग प्राथमिकता पा रहे हैं - मोदी
सरकार में उसके लोग प्राथमिकता पा रहे हैं | सोनिया - सरकार में उसके लोग
प्राथमिकता पा रहे थे | आज हर पार्टी अम्बेडकरमय हो गई है | जो लोग अम्बेडकर की
निंदा करते थे आज उनके भक्त हो गए हैं | आज मोदी साहब कह रहे हैं कि यदि स्वयं
अम्बेडकर साहब जन्म लेलें तथा आरक्षण को समाप्त करने की मांग करें तो भी आरक्षण
समाप्त नहीं होगा | 'Worshipping False Gods' नामक पुस्तक के लेखक जिन्होंने
अम्बेडकर को पानी पी पी कर कोसा था उन अरुण शूरी को भाजपा सरकार में कैबिनेट
मंत्री बनाया गया किन्तु दलित्ब शक्ति का उत्थान देख कर भाजपा ने u turn लिया तथा
अब कहीं भाजपा के मंच पर अरुण शौरी को आमंत्रित तक नहीं किया जाता | अखिलेश सरकार
में IAS/IPS की posting list मंगा लीजिये तथा उसकी तुलना मुलायम सिंह तथा मायावती
सरकार में महत्वपूर्ण पद पर बैठे लोगों से कीजिये तो जितनी मात्रा में आज मायावती
सरकार के चहेते स्थापित हैं उतनी मात्रा में मुलायम सरकार के प्रिय लोगों को जगह
नहीं मिली है | मायावती 5 साल सरकार चला चुकी | कई बार कुर्सी पर बैठ चुकी | आगे
क्या होगा प्रभु जाने | किन्तु सर्वे रिपोर्ट वाले मायावती को रेस में आगे घोषित
कर रहे हैं | चौराहों पर चाय की दुकानों पर बैठ जाइए - छुटभैय्ये चर्चा करते मिल
जायेंगे - मायावती आ रही है |
मायावती इस स्थिति पर कैसे पहुंची
? उन्होंने दलितों की एकता का प्रयास न करके दलितों का महाभारत किया | प्रारंभ में
वे दलितों को नहीं समझा पाई कि कांग्रेस उनकी दुश्मन कैसे है | गाँधी जी कितने प्रेम से 'हरिजन' कहते थे दलित तर्क करता
था | किन्तु आज दलित की समझ में आ गया है कि 'हरिजन' एक असंसदीय शब्द है तथा इसका
अविष्कार गांधी ने दलितों का मजाक उड़ाने के लिए तथा उन्हें अपमानित करने के लिए किया
तथा वह मायावती के इस उद्गार से सहमत है कि 'गाँधी शैतान की औलाद थे |' यदि ऐसा न
होता तो वह मायावती को वोट क्यों देता | मायावती ने दलितों को समझाया कि जो जगजीवन
राम तथा महावीर प्रसाद इस आंकड़े पर ताली बजाते हैं कि कोई निरक्षर दलित भी सरकारी
नौकरियों का इच्छुक नहीं है, वह कांगेसी दलित, गाँधीवादी दलित तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन है | बसपा बहुत
कम वोट पाई -1000 - 500 तथा कहीं उससे भी कम | कई जगहों पर पर्चा भरने के लिए
प्रत्याशी भी नहीं मिले | पर थोड़े से दलितों की समझ में जब आ गया कि कांग्रेस उनकी
दुश्मन है, तो कांग्रेस 89 में धराशाई हो गयी - भले ही बसपा न आई हो | दलितों को
एक झटका लगा - मुलायम सिंह आ गए | पर कांग्रेस के धराशायी होते ही अवसरवादी तत्व
भाग गए तथा विकल्प के रूप में उसकी गणना बंद हो गई तथा धीरे - धीरे और जर्जर होती
चली गई | बिना कच्चे मकान को गिराए हुए उसी जमीन पर पक्का मकान नहीं बन सकता -
चाहे हमें उस कच्चे मकान से कितना ही प्यार क्यों न हो | बिना भीष्म और
द्रोणाचार्य को रास्ते से हटाये हुए हम दुर्योधन की जांघ नहीं तोड़ सकते तथा न ही
हम दुःशासन की छाती का लहू पी सकते हैं | यही हाल आज हमारा है | मनुवादी पार्टी
वोटकटवा नहीं है | यह आरक्षण विरोधियों का उस प्रकृति का संगठन है, जिस प्रकृति का
संगठन दलितों में 89 में बसपा थी | 2017 में हम उस स्थिति से मजबूत स्थिति में
होंगे जिस स्थिति में 1989 में बसपा थी | बसपा दिख नहीं रही थी, गपशप में थी, अधिकांश
सीटों पर जमानत नहीं बचा पाई, पर कांग्रेस को गायब कर दिया | सारा दलित बसपा के
साथ नहीं था | जितना दलित प्रारंभ में बसपा के साथ था, उतना या उससे अधिक आरक्षण
विरोधी हमारे साथ है | अगर हम 5% आरक्षण विरोधियों का भी brainwash कर पाए कि 'आरक्षण
मुक्त भारत' की पहली सीढ़ी है 'भाजपा मुक्त भारत/कांग्रेस मुक्त भारत/सपा/बसपा के
सवर्णों से मुक्त भारत' तो भाजपा/कांग्रेस/सपा/बसपा के सवर्णों की वही स्थिति होगी
जो 1989 में कांग्रेस की हुई | यह कल्पना नहीं है | यह हम बिहार में प्रदर्शित कर
चुके हैं | हम इसे UP में प्रदर्शित कर लेंगे | विहार में जब अधिकांश सर्वे कांटे
की टक्कर मान रहे थे तब हमने चुनाव परिणाम आने के पहले इसी फेसबुक पर घोषणा की थी
कि भाजपा का बिहार में सफाया हो रहा है तथा हमारी भविष्यवाणी सही सिद्ध हुई |
बिहार में केवल मुख (तिलक) का निर्माण हो पाया था आज काफी हद तक बाहें (तलवार) बन
चुकी है तथा 2017 के चुनाव के पहले हमारी बाहें मुख की तरह पूर्ण विकसित हो चुकी
होंगी | हमारा प्रयास है कि तब तक जांघ (तराजू) का निर्माण भी पूर्ण हो जायेगा
किन्तु हम बडबोलापन नहीं करना चाहते | केवल मुख/तिलक के बूते हम UP में बिहार को
दुहरा लेंगे तथा जैसा संभावित है बाहों (तलवार) के विकसित होने की स्थिति में हम
उससे भी वीभत्स स्थिति पैदा कर लेगे | जांघो/तराजू | का विकास कर लेने पर तो चुनाव
परिणाम देखने की आवश्यकता ही नहीं होगी |यह शंका सही है कि हम सत्ता में नहीं
आयेंगे तथा मनुवाद को ताल ठोकने वाले सत्ता में होंगे किन्तु यह वही स्थिति होगी
जो 1989 में बसपा ने बना डाली थी | कांग्रेस का विकराल साम्राज्य ढहा पड़ा था | जिन
अवसरवादी सवर्णों को भाजपा/कांग्रस/बसपा/सपा ने संसद/विधानसभा का टिकट दे रक्खा है
वे थोक के भाव भाग रहे होंगे | बिहार में चुनाव का परिणाम आते ही श्री A. K. Singh
श्री शत्रुघ्न सिन्हा तथा कीर्ति झा आजाद जैसे तमाम लोगों की वाणी में दम आगया |
UP के पतन के बाद ये स्वर और मुखर होंगे तथा इसके बाद जब 2017(2) में मेयर तथा
सभासद के चुनाव में जब शहरी छेत्र में भी भाजपा/कांग्रस/सपा/बसपा/ के सवर्ण निपट चुके
होंगे उस समय नेता कहीं चले जायें आरक्षण विरोधियों का दो तिहाई हिस्सा मनुवादी
पार्टी की ONLINE सदस्यता लेने के लिए किसी न किसी Cyber कैफे पर खड़ा होगा | कैसे
जिन्ना ने मुस्लिम वोट बैंक को आजादी के पहले कब्ज़ा किया था तथा कैसे मुलायम और
मायावती ने आजादी के बाद अपना वोट बैंक बनाया इसकी समीक्षा करते हुए हम अगले लेख
में वर्णन करेंगे | 2019 के चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होगा - सपा बसपा तथा
मनुवादी पार्टी में | 2022 के चुनाव में हम कैसे अपने पैरों का भी विकास कर लेंगे
तथा कैसे विराट पुरूष अपना पूर्ण स्वरुप ग्रहण कर लेगा तथा हम पूर्ण बहुमत बना
लेंगे - बिना किसी धरना के बिना किसी प्रदर्शन के बिना किसी ज्ञापन के बिना किसी
हिंसा के | हिंसा तथा आन्दोलन का त्याग करके गप शप की मनुवादी शैली को अपनाने के
लिए गुजरात के पटेलों तथा हरियाणा के जाटों को ब्रेनवाश किया जा रहा है | अगले दो तीन
लेखो में इस पर विस्तृत चर्चा होगी तथा अंतिम क़िस्त में हम इस पर चर्चा करेंगे कि
कैसे हम समस्त पार्टियों को अपने विकराल रूप में समाहित कर लेंगे | क्रमशः...
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