Saturday, 26 March 2016

मुसलमानों का असली प्रतिनिधि कौन : जावेद अख्तर या ओवैसी ?- भाग - 3

मुसलमानों का असली प्रतिनिधि कौन : जावेद अख्तर या ओवैसी ?
ओवैसी ने कौन सी नई बात कही ?
कब कब किस मुसलमान ने " भारत माता की जय " कहा ? भाग - 3
अर्थात 15 अगस्त 1947 को मौलाना आजाद तथा जवाहर लाल नेहरु दोनों आजाद हुए , किन्तु जवाहर लाल 1000 साल बाद तथा मौलाना आजाद 150 साल बाद | पूरे विश्व में राजनीतिशास्त्र का कोई विद्वान् इस पर टिप्पणी करे कि क्या जिन दो लोगों का जय और पराजय का इतिहास एक नहीं है , वे एक राष्ट्र के हैं ? क्या उनकी राष्ट्रीयता ( Nationality ) एक मानी जा सकती है , भले ही वे एक ही Nation - State के Citizen क्यों न हों ? यह मै Academic Question उठा रहा हूँ - इसको किसी की आलोचना में न लिया जाए | जब तराइन के मैदान में पृथ्वीराज की पराजय हुई तो अगर एक व्यक्ति के लिए विजय दिवस तथा दूसरे के लिए पराजय दिवस या शोक दिवस हो तो क्या इसी को ' एक राष्ट्र ' ( One Nation ) कहते हैं ? One Nation तथा One State में fundamental difference हैं | परम पूजनीय गुरूजी गोलवरकर ने इसीलिए राष्ट्र की आत्मा ' चिति ' ( We - feeling ) को माना है | गुलाम , खिलजी , तुगलक , लोदी , मुग़ल शासन क्या गुलामी का काल था या नहीं - इस पर जिनमे मतभेद हो , उनकी citizenship भले एक हो , पर क्या Nationality भी एक है |
भाजपा नेता तथा RSS के वरिष्ठ लोग हतप्रभ हैं | ओवैसी के बयान से वे क्षुब्ध हैं | सावरकर तथा गोलवरकर के चेलों को ओवैसी से इससे बेहतर बयान की उम्मीद क्यों है ? आज भाजपाई तथा संघी स्तब्ध इसलिए हैं कि श्री मोदी जी विश्वरत्न बनने के लिए भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेई से भी दो हाथ आगे निकल गए हैं | अटल जी की सरकार विकलांग थी - पूर्ण बहुमत नहीं था | उनकी लाचारी एक बार समझी जा सकती है किन्तु मोदी के पास पूर्ण बहुमत है | उन्हें संघ का मूल एजेंडा लागू करने में क्या दिक्कत है ? मै मोदी जी की बुराई नहीं कर रहा | उनकी शक्ल देखकर दंगाइयों की रूह कांप जाती थी | उन्हें लोग गोधरा के हीरो के नाम से जानते थे | उनका सीना कितने इंच का था - मैंने तो नापा नहीं किन्तु यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि उनका नाम सामने आते ही हर हिन्दू का सीना 56" का हो जाता था | किन्तु कुछ स्वरचित पंक्तियाँ कह रहा हूँ -
तब मैंने अपना जीवन ही
कर दिया समर्पित था तुमको
सोचा था ऐसा मधुर योग
मिल पाता इस जग में कम को
पर अब तो सब कुछ बदल गया
मन का उल्लास विषाद बना
आयाम सजीले सपनों का
है परिहासी अवसाद बना |
नेहरु ने न जाने क्या जादू टोना कर दिया कि लगता है प्रधानमन्त्री की कुर्सी विक्रमादित्य की कुर्सी बन गई है | विक्रमादित्य की कुर्सी की विशेषता थी कि वह जमीन में दबी थी | उस स्थान पर एक अनपढ़ गड़ेरिया बैठ गया तो वह शास्त्रों की , न्याय व्यवस्था की चर्चा करने लगा | उसी तरह प्रधानमन्त्री की कुर्सी पर बैठते ही हर प्रधानमन्त्री विदेशनीति तथा गृहनीति में नेहरु का चेला हो गया | ' तन - मन हिन्दू ' लिखने वाले अटल जी की आवाज बदल गई | सोमनाथ यात्रा को गति देने वाली पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बाबरी मस्जिद गिरते ही शर्मिंदा होने लगा कि यह एक काला दिवस है | जब हिन्दू हृदय सम्राट बाल ठाकरे ने एलान किया कि यदि उनके स्वयंसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिराया है तो उन्हें अपने स्वयंसेवकों पर गर्व है , तो कल्याण सिंह की मर्दानगी जगी तथा उन्होंने गर्व घोषित करते हुए अपनी सरकार कुर्बान की | जब आडवानी जी को प्रधानमन्त्री बनने का स्वप्न आया , तो वे जिन्ना की मजार पर चादर चढाते मिले - भूल गए कि जिन्ना ने ही उनको भारत भेजा था | अवसाद ग्रस्त हिन्दू मष्तिष्क को तिनके का सहारा मिला मोदी का तथा मोदी को प्रचंड समर्थन मिला | जनता क्या करती है , इसका चित्रण हिटलर ने किया है - ' यदि मै आगे चलूँ , तो मेरे पीछे चलो , मै पीछे हटूं , तो मुझे कुचलकर आगे बढ़ जाओ | ' जनता की भावनाओं पर चढ़े हुए हर नेता का यही हस्र होता है | देश के बंटवारे के साथ गाँधी का अस्तित्व समाप्त हो गया था तथा यदि नाथूराम गोंडसे ने उनकी हत्या न की होती , तो वे केवल जयप्रकाश नारायण या अन्ना का स्तर प्राप्त कर पाते | 1962 की लड़ाई में नेहरु का अस्तित्व समाप्त हो गया | मेरे पूज्य पिताजी ने कहा था कि ' अब नेहरु में इतना नैतिक साहस नहीं बचेगा कि वे विदेश जा सकें |' 2 वर्ष के शेष जीवन में वे विदेश नहीं गए - अपवाद स्वरुप केवल एक बार नेपाल ( भैंसालोटन ) गए | मैंने पिताजी से तर्क - वितर्क किया कि देखिये नेहरु विदेश चले गए | पिता जी का उत्तर था कि जब तक पशुपतिनाथ जी तथा विश्वनाथ जी के मंदिरों में घंटे बज रहे हैं , तब तक भारत और नेपाल की नागरिकता अलग हो सकती है लेकिन राष्ट्रीयता एक है | वे अलग Nation - State हो सकती हैं , किन्तु उनकी Nationality अलग नहीं है | नेपाल जाने के लिए Passport नहीं लगता | जैसे Canada तथा America में Passport नहीं है |
प्रश्न है - राष्ट्रभक्ति की उम्मीद आप किससे कर सकते हैं ? जिसे आप अपने राष्ट्र का समझते हैं ? क्या RSS मुसलमानों को राष्ट्रीय मानता है ? मै कोई आरोप नहीं लगा रहा | मै दिग्विजय सिंह नहीं हूँ | RSS स्वयं ही इसका जवाब दे दे | गुरूजी गोलवरकर का प्रसिद्ध उदगार सबने पढ़ा है - ' हिन्दू ही यहाँ का राष्ट्र है , अन्य परकीय हैं |' हाँ , वे मोहम्मदी हिन्दू तथा मसीही हिन्दू की संघ की अवधारणा में विश्वास रखते हैं | मसीही हिन्दू का उदाहरण राजकुमारी अमृत कौर हैं | सोनिया गांधी को राजनीतिक कारणों से भाजपा और उसकी वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज विदेशी महिला भले कहें किन्तु गुरूजी गोलवरकर की परिभाषा में वे मसीही हिन्दू हैं तथा मसीही हिन्दू होने के कारण राष्ट्रीय हैं क्योंकि -
1. प्रयाग के कुम्भ - समागम में वे डुबकी भले ही न लगा पाई हों किन्तु कटि-स्नान ( कमर तक की डुबकी जिसमे आधी देह भीगती है ) तो गंगाजल में उन्होंने किया ही था |
2. सोनिया गांधी जी को साड़ी पहनने में तथा आवश्यकतानुसार सिर पर पल्लू डालने में कोई संकोच नहीं है |  
3. अपने पुत्र का नाम राहुल तथा पुत्री का नाम प्रियंका रखा | Robert तथा Mary जैसे नाम उन्होंने अपने बेटे बेटियों के नहीं रखे | अत: आदरणीय सुब्रमणयमस्वामी चाहे सोनिया तथा राहुल को जो भी मानें , किन्तु RSS के परमपूजनीय गोलवरकर की दृष्टि में सोनिया जी ' मसीही हिन्दू ' की श्रेणी में आती हैं तथा राहुल चाहे England की citizenship लें , और चाहे सदा के लिए भारत छोड़ दें किन्तु किसी भी देश में बस जाने पर उनकी राष्ट्रीयता भारतीय ही रहेगी क्योंकि वे मसीही हिन्दू हैं | इस्लामी दुनिया में ' रहीम ' और ' रसखान ' मोहम्मदी हिन्दू के प्रतीक हैं | ताज बेगम को भी मोहम्मदी हिन्दू माना जा सकता है जिन्होंने घोषणा किया कि-
" नन्द के कुमार कुरबान तेरी सूरत पे ,
हौं तौ मुगलानी हिन्दुआनी ह्वै रहूंगी मै ||
इसाइयत मात्र एक पूजा पद्धति है | इस्लाम एक पूर्ण धर्म है | बाइबल किसी भी भाषा में पढ़ी जा सकती है , किन्तु नमाज अरबी में ही होनी है | इसी प्रकार हिन्दुओं के संस्कार संस्कृत में जो मन्त्र हैं , उन्ही से होगा | इसका कोई विकल्प नहीं है | दूध और पानी मिल सकते हैं , सोना और चांदी नहीं | ईसाइयत तथा बौद्ध धर्म की कोई भाषा नहीं है | सिख धर्म की भाषा है पंजाबी तथा लिपि है गुरुमुखी | रुसी ईसाई बाइबल Russian में पढता है तथा Germany का ईसाई German में | इसीलिए मसीही हिन्दू तो feasible है , किन्तु मोहम्मदी हिन्दू नहीं | आधुनिक युग में बांग्लादेश के नजरुल इस्लाम साहब का नाम मोहम्मदी हिन्दू में लिया जा सकता है जिन्होंने अपनी बेटियों का नाम वारिधारा तथा पल्लवी रखा | इसी को Professor बलराज मधोक ने ' भारतीयकरण ' कहा है | किन्तु मोहम्मदी हिन्दू को मुस्लिम की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है | A reformed Islam is no Islam | एक संशोधित इस्लाम , इस्लाम ही नहीं है | इस्लाम में संशोधन संभव नहीं है | शिर्क की गुंजाइश नहीं है | यहाँ तक की अरबी , फ़ारसी नाम वाले भी इस्लाम से खारिज हैं यदि उनकी कुरान पाक तथा नबी में आस्था नहीं है | कम्युनिस्ट पार्टी में जितने मुस्लिमों जैसे नाम वाले सदस्य हैं , वे सारे के सारे इस्लाम से ख़ारिज हैं | कम्युनिस्ट पार्टी का ईश्वर में विश्वास नहीं है ' Religion is the opium of the masses ' | अत: कम्युनिस्ट मुसलमान हो नहीं सकता है | एक बार एक कम्युनिस्ट रुझान की सिनेजगत की अभिनेत्री ने जब शाही इमाम को ' कठमुल्ला ' कहने की हिमाकत की थी , तो शाही इमाम ने उन्हें ' नाचने गाने वाली तवायफ ' के रूप में संबोधित किया था | ऐसे में मोहम्मदी हिन्दू की धारणा असंभव है , क्योंकि रहीम और रसखान जैसे लोग मुसलमान हैं ही नहीं , वे इस्लाम से खारिज हैं , क्योंकि वे बुतपरस्त हैं |

इस बात की पुष्टि सरदार विट्ठल भाई पटेल के इस वाक्य से होती है कि ' There is only one nationalist Muslim in India and he is Pt. Jawahar Lal Nehru .' अर्थात भारत में केवल एक राष्ट्रवादी मुस्लिम हैं और वह है पं० जवाहर लाल नेहरु | सरदार की उक्ति Organiser में कई बार उद्धृत हुई हैं | ऐसी स्थिति में यदि मोहम्मदी हिन्दू की अवधारणा को सर्वथा भ्रामक तथा काल्पनिक न भी माना जाए , तो भी यह मानना पड़ेगा कि 90% से अधिक मुस्लिम मोहम्मदी हिन्दू की सूची में नहीं आते हैं | कम से कम ओवैसी तो मोहम्मदी हिन्दू नहीं ही है | और जो मोहम्मदी हिन्दू नहीं है , उसे गुरूजी गोलवरकर भारत का नागरिक ( citizen ) भले मान लें , किन्तु भारत का राष्ट्रीय ( National ) नहीं मानते | Stalin के सिद्धांतों का Destalinisation उसके उत्तराधिकारियों ने किया किन्तु परम पूजनीय गुरूजी गोलवरकर के इस सिद्धांत को कभी संघपरिवार ने निरस्त नहीं किया | आज तक कोई कभी ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई कि गुरूजी गोलवरकर की ' Bunch of Thoughts ' तथा ' We are our Nationhood Defined ' तथा ' विचार - गुच्छ ' को repudiate किया गया है | इस प्रकार RSS की दृष्टि में ओवैसी की नागरिकता ( citizenship ) भारतीय संविधान के परिप्रेक्ष्य में भारतीय है किन्तु उसकी राष्ट्रीयता संघ की दृष्टि में भारतीय नहीं है , क्योंकि वे मोहम्मदी हिन्दू नहीं है | ऐसी स्थिति में जब संघपरिवार मात्र भारतीय नागरिक मानता है तथा उनकी राष्ट्रीयता भारतीय नहीं मानता है तो इसकी logical corrollary है कि संघपरिवार ओवैसी के भारतीय होने के नाते संविधान के अनुपालन की अपेक्षा कर सकता है किन्तु जब तक उनकी भारतीय राष्ट्रीयता को स्वीकारता नहीं है , तब तक राष्ट्रभक्ति की आशा कैसे करता है ? मै किसी को भी राष्ट्रद्रोही नहीं घोषित कर रहा हूँ - मेरा मात्र यह कहना है कि यदि ओवैसी की राष्ट्रीयता को संघपरिवार भारतीय नहीं मानता ( क्योंकि वे मोहम्मदी हिन्दू नहीं हैं ) तो उन्हें राष्ट्रभक्ति के स्वयंनिर्मित मानकों पर कसने का औचित्य क्या है ? पहले RSS उन्हें बिना मोहम्मदी हिन्दू बने राष्ट्रीय घोषित करे अथवा उन्हें मोहम्मदी हिन्दू बनने के लिए प्रेरित कर ले तब अपेक्षा करे | क्रमशः .......            

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