मुसलमानों का असली प्रतिनिधि
कौन : जावेद अख्तर या ओवैसी ?
ओवैसी ने कौन सी नई बात कही ?
कब कब किस मुसलमान ने "भारत माता की जय" कहा ? भाग २
कौन : जावेद अख्तर या ओवैसी ?
ओवैसी ने कौन सी नई बात कही ?
कब कब किस मुसलमान ने "भारत माता की जय" कहा ? भाग २
देवबंद ,बरेली या अलीगढ या अन्य
centres के विद्वान् भी इस्लामी समाज का मार्गदर्शन
करे कि 'वन्दे मातरम् 'या 'भारतमाता की जय' कहना
Islam के विरूद्ध है या नहीं I जहाँ तक मेरी जानकारी है ,संभतः Owaissi स्वयं
इस्लामी scriptures के सुस्थापित विद्वान् नहीं है Iवे वकील है तथा राजनेता है Iक्या
उचित है ,क्या अनुचित -इस पर Owaissi की जगह कोई मुस्लिम धर्मगुरू बोले तो उसकी
बात ज्यादा प्रभावी होगी तथा उस परिवेश
में सम्पूर्ण परिस्थितियों का आकलन करके क्या संभव है तथा वांछनीय है -इसका सुविचारित
निर्णय लिया जाना चाहिएI काफी समय से 'भारतमाता की जय' तथा 'वन्दे मातरम्
'कहने की भी सुस्थापित परम्परा रही है Iइतिहास के विद्वानों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस बिंदु पर academic शोधपरक लेख लिखे कि अतीत में कभी किसी ने
सव्तान्त्त्रा-संग्राम में 'भारतमाता की जय 'या 'वन्दे मातरम ' का विरोध किया है
अथवा नहीं और यदि किया है तो किस परिप्रेक्ष्य में तथा उस विरोध का सन्दर्भ और प्रसंग क्या था Iमेरी
जानकारी में ऐसा कोई प्रकरण नहीं है ,किन्तु
इस पर इतिहास के अधिकृत विद्वानों की
टिप्पणी अपेक्षित है Iसमस्त बातो को सुनने के बाद भारतीय संसद को इस विषय में एक
सुविचारित निर्णय लेना चाहिए ,जिससे सर्वसंमति (unianimity)किसी पार्टी विशेष के दुराग्रह के कारण भले न हो ,किन्तु एक
राष्ट्रीय सहमति (National Consensus)तो होनी ही चाहिए Iमहाराष्ट्र विधानसभा में
यह Consensus emerge हुआ I National Scale पर भी महाराष्ट्र जैसा प्रस्ताव हुआ
होता तो या तो कहीं न कहीं National Consensus emerge हुआ होता , अन्यथा हर पार्टी
का stand expose हुआ होता I यदि communists की वजह से unanimity न भी हो पाती ,तो
भी congress ने महाराष्ट्र में बिना Sonia की सहमति के कोई stand तो नहीं लिया
होगा I Parliament में महाराष्ट्र की प्रकृति की कार्यवाही में विचार करने पर क्या
हर्ज है -इस बिंदु पर BJP को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए I यदि महाराष्ट्र में
Owaissi के शिष्य पर कार्यवाही हो सकती है तथा संसद में क्यों नहीं I देश इस का
जबाब चाहता है -संविधान दोनों जगह एक ही
है I दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार भी है I इस तरह इस बिंदु में सातवे बिंदु के
विश्लेषण से भी cover कर लिया गया I
तीसरा बिंदु है कि क्या मुसमान
भारत को 'माता ' मानते हैं ?Owaissi कि आलोचना में दिग्विजय सिंह से लेकर सरसंघचालक
सभी एक है किन्तु अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफर के बारे में सर्वसमति है कि वे देशभक्त थे तथा धर्मनिरपेक्ष थे I गौहत्या
का विरोध करने वाला शासनादेश भी उन्होंने निर्गत किया था I अकबर की तरह बहादुर शाह
जफर का लव जिहाद का कोई किस्सा नहीं नहीं है I टीपू सुल्तान तक पर जिहाद के आरोप
लगाये गए हैं -कितना सही कितना गलत -इतिहास के विद्वान जाने किन्तु बहादुर शाह जफर
की धर्मनिरपेक्षता तथा देशभक्ति पर तो कोई तोहमत नहीं लगी है I स्वयं बीर विनायक
दामोदर सावरकर , जिन्हें संघपरिवार भी राष्ट्रभक्ति का मानक मानता है ,ने भी 'भारतीय इतिहास के 6
स्वर्णिम प्रष्ठ' में बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में लड़े गये संग्राम को प्रथम
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम माना है तथा लक्ष्मीबाई ,तात्या टोपे ,पेशवा तथा सभी
राजपूत योद्धा बहादुर शाह जफर को बादशाह मान कर लड़े थे I बहादुर शाह जफर तो ओवैसी
नहीं थे I किन्तु क्या बहादुर शाह जफर ने भी भारतभूमि को माता माना ?बहादुर शाह
जफर ने लिखा है -
' है कितना बदनसीब जफर
दफ्न के लिए
दो गज जमीन भी न मिली,
कूए
यार में '
बहादुर शाह जफर ने भारत को 'मादरे वतन ' न कहकर
'कूए यार ' (प्रेमिका की भूमि) कहा I बहादुर शाह जफर के अचेतन मन में था कि वे उस
बाबर के वंशज हैं जिसने भारत को फतेह किया था I जफर के लिए भारत 'मादरे वतन' न
होकर 'कूए यार ' था (land of beloved) I जो भारत को 'माता ' नहीं मानता,वह 'भारत
माता 'की जय कैसे बोलता रहा होगा ? इतिहासकार इस पर सम्मति प्रस्तुत करें I
जिस शायर ने देशभक्ति का यह
गीत लिखा वह तो ओवैसी नही है -
'कर चले हम फ़िदा जान तन साथियों '
अब तुम्हारे
हवाले वतन साथियों '
यह शायरी १५ अगस्त तथा २६ जनवरी को
गायी जाती है I देशभक्ति के program में गायी जाती है I शायर ने भारत का भारतीय
नागरिक से क्या रिश्ता जोड़ा है -
''अब तुम्हीं इस कुटी के लखन साथियों
अब तुम्हरे
हवाले वतन साथियों''
अर्थात देशवासियों और भारत भूमि में
देशभक्ति के गीत लिखने वाला शायर भी सीता और लक्ष्मण(देवर भाभी) के रिश्ते जोड़ रहा है, माँ- बेटे
का नहीं I 'मादरे वतन 'तो पहले कोई घोषित करने की सोचे -'भारत माता की
जय 'तो बाद की stage है I
ऐसा क्यों है, इसका जवाब आपको चौथे प्रश्न के विश्लेषण में मिलेगा I
मौलाना आजाद तो Secular थे- Owaissi नहीं
थे I मौलाना आजाद ने १५ अगस्त १९४७ को ऐलान किया कि 'हम सब १५० साल बाद आजाद हुए
हैं I' उन्हीं की पार्टी कांग्रेस के पं जवाहर लाल नेहरु के भाषण को उद्ध्रत कर
रहा हूँ -''हम हजार साल के गुलामी के कीचड को एक दिन में नहीं घो सकते हैं I''
अर्थात १५ अगस्त १९४७ को मौलाना आजाद तथा जवाहर लाल नेहरु दोनों आजाद हुए Iकिन्तु
जवाहर लाल नेहरु १००० साल बाद तथा मौलाना आजाद १५० साल बाद I पुरे विश्व में
राजनीतिशास्र का कोई विद्वान इस पर टिप्पणी करे कि क्या जिन दो लोगो का जय-पराजय
का इतिहास एक नहीं है ,वे एक राष्ट्र के हैं ?क्या उनकी राष्ट्रीयता
(Nationanlity) एक मानी जा सकती है ,भले ही वे एक ही Nation-state के citizen
क्यों न हो I यह मै Academic question उठा रहा हूँ -इसको किसी की आलोचना में न
लिया जाये IFacts are sacred,Opinions may differ. जब तराइन के मैदान में
पृथ्वीराज की पराजय हुई तो अगर एक व्यक्ति के लिए वह विजय दिवस था तथा दूसरे व्यक्ति
के लिए पराजय दिवस या शोक दिवस तो क्या इसी को ''एक राष्ट्र ''(One Nation)कहते
हैं ?One Nation तथा One state में
fundamental difference हैI परम पूज्नीय गुरूजी गोलवरकर ने इसीलिए राष्ट्र की
आत्मा ''चिति'' (We feeling)को माना है I गुलाम ,खिलजी ,तुगलक ,लोदी ,मुग़ल ,शासन
क्या गुलामी का काल था या नहीं -इस पर जिनमें मतभेद हो ,उनकी citizenship भले एक
हो ,पर क्या Naticurlity भी एक है I (क्रमशः)
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