मनुवादी पार्टी ही क्यों ? (भाग - 3)
(5) आर्थिक शोषण की कोई गुंजाइश मनुवाद में नहीं है | हम उनके वंशज हैं
जिन्होंने खेती नहीं किया - खेती कुर्मी ने किया किन्तु हमने पंजीरी खाई तथा खिलाई
- और तो और अग्नि देवता, कुत्ते, बिल्ली, गाय चींटी सबको खिलाया | गाय का गोबर
किसी ओर न फेंका, किन्तु हमने चरणामृत पिया और पिलाया | अग्नि देवता तक में अन्न
और घी की आहुति दी | दूध, शहद, घी से भगवान शंकर का अभिषेक किया | क्यों ? क्यों
कि हम शोषक नहीं हैं | अगर हमने गंगा तट पर दक्षिणा ली, तो नियम बनाया कि दूध घी
माँ गंगा को चढ़ेगा, चाहे कितना भी पानी मिला हो | अहीर को समझ में आया | उसने माँ
गंगा तथा ब्राम्हण देवता को प्रणाम किया | माली को भी लाभ दिखा - उसका फूल बिका |
उसने भी अहीर की भांति गंगा स्नान किया तथा दक्षिणा दी | नाई को गोलवंदी में लिया
कि बाल, दाढ़ी छिलवाये वगैर पूरा पुण्य नहीं मिलेगा | कुछ पाप बालों में चिपक कर बच
जायेंगे | नाई भी खुश | कपड़े भी चढ़ने हैं | पूजा में मिठाई फल - सबकी आवशयकता पड़ी
| ये permanent दुकान लगाने लगे | कल्पवास बना दिया - साग
सब्जी दवा आदि के तमाम दूकानदार अमीर होते गए | यदि सारी दक्षिणा पंडित जी ले
लेते, तो भीड़ न होती - कुछ न मिलता | बाँट कर खाना हमारी परम्परा है - सह नौ भुनक्तु
| अकेले खाने पर cholestrol बढ़ता है, heart attack होता है | इस मकड़ जाल में हमने
समाज को ऐसे उलझा दिया कि विश्व में किसी भी धर्म के धार्मिक आयोजन में महाराज मनु
की जयंती जितनी भीड़ नहीं होती है | माघ की मौनी अमावस्या ही मनुस्मृति के प्रणेता
मनु का जन्मदिन है | हम मनुवादी को आज की पार्टी नहीं मानते | वह सनातन है जैसे
भाजपा = जनसंघ etc वैसे ही मनुवादी पार्टी मौनी अमावस्या को अपने स्थापना दिवस के
रूप में मानती है | करोड़ों लोग प्रयाग तट पर आते हैं | जो नहीं आ पाते, निकटस्थ
सरोवर या नदी या कम से कम कुएं पर ही दो बूँद गंगाजल डालकर नहाते हैं | यही हमारी सभ्यता संस्कृति है,
हमारी जीवन शक्ति है |
यह केवल इतिहास की गर्वोक्ति नहीं
| इतिहास आज भी अपने आप को दोहरा रहा है | महामहिम मोतीलाल बोरा जी के समय में
मायावती के कार्यकाल से पहले जिस रेट पर जिस फर्म से फ्लोटोपम्प खरीदे गए थे तथा
पूरा का पूरा पेमेंट करा दिया गया था उसी रेट पर उसी फर्म से मायावती जी के कार्यकाल
में फ्लोटोपम्प खरीदे गए किन्तु मायावती जैसी दिग्गज महिला पेमेंट नहीं करवा पाई -
उसमे सी. बी. आई. जाँच हुई | किसी ने आत्महत्या की, तो कुछ का मीडिया ट्रायल हुआ |
बिना एक पैसे पाए कितनी दुर्गति नेताओं तथा अधिकारियों ने झेली - अकल्पनीय है |
क्यों ? इसका अंतर पिछले पैराग्राफ में संकेतों में दे चूका हूँ | खुलकर कुछ कहना
मर्यादा के विरूद्ध होगा |
क्रमशः ...
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