Thursday, 17 March 2016

मनुवादी पार्टी ( भाग - २ )
मनुवादी पार्टी मनुस्मृति के संविधानसम्मत अंशो को लागू करने के उद्देश्य से गठित की गयी है | इसकी विस्तृत व्याख्या  के लिए आप मेरे प्रोफाइल , पेज , मनुवादी पार्टी , ब्लाग पर अंकित लेखो का अवलोकन कर सकते है |
            हमारा मनुस्मृति से वही रिश्ता है जो CPM का मार्क्स के Das Capital से | Annihilation of Class enemies तथा Dictatorship of Proletariat CPM के Agenda में नही है , क्योकि संविधानसम्मत नही है | इसी प्रकार मनुस्मृति के वे अंश जिन्हें माननीय न्यायपालिका , विधायिका या कार्यपालिका संविधान या विधान के प्रतिकूल मानती हो , हमारे एजेंडे में नही है | हमारा राम राज्यपरिषद से वही रिश्ता है जो मायावती का अम्बेडकर साहब की 'रिपब्लिकन पार्टी' से | हमारी पार्टी में अनंत श्रीविभूषित करपात्री जी महाराज का वही स्थान है जो बसपा में डॉ अम्बेडकर का | रिपब्लिकन पार्टी से प्रथक कार्यशैली के बावजूद डॉ अम्बेडकर बसपा में आराध्य है | अनंत श्री विभूषित करपात्री जी महाराज की घोषणा थी ;--
धर्म की जय हो
अधर्म का नाश हो
प्राणियों में सद्दभावना हो
विश्व का कल्याण हो
इसमें कही भी संकीर्णता या असहिष्णुता परिलक्षित नही होती | हम हिंसक संघर्ष में विश्वास नही रखते | हिंसा से कुछ भी हासिल नही होता | जाटो को क्या मिला हिंसा से ? हार्दिक पटेल की उपलब्धि क्या थी ? कश्मीर को क्या मिला ? हम हिंसक तो दूर, शांतिपूर्ण आन्दोलन में भी विश्वास नही रखते | हमे घेराव , धरना , प्रदर्शन तक की आवश्यकता नही है | पूर्ण सहमति से समुद्रमंथन के बाद हम जिसे चाहे सुरा पिला दे तथा जिसे चाहे अमृत -- यह हमारी Professional Expertise है | हम किसी को ज्ञापन तक नही देंगे - कोई उसे पढता तक नही, फटी ढोल की तरह गाल बजाते रहिये | हमारा सम्पूर्ण ध्यान इन पंक्तियों पर केन्द्रित होगा---
मित्र हम तो वंशधर चाणक्य के  है
वक्त पर तेवर दिखाना जानते है
राजसत्ता चरण की दासी रही है
हम चलन उसको सिखाना जानते है
समय - समय पर स्मृतियां नई आती रही है | याज्ञवल्क्य स्मृति आदि कई नई स्मृतियाँ बनी |                             स्मृति = उस युग का Constitution |सबसे ताज़ी स्मृति अम्बेडकरस्मृति = Indian Constitution  है | हम भारतीय संविधान को सबसे ताज़ी स्मृति मानते है तथा जिस रूप में डॉ अम्बेडकर ने हमे यह स्मृति दी थी , उसमे जितने क्षेपक ( Amendment ) जुड़ गये है , हम उनके निरस्तीकरण का माहौल बनायेगे | मूल रूप में जो संविधान बना था, उसके सभी संशोधनो को निरस्त करके मूलरूप में लागू कराने की मांग कतई असंवैधानिक नही कही जा सकती |  कौन संशोधन basic structure को प्रभावित करता है , इसपर बहस हो सकती है तथा विभिन्न माननीय न्यायमूर्तियो  के अलग मत हो सकते है , किन्तु मूल संविधान जिसे Constituent Assembly ने adopt किया था, उसके एक भी शब्द/अक्षर को असंवैधानिक करार देने का अधिकार न तो माननीय न्यायलय को है और न ही किसी विद्वान अधिवक्ता को इस पर बहस करने की गुंजाइश है | मूल संविधान की वापसी हमारी समस्त समस्याओ का समाधान है | अम्बेडकर स्मृति में नेहरु से लेकर बाजपेयी - मोदी युग तक जो क्षेपक जोड़े गये है , उसके निरस्त होते ही निम्न परिणाम दिखेंगे ---
(1) 1950 + 10 = 1960 के बाद अम्बेडकर स्मृति ( भारतीय संविधान ) के अनुसार आरक्षण 0 % हो जाना चाहिए था | ऐसा कर दिया जायेगा |
(2) Backlog तथा Consequential seniority तथा reservation in promotion की समस्या स्वतः समाप्त हो जाएगी |
(3) Rights to Property संविधान में वापस आ जायेगा |
(4) संविधान की आत्मा के अनुरूप civil rights act बना था | हम अस्पृश्यता की कड़े शब्दों में निंदा करते है तथा इसके लिये दंड का विधान होना चाहिए जैसा संविधान में लिखा है | किन्तु नेहरु युग के बाद जो sc/st Atrocities Act में विशेष रूप से presumption  clause को जोड़ा गया  जिसमे burden of proof shift किया गया है , उसे निरस्त कर दिया जायेगा |
(5) संविधान में संशोधन करने के बाद जो egalitrian laws बने थे उन्हें हम निरस्त कर देंगे | Zamindari Abolition तथा Ceiling laws को यदि मूल संविधान के प्रावधानों के अनुरूप माननीय न्यायलय पायेगा , तभी वे लागू होंगे वरना null and void होगा |
(6) Hindu Code Bill को निरस्त कर दिया जायेगा तथा Hindu Personal Law लागू होगा |हम Muslim Personal Law के विरोधी नही है | हम Common Civil Code का समर्थन नही करते | Hindu Law में Divorce का कोई स्थान नही होगा | स्वामी करपात्री जी महाराज का कहना था कि  जैसे झगडा करने के बाद पिता पुत्र यह नही कह सकते कि आज से हम पितापुत्र नही है , उसी प्रकार पति - पत्नी नही कह सकते कि आज से हम पति - पत्नी नही है | मृत्यु भी उन्हें अलग नही कर सकती | जन्म जन्मान्तर का बंधन है | Hindu Code के पुरानी प्रावधानों से यदि जैन , बौध या सिख सहमत न हो तो वे अपना अलग Civil Code बना ले | हमे इसमें आपत्ति नही है | जिस मुसलमान को Muslim Personal Law से परहेज हो , वह अपने विद्वानों से रास्ता पूछे  | जिन्हें हिन्दू personal law से परहेज है, ऐसे Secular लोगो से हमारी कोई लड़ाई नही है | वे लोग सप्तपदी विधि से विवाह न करे सात फेरे न ले तथा civil Marriage Act के अंतर्गत विवाह करे तथा Divorce दे | अन्य बिन्दुओ का विस्तृत चर्चा कई लेखो में की जा चुकी है | शेष बिन्दुओ पर समय - समय पर चर्चा होगी |
(8) मंदिरों मठो की जिन संपत्तियों को अधिग्रहित किया गया है , उसे निरस्त करके Status Quo ante को restore कर दिया जायेगा तथा वे मूल स्वामियों के पास वापस चली जाएगी |
      अंत में हमारा भारतीय संविधान तथा विधान पर अटूट विश्वाश है | माननीय न्यायलय का फैसला तो बहुत बड़ी बात है - वह तो सिरमाथो है ही - यदि कोई विद्वान अधिवक्ता या अन्य बुद्धिजीवी अपने किसी लेख , भाषण पर विचार विमर्श से हमे यह convince कर दे कि हमारा अमुक कार्यक्रम विधान या संविधान के विरुद्ध है , तो हम तत्काल अपने उस कार्यक्रम को संशोधित कर देंगे |  


















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