एतददेश प्रसूतस्य -VI
भाजपा कांग्रेस हो गई तथा कांग्रेस साम्यवादी पार्टी
एक ओर संघपरिवार तथा भाजपा ने पल्टी मारकर कांग्रेस की centrist policy को adopt कर लिया तो दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव जी ललकारने लगे कि ''परिंदा पर नहीं मार सकता" तथा "आत्मरक्षा" के लिए वैध अवैध असलहे रखना मुसलमान के लिए आवश्यक है I" कम्युनिस्ट घर घर से अफजल निकालने वाले आंदोलनों को चाहे आयोजित किए हों या नहीं ,पर उनकी उपस्थिति में बिना उनके चेहरे पर तनाव पैदा किए - ये नारे लगे इसमें संदेह नहीं है I ममता जी के जेहादी तेवर देखने लायक हो गए I बंगलादेश से अवैध आव्रजन की बात या रोक जब संघ तथा भाजपा के एजेंडे में नही रही, तो और कौन सोंचे ? यदि बंगाल और असम में भाजपा की सरकार नहीं है तो दिल्ली तथा मुंबई में तो है -वहां पर खुल्लमखुल्ला अवैध बांग्लादेशी क्या केजरीवाल के बूते रह रहे हैं , दिल्ली का पुलिस कमिश्नर केजरीवाल के अधीन नहीं है | मुस्लिम वोट बैंक ममता के पास चला गया, तो कही केजरीवाल के पास | सपा , बसपा , राजद , नितीश कुमार , जयललिता , करूणानिधि , एनटी रामराव , शरद पवार आदि पहले से सेंधमारी कर रहे थे | अपनी जमीन बचाने के लिए Congress को defensive होना पड़ा | चाहे उसका आशय जो भी रहा हो , JNU के देशद्रोही नारे लगाने वालो के साथ कांग्रेस खड़ी दिखी | राजनीति में सदैव 2+2=4 नही होता | राजनीति perception पर चलती है | अब अगर मुस्लिम वोट बैंक नही रहेगा , तो सत्ता से चिपके पिस्सू किसी भी सेक्युलर पार्टी को छोडकर खुद भागने लगेंगे | चिदम्बरम तक नेहरु परिवार से हटकर कांग्रेस का भविष्य देखने लगेंगे जिन्हें बिना किसी जनाधार के मात्र पारिवारिक स्वामिभक्ति के चलते इतना मान सम्मान दिया गया था |
कांग्रेस क्या करे ? किंकर्तव्यविमूढ़ है | आज वह appeasement में होड़ लगा रही है | सुधर पायेगी भगवान मालिक है | भाजपा तथा संघपरिवार के लिए Congress ने एक बड़ा Vacuum छोड़ दिया जिसे भाजपा तथा संघपरिवार लगातार भरे जा रहे है | इसके बाद appeasement की इस दौड़ में Congress अधिकांश states में जब junior partner बनकर रह जाएगी तो फिर कभी भी उसके revival का chance नही रह जायेगा |
(4) अगर Congress Centrist Policy Adopt नही करती है , अगर congress मुलायम सिंह से भी कट्टर इस्लामपरस्ती करना चाहेगी तथा इस Competition में उतरेगी तो यह गलत फहमी है कि उसे मुसलमान वोट देंगे | अधिकांश मुसलमानों का वोट अब बटेंगा नही | यदि सांसदों के चुनाव में भी मुस्लिम वोट बंटा नही होता तो भाजपा को इतनी landslide victory नही मिलती | रामपुर , मुरादाबाद संभल , मेरठ आदि जैसी तमाम दूसरी सीटो पर निर्यायक भूमिका में थे | किन्तु उन्हें भाजपा के इस स्तर के विजय की उम्मीद नही थी , इसीलिए बंट गये | केजरीवाल के विजय का रहस्य यही था कि शीला दीक्षित जैसे प्रमाणित धर्मनिरपेक्ष व्यक्तित्व के भी वश का नही रहा कि मुस्लिम वोट ले सके | यही बिहार में हुआ | यू.पी. में या किसी भी स्टेट में कांग्रेस को मुस्लिम वोट तभी मिलेगा जब वह मुख्यधारा में दिखाई दे | राज्य स्तरीय पार्टियों के पास एक visible क्षेत्रीय या जातीय या धार्मिक वोट बैंक है | कांग्रेस सर्व समाज की है | उसमे जगजीवन से लेकर कमलापति त्रिपाठी तक , बेनी प्रसाद वर्मा से लेकर पुनिया तक सभी अपने को मकानमालिक समझते है | कोई अपने को किराएदार नही मानता | हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों के नरमपंथियो से लेकर उग्रवादियों तक को congress संतुलित करती रही है | अगर बेलछी कांड में इंदिरा जी का दलित प्रेम दिखता था तो देवली कांड में 24 दलितों के हत्यारों को वी. पी. सिंह के राज्य में बिना एक डंडे की मार पड़े जमाने ने जेल जाते देखा | अगर कांग्रेस अल्पसंख्यको का तुष्टीकरण करती थी तो जमाने ने यह भी देखा कि मलियाना तथा हाशिमपुरा में कांग्रेस क्या कर सकती है | मुरादाबाद में ईदगाह कांड में नमाजियों के भीड़ पर जितनी जबर्दस्त फायरिंग कांग्रेसी राज में हुई , उतनी जलिया वाला बाग कांड के बाद शायद ही इतिहास में कभी हुई हो | केवल शाहबानो केस में तुष्टीकरण ही कांग्रेस ने नही किया | आवश्यकता पड़ने पर भीषण दमनचक्र भी चलाया | शेख अब्दुल्ला को कांग्रेस ने इतना सिर पर चढाया कि जनसंघी गाते थे कि ---
हर इसाई यहाँ का फीजो है
हर मुस्लिम यहाँ का अब्दुल्ला |
कांग्रेस कहती थी ठीक कहते हो | अब्दुल्ला धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है | हम चाहते है कि हर मुसलमान शेख अब्दुल्ला हो जाय | किन्तु जब शेख अब्दुल्ला ने तेवर दिखाना चालू किया , तो जितने लम्बे समय तक शेख अब्दुल्ला को कांग्रेस ने जेल की चहारदीवारी में कैद कर दिया उतने लम्बे समय तक भाजपा राज्य में कत्लेआम मचाने वाला कोई घोषित आतंकवादी भी नही बंद रह सका है | कांग्रेस की परम्परा थी कि सबका तुष्टीकरण करती थी - सबके आगे हाथ जोडती थी - किन्तु आत्मसमर्पण नही करती थी | कांग्रेस सबके आगे घुटने टेके दिखती थी , लेकिन सबको अपनी औकात में रखती थी | शाही इमाम के साथ इमरजेंसी में क्या हुआ सबको पता है | शाही इमाम सर संघचालक तक से हाथ मिलाने को मजबूर हो गए | गोंडसे और जिन्ना दोनों से कांग्रेस खिलवाड़ कर लेती थी " मै नागिन , तू सपेरा |" कुमारमंगलम जैसे साम्यवादी विचारधारा के घुसपैठियों को यदि कांग्रेस पनाह देती थी , तो सिद्धार्थ शंकर रे के राज्य में बंगाल में नक्सलियों पर जो दमनचक्र चला वह किसी इस्लामी देश में भले चला हो या स्टालिन या हिटलर जैसे ने चलाये हो , पर किसी प्रजातंत्र में नही चला होगा | राजीव ने जनरैल सिंह भिण्डरावले को संत कहा तथा लोंगोवाल से समझौता हुआ, किन्तु operation blue star , इंदिरा हत्याकाण्ड तथा सिखों का हत्याकाण्ड भी हुआ | राष्ट्रपति जैल सिंह को राष्ट्रपति भी कांग्रेस ने ही बनाया था | कांग्रेस सबके साथ थी , किसी के साथ नही थी | कांग्रेस सबको लेकर चलती थी | कांग्रेस ने Civil Rights Act बनाया किन्तु उसे इतना कड़ा नही बनाया कि समाज में कटुता उत्पन्न हो | सीलिंग किया किन्तु annihilation of class enemies नही किया | दहेज़ का कानून बनाया किन्तु ऐसा कड़ा कानून नही बनाया कि माननीय उच्चतम न्यायालय तथा उच्च नयायालय भी कई मौको पर कानून के दुरूपयोग पर त्राहि - त्राहि कर चुके है | कट्टर से कट्टर मुस्लिम लीग तथा संघपरिवार के लोग भी जब कांग्रेस में गये तो उनको कांग्रेस ने इस सीमा तक आत्मसात कर लिया कि वे प्रथक नही दिखते थे | बाघेला साहब को देखकर कोई कहेगा कि ये कभी संघपरिवार के रहे होंगे | कांग्रेस खुद औकात में रहती थी तथा सबको औकात में रखती थी | सरदार पटेल कांग्रेस में हैदराबाद आपरेशन करते थे तो नेहरु कश्मीर में प्लेबिजिट तथा यू. एन. और सीजफायर का रास्ता अपनाते थे |
(5) अब वे दिन नही रहे | अब बटाला हॉउस कांड की तथा इसरत जहाँ कांड की बात की जाती है | मलियाना कांड तथा हाशिमपुरा कांड को निगल जाने वाली कांग्रेस - वह कांग्रेस जो इन कांडो में आरोपित S.P. को अल्पसंख्यको को संतुष्ट करने के लिए कभी निलंबित करती थी तो कभी बहाल करती थी - उस कांग्रेस के नेताओ के बयान आने लगे कि सोनिया गाँधी रो पड़ी थी | JNU में टी. वी. में पूरा जमाना देख रहा था कि क्या नारे लग रहे है तथा राहुल गाँधी 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' पर प्रवचन दे रहे थे | भगवान जाने कि राहुल तथा सोनिया के Political advisors का यह सुविचारित विचार था या चापलूसी में ठकुरसोहाती कर रहे थे | JNU कांड पर कांग्रेस का सधा - सधाया बयान आना चाहिए था- "जिस तरह के नारे लगने की बात कही जा रही है , वे नारे निंदनीय तथा देशद्रोह की परिधि में आते है तथा कठोरतम दंडनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए |" बिना आग के धुंआ नही होता | कन्हैया ने यदि नारे न भी लगाये हो तो भी अध्यक्ष के नाते उसका नैतिक दायित्व था कि वह इसे रोकने की कार्यवाही करता तथा भीड़ के द्वारा overpower होने की स्थिति में यदि यह संभव नही था तो कम से कम वहां से withdraw कर जाता | फिर भी उसके विद्यार्थी होने के नाते इस बात की गहराई से छानबीन होनी चाहिए कि उसने नारे लगाये या नहीं | यदि देशद्रोही नारे लगाने की बात प्रमाणित होती है , तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में इसकी छूट देने की बात कहना अराजकता है किन्तु वह एक terrorist नही है बल्कि एक misguided youth है जिसे भुखमरी , गरीबी , अशिक्षा से यहाँ तक कि RSS , मोदी या सांप्रदायिकता या असहिष्णुता से आजादी के नारे लगाने का हक है किन्तु कश्मीर की आजादी का अथवा हर घर से अफजल निकलने का नारा लगाने का कोई अधिकार नही | न्याय की मांग है कि यह नारा लगाना देशद्रोह है, किन्तु तथ्यों का गहराई से सत्यापन किया जाय तथा आरोप सत्य होने की स्थिति में इस सिद्धांत को ध्यान में रखा जाय कि justice should be tempered with mercy - विशेष रूप से इस पृष्ठभूमि में कि वह अभी terrorist नही है बल्कि दिग्भ्रमित है | इस आयोजन के पीछे जिन लोगो का शातिर दिमाग रहा, उनके विरूद्ध exemplary action लेकर रासुका तक की कार्यवाही की जानी चाहिए |"
यह कही भी उन्मादी बयान नही है - राष्ट्रवादी भी है , समझौतावादी भी है , appeasement करने वाला भी है तथा सख्ती का सन्देश भी देता है | ममता जी से अगर appeasement में congress के chief minister competition करेंगे तो कितने दिन करेंगे - 20 साल 30 साल हद से हद 40 साल | कांग्रेस ने अगर इस स्तर का appeasement किया होता तो अब तक WB तथा Assam में न कम्युनिस्ट को , न ममता को , न कांग्रेस को , न भाजपा को लड़ने की कोई जगह बचती | कांग्रेस जो चोरी चुपके Bangladeshi influx हुआ, उसे भगा तो न पाती पर उसको तेजी से बढ़ने भी न देती | वोट बैंक के निर्माण के चक्कर में demographical changes large scale पर न होने पाते | 20-30-40 साल में कश्मीर की स्थिति में illicit immigration की वजह से W.B. तथा Assam पहुचने जा रहा है | मुलायम सिंह तथा लालू से बिगड़ी बहकी बाते करने में कांग्रेस कभी competition नही करती थी | वह अपने रास्ते चलती थी | आज मुलायम से भी तगड़ा appeasement कांग्रेस कर रही है | क्षेत्रीय दल हतप्रम है | किन्तु minorities का वोट कांग्रेस को नही मिलेगा | जिसे minorities प्यार करते है उसे वोट नहीं देते | minorities का वोट उसे मिलता है जिसके पास अपना निजी वोट बैंक होता है और निजी वोट बैंक कांग्रेस ने कभी बनाया ही नहीं और न यह उसकी परम्परा रही |
आज भाजपा D. Raja की बेटी को political courtesy extend कर रही है | कानून कहता है कि आरोप झूठे हो या सच्चे यदि वे cognizable office के ingredients को पूरा करते है , तो किसी भी प्रकार की जांच की आवश्यकता नही है - Police को सीधे cognizance लेकर FIR पंजीकृत करनी चाहिए | पिल्ले तथा मणि ने जो बयान दिए , उनके गुणदोष पर विचार किये बिना सीधे FIR लिखाने का प्रावधान संविधान तथा भारतीय दण्ड विधान में है | Law should be allowed to adopt its own course - किसी का चेहरा तथा पद देखकर कानून नही चलता है | कानून के अपने मानक है | प्रधानमंत्री तक के खिलाफ FIR अंकित कराने के लिए किसी के permission की आवश्यकता नही है | prosecution sanction की आवश्यकता तब होती है जब आरोप सत्य पाए जाये तथा न्यायलय में आरोपपत्र भेजा जाना हो | और उसमे भी गिरफ़्तारी के लिए किसी prosecution sanction की आवश्यकता नहीं है | इसकी आवश्यकता माननीय न्यायलय के संज्ञान लेने के लिए है | गंभीर आरोपों में गिरफ़्तारी के बाद 90 दिनों के अंदर यदि prosecution sanction नही मिलती तथा आरोपपत्र नही लगता तो अभियुक्त जमानत पर छोड़ दिया जायेगा | और A.R. Antulay Case के अनुसार भूतपूर्व मंत्रियो तथा अधिकारियो के लिए prosecution sanction की कोई आवश्यकता नही है | इसके अलावा 409 I. Pc में सुस्थापित सिद्धांत है कि वर्तमान मंत्री या अधिकारी के लिए भी prosecution sanction आवश्यक नही है क्योकि सरकारी धन का गबन करना राजकीय सेवा का अंग नही है | तो फिर क्या बलात्कार , हत्या या अनुसूचित जाति अत्याचारण निवारण अधिनियम के अपराध राजकीय सेवा के अंग है ? इसी logic को आगे बढाते हुए क्या सिगरेट से जलाना राजकीय सेवा का अंग है ? यदि तकनीकी द्रष्टि से पूर्ण विवेचना के बाद आवश्यक समझा जाय तो अभियोजन स्वीकृति बाद में ली जाती है | किन्तु आज तक Pillai तथा मणि के बयान पर गाल सभी बजा रहे है किन्तु आज तक चिदंबरम के खिलाफ मुकदमा तक कायम नही हुआ | आखिर चिदंबरम को संरक्षण कौन दे रहा है - वह मोदी जिनको मरवाने के प्रयासों तथा फर्जी मुकदमो में फंसाने के प्रयासों जैसे आरोप लोग चिदम्बरम के बारे में सुनते आ रहे थे | यह भाजपा के कांग्रेसीकरण का नमूना है |
यदि कांग्रेस ने अपनी रणशैली छोड़ दी , तो वही होगा जो पानीपत के तीसरे युद्ध में अहमदशाह अब्दाली और मराठो के बीच हुआ | मराठो ने छापामार युद्ध की शैली छोड़ दी और परिणाम सामने है | कांग्रेस अपनी संतुलित कार्यशैली को छोडकर अतिवादी रास्ते पर निकल पड़ी है | कम्यूनिस्ट पूरी दुनिया से उजड़ गये | उनकी नकल करने पर कांग्रेस भी उजड़ जाएगी | कांग्रेस अपने रास्ते को छोड़ेगी तो खाली जमीन को भाजपा कब्ज़ा लेगी तथा सूखते सूखते एक दिन कांग्रेस भी कम्यूनिस्ट की तरह सूख जाएगी | यदि कांग्रेस अपने रास्ते पर बनी रही तो भाजपा भी अपने fundamentals को छोड़ नही पायेगी तथा देश में एक two party system का दृश्य दिखेगा | (समाप्त)
भाजपा कांग्रेस हो गई तथा कांग्रेस साम्यवादी पार्टी
एक ओर संघपरिवार तथा भाजपा ने पल्टी मारकर कांग्रेस की centrist policy को adopt कर लिया तो दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव जी ललकारने लगे कि ''परिंदा पर नहीं मार सकता" तथा "आत्मरक्षा" के लिए वैध अवैध असलहे रखना मुसलमान के लिए आवश्यक है I" कम्युनिस्ट घर घर से अफजल निकालने वाले आंदोलनों को चाहे आयोजित किए हों या नहीं ,पर उनकी उपस्थिति में बिना उनके चेहरे पर तनाव पैदा किए - ये नारे लगे इसमें संदेह नहीं है I ममता जी के जेहादी तेवर देखने लायक हो गए I बंगलादेश से अवैध आव्रजन की बात या रोक जब संघ तथा भाजपा के एजेंडे में नही रही, तो और कौन सोंचे ? यदि बंगाल और असम में भाजपा की सरकार नहीं है तो दिल्ली तथा मुंबई में तो है -वहां पर खुल्लमखुल्ला अवैध बांग्लादेशी क्या केजरीवाल के बूते रह रहे हैं , दिल्ली का पुलिस कमिश्नर केजरीवाल के अधीन नहीं है | मुस्लिम वोट बैंक ममता के पास चला गया, तो कही केजरीवाल के पास | सपा , बसपा , राजद , नितीश कुमार , जयललिता , करूणानिधि , एनटी रामराव , शरद पवार आदि पहले से सेंधमारी कर रहे थे | अपनी जमीन बचाने के लिए Congress को defensive होना पड़ा | चाहे उसका आशय जो भी रहा हो , JNU के देशद्रोही नारे लगाने वालो के साथ कांग्रेस खड़ी दिखी | राजनीति में सदैव 2+2=4 नही होता | राजनीति perception पर चलती है | अब अगर मुस्लिम वोट बैंक नही रहेगा , तो सत्ता से चिपके पिस्सू किसी भी सेक्युलर पार्टी को छोडकर खुद भागने लगेंगे | चिदम्बरम तक नेहरु परिवार से हटकर कांग्रेस का भविष्य देखने लगेंगे जिन्हें बिना किसी जनाधार के मात्र पारिवारिक स्वामिभक्ति के चलते इतना मान सम्मान दिया गया था |
कांग्रेस क्या करे ? किंकर्तव्यविमूढ़ है | आज वह appeasement में होड़ लगा रही है | सुधर पायेगी भगवान मालिक है | भाजपा तथा संघपरिवार के लिए Congress ने एक बड़ा Vacuum छोड़ दिया जिसे भाजपा तथा संघपरिवार लगातार भरे जा रहे है | इसके बाद appeasement की इस दौड़ में Congress अधिकांश states में जब junior partner बनकर रह जाएगी तो फिर कभी भी उसके revival का chance नही रह जायेगा |
(4) अगर Congress Centrist Policy Adopt नही करती है , अगर congress मुलायम सिंह से भी कट्टर इस्लामपरस्ती करना चाहेगी तथा इस Competition में उतरेगी तो यह गलत फहमी है कि उसे मुसलमान वोट देंगे | अधिकांश मुसलमानों का वोट अब बटेंगा नही | यदि सांसदों के चुनाव में भी मुस्लिम वोट बंटा नही होता तो भाजपा को इतनी landslide victory नही मिलती | रामपुर , मुरादाबाद संभल , मेरठ आदि जैसी तमाम दूसरी सीटो पर निर्यायक भूमिका में थे | किन्तु उन्हें भाजपा के इस स्तर के विजय की उम्मीद नही थी , इसीलिए बंट गये | केजरीवाल के विजय का रहस्य यही था कि शीला दीक्षित जैसे प्रमाणित धर्मनिरपेक्ष व्यक्तित्व के भी वश का नही रहा कि मुस्लिम वोट ले सके | यही बिहार में हुआ | यू.पी. में या किसी भी स्टेट में कांग्रेस को मुस्लिम वोट तभी मिलेगा जब वह मुख्यधारा में दिखाई दे | राज्य स्तरीय पार्टियों के पास एक visible क्षेत्रीय या जातीय या धार्मिक वोट बैंक है | कांग्रेस सर्व समाज की है | उसमे जगजीवन से लेकर कमलापति त्रिपाठी तक , बेनी प्रसाद वर्मा से लेकर पुनिया तक सभी अपने को मकानमालिक समझते है | कोई अपने को किराएदार नही मानता | हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों के नरमपंथियो से लेकर उग्रवादियों तक को congress संतुलित करती रही है | अगर बेलछी कांड में इंदिरा जी का दलित प्रेम दिखता था तो देवली कांड में 24 दलितों के हत्यारों को वी. पी. सिंह के राज्य में बिना एक डंडे की मार पड़े जमाने ने जेल जाते देखा | अगर कांग्रेस अल्पसंख्यको का तुष्टीकरण करती थी तो जमाने ने यह भी देखा कि मलियाना तथा हाशिमपुरा में कांग्रेस क्या कर सकती है | मुरादाबाद में ईदगाह कांड में नमाजियों के भीड़ पर जितनी जबर्दस्त फायरिंग कांग्रेसी राज में हुई , उतनी जलिया वाला बाग कांड के बाद शायद ही इतिहास में कभी हुई हो | केवल शाहबानो केस में तुष्टीकरण ही कांग्रेस ने नही किया | आवश्यकता पड़ने पर भीषण दमनचक्र भी चलाया | शेख अब्दुल्ला को कांग्रेस ने इतना सिर पर चढाया कि जनसंघी गाते थे कि ---
हर इसाई यहाँ का फीजो है
हर मुस्लिम यहाँ का अब्दुल्ला |
कांग्रेस कहती थी ठीक कहते हो | अब्दुल्ला धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है | हम चाहते है कि हर मुसलमान शेख अब्दुल्ला हो जाय | किन्तु जब शेख अब्दुल्ला ने तेवर दिखाना चालू किया , तो जितने लम्बे समय तक शेख अब्दुल्ला को कांग्रेस ने जेल की चहारदीवारी में कैद कर दिया उतने लम्बे समय तक भाजपा राज्य में कत्लेआम मचाने वाला कोई घोषित आतंकवादी भी नही बंद रह सका है | कांग्रेस की परम्परा थी कि सबका तुष्टीकरण करती थी - सबके आगे हाथ जोडती थी - किन्तु आत्मसमर्पण नही करती थी | कांग्रेस सबके आगे घुटने टेके दिखती थी , लेकिन सबको अपनी औकात में रखती थी | शाही इमाम के साथ इमरजेंसी में क्या हुआ सबको पता है | शाही इमाम सर संघचालक तक से हाथ मिलाने को मजबूर हो गए | गोंडसे और जिन्ना दोनों से कांग्रेस खिलवाड़ कर लेती थी " मै नागिन , तू सपेरा |" कुमारमंगलम जैसे साम्यवादी विचारधारा के घुसपैठियों को यदि कांग्रेस पनाह देती थी , तो सिद्धार्थ शंकर रे के राज्य में बंगाल में नक्सलियों पर जो दमनचक्र चला वह किसी इस्लामी देश में भले चला हो या स्टालिन या हिटलर जैसे ने चलाये हो , पर किसी प्रजातंत्र में नही चला होगा | राजीव ने जनरैल सिंह भिण्डरावले को संत कहा तथा लोंगोवाल से समझौता हुआ, किन्तु operation blue star , इंदिरा हत्याकाण्ड तथा सिखों का हत्याकाण्ड भी हुआ | राष्ट्रपति जैल सिंह को राष्ट्रपति भी कांग्रेस ने ही बनाया था | कांग्रेस सबके साथ थी , किसी के साथ नही थी | कांग्रेस सबको लेकर चलती थी | कांग्रेस ने Civil Rights Act बनाया किन्तु उसे इतना कड़ा नही बनाया कि समाज में कटुता उत्पन्न हो | सीलिंग किया किन्तु annihilation of class enemies नही किया | दहेज़ का कानून बनाया किन्तु ऐसा कड़ा कानून नही बनाया कि माननीय उच्चतम न्यायालय तथा उच्च नयायालय भी कई मौको पर कानून के दुरूपयोग पर त्राहि - त्राहि कर चुके है | कट्टर से कट्टर मुस्लिम लीग तथा संघपरिवार के लोग भी जब कांग्रेस में गये तो उनको कांग्रेस ने इस सीमा तक आत्मसात कर लिया कि वे प्रथक नही दिखते थे | बाघेला साहब को देखकर कोई कहेगा कि ये कभी संघपरिवार के रहे होंगे | कांग्रेस खुद औकात में रहती थी तथा सबको औकात में रखती थी | सरदार पटेल कांग्रेस में हैदराबाद आपरेशन करते थे तो नेहरु कश्मीर में प्लेबिजिट तथा यू. एन. और सीजफायर का रास्ता अपनाते थे |
(5) अब वे दिन नही रहे | अब बटाला हॉउस कांड की तथा इसरत जहाँ कांड की बात की जाती है | मलियाना कांड तथा हाशिमपुरा कांड को निगल जाने वाली कांग्रेस - वह कांग्रेस जो इन कांडो में आरोपित S.P. को अल्पसंख्यको को संतुष्ट करने के लिए कभी निलंबित करती थी तो कभी बहाल करती थी - उस कांग्रेस के नेताओ के बयान आने लगे कि सोनिया गाँधी रो पड़ी थी | JNU में टी. वी. में पूरा जमाना देख रहा था कि क्या नारे लग रहे है तथा राहुल गाँधी 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' पर प्रवचन दे रहे थे | भगवान जाने कि राहुल तथा सोनिया के Political advisors का यह सुविचारित विचार था या चापलूसी में ठकुरसोहाती कर रहे थे | JNU कांड पर कांग्रेस का सधा - सधाया बयान आना चाहिए था- "जिस तरह के नारे लगने की बात कही जा रही है , वे नारे निंदनीय तथा देशद्रोह की परिधि में आते है तथा कठोरतम दंडनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए |" बिना आग के धुंआ नही होता | कन्हैया ने यदि नारे न भी लगाये हो तो भी अध्यक्ष के नाते उसका नैतिक दायित्व था कि वह इसे रोकने की कार्यवाही करता तथा भीड़ के द्वारा overpower होने की स्थिति में यदि यह संभव नही था तो कम से कम वहां से withdraw कर जाता | फिर भी उसके विद्यार्थी होने के नाते इस बात की गहराई से छानबीन होनी चाहिए कि उसने नारे लगाये या नहीं | यदि देशद्रोही नारे लगाने की बात प्रमाणित होती है , तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में इसकी छूट देने की बात कहना अराजकता है किन्तु वह एक terrorist नही है बल्कि एक misguided youth है जिसे भुखमरी , गरीबी , अशिक्षा से यहाँ तक कि RSS , मोदी या सांप्रदायिकता या असहिष्णुता से आजादी के नारे लगाने का हक है किन्तु कश्मीर की आजादी का अथवा हर घर से अफजल निकलने का नारा लगाने का कोई अधिकार नही | न्याय की मांग है कि यह नारा लगाना देशद्रोह है, किन्तु तथ्यों का गहराई से सत्यापन किया जाय तथा आरोप सत्य होने की स्थिति में इस सिद्धांत को ध्यान में रखा जाय कि justice should be tempered with mercy - विशेष रूप से इस पृष्ठभूमि में कि वह अभी terrorist नही है बल्कि दिग्भ्रमित है | इस आयोजन के पीछे जिन लोगो का शातिर दिमाग रहा, उनके विरूद्ध exemplary action लेकर रासुका तक की कार्यवाही की जानी चाहिए |"
यह कही भी उन्मादी बयान नही है - राष्ट्रवादी भी है , समझौतावादी भी है , appeasement करने वाला भी है तथा सख्ती का सन्देश भी देता है | ममता जी से अगर appeasement में congress के chief minister competition करेंगे तो कितने दिन करेंगे - 20 साल 30 साल हद से हद 40 साल | कांग्रेस ने अगर इस स्तर का appeasement किया होता तो अब तक WB तथा Assam में न कम्युनिस्ट को , न ममता को , न कांग्रेस को , न भाजपा को लड़ने की कोई जगह बचती | कांग्रेस जो चोरी चुपके Bangladeshi influx हुआ, उसे भगा तो न पाती पर उसको तेजी से बढ़ने भी न देती | वोट बैंक के निर्माण के चक्कर में demographical changes large scale पर न होने पाते | 20-30-40 साल में कश्मीर की स्थिति में illicit immigration की वजह से W.B. तथा Assam पहुचने जा रहा है | मुलायम सिंह तथा लालू से बिगड़ी बहकी बाते करने में कांग्रेस कभी competition नही करती थी | वह अपने रास्ते चलती थी | आज मुलायम से भी तगड़ा appeasement कांग्रेस कर रही है | क्षेत्रीय दल हतप्रम है | किन्तु minorities का वोट कांग्रेस को नही मिलेगा | जिसे minorities प्यार करते है उसे वोट नहीं देते | minorities का वोट उसे मिलता है जिसके पास अपना निजी वोट बैंक होता है और निजी वोट बैंक कांग्रेस ने कभी बनाया ही नहीं और न यह उसकी परम्परा रही |
आज भाजपा D. Raja की बेटी को political courtesy extend कर रही है | कानून कहता है कि आरोप झूठे हो या सच्चे यदि वे cognizable office के ingredients को पूरा करते है , तो किसी भी प्रकार की जांच की आवश्यकता नही है - Police को सीधे cognizance लेकर FIR पंजीकृत करनी चाहिए | पिल्ले तथा मणि ने जो बयान दिए , उनके गुणदोष पर विचार किये बिना सीधे FIR लिखाने का प्रावधान संविधान तथा भारतीय दण्ड विधान में है | Law should be allowed to adopt its own course - किसी का चेहरा तथा पद देखकर कानून नही चलता है | कानून के अपने मानक है | प्रधानमंत्री तक के खिलाफ FIR अंकित कराने के लिए किसी के permission की आवश्यकता नही है | prosecution sanction की आवश्यकता तब होती है जब आरोप सत्य पाए जाये तथा न्यायलय में आरोपपत्र भेजा जाना हो | और उसमे भी गिरफ़्तारी के लिए किसी prosecution sanction की आवश्यकता नहीं है | इसकी आवश्यकता माननीय न्यायलय के संज्ञान लेने के लिए है | गंभीर आरोपों में गिरफ़्तारी के बाद 90 दिनों के अंदर यदि prosecution sanction नही मिलती तथा आरोपपत्र नही लगता तो अभियुक्त जमानत पर छोड़ दिया जायेगा | और A.R. Antulay Case के अनुसार भूतपूर्व मंत्रियो तथा अधिकारियो के लिए prosecution sanction की कोई आवश्यकता नही है | इसके अलावा 409 I. Pc में सुस्थापित सिद्धांत है कि वर्तमान मंत्री या अधिकारी के लिए भी prosecution sanction आवश्यक नही है क्योकि सरकारी धन का गबन करना राजकीय सेवा का अंग नही है | तो फिर क्या बलात्कार , हत्या या अनुसूचित जाति अत्याचारण निवारण अधिनियम के अपराध राजकीय सेवा के अंग है ? इसी logic को आगे बढाते हुए क्या सिगरेट से जलाना राजकीय सेवा का अंग है ? यदि तकनीकी द्रष्टि से पूर्ण विवेचना के बाद आवश्यक समझा जाय तो अभियोजन स्वीकृति बाद में ली जाती है | किन्तु आज तक Pillai तथा मणि के बयान पर गाल सभी बजा रहे है किन्तु आज तक चिदंबरम के खिलाफ मुकदमा तक कायम नही हुआ | आखिर चिदंबरम को संरक्षण कौन दे रहा है - वह मोदी जिनको मरवाने के प्रयासों तथा फर्जी मुकदमो में फंसाने के प्रयासों जैसे आरोप लोग चिदम्बरम के बारे में सुनते आ रहे थे | यह भाजपा के कांग्रेसीकरण का नमूना है |
यदि कांग्रेस ने अपनी रणशैली छोड़ दी , तो वही होगा जो पानीपत के तीसरे युद्ध में अहमदशाह अब्दाली और मराठो के बीच हुआ | मराठो ने छापामार युद्ध की शैली छोड़ दी और परिणाम सामने है | कांग्रेस अपनी संतुलित कार्यशैली को छोडकर अतिवादी रास्ते पर निकल पड़ी है | कम्यूनिस्ट पूरी दुनिया से उजड़ गये | उनकी नकल करने पर कांग्रेस भी उजड़ जाएगी | कांग्रेस अपने रास्ते को छोड़ेगी तो खाली जमीन को भाजपा कब्ज़ा लेगी तथा सूखते सूखते एक दिन कांग्रेस भी कम्यूनिस्ट की तरह सूख जाएगी | यदि कांग्रेस अपने रास्ते पर बनी रही तो भाजपा भी अपने fundamentals को छोड़ नही पायेगी तथा देश में एक two party system का दृश्य दिखेगा | (समाप्त)
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