मुसलमानों का असली प्रतिनिधि
कौन : जावेद अख्तर या ओवैसी ?
ओवैसी ने कौन सी नई बात कही ?
कब कब किस मुसलमान ने "भारत माता की जय" कहा ?
कब कब किस घनघोर secular muslim ने भी भारत को माता मानने से इंकार किया ?
क्या इस्लाम को reform किया जा सकता है ?
क्या R.S.S. मुसलमानो को राष्ट्रीय मानता है ?
कौन : जावेद अख्तर या ओवैसी ?
ओवैसी ने कौन सी नई बात कही ?
कब कब किस मुसलमान ने "भारत माता की जय" कहा ?
कब कब किस घनघोर secular muslim ने भी भारत को माता मानने से इंकार किया ?
क्या इस्लाम को reform किया जा सकता है ?
क्या R.S.S. मुसलमानो को राष्ट्रीय मानता है ?
आज हर तरफ ओवैसी की निंदा हो रही है कि ओवैसी ने
भारत माता की जय कहने से मना कर दिया | यह भी चर्चा गूंज रही है कि जावेद अख्तर ने
जोर जोर ने भारत माता की जय का नारा दिया तथा लोगों ने मेज पर हाथ थपथपाकर स्वागत
किया | मैं ओवैसी का समर्थन नही कर रहा | राजनैतिक विश्लेषण कर रहा हूँ | आवेश में
न पढकर बौद्धिक चिंतन के लिए पढ़ेI मैं गला फाड़कर कहता रहा हूँ - " वन्दे
मातरम् " | किन्तु मेरा यह कहना है कि कब कब किस मुसलमान ने ओवैसी के स्टैंड
से असहमति व्यक्त की तथा किस किस ने सहमति व्यक्त की इसकी समीक्छा आवश्व्यक है I
मेरा विश्लेषण इन आठ बिन्दुओ पर केन्द्रित है --
(१) क्या इस्लाम में कुरान में संशोधन का अधिकार किसी को है ? महर्षि दयानंद से मैं सहमत हूँ - नहीं | मुझे विश्वास है कि हर मुसलमान सहमत होगा कि कुरान में संशोधन संभव नही है | वह भारत का संविधान नहीं है और न ही हिन्दू धर्मग्रन्थ है जिसमे 'संभवामि युगे युगे' लिखा है |
(१) क्या इस्लाम में कुरान में संशोधन का अधिकार किसी को है ? महर्षि दयानंद से मैं सहमत हूँ - नहीं | मुझे विश्वास है कि हर मुसलमान सहमत होगा कि कुरान में संशोधन संभव नही है | वह भारत का संविधान नहीं है और न ही हिन्दू धर्मग्रन्थ है जिसमे 'संभवामि युगे युगे' लिखा है |
(२) क्या कुरान भारत माता की जय बोलने की इजाजत देता
है ?
(३) क्या secular मुसलमानो ने भी भारत को माता मानने
से इंकार किया है ?
(४) क्या जवाहर लाल नेहरु तथा मौलाना अबुल कलाम
आजाद को एक राष्ट्र का माना जा सकता है, जिनकी जय और पराजय का इतिहास एक नही है ? राष्ट्रीयता
तथा नागिरिकता में क्या अन्तर है ? America से तुलना |
(५) धर्म और धरती में कौन अधिक महत्वपूर्ण है ?
(६) यदि कोई जय हिन्द , हिंदुस्तान जिंदाबाद
मानता है तथा यदि किसी की दृष्टि में यह
पर्याप्त नही है तो वह संविधान को
संशोधित करके कोई नये प्रावधान जोड़े यदि न्यायलय उसे असवैंधानिक न समझे |
(७) क्या R.S.S. मुसलमानों की राष्ट्रीयता
भारतीय मानता है या नागरिकता ? यदि R.S.S. मुसलमानो की राष्ट्रीयता भारतीय नही मानता
तो उनसे उम्मीद क्यों रखता है ? यह द्विविधा ही घातक है | R.S.S. का कांग्रेसी मूल
यह मतिभ्रम पैदा करता है | भारत विभाजन पर 1947 में एक भी आर्यसमाजी न तो मारा गया
और, न उसकी बहन - बेटी बेइज्ज़त हुई और न उसकी संपत्ति लूटी गयी | केवल बहादुर
सिखों को तथा secular कांग्रेसियो और
अस्पष्ट चिंतन के R.S.S. के लोगो को विभाजन का दंश झेलना पड़ा |
(८) जब महाराष्ट्र और दिल्ली दोंनो में एक ही पार्टी कि
सरकार है तो ओवैसी के विधानसभा सदस्य तथा
ओवैसी के बारे में B.J.P. का रुख uniform क्यों नही है ?
महर्षि दयानंद , जो 'आर्यसमाज' के संथापक थे, ने
स्पष्ट रूप से माना है कि ओवैसी का कथन ही muslim समाज का प्रतिनिधित्व करता है |
आर्यसमाज के प्रखर व्यक्ता तथा कवि कुंवर सुखलाल ने स्पष्ट घोषणा की है -----
" जब तलक तालीम कुरआन
पे है इनका ऐतकाद
ये न समझेंगे मुसाफिर
आप समझायेंगे क्या "
पे है इनका ऐतकाद
ये न समझेंगे मुसाफिर
आप समझायेंगे क्या "
"आप से अभिप्राय महात्मा गाँधी से है |
महात्मा गाँधी के प्रति यह आर्यसमाज का संदेश है | आर्यसमाज का अभिप्राय है -- जब
तक इनका ( = मुसलमानों का ) कुरान की तालीम पर ऐतकाद है , तब तक ये कुछ न समझेंगे ,
आप ( गाँधी जी ) इनको कैसे समझायेंगे ?"
दयानंद जी मानते थे कि ' A reformed Islam is no Islam ' अर्थात इस्लाम में संशोधन नही किया जा सकता | एक सुधारा हुआ इस्लाम इस्लाम ही नही है | कोई इस्लामी धर्मगुरु दयानंद जी से अन्य बिदुओ पर असहमत हो सकता है किन्तु इस बिंदु पर दयानंद जी से असहमत होने का दम किसी मुस्लिम धर्मगुरु में नही है | जब हज़रत मुहम्मद साहब खतमुल नबी है , तो कुरान में संशोधन कैसे हो सकता है ? हर धर्म की अच्छी बातों को ग्रहण कर लेना चाहिए तथा बुरी बातो को छोड़ देना चाहिए , यह गाँधीवादी सोच ही सारी फसाद की जड़ है | किसी धर्म में कौन सी बात अच्छी है तथा कौन बुरी इसे तय करने वाले गाँधी तथा नेहरु कौन है ? अगर किसी धर्म की कोई बात किसी देश के स्थानीय संविधान तथा विधान के प्रतिकूल हो,तो उतना अंश देश में लागू नहीं होगा,किन्तु हम उतने हिस्से की निंदा या तरीफ नहीं कर सकते हैं -यह blasphemy है I इसलिए किसी भी देश में उस देश का संविधान या विधान चलेगा और असम्वैधानिक अंश निष्प्रभावी (void) होगा किन्तु condemnable(निंदनीय) नहीं I शिष्ट समाज से शंतिव्यस्था के हित में उस पहलू की चर्चा की अपेक्षा नहीं की जाती I
दयानंद जी मानते थे कि ' A reformed Islam is no Islam ' अर्थात इस्लाम में संशोधन नही किया जा सकता | एक सुधारा हुआ इस्लाम इस्लाम ही नही है | कोई इस्लामी धर्मगुरु दयानंद जी से अन्य बिदुओ पर असहमत हो सकता है किन्तु इस बिंदु पर दयानंद जी से असहमत होने का दम किसी मुस्लिम धर्मगुरु में नही है | जब हज़रत मुहम्मद साहब खतमुल नबी है , तो कुरान में संशोधन कैसे हो सकता है ? हर धर्म की अच्छी बातों को ग्रहण कर लेना चाहिए तथा बुरी बातो को छोड़ देना चाहिए , यह गाँधीवादी सोच ही सारी फसाद की जड़ है | किसी धर्म में कौन सी बात अच्छी है तथा कौन बुरी इसे तय करने वाले गाँधी तथा नेहरु कौन है ? अगर किसी धर्म की कोई बात किसी देश के स्थानीय संविधान तथा विधान के प्रतिकूल हो,तो उतना अंश देश में लागू नहीं होगा,किन्तु हम उतने हिस्से की निंदा या तरीफ नहीं कर सकते हैं -यह blasphemy है I इसलिए किसी भी देश में उस देश का संविधान या विधान चलेगा और असम्वैधानिक अंश निष्प्रभावी (void) होगा किन्तु condemnable(निंदनीय) नहीं I शिष्ट समाज से शंतिव्यस्था के हित में उस पहलू की चर्चा की अपेक्षा नहीं की जाती I
अब
दूसरे बिन्द पर आता हूँ I कुछ मुस्लिम विद्वानों का कहना है कि भारत माता का शुरू से एक चित्र रहा है-शास्त्रों में भारतमाता
का जिक्र एक शक्तिस्वरूपा दुर्गा के रूप में हुआ है जिसकी करधनी समुद्र है तथा
मुकुट हिमालय हैI बंकिम चन्द्र चटर्जी ने भी 'वन्दे मातरम्' गीत में भारत माता को
'सुहासनी,'सुमधुर भाषिणी' तथा 'शस्यश्यामला' कहा है अर्थात भारत माता एक मिट्टी का
टुकड़ा नहीं हैं-भारतमाता का जीवन्त स्वरूप है-वह हँसती है,बोलती है,उसका एक जीवित
विग्रह है, स्वरूप हैI
आदिकाल से लेकर भारतमाता का एक शब्दचित्र खींचा गया है जिसे R.S.S.की पत्रिकाओ
में एक चित्र के रूप में प्रकाशित किया
गया हैI कुछ मुस्लिम मानते हैं कि वन्देमातरम वर्जित हैI मै जिस विषय का सुस्थापित
विद्वान नहीं हूँ उस विषय पर कोई निर्णयपरक टिपण्णी नहीं करताI छोटे मुंह बड़ी बात नहीं करना चाहताI इस सम्बन्ध में मै Socrates से सहमत हूँI Socrates ने कहा कि मै
मानता हूँ कि मै दुनिया का सबसे बुद्धिमान पुरुष हूँ क्योंकि मै जानता हूँ कि मै
मूर्ख हूँ, बाकी लोगो को इतना भी पता नहीं हैI ''इसी प्रकार जिस विषय की मै authority नहीं हूँ ,उस विषय पर फटी ढोल की तरह
गलत नहीं बोलताI भारत में केवल तीन लोग ही सर्वग्य है-(१)बाबा रामदेव जी
(२)सुब्रमण्यम स्वामी जी तथा (३) दिग्विजय
सिंह जी I विश्व का कोई topic छेड़ दीजिये, उस पर आपको value-judgment मिल जायेगा I
मै इतना बड़ा ज्ञानी नहीं हूँI मैने भी कुरान को 6-7 बार पढ़ा है किन्तु मै इसकी
Authority नहीं हूँI हिन्दू शास्त्रों में 'मुंडे मुंडे मतिर्भिन्ना' के आधार पर
अपने 'मुंड' में क्या है वह कह देता हूँ -साथ ही १००% Authority न सही ,तो भी
संस्कृत में काफी ग्रंथो के अध्ययन तथा अनंत श्री विभूषित करपात्री जी महाराज का
शिष्य होने के कारण अपने विचार व्यक्त कर देता हूँI यद्यपि तुलसीदास जी ने लिखा है
कि चाहे कितनी भी सेवा कर लो 'युवती
शास्त्र नृपति बस नाही'अर्थात शास्त्र
किसी के वश में नहीं होता हैI शास्त्रार्थमहारथी करपात्री महाराज जी तथा महर्षि
दयानन्द जी जैसे लोग अपवाद स्वरूप हैI मैने तो चिंतन के लिए यह बिंदु उपस्थित किया
I Muslim Personal Law Board का मेरी समझ से यह दायित्व बनता है कि ऐसे अवसरों पर
वह मौन धारण करके confusion को बढावा न देI या तो वह स्वयं निर्णय दे अन्यथा
मुस्लिम विद्वानों की किसी समिति से यह निर्णय कराकर स्थिति स्पष्ट करे कि ओबैसी और जावेद अख्तर में से
कौन सच्चे इस्लाम का प्रतिनिधित्व करता है (क्रमशः)
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