मनुवादी पार्टी
मनुवादी पार्टी मनुस्मृति के संविधान
सम्मत प्रावधानों के कार्यान्वयन के उद्देश्य से बनाई गयी है | मनुस्मृति
वर्णाश्रमव्यवस्था की पोषक है | वर्ण व्यवस्था का अर्थ जातिव्यवस्था से नहीं है |
मनुस्मृति में स्पष्ट घोषणा है की ---
' जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद द्विज उच्यते '
अर्थात हर मनुष्य शूद्र उत्पन्न होता है तथा संस्कार उसे द्विज बनाते है | यह कबीरदास की उस आपत्ति का उत्तर है ---
' जो तुम बाभन बाभनि जाया
आनि मार्ग ते काहे न आया '
' जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद द्विज उच्यते '
अर्थात हर मनुष्य शूद्र उत्पन्न होता है तथा संस्कार उसे द्विज बनाते है | यह कबीरदास की उस आपत्ति का उत्तर है ---
' जो तुम बाभन बाभनि जाया
आनि मार्ग ते काहे न आया '
(अर्थात यदि तुम ब्राह्मण और ब्राह्मणी से उत्पन्न हो तो किसी और रास्ते से
पेट के बाहर क्यों नही आए )
आज 40 वर्ष तक लड़के प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे है - 42 वर्ष तक OBC के छात्र तथा 45 वर्ष तक SC के छात्र | 25 वर्ष तक जो व्यक्ति job में settled
नहीं हो पाया, उसका careergraph कितना अनिश्चित और अव्यवस्थित हो जाता है | यह एक
राष्ट्रीय उर्जा की बर्बादी है | शोध पूरा करने के बाद तक व्यक्ति प्रतियोगिता में
बैठता है | जो बौद्धिक या शिक्षा जगत में जाये, वह जीवनपर्यन्त शोध करता रहे -
उसकी शोभा है | किन्तु सामन्य व्यक्ति के लिए 40 से 45 वर्ष तक प्रतियोगिता में
लिपटे रहना राष्ट्रीय उर्जा की बर्बादी का प्रतीक है |
वर्णाश्रमव्यवस्था की हिमायत
कांग्रेस परिवार के महात्मा गाँधी तथा संघ परिवार के गुरूजी गोलवलकर ने भी किया है
तथा इनके ग्रंथो में पुरुषसूक्त का सादर उल्लेख है | शूद्र कोई गाली नहीं बल्कि उसी
विराट पुरुष से उत्पन्न है जिससे ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य उत्पन्न हुए हैं |
शूद्र को 'अन्त्यज' कहा गया है अर्थात छोटा भाई |
जैसे प्रतियोगिता में अयोग Class 1st , Class 2nd , Class 3rd तथा Class 4th का निर्धारण करता है वैसे ही आचार्य योग्यता , अभिरुचि तथा क्षमता के अनुसार वर्ण का निर्धारण करता था |
फिर भी यदि किसी अंश को कोई विधिवेत्ता , माननीय न्यायालय या संसद या विधानसभा संविधान के विपरीत पाते है तो हमारा कोई दुराग्रह नहीं है कि मनुस्मृति 100 % यथावत् लागू की जाये | हमारे लिए मनुस्मृति का वही महत्त्व है जो साम्यवादियो के लिए Marx की Das Capital का है | Annihilation of class enemies तथा dictatorship of proletariat की बात Karl Marx ने की है | अर्थात वर्ग शत्रुओ का उन्मूलन कर देना चाहिए तथा सर्वहारा की तानाशाही लानी होगी | किन्तु यह हिस्सा कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे में नहीं है | हम Das Capital के विश्लेषण , चिंतन तथा मनन में विश्वास करते है न कि गालीगलौज में या किसी दर्शन के प्रणेता की कृति को जलाने में | हमने तो अपने ग्रन्थो में चार्वाक दर्शन का विवेचन किया तथा तत्पश्चात उसका खंडन किया जो मार्क्सवादी से भी अधिक गालीगलौज हमारे लिए कर रहा था | आधुनिक युग में सबसे कड़ा नारा यही दिया गया -
तिलक तराजू कलम तलवार
इनको मारो जूते चार |
जैसे प्रतियोगिता में अयोग Class 1st , Class 2nd , Class 3rd तथा Class 4th का निर्धारण करता है वैसे ही आचार्य योग्यता , अभिरुचि तथा क्षमता के अनुसार वर्ण का निर्धारण करता था |
फिर भी यदि किसी अंश को कोई विधिवेत्ता , माननीय न्यायालय या संसद या विधानसभा संविधान के विपरीत पाते है तो हमारा कोई दुराग्रह नहीं है कि मनुस्मृति 100 % यथावत् लागू की जाये | हमारे लिए मनुस्मृति का वही महत्त्व है जो साम्यवादियो के लिए Marx की Das Capital का है | Annihilation of class enemies तथा dictatorship of proletariat की बात Karl Marx ने की है | अर्थात वर्ग शत्रुओ का उन्मूलन कर देना चाहिए तथा सर्वहारा की तानाशाही लानी होगी | किन्तु यह हिस्सा कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे में नहीं है | हम Das Capital के विश्लेषण , चिंतन तथा मनन में विश्वास करते है न कि गालीगलौज में या किसी दर्शन के प्रणेता की कृति को जलाने में | हमने तो अपने ग्रन्थो में चार्वाक दर्शन का विवेचन किया तथा तत्पश्चात उसका खंडन किया जो मार्क्सवादी से भी अधिक गालीगलौज हमारे लिए कर रहा था | आधुनिक युग में सबसे कड़ा नारा यही दिया गया -
तिलक तराजू कलम तलवार
इनको मारो जूते चार |
कभी यह नारा सही या गलत मायावती से जोड़ा जाता था | आज मायावती का कहना है कि
उन्होंने या मान्यवर काशीराम ने कभी ऐसा नहीं कहा | हम गड़े मुर्दे उखाड़ने में
विश्वास नहीं करते | हमारा कहना है कि इससे भी भयानक उद्घोष चार्वाक ने किया था -
" त्रयोवेदस्य
कर्तारो भाण्डधूर्तनिशाचराः "
( तीनो वेदों के कर्ता भाण्ड , धूर्त तथा निशाचर हैं | )
( तीनो वेदों के कर्ता भाण्ड , धूर्त तथा निशाचर हैं | )
हम तिलमिलाये नहीं , मुस्कुराये | आज सनातन धर्म सर्वव्यापक है तथा चार्वाक का
कही ध्वंसावशेष नहीं है | चार्वाक का जयकारा करने वाला कोई नहीं है | यह सनातन
संस्कृति है |
मायावती कांग्रेस तथा भाजपा को मनुवाद की ' ए ' तथा ' बी ' टीमे कहती हैं | ह्रदय से मनुवादी होते हुए भी आत्मविश्वास की कमी से इन्होने मनुवाद की निंदा में हाँ में हाँ मिलाया | इसी रिक्तता को पूर्ण करने के लिए मनुवादी पार्टी का जन्म हुआ |
मायावती कांग्रेस तथा भाजपा को मनुवाद की ' ए ' तथा ' बी ' टीमे कहती हैं | ह्रदय से मनुवादी होते हुए भी आत्मविश्वास की कमी से इन्होने मनुवाद की निंदा में हाँ में हाँ मिलाया | इसी रिक्तता को पूर्ण करने के लिए मनुवादी पार्टी का जन्म हुआ |
इतिहास राजनीति की
प्रयोगशाला है | इतिहास स्वयं को दुहराता है | मायावती की पार्टी बाबा साहब
अम्बेडकर की पार्टी ' रिपब्लिकन पार्टी ' से अलग है | उसी प्रकार हम 'राम राज्य
परिषद् ' से अलग है किन्तु हमारा अनन्तश्री विभूषित करपात्री जी महाराज से वही
रिश्ता है जो मायावती का बाबासाहब अम्बेडकर जी से | हम करपात्री जी महाराज को अपना
आदर्श मानते है | उनका उद्घोष सुनिए जिसमे कही भी संकीर्णता नहीं है -
" धर्म की जय हो
अधर्म का नाश हो
प्राणियों में सदभावना हो
विश्व का कल्याण हो "
अधर्म का नाश हो
प्राणियों में सदभावना हो
विश्व का कल्याण हो "
'वसुधैव कुटुम्बकं ' हमारा मूलमंत्र है | हमारी कामना है -
" सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् || "
" सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् || "
सर्वसमाज की इसी भावना को ग्रहण करने की आज सभी घोषणा कर रहे है | बहुजन समाज
पार्टी भी आज 'सर्वसमाज' की चर्चा कर रही है | लोहिया जो जीवन भर 85 % के संघर्ष की घोषणा करते रहे, स्टेट गेस्ट हॉउस
कांड के बाद अपने भ्रम को दूर करके 100 % के संघर्ष की बात करके परुशराम जयंती को
सार्वजनिक अवकाश घोषित कर रहे है |
सभी लोगो के सर्वसमाज के बारे में सोचने के मानक , ढंग तथा तरीके अलग हो सकते है- 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम' की यही मूल भावना है | हम कांग्रेस तथा भाजपा की तरह स्वयं को सर्वसमाज का ठेकेदार नहीं मानते बल्कि ऐसा परिवेश लाना चाहते है जिसमे हमारे समेत सभी लोग अपने - अपने ढंग से सर्वसमाज की सोंचे | हम आशावादी है | हम किसी को गाली नहीं देते, हम किसी भी धर्मग्रन्थ को छोडिये , दार्शनिक विचारधारा तक से शास्त्रार्थ करते है, उसको जलाने में हमारा विश्वाश नहीं है | हमारे इन आदर्शो को महर्षि दयानंद ने साकार किया है |
सभी लोगो के सर्वसमाज के बारे में सोचने के मानक , ढंग तथा तरीके अलग हो सकते है- 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम' की यही मूल भावना है | हम कांग्रेस तथा भाजपा की तरह स्वयं को सर्वसमाज का ठेकेदार नहीं मानते बल्कि ऐसा परिवेश लाना चाहते है जिसमे हमारे समेत सभी लोग अपने - अपने ढंग से सर्वसमाज की सोंचे | हम आशावादी है | हम किसी को गाली नहीं देते, हम किसी भी धर्मग्रन्थ को छोडिये , दार्शनिक विचारधारा तक से शास्त्रार्थ करते है, उसको जलाने में हमारा विश्वाश नहीं है | हमारे इन आदर्शो को महर्षि दयानंद ने साकार किया है |
" हम ज्ञान के गोलों से
औ तर्क की तोंपो से
दुनिया से जहालत की
दीवार ढहा देंगे | "
आज भारत का संविधान वही नहीं है , जो अम्बेडकर साहब के जमाने में था | हम मनुस्मृति नहीं लागू करने की बात कर रहे है - अम्बेडकरस्मृति ( भारतीय संविधान ) लागू करने की बात कर रहे है | मनुवादी पार्टी का मनना है कि याज्ञवल्क्य स्मृति आदि दर्जनों स्मृतियाँ प्राचीन काल में बनी | सबसे ताज़ी स्मृति अम्बेडकरस्मृति ( भारतीय संविधान ) है | स्मृति का अर्थ है - उस युग का संविधान | राज्य के अन्य कानूनों तथा शासनादेशो का स्मृति ( उस युग के संविधान ) के अनुरूप होना चाहिए , अन्यथा वे असंवैधानिक होंगे तथा परिणाम स्वरुप निष्प्रभावी होंगे | हम सत्ता में आने पर भारतीय संविधान में जितने संसोधन हुए है , उन्हें निरस्त कर देंगे तथा भारतीय संविधान की उसके मूलरूप में वापसी करा देंगे | इसमें कौन सी असंवैधानिक मांग है | अम्बेडकर साहब ने एक आदर्श संविधान दिया था - जवाहरलाल नेहरु जी के समय से लेकर आज तक उसे जितना प्रदूषित किया गया , उन सब प्रदूषणों को निरस्त कर दिया जायगा | इसमें किस प्रकार से संविधान का अपमान है ? हम भारतीय संविधान की उसके मूल स्वरुप में (मूल अम्बेडकरस्मृति के रूप में) वापसी चाहते है | इसमें कहाँ का वर्ग संघर्ष है ? मनुवादी पार्टी समन्वय की बात करती है - संघर्ष की नहीं | मूल अम्बेडकरस्मृति ( भारतीय संविधान ) के अनुसार , 1950+10 =1960 के बाद आरक्षण 0 % हो जाना चाहिए था | हम इतने से संतुष्ट हैं | बाबा साहब अम्बेडकर ने पूरे देश को समभाव से देखा है | उन्होंने अगर कुछ ब्राह्मणों की निंदा की है , तो तमाम ब्राह्मणों की प्रशंसा भी की है , जिन्होंने उनके प्रति अच्छे भाव रखे है | उन्होंने ब्राह्मण , क्षत्रिय या किसी वर्ग में उनके हिसाब से यदि कोई बुराई थी तो उसकी निंदा की है | किसी वर्ग विशेष को गाली नहीं दी है | मुझे कही चार जूते मारने का नारा नहीं मिला | मुझे कही किसी धर्मग्रन्थ को जलाने या किसी की भावना को ठेस पहुचाने का आह्वाहन नहीं मिला |
औ तर्क की तोंपो से
दुनिया से जहालत की
दीवार ढहा देंगे | "
आज भारत का संविधान वही नहीं है , जो अम्बेडकर साहब के जमाने में था | हम मनुस्मृति नहीं लागू करने की बात कर रहे है - अम्बेडकरस्मृति ( भारतीय संविधान ) लागू करने की बात कर रहे है | मनुवादी पार्टी का मनना है कि याज्ञवल्क्य स्मृति आदि दर्जनों स्मृतियाँ प्राचीन काल में बनी | सबसे ताज़ी स्मृति अम्बेडकरस्मृति ( भारतीय संविधान ) है | स्मृति का अर्थ है - उस युग का संविधान | राज्य के अन्य कानूनों तथा शासनादेशो का स्मृति ( उस युग के संविधान ) के अनुरूप होना चाहिए , अन्यथा वे असंवैधानिक होंगे तथा परिणाम स्वरुप निष्प्रभावी होंगे | हम सत्ता में आने पर भारतीय संविधान में जितने संसोधन हुए है , उन्हें निरस्त कर देंगे तथा भारतीय संविधान की उसके मूलरूप में वापसी करा देंगे | इसमें कौन सी असंवैधानिक मांग है | अम्बेडकर साहब ने एक आदर्श संविधान दिया था - जवाहरलाल नेहरु जी के समय से लेकर आज तक उसे जितना प्रदूषित किया गया , उन सब प्रदूषणों को निरस्त कर दिया जायगा | इसमें किस प्रकार से संविधान का अपमान है ? हम भारतीय संविधान की उसके मूल स्वरुप में (मूल अम्बेडकरस्मृति के रूप में) वापसी चाहते है | इसमें कहाँ का वर्ग संघर्ष है ? मनुवादी पार्टी समन्वय की बात करती है - संघर्ष की नहीं | मूल अम्बेडकरस्मृति ( भारतीय संविधान ) के अनुसार , 1950+10 =1960 के बाद आरक्षण 0 % हो जाना चाहिए था | हम इतने से संतुष्ट हैं | बाबा साहब अम्बेडकर ने पूरे देश को समभाव से देखा है | उन्होंने अगर कुछ ब्राह्मणों की निंदा की है , तो तमाम ब्राह्मणों की प्रशंसा भी की है , जिन्होंने उनके प्रति अच्छे भाव रखे है | उन्होंने ब्राह्मण , क्षत्रिय या किसी वर्ग में उनके हिसाब से यदि कोई बुराई थी तो उसकी निंदा की है | किसी वर्ग विशेष को गाली नहीं दी है | मुझे कही चार जूते मारने का नारा नहीं मिला | मुझे कही किसी धर्मग्रन्थ को जलाने या किसी की भावना को ठेस पहुचाने का आह्वाहन नहीं मिला |
अम्बेडकरस्मृति ( भारतीय
संविधान ) में हम अपनी समस्याओ का समाधान देखते है---
1) वाणी की स्वतंत्रता दी गयी है लेकिन suitable restrictions की एक लम्बी list भी दी गयी है , जिसके अधीन स्वतंत्रता का प्रयोग हो सकता है | राष्ट्रहित में सरकार को इस दिशा में कानून बनाने का पूरा अधिकार है |
1) वाणी की स्वतंत्रता दी गयी है लेकिन suitable restrictions की एक लम्बी list भी दी गयी है , जिसके अधीन स्वतंत्रता का प्रयोग हो सकता है | राष्ट्रहित में सरकार को इस दिशा में कानून बनाने का पूरा अधिकार है |
2) आरक्षण पर निहायत संतुलित द्रष्टिकोण संविधान ने अपनाया है | 1960 के बाद आरक्षण 0 % करने की बात माननीय अम्बेडकर साहब ने लिखी है | उनकी सदाशयता
को हम सादर नमन करते है | किसी भी व्यक्ति को आरक्षण समाप्ति की मांग में मनुवाद
नहीं दिखना चाहिए | यह तो अम्बेडकरवाद है कि 1960 के बाद आरक्षण समाप्त हो जाय | यदि आरक्षण चालू
है , तो मनुवाद की 'ए' तथा 'बी' टीमो के चलते जो चुनावी लाभ के लिए तुष्टीकरण करते
रहे है |
3) हम आरक्षण को समाप्त करने के लिए न तो सशस्त्र संघर्ष में विश्वास करते है
और न ही शांतिपूर्ण आन्दोलन में | मनुवादी पार्टी एक ज्ञापन तक देने में विश्वास
नहीं करती | हम न तो आत्मदाह करेंगे, न दूसरे का दाह करेंगे - हम हार्दिक पटेल की
तरह धरतीपुत्र नही है | हम आकाशकुसुम है - देवलोक से भटकते भटकते धरती पर आ गये है
| कौन पढता है ज्ञापनो को ? आन्दोलनों से क्या होता है ? कश्मीर से बड़ा सशस्त्र संघर्ष तो कोई आयोजित नही कर सकता | क्या मिला
कश्मीर में युद्ध करने वालो को ? क्या मिला वी. पी. सिंह के समय में आत्मदाह करने
वालो को ? किसने उनकी चीख पुकार सुनी ? हमारा नारा है ----
"
जंजीर टूटती नही आंसू की धार से,
दुःख द्वंद्व दूर होते नही है पुकार से,
हमारी रणनीति है जागरण-- भारत का हर बच्चा जब तक
होगा अर्जुन , हनुमान नही
ऐसे पतितो में आ सकते
कभी कृष्ण औ राम नही "
दुःख द्वंद्व दूर होते नही है पुकार से,
हमारी रणनीति है जागरण-- भारत का हर बच्चा जब तक
होगा अर्जुन , हनुमान नही
ऐसे पतितो में आ सकते
कभी कृष्ण औ राम नही "
हम आरक्षण विरोधियों को जागरूक करेंगे | जैसे जैसे आरक्षण विरोधी मनुवादी पार्टी
से जुड़ते जायेंगे तथा सशस्त्र/शांतिपूर्ण संघर्ष से विरत होकर हमारी आँख बंदकर
माला जपने (बटन दबाने ) की रणनीति पर चल पड़ेंगे तथा transferable vote bank का
हिस्सा बन जायेंगे ( विस्तृत रणनीति के लिए मेरी profile, मेरे page मनुवादी
पार्टी के page तथा मेरे blog को पढ़ ले ) वैसे वैसे मनुस्मृति जलाने वालो का ,
मनुवाद को गाली देने वालो का स्वतः ह्रदय परिवर्तन हो जायेगा तथा वे मनुवादी आश्रम
के गेट पर गा रहे होंगे -----
अर्चना के इन स्वरों में
एक स्वर मेरा मिला लो
वंदना के इन स्वरों में
एक स्वर मेरा मिला लो |
एक स्वर मेरा मिला लो
वंदना के इन स्वरों में
एक स्वर मेरा मिला लो |
यह कपोलकल्पना नही है | बहुसमाज पार्टी सर्वसमाज की कम से कम बात कर रही है |
लोहिया की 85 % लड़ाई 100 % की लड़ाई का रूप ले चुकी है | हम हजारो पीढ़ियों से
विश्लेषण कर रहे है | हम त्रिकालज्ञ है- मायावती का अनुसूचित जाति अधिनियम के बारे
में जो GO निकला था , उसको पढ़ लीजिये | अनुसूचित जाति अधिनियम की गर्मी को काफी हद
तक ठंडा कर दिया गया | आज उस GO को पढकर देखिये इन्टरनेट पर - आपको अपनी आँखों को
देखकर विश्वास नही होगा कि यह GO बहुजन समाज पार्टी ने निर्गत किया है या मनुवादी
पार्टी ने | उस GO के एक एक अक्षर बोलेंगे कि मनुवादी पार्टी निर्गत GO है किन्तु
है वह बसपा का GO | माननीय उदित राज जी ने ' जस्टिस पार्टी ' की स्थापना की थी | मनुवाद
के संस्कारो में उत्पन्न सतीश चन्द्र मिश्र की पनडुब्बी ने बसपा के जहाज को जैसे
ही छू लिया वैसे ही मायावती का ह्रदय परिवर्तन हो गया तथा उन्होंने JNU के
संस्कारो में पले उदित राज जी जो माँ दुर्गा के लिए गलियां सुनाये जाने वाले
प्रसंग में तालियाँ बजाये या नही बजाये -
मुझे ज्ञात नही किन्तु उठकर बाहर भी नही गये तथा जो justice party इस आशय से बनाये थे कि भारत में injustice है, असहिष्णुता ( intolerance ) है, उन्हें मायावती ने अपनी शैली में समझा दिया कि देश में सर्वत्र समरसता है, justice है , tolerance है तथा justice केवल भाजपा दे सकती है | मायावती की अपनी शैली से दी हुई दीक्षा के बाद अब उदितराज जी चाहे क्षमा याचना की घोषणा करे या न करे - किन्तु भविष्य में ऐसे किसी आयोजन में जायेंगे ऐसी सम्भावना न के बराबर है | मायावती के दीक्षा में क्या ज्ञान मिला इसका विवरण उन्होंने अपनी वाणी तथा तथ्यों से स्वयं किया है | मनुवादी पार्टी के शीर्ष पर बैठकर हम किसको क्या दीक्षा मिली इसका वर्णन करके किसी विवाद में नही पड़ना चाहते |
मुझे ज्ञात नही किन्तु उठकर बाहर भी नही गये तथा जो justice party इस आशय से बनाये थे कि भारत में injustice है, असहिष्णुता ( intolerance ) है, उन्हें मायावती ने अपनी शैली में समझा दिया कि देश में सर्वत्र समरसता है, justice है , tolerance है तथा justice केवल भाजपा दे सकती है | मायावती की अपनी शैली से दी हुई दीक्षा के बाद अब उदितराज जी चाहे क्षमा याचना की घोषणा करे या न करे - किन्तु भविष्य में ऐसे किसी आयोजन में जायेंगे ऐसी सम्भावना न के बराबर है | मायावती के दीक्षा में क्या ज्ञान मिला इसका विवरण उन्होंने अपनी वाणी तथा तथ्यों से स्वयं किया है | मनुवादी पार्टी के शीर्ष पर बैठकर हम किसको क्या दीक्षा मिली इसका वर्णन करके किसी विवाद में नही पड़ना चाहते |
अमर सिंह ने एक बार नेता जी
मुलायम सिंह को छू भर दिया कि नेता जी का
ह्रदय परिवर्तन हो गया और भाई रामगोपाल
यादव तथा आजम खां दल में ही रह गये तथा अमर सिंह दिल तक पहुच गये | आजम खां तक इस
पर भी संतुष्ट हो गये कि आंधी तूफ़ान में जब बड़े भाई मुलायम सिंह घर के खिड़की
दरवाजे खोल देंगे तो जो बदबूदार कूड़ा करकट आ जायेगा उसे भी नाक पर रुमाल रखकर सहना
ही पड़ेगा | ब्राह्मण voter के थोड़े से हिस्से ने अखिलेश यादव की परछाई का स्पर्श करके लखनऊ ,इलाहाबाद ,कानपुर, आगरा
जैसे KAVAL Towns की धरती पर पुरानी
प्रतिबद्दताओ को भूलकर उनका खता खुलवा दिया तो तत्काल माननीय अखिलेश यादव
की समझ में आ गया कि डी. पी. यादव अपराधी है तथा वे सपा की सदस्यता तक पाने की
अर्हता नही रखते | पार्टी के टॉप क्लास नेताओ की बैंकिंग के बावजूद टिकट तो दूर ,
डी. पी. यादव सदस्यता न पा सके -----
निकलना खुद
से आदम का
सुनते थे बहुत लेकिन
बहुत बे आबरू होकर
तेरे कूचे से हम निकले |
सुनते थे बहुत लेकिन
बहुत बे आबरू होकर
तेरे कूचे से हम निकले |
मनुवादी बुद्धिजीवी है, ब्रह्मा के मुह से निकला है | वह दम भर में समझा ले
जाता है कि सपरिवार अमर मणि त्रिपाठी संत है तथा सपरिवार डी. पी. यादव अपराधी है |
यही हमारा famly craft है | यही हमारा हथियार है |
बिना किसी reservation के
जितने टिकेट मायावती ने ब्राह्मणों तथा क्षत्रियो को दिए , उससे कम अनुसुचित जाति
को | यह थोड़े से vote bank के विचलित होने का परिणाम था | जिस दिन sizeable संख्या
में मनुवादी vote transferable हो जायेगा तथा वह भी सुनियोजित ढंग से, उस दिन बिना
गला कटाए और बिना काटे जिसको चाहेगा उसको अमृत पिलाएगा तथा जिसको चाहेगा सुरा
पिलाएगा | क्या अमर सिंह ने नेता जी मुलायम सिंह के छाती में घुसने के लिए कोई छेद
किया था ? घुसना था घुस लिए | जब तक नाक पर रुमाल रखकर आजम खां बर्दास्त कर सके ,
करे वरना या तो कमरे में बेहोश हो जाये या बाहर भाग जाये | अमर सिंह तो दिल में
बैठ गये | भाई रामगोपाल जी के सारे suspension या explusion order निरर्थक है | आखिर नेता जी के कलेजे को चीरकर निकालेंगे नही | अगर भाई
राम गोपाल जी कलेजा चीर कर भी दिल से बाहर कर दे तो छोटे भाई शिवपाल के सिर पर बैठ
जायेंगे | वहाँ से भी खीच के गिराने पर भतीजे अखिलेश को गोद में लेकर बैठ जायेंगे
| यदि गोद से अखिलेश को भी खीचने में समर्थ हो गये तो अखिलेश जी के बचो को गोद में
लेकर नाचने लगेंगे | मनुवादियों की माया बड़ी विचित्र होती है | उनसे निपट पाना
धरतीपुत्रो के बस का खेल नही है | मनुवादी
पार्टी के साथ सारे मनुवादी vote नही केवल 10 % मनुवादी vote आ जाये और transferable हो
जाय उतने में लालू और नितीश मुलायम ओर मायावती में होंड लगेगी तथा वे चीख चीखकर
चिल्लायेंगे कि आरक्षण समाप्त करो | हम 5 वर्ष में कैसे यह स्थिति ला देंगे इसके
लिए इन संदर्भो पर पढ़े ----
1) Profile
2) Page
3) मनुवादी पार्टी
4) Blog
हम क्यों ज्ञापन दें ? क्यों धरना प्रदर्शन करें ? क्यों संघर्ष करें ? संघर्ष
करना धरतीपुत्रो का काम है | जाटो को संघर्ष करके क्या मिला ? गुजरात में पटेलो को
क्या मिला ? हम आँख बंदकरके माला जपेंगे - transferable vote bank की - शांतिपूर्ण
आन्दोलन तक नही करेंगे , एक ज्ञापन तक नही देंगे |
4) अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण
अधिनियम का स्थान Civil Rights ले लेगा | हम अस्पृश्यता को अपराध मानते है तथा सभी
जीवो को समभाव से देखते हैं --
विद्याविनय
सम्पन्ने
ब्राह्मणे गवि हस्तिनि
शुनि चैव श्वपाके च
पण्डिताः समदर्शिनः
( विद्या और विनय से सम्पन्न ब्राह्मण , गाय , हाथी ,कुत्ता और चाण्डाल को जो समान भाव से देख सके -- वही पंडित है | )
ब्राह्मणे गवि हस्तिनि
शुनि चैव श्वपाके च
पण्डिताः समदर्शिनः
( विद्या और विनय से सम्पन्न ब्राह्मण , गाय , हाथी ,कुत्ता और चाण्डाल को जो समान भाव से देख सके -- वही पंडित है | )
किन्तु जो संशोधन बाद में किये गये तथा Presumption clause जोड़ दिया गया कि बिना किसी साक्ष्य के आरोपों की सत्यता को presume कर लिया
जाय तो इसे कोई भी निष्पक्ष आदमी कैसे सही मानेगा ? मान लीजिये अनुसूचित जाति का
व्यक्ति DG है तथा उसने एक सिपाही को माँ बहन की गलियां दी तथा उसने थप्पड़ मार दी
| तो क्या इसमें साक्ष्य का मूल्यांकन होना चाहिए या Presumption clause लगाना चाहिए | यदि अनुसूचित जाति का व्यक्ति कमजोर है , तब तो उसको
special Protection भले दिया जाय किन्तु यदि वह बड़ा नेता है , बड़ा
अधिकारी है , बड़ा पूंजीपति है या सुस्थापित माफिया है तो क्या उसे भी यह सुविधा
मिलनी चाहिए ? इस Presumption clause की समीक्षा क्या होनी चाहिए?
जिन दिन मनुवादी वोट सत्ता में आने का मोह छोडकर transferable हो जायेगा , उस दिन सारी Anomalies स्वतः समाप्त हो जाएगी |
जिन दिन मनुवादी वोट सत्ता में आने का मोह छोडकर transferable हो जायेगा , उस दिन सारी Anomalies स्वतः समाप्त हो जाएगी |
जिस प्रकार स्व . जवाहर लाल
नेहरु से लेकर मोदी तक सबने vote bank की लालसा में आरक्षण दिया तथा Atrocties Act
इकतरफा लागू किया उसी प्रकार समस्त आरक्षित जातियां मिलकर आरक्षण समाप्त की घोषणा
कर देंगी | अगर vote bank के लिए अयोध्या में गोली चल सकती है, अगर vote bank के
लिए मंदिर के ताले खुलवाने के लिए कोर्ट में पुलिस की ओर से सपथ पत्र जमा हो सकता
है कि ताला खुलने से शांतिव्यव्स्था को खतरा नही होगा , अगर घनघोर secular पार्टी
भी अयोध्या से चुनाव प्रचार initiate कर सकती है , अगर माँ दुर्गा को गन्दी गलियां
देने वालो के विरुद्ध कमलेश तिवारी जैसी क़ानूनी कार्यवाही करने की मांग तक करने का
कष्ट विश्व हिन्दू परिषद् नही उठा सकती कि
कही माननीय उदित राज जी दुखी न हो तो vote bank के लालीपॉप में मुलायम और मायावती,
नितीश , लालू और शरद आरक्षण समाप्ति के लिए बढ़ चढकर संघर्ष करते दिखेंगे | हमने हल
नही चलाया , गेहूं नही पैदा किया, प्रभु का मन्त्र जपा - हमने पंजीरी खायी और
दूसरो को भी खिलाई | हमने भैंस गाय का गोबर नही फेंका | पर चरणामृत पिया और पिलाया
| हम बिना ईटा पत्थर फेंके , बिना जलूस निकलने बिना ज्ञापन या मांगपत्र दिए अपनी
तपस्या से (transferable vote bank से) आरक्षण समाप्त करा लेंगे तथा SC/ST Atrocities Act को Civil Rights Act में बदलवा लेंगे |
5) जहाँ तक मुस्लिमो के प्रति हमारा दृष्टिकोण है , हम अकबर से अच्छा औरंगजेब
और अलाउद्दीन खिलज़ी को मानते है | अलाउद्दीन खिलजी के जमाने में हमारे घरो में आग की लपटों में शीतलता अनुभव करने वाली
पद्मिनी पैदा होती है तो अकबर के जमाने
में उस महान की गोद में खिलखिलाने वाली जोधा बाई |
अकबर लव जिहाद का जन्मदाता है |
हम नही चाहते कि "मंदिरों में हो खुदा और मस्जिदों में राम हो |" हम
चाहते है की राम मंदिर में रहे तथा खुदा मस्जिद में | हम भारतीय संविधान में
अल्पसंख्यको के बारे में जितने भी प्रावधान है उनका पूर्ण पालन करने में विश्वास
करते है | समस्त भारतीय प्रेम से रहे तथा जो कोई भी कानून तोड़ता है उसके विरुद्ध
कानून को अपना रास्ता अपनाने की अनुमति देने में विश्वास रखते है | क्रमशः .....
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