Monday, 11 April 2016

कश्मीर का NIT प्रकरण : एक विश्लेषण
श्यामा प्रसाद मुखर्जी हम शर्मिन्दा हैं
जनसंघ नहीं अब जिन्दा है |
लोहिया का सपना अब पूरा हुआ
'सत्ता की चासनी चटाकर जनसंघ की अंत्येष्टि कर दो'
श्यामा प्रसाद मुखर्जी की दुबारा हत्या हुई
हाय गुरू जी गोलवलकर ! 'नमक का स्वाद जाता रहा, कैसे नमकीन करोगे'
      लोहिया ने जनसंघ के बारे में एक ऐसी भविष्यवाणी की जो कश्मीर में 'भारतमाता की जय ' बोलने वालों पर लाठी चार्ज के साथ 100% प्रमाणित हो गई | यों तो 1977 बैच के किसी I.P.S. अधिकारी से या स्टाफ मेंबर से या यदि स्मृति साथ दे रही हो, तो स्वयं अटल जी से कोई पूंछ ले कि जब मैं I.P.S. का प्रशिक्षण ले रहा था, तो सार्वजनिक रूप से अटल जी ने जब प्रश्नों को निमंत्रित किया था, तो मैंने क्या प्रश्न पूंछा था तथा उन्होंने क्या उत्तर दिया था | अटल जी उस समय इस देश के विदेश मंत्री थे तथा मैं एक probationer I.P.S. Cadet | पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए अटल जी पाकिस्तान जाने वाले थे | मैंने पूछा कि 'आप जनसंघ के एक मूर्धन्य व्यक्तित्व थे' | गुरू जी गोलवलकर लिखते थे कि 'अपने ही देश का वह भाग जिसे कुछ लोग पकिस्तान भी कहते हैं' | गुरु जी कभी भी पाकिस्तान को अपने विचारों में मान्यता नहीं दिए तथा 'अखंड भारत' की अवधारणा से विमुख नहीं हुए | आज भी अखण्ड भारत की बात तो छोड़िये, कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर पकिस्तान का अनधिकृत कब्ज़ा है | बिना उस कब्जे को छोड़े यदि आप मुस्कराते हुए पकिस्तान के शासकों से हाथ मिलाये और भोजन किया, तो क्या स्वर्गलोक में प्रातः स्मरणीय श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी की आत्मा सिसक - सिसक कर नहीं रोएगी |' जनक की राज सभा में लक्ष्मण के उद्गार सुनकर जो दशा नागरिकों की हुई थी, लगभग उसी मनोदशा में सारे वरिष्ठ अधिकारी आ चुके थे -
थर - थर काँपहि पुर नर नारी
छोट कुमार खोट अति भारी
मेरे डायरेक्टर श्री राजदेव सिंह की मुझ पर असीमकृपा थी | उनकी स्तब्ध आँखों को देखकर मैं भी विचलित हुआ तथा समझ में नहीं आता था कि धरती फट जाये या आसमान निगल जाये |
मैं अपने लिए नही चिंतित था कि मेरा क्या होगा | किन्तु पिता के बाद यदि किसी का सर्वाधिक स्नेह हमें मिला तो हमारे डायरेक्टर श्री राजदेव सिंह का था | जब मुझे बुलाते थे, तो उतनी समय यदि किसी DIG से भी वार्ता उनकी हो रही हो, तो protocol को तोड़ कर उन्हें बगल के कक्ष में प्रतीक्षा को कह कर काफी लम्बी वार्ता करते थे | मैंने सुन रखा था कि वे डायरेक्टर CBI बनने वाले हैं | उनका स्तब्ध चेहरा देखकर  मैं सकते में आ गया कि कहीं मेरे इस प्रश्न से उनके Director की posting/promotion में कोई बाधा तो नहीं आएगी | संयोग से ऐसा नहीं हुआ | वरना मैं अपने को माफ़ न कर पता | अटल जी का व्यक्तित्व वटवृक्ष की तरह विकराल था | दो मिनट तक तो वे अवाक् रह गए | Pin drop silence पसरा हुआ था | दो मिनट बाद बिना किसी क्रोध/आवेश के सधा हुआ, उत्तर दिया - 'अखण्ड भारत जनसंघ के एजेन्डे में था जो अब समाप्त हो गई है | प्रयाग पहुंचते - पहुंचाते यमुनाजल - गंगा जल में परिवर्तित हो जाता है | अब मैं जनता पार्टी के एजेंडे का कार्यान्वयन कर रहा हूँ | इसी क्रम में मेरी पाकिस्तान यात्रा प्रस्तावित है |'
      मेरे ओठ सवाल जवाब के लिए बुदबुदा भी नहीं पाए | डायरेक्टर साहब का स्तब्ध तथा अन्य अधिकारीयों का सहमा हुआ चेहरा देखकर मेरे ओठ बुदबुदाने तक की मुद्रा में नहीं आ पाए, बोलना तो दूर की बात है | परन्तु अटल जी से सारे मतभेदों के वावजूद तथा चिंतन की भिन्न धाराओं के बाबजूद मैं उनके आगे आजीवन नतमस्तक हो गया, जब उन्होंने कहा - 'तुम्हारा प्रश्न पत्रकारिता का पुट लिए तथा राजनीतिज्ञ की जिह्वा से निर्गत सा लगता है | तुम्हारे चेहरे से लगता है तुम कुछ प्रतिक्रिया देने जा रहे हो, पर तुम्हारे होठ बुदबुदा तक नही रहे | क्यों सहम गए ? मैं तानाशाह नहीं हूँ | अपने अंतर्मन में जो उद्गार है उन्हें व्यक्त कर दो वरना मैं तुम्हारे Director के बारे में poor opinion बनाऊंगा कि वे तुममें निर्भीकता का संचार नहीं कर पाए - एक वरिष्ठतम सेवा में आये हो - Muster Courage|' इसी बीच Director श्री राजदेव सिंह के मुँह से निकला - 'Come on Suvrato, come on. Speak your heart' मेरा धैर्य वापस आया कि मैं किसी राजर्षि के सामने खड़ा हूँ | मैंने कहा - साहस था, किसी कारण से चला गया था, लौट आया, परन्तु अब मैं गद्द्य में न कह कर एक कविता सुनाना चाह रहा हूँ - आप संवेदनशील हैं स्वयं समझ लेंगे - मैं हल्दी घाटी के कुछ अंश उद्धृत करना चाहता हूँ जो स्वतः स्पष्ट है तथा आज के परिवेश के लिए ही मानो लिखा गया हों | प्रसंग है जब राणा प्रताप संधिपत्र लिखने को तैयार हुए, तो रानी ने उनका हाथ थाम लिया -
कह सावधान रानी ने
राणा का थम लिया कर
बोली अधीर पति से वह
कागद मसिपात्र छिपाकर
तू भारत का गौरव है
तू जननी सेवा रत है
कोई मुझसे पूछे तो
बस तू ही तू भारत है
मिट गए लाल गोदी के
तेरे अनुगामी होकर
कितनी विधवाएं रोतीं
अपने प्रियतम को खोकर
कह संधिपत्र लिखने का
तू है कितना अधिकारी
बन्दी माता के दृग से
जब तक आँसू है जारी
(इस पर अटल की आंखे पसीज गईं)
झाला सम्मुख मुस्काता
चेतक धिक्कार रहा है
असि चाह रही कन्या भी
तू आँसू भर रहा है
थक गया समर से यदि तो
अपनी तलवार मुझे दे
मैं चंडी सी बन जाऊं
अपनी करवाल मुझे दे |'
अटल जी ने मुझे उस दिन अपने बगल में बैठाकर भोजन कराया तथा बोले कि 'पिछले सारे संस्मरण मानस पटल पर अवतरित हो रहे हैं |'
      जब मैं अवकाश में घर आया तो पिता जी से बातचीत के दौरान यह घटनाक्रम सुनाया तो उनहोंने लोहिया के भाषणों का एक संग्रह मुझे पढने को दिया जिसका सारांश था कि 'जनसंघ को सत्ता की चासनी चटा कर उसकी अन्तेष्टि कर दो |'
      मैं भी हतप्रभ हो गया | 'जनसंघ एक पार्टी थी' सुनकर बड़ा shock लगा था | अब लगा कि यह कडवा सच है | 'जनसंघ' थी, 'है' नहीं | श्यामाप्रसाद मुखर्जी का बलिदान बह गया झेलम की तरंगों में |
      किन्तु वक्त ने करवट बदली | जनता पार्टी फट गई | भाजपा नए कलेवर में आई | सोचा कि जैसे दक्षकन्या रूप परिवर्तन कर 'शैलपुत्री' बन गई, वैसे ही जनसंघ भी भाजपा बन गई | फिर भाजपा का secular agenda दिखा - कुछ समझ में नहीं आया | तब तक रामजन्म भूमि आन्दोलन में भाजपा कूद पड़ी | लालकृष्ण अडवाणी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, विजयाराजे सिंधिया - धर्म योद्धा बनकर उभरे | लगा कि जनसंघ का पुनर्जन्म हो रहा है | कई राष्ट्रप्रेमियों में आशा का संचार हुआ | किंतु फिर वही ढाक के तीन पात | भाजपा फिर ढह गई | 'मोदी मोदी मोदी' सुनाई दिया | बेशक मोदी ने विकास का नारा दिया लेकिन जनता उन्हें गोधरा के हीरो के रूप में ही समझती रही | किन्तु सत्ता में आने के बाद 'हरामजादे' पर तो क्लास लगना समझ में आता था किन्तु चार बच्चे पैदा करने की बात भी न तो RSS पचा पा रहा था न भाजपा, जबकि इसमें कुछ भी अनुचित नहीं था | अनुपम खेर जैसे अवसरवादी राष्ट्रभक्तों की यह औकात होने लगी कि वे योगी आदित्यनाथ, सुब्रमण्यम स्वामी तथा साध्वी की गिरफ्तारी की मांग करने लगे | यह देखा गया कि भारत माँ के टुकड़े होने की बात करने वालों का JNU में दमन नहीं हुआ | पुलिस को VC के permission की आवश्कता पड़ रही थी entry के लिए | यह I.P.C. तथा Cr.P.C. में कहीं नहीं लिखा है कि विश्वविद्द्यालय Campus में police powers freeze हो जायेगीं | इसके विपरीत NIT में भारत माता की जय बोलने वालों को पुलिस ने बर्बर तरीके से पीटा | एक - एक बच्चे पर दस - दस पुलिसकर्मी टूट पड़े | हुर्रियत कान्फ्रेंस वाले तक दया करने जैसी बात करने लगे | जितना पति की पिटाई में कष्ट नही होता है , उससे अधिक कष्ट उस समय होता है जब सौत छुड़ाने की कोशिश करती है | कितनी बेशर्मी से बरिष्ठ नेताओं का बयान आया कि जाँच हो रही है | इससे सौ गुना छोटी घटनाओं पर S. P., D.M. का ट्रांसफर हो जाता है - इस्पेक्टर तथा CO suspend हो जाते हैं | आँसू पोछने तक की कार्यवाही नहीं की गई | chinese debacle के बाद नेहरू में कम से कम इतनी संवेदनशीलता थी कि उन्होंने स्वीकार किया कि ' we were living in artificial world of our own creation.' किन्तु इतना नैतिक सहस भी कोई नहीं जुटा पाया कि आंसू पोंछने के लिए कोई प्रशासनिक कार्यवाही ही कर दी जाती |
      स्पष्ट रूप से ऐसा आभास होने लगा कि मनो श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी की दुबारा हत्या हो गई तथा इस बार चाकू सीजर की छाती में Cassius ने नहीं मारा बल्कि उनके विश्वासपात्र Brutus ने मारा है | प्रेमनाथ डोगरा की आत्मा आज स्वर्ग में चीत्कार कर रही होगी | परम पूजनीय गुरू जी गोलवलकर अवसादग्रस्त होंगे कि उनके स्वयंसेवक  जिस सरकार में मंत्री हैं, उस सरकार की पुलिस भारत माता की जय कहने वालों की तोड़ाई कर रही है | यदि किसी आतंकवादी हमले में सामूहिक नरसंहार हुआ होता, तो इतना कष्ट न होता - यह सोचकर कि यह तो inevitable था | किन्तु जिस पुलिस ने लाठी चार्ज किया, बर्बर पिटाई की, उसकी वर्दी नहीं उतरी - इसका कोई औचित्य नहीं है | भारत माता की प्रतिष्ठा की द्रौपदी को सत्ता की लालच में हमारे युधिष्ठिर ने P.D.P. के आंगन में गिरवी रख दिया, हमारी राष्ट्र की मर्यादा और गरिमा और प्रतिष्ठा को हमारा युधिष्ठिर जुए में हार गया | इसकी गरिमा और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए जो आगे आएगा, वही युग पुरुष होगा, वही अवतारी कृष्ण होगा | किससे आशा की जाये  ? गुरू जी गोलवलकर की उक्ति याद आ रही है 'जब नमक का ही स्वाद जाता रहेगा, तो किससे नमकीन करोगे ?' चला गया नमक का स्वाद - परम पूज्नीय गुरु जी क्या करें ? काल समस्त समस्याओं का समाधान करता है - इसका भी करेगा |

No comments:

Post a Comment