एतद्देशप्रसूतस्य - VIII
Vishnu Sharma lecture series of Manuwadi Party (Vishnu Sharma was the writer of Panchtantra, the classic on political training to princes)
Vishnu Sharma lecture series of Manuwadi Party (Vishnu Sharma was the writer of Panchtantra, the classic on political training to princes)
Training syllabus for CM. UP.
मुलायमवाद क्या है
मुलायम दर्शन
मार्क्स, गाँधी, अम्बेडकर, लोहिया,
संघपरिवार तथा मुलायम सिंह यादव की विचारधारा के दार्शनिक पहलू : एक तुलनात्मक विवेचन
मुलायम दर्शन
मार्क्स, गाँधी, अम्बेडकर, लोहिया,
संघपरिवार तथा मुलायम सिंह यादव की विचारधारा के दार्शनिक पहलू : एक तुलनात्मक विवेचन
मुलायम सिंह को एक नेता के रूप में, एक संगठनकर्ता के रूप में, एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री/रक्षामंत्री
के रूप में, एक मित्र के रूप में, एक संरक्षक के रूप में बहुत से लोग जानते हैं
किन्तु उनके दार्शनिक रूप पर बहुत कम चर्चा की जाती है, किस तरह लोहिया ने
मार्क्सवाद को बदला तथा किस तरह मुलायम सिंह यादव ने लोहियावाद को नए आयाम दे कर
मुलायमवाद की दार्शनिक विचारधारा को स्थापित किया - इस पहलू की चर्चा पर्याप्त रूप
से नहीं हुई है | मुलायम सरकार की जो कमजोरियां गिनाई जाती हैं, वही उनकी शक्ति
है, वही उनकी विचारधारा है, वही उनकी जीवनी शक्ति है - जबान धोखे में नहीं फिसलती
है चाहे हल्लाबोल के बारे में उद्गार हो, प्रेस के बारे में सीधी कार्यवाही हो,
बलात्कार के बारे में उद्गार हो या कृत कार्यवाही हो - फूलनदेवी, मित्रसेन यादव के
बारे में उनके निर्णय हों, अतीक के प्रति सम्मान प्रदर्शन हो, विजयशंकर पाण्डेय
द्वारा अभियान चलाकर महाभ्रष्ट घोषित कराये गये अधिकारियों का महिमामंडन हो, 'जाति
तोड़ो' का नारा देने वाले लोहिया को भुला कर जातिवाद की धुरी बनाकर उसका सदुपयोग
हो, वंशवाद को जीवन भर गाली देने के वावजूद - राष्ट्र की राजनीति में सबसे बड़े
वंशवाद की स्थापना हो, जीवन भर लोहिया के मंच पर चढ़कर जनेऊ तोड़ने वाले जनेश्वर
मिश्र तथा उनके चेलों को पारदर्शी कुर्ते के भीतर पीले जनेऊ पहनकर बहार से झलकाने
का निर्देश हो, राज्यसभा में बैठाकर गमले का फूल बना दिए गए जनेश्वर मिश्र के नाम
पर मरणोपरांत विकराल पार्क बनाने का मामला हो, बनियों को चोर कहना छोड़कर
सुरेन्द्रमोहन अग्रवाल के जमाने से व्यापारियों तथा उद्योगपतियों से हाथ मिलाने की
शुरुआत हो - सैफई महोत्सव जैसे आयोजनों में एक सामंती संस्कृति का समावेश हो, - ये
तथा तमाम ऐसी घटनाएँ आकस्मिक उदगार, निर्णय या घटनाएँ नहीं हैं - ये सुविचारित
रणनीति का परिणाम हैं | ये किस प्रकार 'मुलायमवाद' का - 'मुलायम - दर्शन' का सृजन
करती हैं - इनके पीछे क्या सोच है - मुलायम किस प्रकार मात्र एक राजनेता न होकर एक
दार्शनिक चिंतक तथा उनको लागू करने वाले भी हैं - यही इस लेखमाला का वर्ण्यविषय है
| मार्क्स केवल एक चिन्तक मात्र बनकर रह गए किन्तु लेनिनवाद, स्टेलिनवाद, का प्रतिपादन
तथा लागू करने वाले तथा बुल्गानिन ख्रुस्चैव, कोसिजिन, ब्रेझनेव, गोर्बाच्योव तथा
येल्तसिन - शेष नेताओं से भिन्न हैं, ये न केवल शासक हैं बल्कि एक चिन्तक भी हैं -
चाहें हम उनसे सहमत हों या न हों | जैसे माओ जैसे लोग न केवल कार्यक्रम लागू करते
हैं, बल्कि एक दर्शन का प्रतिपादन करते है - जैसे चाणक्य तथा पतंजलि ने प्राचीन
काल में किया - वही महान कार्य इस युग में मुलायम सिंह ने करके दिखाया है | बिना
उसके दार्शनिक चिंतन का विश्लेषण उनका मूल्यांकन उनके साथ अन्याय होगा | क्यों
लोहिया असफल हुए तथा मुलायम सिंह सफल - क्यों अम्बेडकर असफल हुए तथा मायावती सफल
हुईं, क्यों जयप्रकाश नारायण सफल होकर भी अन्ततोगत्वा असफल रहे, क्यों वी.पी. सिंह
हवा में उड़ गए - उनके जीतेजी उनके बेटे को रामविलास की पार्टी से तथा वह भी यू.पी.
के फतेहपुर में जमानत गवाँकर कांग्रेस का शरणागत बनने को विवश होने की नौवत आई -
क्यों अन्ना हजारे, योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण हवा - हवाई साबित हुए तथा
केजरीवाल जननायक बनकर उभरे - क्यों मार्क्स साम्यवादी शासन की स्थापना नहीं कर पाए
- क्यों गाँधी की संताने चुनाव में उतरने पर भी प्राय: हारती रहीं - क्यों मेनका
सोनिया के सामने टिक नहीं पाई, क्यों हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों में धाराप्रवाह
बोलने में अक्षम नेहरू की वंशावली की सोनिया गांधी दस साल तक प्रधानमंत्री तथा अब
भी नेता विपक्ष से दरबार करा रहीं हैं - इसका विश्लेषण किये बगैर मुलायम तथा
भारतीय इतिहास में उनके योगदान का समुचित मूल्यांकन नहीं हो सकता है| दुर्भाग्य है
कि राजेंद्र चौधरी जैसे चेले मुलायम की विचारधारा को, उनके बलात्कार संबंधी बयान
को अनधिकृत रूप से संशोधित करके कहते हैं कि मुलायम का ऐसा आशय नहीं था - वे गलत
रूप से समझे जा रहे हैं| रक्षात्मक रूप से चेले बात करते हैं - वे समाज के सामने
मुलायम के दर्शन को प्रस्तुत करते समय हीन भावना से बात करते हैं| अभी यह विवादास्पद
लगेगा किन्तु मेरी लेखमाला को संपूर्णता में पढ़ने के बाद ही इस पर अंतिम निर्णय
लें - तब तक सहमति/असहमति व्यक्त करें, आलोचना करें |
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