मनुवादी
पार्टी ही क्यों ? - 4
मधु मिश्र के नाम खुला ख़त
जानि गरल जे संग्रह करहीं |
कहहु उमा ते कस नहिं मरहीं ||
मधु मिश्र - भारतीय जनता पार्टी की सुस्थापित नेत्री | अभी हाल में पार्टी से
बाहर कर दी गईं | क्या कहा - क्यों कहा - अलग प्रसंग है | अज्ञानता के नाते ऐसा
हुआ होगा क्योंकि मनुवादी पार्टी का कोई कार्यकर्ता ऐसा सोच भी नहीं सकता है |
मनुवादी पार्टी की यह मान्यता है कि यदि बहन मधु मिश्रा जी जूता पुंछवाते- पुंछवाते
चप्पल पोंछने वाली की हालत में आ गईं , तो इसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार हैं -
उन्ही जैसे लोगों की वजह से शेष द्विजों को भी जूता पोंछना पड़ रहा है | कैसे ?
इसका उत्तर गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में दिया है -
जानि गरल जे संग्रह करहीं |
कहहु उमा ते कस नहिं मरहीं ||
अर्थात - हे उमा ! जो जान - बूझकर विष का संग्रह करेंगे , यह कैसे संभव है कि
वे मृत्यु को न प्राप्त हों | मधु मिश्रा और उनके जैसे करोड़ों भाई बहनों ने जान -
बूझकर दशकों से विष का संग्रह किया है | इस लेख में मै यह स्पष्ट कर देना चाहता
हूँ कि जिस मंच पर मधु मिश्रा बोल रही थीं तथा जो श्रोता सुन रहे थे , उनकी
दुर्दशा के लिए दलित और पिछड़े जिम्मेदार नहीं हैं , बल्कि स्वयं उस सभा के वक्ता
और श्रोता जिम्मेदार हैं | इसके बाद वर्णन होगा कि मधु मिश्रा तथा उनके जैसे लोगों
के राजनैतिक पापों का प्रायश्चित क्या है ? इनका उद्धार कैसे होगा ?
हमें मधु मिश्र की अबोधता पर दया आ रही है | उनके सामने निम्नलिखित 3 विकल्प
थे -
1. या तो उन्हें भाजपा की सदस्यता से त्यागपत्र दे देना चाहिए था |
2. अन्यथा किसी ब्राह्मणों की सभा में जाने का विचार छोड़ देना चाहिए था | किसी
भाजपाई ब्राह्मण का ब्राह्मणों की सभा में जाना वैसे ही मजाक है जैसे नकवी साहब का
देवबंद में बुलाई गई मुस्लिमों की मजलिस में जाना | जब देवबंद ने यह फतवा दे दिया
कि भारत माता की जय कहना इस्लाम के विरूद्ध है तथा इस्लाम के असली प्रतिनिधि ओवैसी
हैं तो नकवी जैसे लोगों को मान लेना चाहिए कि वे उस प्रकार के मुसलमान हैं जैसे
रहीम और रसखान थे तथा इस्लामी जगत इन जैसों को ' मुनाफिक ' मानता है जो काफिरों से
भी बुरा है | नकवी साहब को यदि मुसलमानों की मीटिंग करनी ही है , तो इस शौक को
पूरा करने के लिए राष्ट्रवादी मुसलामानों की एक अलग मीटिंग बुला लें - देवबंद के
नमाजियों के बीच जाने की क्या आवश्यकता है | शाहनवाज तथा नजमा हेफ्तुल्ला तथा '
भारत माता की जय ' तथा ' वन्देमातरम ' बोलने वाले मुसलमानों को बुलाकर फूलमाला से
स्वागत करा लें तथा एक दूसरे को राष्ट्रवादी कहकर आत्मसंतुष्ट हो लें | भयग्रस्त
आमिर खान तथा सशंकित सलमान खान भी उस मीटिंग में जा सकते हैं | इसी प्रकार जब मोदी
ने कह दिया कि ' यदि अम्बेडकर साहब फिर से धरती पर पैदा हो जाएँ तथा यह मांग करें
कि आरक्षण समाप्त हो जाए , तो भी हम ( मोदी & Co.) आरक्षण को समाप्त नहीं
करेंगे | ' तो उसी समय मधु मिश्र को स्पष्ट हो जाना चाहिए था कि मोदी तो मायवती
तथा मुलायम से भी अधिक खतरनाक है | कम से कम इतना कड़ा वक्तव्य जारी करने की हिमाकत
मायवती नहीं कर सकती | यदि अम्बेडकर साहब वास्तव में धरती पर आ जाएँ तो उनके आदेश
को मायवती भरसक नकार नहीं पाएंगी तथा यदि नकारेंगी भी तो नकारने के पहले सौ बार
सोचेंगी | मुलायम को यदि पूर्ण विश्वास हो जाए कि ब्राह्मण हमें उस मात्रा में तथा
उस तरह आँख मूंदकर वोट देगा जैसे उसने मोदी को दिया था तो मधु मिश्र की एक ललकार
पर मुलायम सिंह एक लाख बार - एक करोड़ बार - स्टेट गेस्ट हाउस काण्ड के स्टैण्डर्ड
का हल्ला बोल करने के लिए इस बुढापे में भी तैयार हो जायेंगे जैसे उन्होंने
अयोध्या में किया था जब उन्हें मुस्लिम वोट मिलते दिखे थे | यही स्थिति मायावती की
है | सतीश मिश्र तथा रामवीर उपाध्याय द्वारा दिलाये गए चिल्लर वोटों के एवज में उन्होंने
सर्वाधिक टिकट ब्राह्मणों को संसद में दिए तथा उ.प्र. लोक सेवा आयोग में
आर.के.तिवारी जैसे चेहरे दिखने लगे | फुटकर वोट के लिए उन्होंने समाज शास्त्र का पोस्टग्रेजुएसन
अपने भाषणों से राजनीति की पाठशाला में उदितराज को करा दिया तथा वे ' जस्टिस
पार्टी ' के दिवास्वप्न छोड़कर सीधे भाजपा की गोद में गिरे | यदि उन्हें मधु मिश्र
तथा उनके समाज का थोक वोट बैंक मिलता दिखता तो मायवती जी उदितराज को समाजशास्त्र
की पी.एच.डी करा देतीं तथा वे प्रतिभाशाली तो थे ही - अनायास तो IAS Etc.
प्रतियोगिता में सफलता नहीं पाई होगी - पूरी की पूरी मनुस्मृति उन्हें कंठस्थ हो
गई होती | यादवों तथा मुसलमानों में जब कन्नौज में संघर्ष हुआ तो मुलायम सिंह जी
तथा उनके पुत्र अखिलेश जी ने यादवों को समझाया तथा मुसलमानों का साथ दिया |
3. तीसरा विकल्प यह था कि आप स्वयं कोई आरक्षण विरोधी मोर्चा बनाती अथवा जो
मोर्चे पहले से चल रहे थे उनमे से जिसकी कार्यप्रणाली तथा जिससे जुड़े लोगों का
व्यक्तित्व आपको पसंद आता उसमे शामिल हो जातीं अथवा किसी अन्य आरक्षण समर्थक दल
में यदि रहतीं तो भाजपा और कांग्रेस के ब्राह्मणों की तरह सिद्धांत न बघारती बल्कि
ब्राह्मणों का वोट पाने के लिए दीवारों पर उस तरह के नारे लिखवाती जैसे कुछ लोग
लिखवाते हैं |
( पत्थर रख लो छाती पर |
बटन दबाओ ........ )
किन्तु मधु मिश्र जी ! आपके कर्म क्या हैं जो आप ब्राह्मण समाज से सहानुभूति
की उम्मीद करती हैं | आपने उस भाजपा को वोट दिलाया जिसने -
1. कमलेश तिवारी को जितनी भयंकर सजा मिली , उसकी 1% सजा भी उन लोगों को नहीं
दिलाई जिन्होंने माँ दुर्गा को इतनी गन्दी गालियाँ दी जिनका वर्णन करने में लेखनी
शर्मा रही है , दिमाग पागल हो जा रहा है | एक साधारण धारा का मुकदमा तक नहीं लिखा
गया |
2. उस भाजपा को मधु जी आपने वोट दिलाये जिस भाजपा ने राम के पूर्वजों के
स्मारकस्वरुप विद्यमान ' मनुस्मृति ' जलाने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं की |
3. आप उस भाजपा की प्रतिनिधि थीं जिसमे अनुपम खेर जैसे लोगों को राष्ट्रभक्त
समझा जाता है तथा उन्हें पद्मपुरस्कार से सम्मानित किया जाता है , जो समस्त
मर्यादा की सीमाओं को लांघकर योगी आदित्यनाथ , सुब्रमणयम स्वामी तथा साध्वी प्राची
के विरुद्ध विष वमन करते हैं |
4. आप उस भाजपा की पदाधिकारी थीं जिसने भारत माता के टुकड़े करने का नारा देने
वालों के दमन के लिए JNU में घुसने की हिम्मत नहीं की किन्तु जिसकी साझे की सरकार
ने वन्दे मातरम् कहने वालों तथा भारत माता की जय बोलने वालों को पीट - पीटकर
बुराहाल कर दिया | कैबिनेट के सामूहिक जिम्मेदारी होती है | यह संविधान में लिखा
है | PDP की हर हरकत के लिए भाजपा जिम्मेदार है |
5. आपने उस भाजपा को वोट दिलाया जिसने माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रोन्नति
में आरक्षण तथा बैकलाग के फैसले को असंवैधानिक घोषित किये जाने के बावजूद संविधान
में संशोधन का प्रस्ताव आदरणीय अटल जी के नेतृत्व में पेश किया तथा हजारों सामान्य
जाति के लोगों के हितों की बलि चढ़ा दी गई | आप गोत्र वध की अभियुक्ता हैं , दया की
पात्र नहीं हैं | सुप्रीम कोर्ट का फैसला था कि चलो आरक्षण के तहत नौकरी दे दी गई
, किन्तु जब दो लोग एक ही तिथि को एक ही विभाग में एक ही वेतन पर एक ही प्रकार का
कार्य करने के लिए नियुक्त हुए तो प्रोमोशन में रिजर्वेशन का कोई औचित्य नहीं है |
राम जन्मभूमि के मुद्दे पर भाजपा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की बात करती है , किन्तु
आरक्षण के मुद्दे पर माननीय सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भाजप को स्वीकार नहीं तथा वह
संविधान में ही संशोधन ला देती है | आज जो लोग आपकी दृष्टि में आपसे चप्पल साफ़
करवाने लायक हो गए हैं , उसके जिम्मेदार माननीय अम्बेडकर साहब नहीं हैं , उसके
जिम्मेदार नेहरु और अटल हैं | उसी हरकत का वादा मोदी कर रहे हैं | एक कदम और आगे
बढ़कर पासवान private sector में reservation की बात उठा रहे हैं | जमींदारी चली गई
, खेती में सीलिंग हो गई , पाण्डित्यकर्म में गुजारा मुश्किल है , छोटी खेती रह गई
जो अलाभकर है - कागज़ में भले ही बहन मधु मिश्रा जी ! आपके भाई - भतीजे के नाम खसरा
- खतौनी में हों , पर यथार्थ में उनकी खेती बटाई पर जा चुकी है तथा वे पलायन की
स्थिति में हैं | बेटों की पढ़ाई के नाम पर शहर भागने की होड़ है | गाँव में गुजारा
नहीं है | इसी सन्दर्भ में कहा गया है कि जब घोर कलियुग आएगा , तो ब्राह्मणों का
अदर्शन हो जायेगा ( Brahmins will become extinct ) | ब्राह्मण सभाओं में आप जैसे
वक्ता अनायास दलितों को कोसते हैं | ब्राह्मणों के पतन के मुल्जिम अम्बेडकर नहीं
है , नेहरु अटल और मोदी हैं | अम्बेडकर साहब ने बड़ी अच्छी व्यवस्था की थी कि 1950
+ 10 = 1960 के बाद आरक्षण 0% हो जायेगा | इसको 10 वर्ष का extension संविधान बदल
कर भारत के हर प्रधानमन्त्री ने दिया | अटल जी ने तो हद ही कर दी | न केवल 10% का
extension दिया बल्कि promotion में reservation तथा backlog का कानून भी बना दिया
| ' जिसकी जूती , उसी का सर ' जिसका वोट भाजपा ने लिया , उसी का विनाश करने के लिए
संविधान बदल दिया | फिर भी आपने भाजपा के लिए वोट माँगा | ब्राह्मण समाज के साथ
इतना बड़ा छल आप जैसे लोगों ने किया , जिसका परिणाम समाज भुगत रहा है | आज बच्चे
यदि जूते साफ़ करने की हालत में पहुँच रहे हैं , तो इसकी जिम्मेदारी आप जैसे लोगों
पर है | हमारा भविष्य अम्बेडकर साहब ने संविधान में उज्जवल बनाया था , नेहरु , अटल
तथा मोदी जैसों ने भावी पीढ़ी का भविष्य चौपट कर दिया | क्रमशः.....
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