मनुवादी पार्टी ( भाग - २ )
मनुवादी पार्टी मनुस्मृति के संविधानसम्मत अंशो को लागू करने के उद्देश्य से
गठित की गयी है | इसकी विस्तृत व्याख्या के लिए आप मेरे प्रोफाइल , पेज , मनुवादी पार्टी
, ब्लाग पर अंकित लेखो का अवलोकन कर सकते है |
हमारा मनुस्मृति से वही रिश्ता है जो CPM का मार्क्स के Das Capital से | Annihilation of Class enemies तथा Dictatorship of Proletariat CPM के Agenda में नही है , क्योकि संविधानसम्मत नही है | इसी प्रकार मनुस्मृति के वे अंश जिन्हें माननीय न्यायपालिका , विधायिका या कार्यपालिका संविधान या विधान के प्रतिकूल मानती हो , हमारे एजेंडे में नही है | हमारा राम राज्यपरिषद से वही रिश्ता है जो मायावती का अम्बेडकर साहब की 'रिपब्लिकन पार्टी' से | हमारी पार्टी में अनंत श्रीविभूषित करपात्री जी महाराज का वही स्थान है जो बसपा में डॉ अम्बेडकर का | रिपब्लिकन पार्टी से प्रथक कार्यशैली के बावजूद डॉ अम्बेडकर बसपा में आराध्य है | अनंत श्री विभूषित करपात्री जी महाराज की घोषणा थी ;--
हमारा मनुस्मृति से वही रिश्ता है जो CPM का मार्क्स के Das Capital से | Annihilation of Class enemies तथा Dictatorship of Proletariat CPM के Agenda में नही है , क्योकि संविधानसम्मत नही है | इसी प्रकार मनुस्मृति के वे अंश जिन्हें माननीय न्यायपालिका , विधायिका या कार्यपालिका संविधान या विधान के प्रतिकूल मानती हो , हमारे एजेंडे में नही है | हमारा राम राज्यपरिषद से वही रिश्ता है जो मायावती का अम्बेडकर साहब की 'रिपब्लिकन पार्टी' से | हमारी पार्टी में अनंत श्रीविभूषित करपात्री जी महाराज का वही स्थान है जो बसपा में डॉ अम्बेडकर का | रिपब्लिकन पार्टी से प्रथक कार्यशैली के बावजूद डॉ अम्बेडकर बसपा में आराध्य है | अनंत श्री विभूषित करपात्री जी महाराज की घोषणा थी ;--
धर्म की जय हो
अधर्म का नाश हो
प्राणियों में सद्दभावना हो
विश्व का कल्याण हो
अधर्म का नाश हो
प्राणियों में सद्दभावना हो
विश्व का कल्याण हो
इसमें कही भी संकीर्णता या असहिष्णुता परिलक्षित नही होती | हम हिंसक संघर्ष
में विश्वास नही रखते | हिंसा से कुछ भी हासिल नही होता | जाटो को क्या मिला हिंसा
से ? हार्दिक पटेल की उपलब्धि क्या थी ? कश्मीर को क्या मिला ? हम हिंसक तो दूर,
शांतिपूर्ण आन्दोलन में भी विश्वास नही रखते | हमे घेराव , धरना , प्रदर्शन तक की
आवश्यकता नही है | पूर्ण सहमति से समुद्रमंथन के बाद हम जिसे चाहे सुरा पिला दे
तथा जिसे चाहे अमृत -- यह हमारी Professional
Expertise है | हम किसी को ज्ञापन तक नही देंगे - कोई उसे
पढता तक नही, फटी ढोल की तरह गाल बजाते रहिये | हमारा सम्पूर्ण ध्यान इन पंक्तियों
पर केन्द्रित होगा---
मित्र हम तो वंशधर चाणक्य के है
वक्त पर तेवर दिखाना जानते है
राजसत्ता चरण की दासी रही है
हम चलन उसको सिखाना जानते है
वक्त पर तेवर दिखाना जानते है
राजसत्ता चरण की दासी रही है
हम चलन उसको सिखाना जानते है
समय - समय पर स्मृतियां नई आती रही है | याज्ञवल्क्य स्मृति आदि कई नई
स्मृतियाँ बनी | स्मृति = उस युग का Constitution |सबसे ताज़ी स्मृति अम्बेडकरस्मृति = Indian Constitution है | हम भारतीय संविधान को सबसे ताज़ी स्मृति मानते है तथा जिस रूप में डॉ
अम्बेडकर ने हमे यह स्मृति दी थी , उसमे जितने क्षेपक ( Amendment ) जुड़ गये है ,
हम उनके निरस्तीकरण का माहौल बनायेगे | मूल रूप में जो संविधान बना था, उसके सभी
संशोधनो को निरस्त करके मूलरूप में लागू कराने की मांग कतई असंवैधानिक नही कही जा
सकती | कौन संशोधन basic structure को
प्रभावित करता है , इसपर बहस हो सकती है तथा विभिन्न माननीय न्यायमूर्तियो के अलग मत हो सकते है , किन्तु मूल संविधान जिसे
Constituent Assembly ने adopt किया था, उसके एक भी शब्द/अक्षर को असंवैधानिक करार
देने का अधिकार न तो माननीय न्यायलय को है और न ही किसी विद्वान अधिवक्ता को इस पर
बहस करने की गुंजाइश है | मूल संविधान की वापसी हमारी समस्त समस्याओ का समाधान है
| अम्बेडकर स्मृति में नेहरु से लेकर बाजपेयी - मोदी युग तक जो क्षेपक जोड़े गये है
, उसके निरस्त होते ही निम्न परिणाम दिखेंगे ---
(1) 1950 + 10 = 1960 के बाद अम्बेडकर स्मृति ( भारतीय संविधान ) के अनुसार
आरक्षण 0 % हो जाना चाहिए था | ऐसा कर दिया जायेगा |
(2) Backlog तथा Consequential seniority तथा reservation in promotion की समस्या स्वतः समाप्त हो जाएगी |
(3) Rights to Property संविधान में वापस आ जायेगा |
(4) संविधान की आत्मा के अनुरूप civil rights act बना था | हम अस्पृश्यता की
कड़े शब्दों में निंदा करते है तथा इसके लिये दंड का विधान होना चाहिए जैसा संविधान
में लिखा है | किन्तु नेहरु युग के बाद जो sc/st Atrocities Act में विशेष रूप से presumption clause को जोड़ा गया जिसमे burden of proof shift किया गया है , उसे निरस्त कर दिया जायेगा |
(5) संविधान में संशोधन करने के बाद जो egalitrian laws बने थे उन्हें हम
निरस्त कर देंगे | Zamindari Abolition तथा Ceiling laws को यदि मूल संविधान के प्रावधानों के
अनुरूप माननीय न्यायलय पायेगा , तभी वे लागू होंगे वरना null and void होगा |
(6) Hindu Code Bill को निरस्त कर दिया जायेगा तथा Hindu Personal Law लागू
होगा |हम Muslim Personal Law के विरोधी नही है | हम Common Civil Code का समर्थन
नही करते | Hindu Law में Divorce का कोई स्थान नही होगा | स्वामी करपात्री जी
महाराज का कहना था कि जैसे झगडा करने के
बाद पिता पुत्र यह नही कह सकते कि आज से हम पितापुत्र नही है , उसी प्रकार पति -
पत्नी नही कह सकते कि आज से हम पति - पत्नी नही है | मृत्यु भी उन्हें अलग नही कर
सकती | जन्म जन्मान्तर का बंधन है | Hindu Code के पुरानी प्रावधानों से यदि जैन ,
बौध या सिख सहमत न हो तो वे अपना अलग Civil Code बना ले | हमे इसमें आपत्ति नही है
| जिस मुसलमान को Muslim Personal Law से परहेज हो , वह अपने विद्वानों से रास्ता
पूछे | जिन्हें हिन्दू personal law से
परहेज है, ऐसे Secular लोगो से हमारी कोई लड़ाई नही है | वे लोग सप्तपदी विधि से
विवाह न करे सात फेरे न ले तथा civil Marriage Act के अंतर्गत विवाह करे तथा
Divorce दे | अन्य बिन्दुओ का विस्तृत चर्चा कई लेखो में की जा चुकी है | शेष
बिन्दुओ पर समय - समय पर चर्चा होगी |
(8) मंदिरों मठो की जिन संपत्तियों को अधिग्रहित किया गया है , उसे निरस्त
करके Status Quo ante को restore कर दिया जायेगा तथा वे मूल स्वामियों के पास वापस
चली जाएगी |
अंत में हमारा भारतीय संविधान तथा
विधान पर अटूट विश्वाश है | माननीय न्यायलय का फैसला तो बहुत बड़ी बात है - वह तो
सिरमाथो है ही - यदि कोई विद्वान अधिवक्ता या अन्य बुद्धिजीवी अपने किसी लेख ,
भाषण पर विचार विमर्श से हमे यह convince कर दे कि हमारा अमुक कार्यक्रम विधान या
संविधान के विरुद्ध है , तो हम तत्काल अपने उस कार्यक्रम को संशोधित कर देंगे |
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