Saturday, 5 March 2016

एतददेश प्रसूतस्य -IV

                              एतददेश प्रसूतस्य -IV
वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है|
भाजपा कांग्रेस हो गई तथा कांग्रेस साम्यवादी पार्टी
प्रश्न यह है कि कभी-कभी सोचता हूँ कि RSS की factory के स्वयंसेवक बार - बार प्रधानमन्त्री की कुर्सी पर बैठते ही हेडगवार तथा गोलवरकर को भूलकर जवाहर लाल नेहरु के चेले क्यों बन जाते हैं | गांधी के बारे में सावरकर ने लिखा है कि ' Gandhi was the greatest invention of the British race .' इसकी व्याख्या करते हुए सावरकर जी ने लिखा कि गांधी को अंग्रेज दक्षिण अफ्रीका से खोजकर लाये ताकि सशस्त्र संषर्ष की ओर से नौजवानों को विमुख किया जा सके | नेहरु के बारे में सरदार विट्ठलभाई पटेल ने लिखा है कि ' There is only one nationalist Muslim in India and that is Pt. Jawahar Lal Nehru .' अर्थात भारत में केवल एक राष्ट्रवादी मुसलमान है और वे हैं जवाहर लाल नेहरु | इसके विपरीत अटल बिहारी बाजपेई के पदचिन्हों पर चलते हुए मोदी तक गांधी - नेहरु के मुरीद हो गए और लन्दन में मोदी ने बयान दिया कि India is the land of Gandhi and Buddha . मै गांधी और बुद्ध की बुराई नहीं कर रहा | बुद्ध को हमारे शास्त्रों में भगवान् का अवतार घोषित किया गया है | हम उनकी शान के विरुद्ध अपशब्द कहने की धृष्टता नहीं कर सकते | किन्तु भारत ' निशिचरहीन करौं मही भुज उठाई प्रण कीन ' वाले राम का भी देश है जो निशिचरों के genocide की प्रतिज्ञा भुजा उठाकर करते हैं | भारत ' पान्च्जन्य ' का शंखनाद करने वाले कृष्ण का भी देश है | भारत सावरकर का भी देश है , सुभाष का भी देश है | गांधी और बुद्ध को highlight करने का विरोध नहीं करता , मगर शेष सभी को blackout कर देना नेहरुयुग की पुनरावृत्ति है | इसके पीछे कारण है कि संघ की ' मोहम्मदी हिन्दू ' तथा ' मसीही हिन्दू ' की concept | गुरूजी गोलवरकर की वाणी ने इसे दो प्रकार से modify किया था | पहला सूत्रवाक्य ' हिन्दू ही यहाँ का राष्ट्र है तथा अन्य परकीय हैं ' | तथा दूसरा था ' विजिगीषु का वर्चस्व '| जैसे Lenin तथा Stalin ने Marx को modify किया किन्तु वे Marx का खंडन नहीं कर सकते थे , उसी प्रकार बिना ' मोहम्मदी हिन्दू ' की concept का खंडन किये गुरूजी गोलवरकर ने उपरोक्त बातें जोड़ीं | ' मोहम्मदी हिन्दू ' कौन है ? जो इस्लाम को मानता है , किन्तु भारत माता के प्रति भक्तिभाव रखता है , जो भारत की संस्कृति से जुड़ा है | इस अवधारणा का खंडन आर्यसमाज ने करते हुए गांधी जी को ललकारा है -
' ये न समझेंगे मुसाफिर आप समझायेंगे क्या '?
बिना कोई टिप्पणी किये इसके विश्लेषण को गौर से देखें | राष्ट्र ( Nation ) देश से अलग है | Political Science में पढाया जाता है कि Nation के कई ingredients हैं - Territory , Language Culture , Religion , Race , Common history of victory and defeat etc . | इस प्रसंग में परम पूजनीय गुरूजी गोलवरकर ने ' चिति ' ( Soul of the nation ) की अवधारणा ( concept ) और जोड़ दी | मै इस्लाम पर specific आरोप लगाने की जगह यह कहना चाहता हूँ कि political science के professors की यह time - tested मान्यता है कि तमाम ingredients की तरह religion भी एक ingredient है | Religion एकमात्र ingredient नहीं है , पर इस तथ्य को deny नहीं कर सकते कि Religion भी एक ingredient है | मान लीजिये कि सभी 10 ingredients उपस्थित हैं , तो 100 % nation compact है | जितने factors miss होते जायेंगे उतनी ही national unity कम होती जाएगी | मै एक सवाल उठाता हूँ , अमरीका या यूरोप के NRI's ' मोदी - मोदी ' क्यों करते हैं | एक काल्पनिक प्रश्न का उत्तर दें यदि भारत अमरीका पर हमला कर दे- दोनों बराबर के देश हों - तथा जीतता हुआ अमरीका को कब्ज़ा कर ले तो अमरीका के हिन्दू नागरिक क्या करेंगे ? मै यह नहीं कह रहा कि 100 % भारत का साथ देंगे | किन्तु यदि कोई यह कहे कि अमरीकी राष्ट्रीयता वाले हिन्दुओं में भारत का साथ देने वाले 0 % भी होंगे , तो यह भी एक मजाक ही होगा | काफी संख्या में ऐसे हिन्दू अमरीका में निकलेंगे जो भारत - अमरीका संघर्ष में भारत का साथ देंगे तथा काफी अमरीका का | संघर्ष में अमरीका तथा यूरोप के कुछ Muslims ने ISIS का साथ दिया तो कुछ ऐसे और भी होंगे जो मन में सहानुभूति रखते होंगे | चाहे Hindu हों या मुस्लिम , जब territory तथा religion में मुकाबला होगा तो कोई territory का साथ देगा , तो कोई religion का | Israel बनाने का जब निर्णय हुआ , तो सारी दुनिया से तमाम Israelis फिलीस्तीन पहुँच गए तथा Israel का निर्माण हुआ | मेरे दीक्षागुरु अनंतश्री विभूषित करपात्री जी महराज का वाक्य स्मृतिपथ पर अवतरित हो रहा है कि धरती माता है , तो धर्म पिता है | माँ से तब तक लगाव है , जब तक पिता धर्म की गोद में है | यदि माँ पर कोई परपुरुष कब्ज़ा कर ले , तो माँ के लगाव के कारण हम परपुरुष को बाप नहीं मान लेंगे - हम आजीवन उससे संघर्षरत रहेंगे - नहीं लड़ पाएंगे तो refugee बन जायेंगे जैसा Israelis ने फिलिस्तीन छोड़कर किया , जैसा राणाप्रताप ने चित्तौड़ छोड़कर घास की रोटियां खाकर किया , जैसा आडवाणी जी ने सिंध छोड़कर किया तथा अब भी हर साल सिंध दिवस मनाते हैं | जब शक्ति संचय कर लेंगे तब माँ को आजाद कराएँगे | किन्तु राणा ने अकबर को ' महान ' नहीं माना | राजनाथ सिंह का ट्वीट पर बयान पढ़कर दुःख हुआ कि उन्हें अकबर को ' महान ' मानने में आपत्ति नहीं है , बशर्ते राणाप्रताप को भी महान माना जाये | राजनाथ सिंह से निवेदन है कि वे राणा तथा अकबर को एक तराजू पर न तौलें | देशभक्त राजनाथ का नाम श्रद्धा से लेते हैं - उनके मुख या कलम से निकले ये शब्द कष्ट देते हैं | भारतीय ललनाओं को ' पद्मिनी ' की जगह ' जोधाबाई ' में बदलने वाले अकबर को महान मानने के लिए जवाहर लाल नेहरु तथा अन्य secularists पर्याप्त हैं | प्रश्न है कि यदि कोई विश्वशक्ति पाकिस्तान को जीतकर लाहौर में Israel के pattern पर खालिस्तान की स्थापना कर दे , तो क्या विश्व भर से 100 % न सही , तो क्या 10 - 20 % Sikhs भी लाहौर के लिए नहीं चल देंगे | Secularism के नाम पर फर्जी कल्पनाएँ करना छोड़ना होगा - मै हिन्दू राज्य की स्थापना या हिन्दू राष्ट्र की स्थापना पर यहाँ चर्चा नहीं कर रहा | मै एक Universal truth कह रहा हूँ | Hindu , Muslim , Sikh , Christian , Zoroastrianism आदि कोई भी धर्म हो , वह extra -territorial loyalty कुछ सीमा तक पैदा कर सकता है | मै नहीं कह रहा हूँ कि दूसरे धर्म वाले सभी गद्दार हैं | किन्तु जब कभी मातृभूमि एक तरफ हो तथा दूसरी तरफ धर्म हो तो दोनों तरफ का साथ कुछ - कुछ लोग देंगे | जब मिनेंडर ने भारत पर आक्रमण किया तथा बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और ' मिलिंद ' बन गया तो उसे भारत में कुछ सहधर्मियों का सहयोग मिला | आज चीन और अमरीका में युद्ध छिड जाए , तो जो chinese पीढ़ियों से अमरीका में रह रहे हैं उनमे से sizeable number में ऐसे chinese होंगे जो चीन की विजय चाहेंगे | Race , Religion , Culture , Language आदि जितने factors घटते जाते हैं , उतनी ही nationality कमजोर होती जाती है | यह political science का सर्वमान्य सिद्धांत है |
सांस्कृतिक एकता के नाम पर RSS इस तथ्य को स्वीकार नहीं करता | ' मोहम्मदी हिन्दू ' तथा ' मसीही हिन्दू ' की अवधारणा देकर वह इस तथ्य को झुठलाना चाहता है | मै मुसलमानों तथा ईसाइयों को गद्दार नहीं कह रहा | मै तो एक राजनीतिकशास्त्र का principle कह रहा हूँ कि जितने अधिक ingredients common हों उतनी ही nationality मजबूत है तथा जितने कम ingredients common हों उतनी ही nationality कमजोर है | क्रमशः .....
          


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